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मकर संक्रांति का महत्व (Importance Of Makar Sankranti in Hindi)

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Ekta Ranga
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मकर संक्रांति का महत्व (Importance Of Makar Sankranti in Hindi) – हमारा देश रंग रंगीला है। यहां पर कई सारे धर्म-जाति और पंथ के लोग निवास करते हैं। इसी के ही चलते इस देश में पूरे साल खूब सारे त्यौहारों की रौनक बनी रहती है। भारत देश का हर एक त्यौहार एक उत्सव की तरह ही होता है। उल्लास और प्रफुल्लता से भरे इंसानी चहरों को देखने में एक अलग ही आनंद आता है। आज से कुछ ही दिन बाद सभी नागरिक भारत का बड़ा त्यौहार मनाने को तैयार है। हम यहां बात कर रहें हैं भारत के ही एक प्रसिद्ध त्यौहार मकर संक्रांति की। आइये फिर नीचे मकर संक्रांति के बारे में (about makar sankranti in hindi) विस्तार से पढ़ते हैं।

Makar Sankranti Importance in Hindi

लोगों में यह रूचि रहती है कि भारत के सभी प्रमुख त्यौहार कब और कौन सी तारीख को आते हैं। इसी के चलते गूगल पर भी इसके बारे में खूब सर्च किया जाता है। इसी त्यौहार के उपलक्ष्य के चलते हम आपके लिए मकर संक्रांति पर यह खास निबंध लेकर आए हैं। इस निबंध के माध्यम से जान सकेंगे कि मकर संक्रांति क्या है, इसका महत्व क्या है, यह क्यों मनाई जाती है और इस दिन पर दान-पुण्य और खिचड़ी का महत्व। इस निबंध के माध्यम से आप अपने स्कूल और काॅलेज के लिए एक शानदार निबंध तैयार कर सकते हैं। हमारे आर्टिकल पर हिंदी में मकर संक्रांति (Makar Sankranti in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी दी गई है।

14 जनवरी मकर संक्रांति का महत्व

एक पौराणिक कथा बहुत ही ज्यादा प्रचलित है कि एक बार जब हनुमान जी बहुत छोटे से थे तब उन्होंने सूर्य देव को एक स्वादिष्ट फल समझकर खा लिया था। जैसे ही उन्होंने सूर्यदेव को निगला, तुरंत ही समूचे सृष्टि में हाहाकार मच गया। आखिर हाहाकार मचना वाजिब जो था। सूर्य को निगलने के पश्चात पूरी दुनिया में अंधकार छा गया। मनुष्य, पेड़-पौधे और जानवर सब मरने लगे। सभी को लगा कि ऐसे में तो समूचे सृष्टिकाल का अंत हो जाएगा। इसलिए जल्द से जल्द इन्द्रदेव ने आकर इस समस्या का समाधान किया।

इस कथा से हम यह समझ सकते हैं कि हमारे जीवन में सूर्य का कितना बड़ा महत्व है। बिना सूर्य के हम अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं।सूर्य है तो यह जहान है। मकर संक्रांति का यह खास उत्सव भी सूर्य को ही समर्पित होता है। सूर्य ही हमें रोशनी प्रदान करता है। और इसी रोशनी से हम सभी को हौसला और आत्मविश्वास मिलता है। यह मकर संक्रांति का ही दिन होता है जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है। कुदरत की इसी प्रक्रिया के चलते दिन बड़े हो जाते हैं और रातें छोटी हो जाती है। जब दिन बड़े होते हैं तो हमें यह संदेश मिलता है कि अब ज्यादा काम करना का समय है। हम पूरे दिन सक्रिय रहते हैं।

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मकर संक्रांति क्या है?

