परोपकार पर निबंध (Paropkar Par Nibandh)- मकर संक्रांति का दिन था। रोहित आज अपनी छत पर खड़ा पतंग उड़ा रहा था। उसके आस-पड़ोस के लोग भी पतंग उड़ाने में मशगूल थे। किसी को इस बात की परवाह तक नहीं थी कि आकाश में भी कोई गोते लगा रहा था। कि तभी रोहित को किसी की फड़फडाने की आवाज सुनाई दी। रोहित ने जब पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि एक कबूतर घायल हुआ जमीन पर पड़ा था। उस कबूतर को देखते ही रोहित ने आव देखा ना ताव और उस कबूतर को लेकर वेटरनरी अस्पताल चला गया।
परोपकार (Essay On Paropkar In Hindi)
रोहित ने उस पक्षी की जान बचा ली। बस उस दिन से रोहित ने कसम खा ली थी कि वह जीवन में कभी भी पतंग नहीं उड़ाएगा। उसने धर्म का रास्ता चुना। रोहित की यह कहानी परोपकार को दर्शाती है। परोपकार बहुत ही अच्छा गुण है। परोपकार से हम सारे जगत को जीत सकते हैं। दया और सेवा भाव को हम परोपकार की श्रेणी में भी गिन सकते हैं। जिस मनुष्य के दिल में दया भाव ना हो वह अच्छा इंसान नहीं कहलाया जा सकता है। उदार दिल का होना बहुत आवश्यक है। एक उदार व्यक्ति अपनी हर परिस्थिति में लोगों की मदद के लिए तैयार रहता है। उदारता के लिए यह जरूरी नहीं कि आपके पास खूब सारा धन हो। आप गरीब होकर भी उच्च कोटि की उदारता प्राप्त कर सकते हैं। बस इसके लिए आपको चाहिए कि आपका दिल बहुत बड़ा होना चाहिए।
परोपकार पर निबंध
इस पोस्ट में हमने परोपकार पर निबंध एकदम सरल, सहज और स्पष्ट भाषा में लिखने का प्रयास किया है। परोपकार पर निबंध के माध्यम से आप जान पाएंगे कि परोपकार क्या होता है, हमारे समाज में परोपकार की क्या भूमिका है, परोपकार के लाभ क्या हैं आदि। तो आइए हम परोपकार के विषय पर निबंध पढ़ते हैं।
प्रस्तावना
हमारे देश की संस्कृति में उदारता सदा से चली आ रही है। हम जब छोटे से होते हैं तभी से हमें परोपकार का ज्ञान दिया जाता है। आपने कभी यह देखा होगा कि आप जब किसी जरूरतमंद की मदद करते हो तो आपका दिन कितना अच्छा जाता है। आप पूरे दिन खुशी महसूस करते हो। परोपकार का गुण होने पर आपका जीवन सुखमय बन जाता है। परोपकारी इंसान बदले में कुछ भी नहीं चाहता है। वह हर पल लोगों की भलाई के बारे में सोचता है। परोपकारी इंसान को हर कोई अपना आदर्श मानता है।
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हम परोपकार का सच्चा उदाहरण अपने समाज में देख सकते हैं। आज वायु हमें जब बिन कुछ मांगे शीतल हवा प्रदान करती है तो हमें कितना अच्छा लगता है। तालाब हमें पानी प्रदान करता है। जरा सोचकर देखो कि अगर प्रकृति हमें हर प्रकार के संसाधन देना बंद कर दे तो क्या होगा। लेकिन प्रकृति ऐसा कभी भी नहीं करती। प्रकृति मनुष्य से बिना कोई आकांक्षा के परोपकार का काम करती रहती है। जो बिन कुछ चाहे ही दूसरों के काम आए उसे ही सच्चा इंसान कहा जाता है। मददगार लोगों की सच्चे दिल से सहायता करके हम पुण्य का काम करते हैं।
परोपकार क्या है?
