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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत पाठ 4 सूक्तिमौक्तिकम्

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PP Team
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हम आपके के लिए इस आर्टिकल के माध्यम कक्षा 9 संस्कृत सूक्तिमौक्तिकम् के एनसीईआरटी समाधान लेकर आए हैं। कक्षा 9 संस्कृत पाठ 4 के प्रश्न उत्तर परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। हर छात्र परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहता हैं। इसके लिए छात्र बाजार में मिलने वाली गाइड या कुंजी पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन आप इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत (NCERT Solutions Class 9 Sanskrit Chapter 4) पूरी तरह मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही कक्षा 9 संस्कृत पाठ 4 सूक्तिमौक्तिकम् के प्रश्न उत्तर पढ़कर परीक्षा में अच्छे अंक भी प्राप्त कर सकते हैं।

NCERT Solutions Class 9 Sanskrit Chapter 4 सूक्तिमौक्तिकम्

हमने आपके ये सभी कक्षा 9 संस्कृत के एनसीईआरटी समाधान सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाए हैं। इन समाधान से आप आने वाली परीक्षा की तैयारी बेहतर कर सकते हैं। शेमुषी भाग 1 पुस्तक में कुल 10 अध्याय है। पहले इसमें कुल 12 अध्याय थे। लेकिन अब इनकी संख्या घटाकर 10 कर दी गई हैं। आइये फिर नीचे एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत पाठ 4 (NCERT Solutions Class 9 Sanskrit Chapter 4 सूक्तिमौक्तिकम्) पढ़ना शुरू करें।

पाठ 4 सूक्तिमौक्तिकम्
अभ्यासः

1. एकपदेन उत्तरं लिखत:-

(क) वित्तत: क्षीणः कीदृश: भवति?

उत्तराणि :- अक्षीणो।

(ख) कस्य प्रतिकूलानि कार्याणि परेषां न समाचरेत्?

उत्तराणि :- आत्मन:।

(ग) कुत्र दरिद्रता न भवेत?

उत्तराणि :- प्रियवचने।

(घ) वृक्षा: स्वयं कानि न खादन्ति?

उत्तराणि :- फलानि।

(ङ) का पुरा लघ्वी भवति?

उत्तराणि :- परार्द्धछाया।

2. अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणी संस्कृतभाषाया लिखत:-

(क) यत्नेन किं रक्षेत् वित्तं वृत्तं वा?

उत्तराणि :- यत्लेन वृतं रक्षेत्।

(ख) अस्माभिः कीदृशं आचरणं न कर्त्तव्यम्?

उत्तराणि :- अस्माभिः आत्मन: प्रतिकूलम्  आचरणं न कर्त्तव्यम्।

(ग) जन्तवः केन तुष्यन्ति?

उत्तराणि :- जन्तवः प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे  तुष्यन्ति।

(घ) सज्जानां मैत्री कीदृशीं भवति?

उत्तराणि :- सज्जानां मैत्री दिनस्य पूर्वार्द्धपरार्द्धभिन्ना छायेव पुरा लघ्वी पश्चात् च वृद्धिमती भवति।

(ङ) सरोवरणां हानिः कदा भवति?

उत्तराणि:- सरोवरणां हानिः येषां मरालै: सह विप्रयोगः भवति।

3. ‘क’ स्तम्भे विशेषणानि ‘ख’ स्तम्भे च विशेष्याणि दत्तानि, तानि यथोचितं योजयत:-

‘क’ स्तम्भ:       – ‘ख’ स्तम्भः

आस्वाद्यतोयाः     – खलानां मैत्री

गुणयुक्त:      – सज्जनानां मैत्री

दिनस्य पूर्वार्द्धभिन्ना   – नद्यः

दिनस्य परार्द्धभिन्ना  –  दरिद्रः

उत्तराणि:-

‘क’ स्तम्भ:  – ‘ख’ स्तम्भः

आस्वाद्यतोया: – नद्यः

गुणयुक्त:     – दरिद्र

दिनस्य पूर्वार्द्धभिन्ना – खलानां मैत्री

दिनस्य परार्द्धभिन्ना – सज्जनानां मैत्री

4. अधोलिखितयोः श्लोकद्वयोः आशयं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत:-   

(क) आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण

लघ्वी पुरा वृद्धिमती च पश्चात्।
दिनस्य पूर्वार्द्रपरार्द्धभिन्ना।
छायेव मैत्री खलसज्जनानाम्।।

उत्तराणि :- जिस प्रकार छाया आरम्भ में छोटी से धीरे -2 बडी होती है उसी तरह सज्जनों की मित्रता शुरु में कम और फिर धीरे-धीरे बढ़ती है। जैसे दोपहर से पहले की छाया शुरु में अधिक और धीरे-धीरे कम होने वाली होती है वैसे ही दुष्ट लोगों की मित्रता शुरु में अधिक और फिर धीरे-धीरे कम होने. लगती है।

(ख) प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात्तदेवः वक्तव्यं वचने का दरिद्रता।।

उत्तराणि :- मीठे वचन बोलने से सभी प्रसन्न होते हैं इसलिए मीठे वचनों से बोलने में क्या दरिद्रता।

5. अधोलिखितपदेभ्यः भिन्नप्रकृतिकं पदं चित्वा लिखत:-

 (क) वक्तव्यम्, कर्त्तव्यम्, सर्वस्वम्, हन्तव्यम्।

उत्तराणि :- सर्वस्वम्

 (ख) यत्नेन, वचने, प्रियवाक्यप्रदानेन, मरालेन।

उत्तराणि :- मरालेन

 (ग) श्रूयताम्, अवधार्यताम्, धनवताम्, क्षम्यताम्।

उत्तराणि :– धनवताम्

(घ) जन्तवः, नद्यः, विभूतयः, परितः।

उत्तराणि :- परितः

6. स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्नवाक्य निर्माणं कुरुत:-

(क) वृत्ततः क्षीणः हतः भवति।

उत्तराणि :- कस्मात् क्षीणः हतः भवति?

(ख) धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा अवधार्यताम्।

उत्तराणि :- किं श्रुत्वा अवधार्यताम्?

(ग) वृक्षाः फलं न खादन्ति।

उत्तराणि :- के फलं न खादन्ति?

(घ) खलानाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति।

उत्तराणि :- केषाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति?

7. अधोलिखितानि वाक्यानि लोट्लकारे परिवर्तयत-

यथा- सः पाठं पठति । सः पाठं पठतु ।

(क) नद्यः आस्वाद्यतोयाः सन्ति।

उत्तराणि :- नद्य आस्वाद्यतोयाः सन्तु।

(ख) सः सदैव प्रियवाक्यं वदति।

उत्तराणि :-  सः सदैव प्रियवाक्यं वदतु।

(ग) त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाचरसि।

उत्तराणि :-  त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाचर ।

(घ) ते वृत्तं यत्नेन संरक्षन्ति।

उत्तराणि :- ते वृत्तं यत्नेन संरक्षन्तु।

(ङ) अहं परोपकाराय कार्यं करोमि ।

उत्तराणि :- अहं परोपकराय कार्य करवाणि।

आपको एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत पाठ 4 सूक्तिमौक्तिकम् प्राप्त करके कैसा लगा?, हमें अपना सुझाव जरूर दें। आप हमारी वेबसाइट से सभी विषयों की एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही एनसीईआरटी समाधान भी प्राप्त कर सकते हैं।

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