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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत पाठ 5 भ्रान्तो बालः

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PP Team
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हम आपके के लिए इस आर्टिकल के माध्यम कक्षा 9 संस्कृत भ्रान्तो बालः के एनसीईआरटी समाधान लेकर आए हैं। कक्षा 9 संस्कृत पाठ 5 के प्रश्न उत्तर परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। हर छात्र परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहता हैं। इसके लिए छात्र बाजार में मिलने वाली गाइड या कुंजी पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन आप इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत (NCERT Solutions Class 9 Sanskrit Chapter 5) पूरी तरह मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही कक्षा 9 संस्कृत पाठ 5 भ्रान्तो बालः के प्रश्न उत्तर पढ़कर परीक्षा में अच्छे अंक भी प्राप्त कर सकते हैं।

NCERT Solutions Class 9 Sanskrit Chapter 5 भ्रान्तो बालः

हमने आपके ये सभी कक्षा 9 संस्कृत के एनसीईआरटी समाधान सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाए हैं। इन समाधान से आप आने वाली परीक्षा की तैयारी बेहतर कर सकते हैं। शेमुषी भाग 1 पुस्तक में कुल 10 अध्याय है। पहले इसमें कुल 12 अध्याय थे। लेकिन अब इनकी संख्या घटाकर 10 कर दी गई हैं। आइये फिर नीचे एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 संस्कृत पाठ 5 (NCERT Solutions Class 9 Sanskrit Chapter 5 भ्रान्तो बालः) पढ़ना शुरू करें।

पाठ 5 भ्रान्तो बालः
अभ्यासः

1. एकपदेन उत्तरं लिखत:-

(क) कः तन्द्रालुः भवति?

उत्तराणि :- बाल:।

(ख) बालकः कुत्र व्रजन्तं मधुकरम् अपश्यत?

उत्तराणि :- पुष्पोद्यानम्।

(ग) के मधुसंग्रहव्यग्राः अभवन्?

उत्तराणि :- मधुकरा:।

(घ) चटक: कया तृणशलाकादिकम् आददाति?

उत्तराणि :- चञ्च्वा।

(ङ) चटक: कस्य शाखायां नींडं रचयति?

उत्तराणि :- वटद्रमस्य।

(च) बालकः कीदृश श्वानं पश्यति?

उत्तराणि :- पलायमानम्।

(छ) श्वान कीदृशे दिवसे पर्यटति?

उत्तराणि :- निदाघदिवसे।

2. अधोलिखितानां  प्रश्नानाम उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत:-

(क) बालः कदा क्रीडितुं अगच्छत्?

उत्तराणि :- बालः पाठशालागमनसमये क्रीडितुम् अगच्छत्।

(ख) बालस्य मित्राणि किमर्थ त्वरमाणा अभवन्?

उत्तराणि :- बालस्य मित्रणि पूर्वदिनपाठान् स्मृत्वा विद्यालयगमनाय त्वरमाणा: अभवन्।

(ग) मधुकरः बालकस्य आहवानं के कारणेन न तिरस्कृतवान्?

उत्तराणि :- मधुरकरः मधुसंग्रहव्यग्रो  आसीत्, अत: सः बालकस्य आहवानं न तिरस्कृतवान्।

(घ) बालकः कीदृशं चटकम् अपश्यत्?

उत्तराणि :- बालकः चञ्च्या तृणशलाकादिकम् आददानं चटकम् अपश्यत्।

(ङ) बालकः चटकाय क्रीडनार्थ कीदृशं लोभं दत्तवान्?

उत्तराणि :- बालकः चटकाय क्रीडनार्थ लोभं दत्तवान् यत् “एतत् शुष्कं तृण त्यज अहं ते स्वादूनि भक्षयकवलानि दास्यामि।

(च) खिन्नः बालकः श्वानं किम् अकथयत्?

उत्तराणि :- बालक: श्वानम् अकथयत्, ‘रे मानुषाणां मित्र! अस्मिन् निदाघदिवसे किमर्थम् पर्यटसि? शीतलछायायाम् आश्रयस्य। अहमपि त्वामेवानुरुपं क्रीड़ासहायं पश्यामि इति।

(छ) भग्नमनोरथः बालः किम् अचिन्तयत्?