परोपकार शब्द अपने आप में ही महान है। परोपकार करके हम बुराई को भी हराने की ताकत रखते हैं। परोपकार शब्द आखिर है क्या? परोपकार का अर्थ है दूसरों के लिए भलाई का काम करना। जब हम दूसरों के हित के लिए काम करते हैं तो वह काम परोपकार में गिना जाता है। परोपकार मनुष्य के लिए सर्वश्रेष्ठ गुण है। यह गुण मनुष्य के जीवन को खुशहाल बना देता है। परोपकारी व्यक्ति ताउम्र लोगों की भलाई के लिए काम करता है। वह परोपकार को कार्य नहीं बल्कि सेवा के समान मानता है।
दरअसल भगवान हमें मानव के रूप में इसलिए पैदा करता है ताकि हम लोगों की सेवा कर सकें। मनुष्य को जानवरों से ज्यादा समझदार माना जाता है। मानव में सब कुछ करने की ताकत होती है, इसलिए मानव को परोपकार भी करना चाहिए। दया भाव, सेवा भाव और करूणा यह सभी परोपकार के ही प्रकार हैं। उपकार का सच्चा उदाहरण हम हमारे देश के सैनिकों में देख सकते हैं। एक देश का सैनिक पूरे तन और मन से देश की सेवा करता है। बदले में वह कुछ भी नहीं चाहता। बस वह निस्वार्थ भाव से देश की रक्षा में हर पल खड़ा रहता है।
समाज में परोपकार की भूमिका
नीना के टहलते हुए कदम अचानक रूक से गए। एकाएक उसकी नजर एक व्यक्ति पर गई जो कि फुटपाथ के किनारे बैठा सिसक रहा था। वह व्यक्ति बुजुर्ग था। उसके शरीर पर पुराना सा फटा हुआ शाॅल था। ठंड के चलते वह दुबक कर बैठा था। नीना उस बुजुर्ग के पास गई और उससे उसका हालचाल पूछने लगी। हालचाल जानने पर पता चला कि उस बुजुर्ग को उसके बेटे ने छोड़ दिया था। नीना ने पास की ही एक दुकान से स्वेटर खरीदा और बुजुर्ग को दे दिया।
नीना का यह कदम परोपकार को दर्शाता है। आज के भागदौड़ भरे समय में किसी को भी किसी के लिए समय नहीं है। आज हर कोई व्यक्ति आपको तनाव में दिखेगा। तनाव के चलते दयाभाव शायद खत्म सा हो गया है। दया की जगह कहीं-कहीं स्वार्थ ने ले ली है। स्वार्थ के चलते ही लोग अपनों से दूर हो रहे हैं और परोपकार के संस्कार भूल रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि दया और सेवा भाव के बीज बचपन से ही बो दिए जाएं। दयाभाव रखने वाले व्यक्ति का कल्याण होता है।
परोपकार के लाभ
परोपकारी इंसान अपने जीवन में सदैव खुश रहता है। परोपकारी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की चिंता नहीं सताती है। आज हम बहुत से वीर लोगों के नाम सुनते हैं जिन्होंने अपने देश की खातिर अपने जीवन का बलिदान देना उचित समझा। भगत सिंह, झांसी की रानी, सुखदेव, महात्मा गांधी जैसे लोग उन महान इंसानों में गिने जाते हैं जिन्होंने अपने जीवन से ज्यादा अपने देश को महत्व दिया।
परोपकार से हम सबका दिल जीत सकते हैं। यहां तक कि परोपकार और दया भाव रखने से आप अपने बड़े से बड़े शत्रु पर भी विजय प्राप्त कर सकते हो। जब हम सारे संसार के लिए अच्छा सोचते हैं तो हमारे जीवन के सारे कार्य बिना किसी परेशानी के होते रहते हैं। हम सभी मनुष्यों के जीवन का मूल उद्देश्य परोपकार ही होना चाहिए। परोपकारी व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक रूप से बदल जाता है। परोपकारी व्यक्ति हर पल सकारात्मक और आशावादी सोच रखता है। परोपकारी व्यक्ति को स्वयं भगवान का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है।
परोपकार पर राजा शिवि चक्रवर्ती की कहानी
यह बहुत पहले की बात है जब उशीनगर का राजा शिवि चक्रवर्ती हुआ करता था। वह जनता के बीच इसलिए जाना जाता था क्योंकि वह बहुत ही दयालु राजा था। उसकी दयालुता के चर्चे चारों ओर थे। राजा शिवि की दरियादिली की खबर जब इंद्रदेव और अग्निदेव के पास पहुंची तो उन दोनों ने सोचा कि क्यों ना राजा की परीक्षा ली जाए। इंद्रदेव बाज के रूप में आ गए और अग्निदेव एक भोले से कबूतर बन गए। अब कबूतर के रूप में फूर्ती से उड़ते हुए अग्निदेव राजा शिवी के महल पहुंचे और जाकर राजा शिवी की गोद में बैठ गए। कबूतर ने राजा से कहा,
“हे राजन! मेरी जान बचा लिजिए। एक बाज मेरी जान के पीछे पड़ा है। वह कभी भी यहां पहुंचाता होगा।”
राजा शिवि ने कबूतर से यह वादा किया कि वह कबूतर को कुछ भी नहीं होने देगा। फिर बाज वहां पहुंचा और राजा शिवि से कहा,
“राजन, यह कबूतर मेरा शिकार है। आप कृपा करके यह कबूतर मुझे दे दीजिए।”