मकर संक्रांति क्या है? (makar sankranti kya hai) आइये इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो उस प्रक्रिया को नाम दिया जाता है ‘मकर संक्रांति। मकर संक्रांति का नाम सुनते ही दिमाग में पतंग, तिल के लड्डू और खिचड़ी के चित्र उभर आते हैं। मकर संक्रांति को उत्तरायण, संक्रांति, तिल संक्रांति, मेला, माघी और पोंगल का भी नाम दिया है। हमारे धर्म में अनेक प्रकार के तीज, त्यौहार और पूजा-पाठ का विधान है। इन्हीं में से एक सूर्य देव का त्यौहार है जो दान-पुण्य के लिए प्रख्यात है। यह त्यौहार 14 और 15 तारीख को हर साल बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग दान-पुण्य में कोई भी प्रकार की चूक नहीं करना चाहते हैं। इस दिन जप-तप का भी विशेष महत्व है। लोगों इस मान्यता पर विश्वास रखते हैं कि वह जितना ज्यादा दान-पुण्य करेंगे उतना ही अच्छा फल उनको मिलेगा।

मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?

हमारा भारत देश बहुत विशाल है। इस देश में अनेकों त्यौहार और उत्सव मनाए जाते हैं। जैसे ही नया साल शुरू होता है तो लोगों में कुछ नया करने की उमंग दौड़ उठती है। साल की विदाई क्रिसमस त्यौहार से हो जाती है। फिर से नया साल अपने साथ नए त्यौहार लेकर आता है। साल का शुभारंभ होता है मकर संक्रांति के उत्सव से। नया साल और यह नया त्यौहार अपने साथ उल्लास लेकर आता है। 14 या 15 जनवरी को पड़ने वाला यह उत्सव किसानो के लिए भी नया जोश लेकर आता है। किसान इसी दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं और इस दिन पर अपनी फसल काटकर प्रसन्नता से झूम उठते हैं। स्कूल और काॅलेज के छात्रों को यह संदेश मिलता है कि अब सर्दी की छुट्टीयां हुई खत्म। अब है मौसम फाइनल एक्जाम की तैयारी करने का आया। इसी वजह से मकर संक्रांति के पर्व को ज्ञान का पर्व भी माना जाता है।

मकर संक्रांति का अर्थ

मकर संक्रांति एक तरह से हमारे वातावरण में होने वाली एक खूबसूरत घटना है। हमारे ज्योतिष विज्ञान में राशियों का बहुत महत्व है। इसके अनुसार हमारे आकाश मंडल के 360 अंश है। इसी का हिस्सा 12 राशियां होती है। मकर संक्रांति के पर्व को हम ज्योतिष विज्ञान से जोड़कर देख सकते हैं। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपने पुराने साथी धनु को छोड़कर नए साथी मकर से मित्रता कर लेता है। चलो, हमने ज्योतिष विज्ञान के अनुसार समझ लिया कि मकर संक्रांति का अर्थ क्या है। अब हम इसे थोड़े और आसान भाषा में समझते हैं। संक्रांति का यह खूबसूरत पर्व उत्तरायण भी कहलाया जाता है। इस खास अवसर पर लोगों में दान-पुण्य और गंगा में डूबकी लगाने का भी महात्म है। पुराणों के अनुसार यह मान्यता है कि इस दिन सभी देवता प्रयाग नदी में अपना भेष बदलकर गंगा नदी में डूबकी लगाते हैं। इस दिन लोग सूर्य देव की पूजा अर्चना करते हैं।

मकर संक्रांति का भौगोलिक महत्व

मकर संक्रांति का उत्सव इस बार 14 जनवरी को मनाया जाएगा। सभी भारतवासी इस त्यौहार को लेकर बहुत उत्साहित हैं। इस दिन से सूर्य की स्तिथि बदलनी शुरू हो जाती है। सूर्य देवता को एक शक्तिशाली देवता के रूप में जाना जाता है। सूर्य अपना प्रभाव समस्त 12 राशियों पर छोड़ते हैं। इस दिन सूर्य मकर राशि के घर में प्रवेश करता है। हमारे वातावरण में भी अलग प्रकार की घटनाएं देखने को मिलती है। दिन जो पहले छोटे होते हैं वह अब लंबे होने शुरू हो जाते हैं। इसी दौरान हम यह भी देखते हैं कि नदियों में भाप बननी शुरू हो जाती है। इसका शुभ संकेत यह होता है कि मनुष्य की खूब सारी बीमारियों पर लगाम लग जाता है। बीमारी नहीं लगने से हमारा शरीर हर समय उर्जावान बना रहता है। मकर संक्रांति शुरू होते ही ठंड में थोड़ी कमी देखने को मिलती है।