उत्तराणि :- भग्नमनोरथः बालः अचिन्तयत् यत् ‘ अस्मिन् जगति प्रत्येकं स्व – स्वकार्ये निमग्नो भवति। न कोऽपि मामिव वृथां कालक्षेपं सहते। अथ स्वोचितम् अहमपि करोमि।

3. निम्नलिखितस्य श्लोकस्य भावार्थ हिन्दीभाषया आड्ग्लभाषया वा लिखत:-

यो मां पुत्रप्रीत्या पोषयति स्वामिनो गृहे तस्य।
रक्षानियोगकरणान्न माया भ्रष्टव्यमीषदपि।।

उत्तराणि :- जो स्वामी मुझे पुत्र के समान प्रेम करता है, उस स्वामी के घर की रक्षा करने में लगे हुए मुझे थोड़ा सा भी नहीं हटना चाहिए।

4. “भ्रान्तो बालः” इति कथायाः सारांशं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत।

उत्तराणि :- इस कहानी में एक ऐसे बच्चे के बारे में बताया गया है जो अपने स्कूल का काम नहीं करता है इधर उधर सारा समय खेलने में व्यस्त रहता है। एक बार वह अपने साथ खेलने के लिए बच्चों को बुलाता है और पशु पक्षियों को भी बुलाता है लेकिन उन दोनों में से कोई भी उसके साथ खेलने के लिए नहीं आता। सभी अपने अपने काम में लगे हुए होते हैं। इसी तरह वह यह सोचता है कि इस संसार में भी अपने अपने काम में व्यस्त हैं। मुझे भी अपना समय व्यर्थ न करके कार्य में लग जाना चाहिए। इसके बाद वह स्कूल जाना शुरू करता है बाद में प्रसिद्धि और धन प्राप्त करता है।

5. स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्न निर्माण कुरुत –

(क) स्वादूनि भक्ष्यकवलानि ते दास्यमि।

उत्तराणि :- कीदृशानि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि?

(ख) चटकः स्वकर्मणि व्यग्रः आसित।

उत्तराणि :- चटक: कस्मिन व्यग्रः आसित।

(ग) कुक्कुरः मानुषाणां मित्रम् अस्ति।

उत्तराणि :-  कुक्कुरः केषां मित्रं अस्ति।

(घ) स महती वैदुषीं तब्धवान।

उत्तराणि :- स कीदृर्शी वैदुर्षी  लब्धवान?

(ङ) रक्षानियोगीकरणात् मया न भ्रष्टव्यम् इति।

उत्तराणि :- कस्मात् माया न भ्रष्टव्यम् इति?

6. ”एतेभ्य: नमः” इति उदाहरणानुसृत्य नमः इत्यस्य योगे चतुर्थी विभक्तेः प्रयोग कृत्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।

उत्तराणि :-

गणेशाय नम:

नमः शिवाय

गुरवे नमः

शंकराय नम:

अध्यापकाय नम:

7. ‘क’ स्तम्भे समस्तपदानि ‘ख’ स्तम्भे च तेषां विग्रहः दत्तानि, तानि यथासमक्षं लिखत:-

‘क’ स्तम्भ        ‘ख’ स्तम्भ

दृष्टिपथम्        पुष्पाणाम् उद्यानम्

पुस्तकदासा:      विद्याया: व्यसनी

विद्याव्यसनी       दृष्टे: पन्था:

पुष्पोद्यानम्       पुस्तकानां दासा:

उत्तराणि :-

 दृष्टिपथम्             दृष्टे: पन्था:

 पुस्तकदासा           पुस्तकानां दासा:

 विद्याव्यसनी          विद्याया: व्यसनी

 पुष्पोद्यानम्          पुष्पाणाम् उद्यानम्

(अ) अधोलिखितषु पदयुग्मेषु पदयुग्मेषु एक विशेषपदम् अपरञ्च विशेषणपदाम्। विशेषणपदम्वि शेष्यपदं च पृथक-पृथक चित्वा लिखत:-

विशेषणम् – विशेष्यम्

(क) खिन्नः बाल:          …………. – ……………

(ख) पलायमानं श्वानम्.      ………… – ………….

(ग) प्रीतः बालक:        ………….. – …………..

(घ) स्वादूनि भक्ष्यकवलानि    ……….. – ……….

(ङ) त्वरमाणाः  वयस्याः      ……….. – ……………

उत्तर : आणि:-

(क) खिन्न: + बाल:

(ख) पलायमानं +  श्वानम्

(ग) प्रीतः +  बालकः

(घ) स्वादूनि  + भक्ष्यकवलानि

(ङ) त्वरमाणाः +  वयस्याः

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