राजा शिवि ने कबूतर देने से मना कर दिया। राजा बोला,
“मैंने कबूतर से यह वादा किया है कि मैं उसे कुछ नहीं होने दूंगा। तो हे बाज, तुम अगर चाहो तो कबूतर के बराबर मेरा मांस ले सकते हो।”
बाज इस बात के लिए राजी हो गया। फिर राजा शिवि ने अपने सैनिकों को बुलाकर एक तराजू मंगवाया और उसने कबूतर को तराजू के एक पलड़े पर बिठाया और दूसरे पलड़े को उसने मांस से तोलना शुरू किया। वह अपने शरीर का मांस काटता गया लेकिन तब भी तराजू का पलड़ा बराबर ना हुआ। ऐसा ना होने पर राजा शिवि खुद ही तराजू पर बैठ गए। उनके तराजू पर बैठते ही पलड़ा एकदम बराबर हो गया। राजा शिवि ने बाज से कहा कि वह उसका पूरे शरीर का मांस ले ले और इसके बदले में इस कबूतर की जान बख्श दे। राजा शिवि ने यह कहा और उतने में ही कबूतर और बाज अपने असली रूप में आ गए। राजा ने अग्निदेव और इंद्रदेव को देखते ही प्रणाम किया। इंद्रदेव बोले,
“हे राजन, मैं तुम्हारी दयालुता की परीक्षा लेने आया था। तुम उस परीक्षा में पास हुए।”
ऐसे में राजा शिवि की दयालुता की जीत हुई।
उपसंहार
परोपकार का सच्चा अर्थ है कि किसी जरूरतमंद व्यक्ति की बिना किसी स्वार्थ के मदद करना। परोपकार का गुण होना बहुत जरूरी है। बिना दया भाव के यह जीवन नहीं चल सकता है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हमारे जीवन में भी हर काम सफल होते हैं। सेवा करना एक पुण्य का काम है। सेवा और परोपकार में ही हमारी भलाई है। परोपकारी इंसान जीवन में कभी भी हारता नहीं है। हम सभी को परोपकार करते रहना चाहिए। हम मनुष्य रूपी शरीर में इसलिए पैदा हुए हैं ताकि हम हर किसी की सेवा कर सकें। परोपकार ही सच्चा धन होता है।
परोपकार पर निबंध 200 शब्दों में
परोपकार एक बहुत ही सुंदर गुण माना जाता है। परोपकार का गुण होना बहुत जरूरी है। दयाभाव रखने से ही हम एक सच्चे इंसान कहलाए जा सकते हैं। समस्त धरती के लिए दया और करूणा रखना बहुत जरूरी होता है। भगवान हमें ईश्वर के रूप में धरती पर इसलिए भेजता है ताकि हम अपने हाथों से पुण्य के काम कर सके। पुण्य करना हर किसी के लिए बस की बात नहीं है। पुण्य और दया भाव ऐसी चीज है जिसे सिखाया नहीं जाता। बल्कि यह अपने आप ही सीखा जाता है।
यह एक ऐसी भावना है जो अंदर से ही उत्पन्न होती है। परोपकार करने से हमें बहुत अच्छा महसूस होता है। परोपकारी व्यक्ति हर जगह सराहा जाता है। उदारता से दुष्ट व्यक्ति का दिल भी पिघल जाता है। हमें जीवन में हर किसी के लिए उदारता दिखानी चाहिए। परोपकार व्यक्ति का जीवन सुखमय तरीके से बीतता है। हमारे देश में भी अनेकों महापुरुषों ने जन्म लिया था जिन्होंने अपना जीवन परोपकार करते हुए बीता दिया था। वह सिर्फ समाज के हित के लिए ही काम करते हैं।
परोपकार पर 10 लाइनें
(1) परोपकार हमारे जीवन के लिए सबसे अच्छा गुण माना जाता है।
(2) हमें जीवन में हमेशा परोपकार करते रहना चाहिए।
(3) हमारा जीवन उदारता से खुशनुमा बन जाता है।
(4) भारत देश में अनेक उदार लोगों ने जन्म लिया है।
(5) भगवान ने हमें मनुष्य रूपी शरीर में इसलिए भेजा है ताकि हम हर किसी का काम निस्वार्थ भावना से कर सकें।
(6) आज के भागदौड़ भरे समय में हमें परोपकार को अपनाना चाहिए।
(7) परोपकार को हम एक तरह का धर्म कह सकते हैं।
(8) हमारे देश में अनेकों महापुरुष ऐसे हुए हैं जिन्होंने अपना जीवन उपकार करने में बिता दिया।
(9) परोपकारी व्यक्ति अपने जीवन के हर कार्य में सफल होता है।
(10) जरूरी नहीं है कि परोपकारी होने के लिए आपको अमीर होने की जरूरत है। एक निर्धन व्यक्ति भी उदार हो सकता है।
FAQs
उत्तर- परोपकार का अर्थ है दूसरों के लिए भलाई का काम करना। जब हम दूसरों के हित के लिए काम करते हैं तो वह काम परोपकार में गिना जाता है। परोपकार मनुष्य के लिए सर्वश्रेष्ठ गुण है। यह गुण मनुष्य के जीवन को खुशहाल बना देता है। परोपकारी व्यक्ति ताउम्र लोगों की भलाई के लिए काम करता है। वह परोपकार को कार्य नहीं बल्कि सेवा के समान मानता है।
उत्तर- महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, डाॅ. बी.आर. अम्बेडकर, मदर टेरेसा, जवाहर लाल नेहरू आदि।
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