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व भी है। इस त्यौहार के धार्मिक महत्व के पीछे भी कई कथाएं जुड़ी है। हमारे धर्म मेें यह माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र से मिलने उसके घर जाते हैं। यह भी मान्यता है कि इसी दिन गंगा जी का इस धरती पर अवतरण हुआ था। भागीरथ जी ने मां गंगा के लिए खूब तप किया था और यही वजह है कि भागीरथ से प्रसन्न होकर मां गंगा मकर संक्रांति के ही अवसर पर धरती पर उतरी थी। इस दिन लोग भारत की बड़ी नदियों मेें डुबकी लगाते हैं। जिसमें प्रयागराज और पश्चिम बंगाल की गंगासागर का स्नान बहुत प्रसिद्ध है। प्रयागराज में तो कुंभ का मेला लगता है।

मकर संक्रांति पर खिचड़ी का महत्व

हमारे देश में लोग अनेक प्रकार के व्यंजन के शौकीन है। किसी को चावल अच्छे लगते हैं तो किसी को रोटी। परंतु मकर संक्रांति पर हर कोई खिचड़ी खाना पसंद करता है। लोग जब खिचड़ी बनाते हैं तो उनको ऐसा लगता है मानो वह नवग्रहों को भोग लगाकर उनसे आशीर्वाद ले रहे हैं। खिचड़ी को ज्योतिष से भी जोड़कर देखते हैं। खिचड़ी में उपयोग होने वाली सामग्री होती है – हरी सब्जी, चावल, दाल, हल्दी, तिल और घी। मान्यता यह है कि चावल में शुक्र और चंद्रमा का निवास होता है, दाल में शनि, राहु-केतु का निवास होता है, हल्दी में बृहस्पति और घी में सूर्य का निवास होता है। कहते हैं कि मकर संक्रांति पर इस प्रकार की खिचड़ी खाने से स्वास्थ्य और पाचन तंत्र सही रहता है। आयुर्वेद तो यह कहता भी है कि खिचड़ी पौष्टिक और संपूर्ण आहार होती है। बिहार और उत्तरप्रदेश राज्य में खिचड़ी खाने का चलन है।

मकर संक्रांति पर दान का महत्व

हमारे देश में दान देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। दान देने की यह आदत हम भारतवासियों को अच्छे से निभानी आती है। मकर संक्रांति को दान दिवस भी माना जाता है। इस दिन लोग तिल का विशेष रूप से दान करते हैं। गंगा घाट पर स्नान करने के बाद लोग घाट पर बैठे गरीब लोगों को खूब सारी चीजें दान करते हैं। दान का समान कुछ भी हो सकता है। यह सब आप पर निर्भर करता है कि आप किसी सामने वाले को दान में क्या देना पसंद करेंगे? यह भी मान्यता है कि जो प्राणी इस दिन सर्वाधिक दान देता है वह मरने के बाद स्वर्ग को जाता है। और तो और संक्रांति का दान शनि के दोषों को दूर करता है।

मकर संक्रांति पर तिल का महत्व

मकर संक्रांति के दिन और सब चीजों में सब से ज्यादा अगर किसी चीज का महत्व है तो वो है तिल। माना कि तिल के दाने बहुत छोटे होते हैं पर उन छोटे दोनों में भी भरपूर गुण होता है। माना जाता है कि तिल का दान करने से सूर्य और शनि देव हम सभी से प्रसन्न होते हैं। संक्रांति के इस खास अवसर पर लोग खिचड़ी में तिल डालकर पकाते हैं। यही नहीं, इस दिन लोग काले तिल से निर्मित गुड़ के लड्डू भी खाते हैं।

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