Class 9 Geography Ch-5 “प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी” Notes In Hindi

Photo of author
Navya Aggarwal
Last Updated on

इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 9वीं कक्षा की भूगोल की पुस्तक यानी समकालीन भारत-1” (भूगोल)” के अध्याय-5 “प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी” के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय- 5 भूगोल के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।

Class 9 Geography Chapter- 5 Notes In Hindi

आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दो ही तरह से ये नोट्स फ्री में पढ़ सकते हैं। ऑनलाइन पढ़ने के लिए इस पेज पर बने रहें और ऑफलाइन पढ़ने के लिए पीडीएफ डाउनलोड करें। एक लिंक पर क्लिक कर आसानी से नोट्स की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं। परीक्षा की तैयारी के लिए ये नोट्स बेहद लाभकारी हैं। छात्र अब कम समय में अधिक तैयारी कर परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। जैसे ही आप नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करेंगे, यह अध्याय पीडीएफ के तौर पर भी डाउनलोड हो जाएगा।

अध्याय-5 “प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी“

बोर्डसीबीएसई (CBSE)
पुस्तक स्रोतएनसीईआरटी (NCERT)
कक्षानौवीं (9वीं)
विषयसामाजिक विज्ञान
पाठ्यपुस्तकसमकालीन भारत-1” (भूगोल)
अध्याय नंबरपाँच (5)
अध्याय का नाम“प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी”
केटेगरीनोट्स
भाषाहिंदी
माध्यम व प्रारूपऑनलाइन (लेख)
ऑफलाइन (पीडीएफ)
कक्षा- 9वीं
विषय- सामाजिक विज्ञान
पुस्तक- समकालीन भारत-1” (भूगोल)
अध्याय- 5 “प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी”

भारत विश्व के 12 जैव विविधता वाले देशों में से एक है, 47000 प्रकार की विभिन्न पौधों की जातियाँ इसे विश्व में दसवां स्थान प्रदान करती हैं, एशिया में इसमें भारत का चौथा स्थान है। यहाँ करीब 15 हजार फूलों के पौधे हैं। करीब 90,000 जातियों के जानवर यहाँ पाए जाते हैं। प्राकृतिक वनस्पति, जो मनुष्य की सहायता के बिना भी उग सकती है, इसे अक्षत वनस्पति भी कहते हैं। इसमें फसलों और अन्य कृषिकृत फसलों को शामिल नहीं किया जाता।

वनस्पति के प्रकार

उष्ण कटिबंधीय वर्षावन

  • इनकी उपस्थिति पश्चिमी घाटों के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों, लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार, असम के ऊपरी भागों और तमिलनाडु के तटों तक है।
  • इन वनों में 60 मीटर या इससे अधिक ऊंचे वृक्ष पाए जाते हैं। वनों में आर्द्रता के कारण यहाँ भिन्न प्रकार की झाड़ियाँ, लताएं और वृक्ष आदि उग जाते हैं। पतझड़ की कमी के चलते यहाँ वर्ष भर हरियाली रहती है।
  • आबनूस, महोगनी, रबड़, रोजवुड, सिंकोना यहाँ के प्रमुख व्यापारिक वृक्ष हैं, हाथी, बंदर, लैमूर और हिरण यहाँ पाए जाते हैं।

उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन

  • इन्हें मानसूनी वन भी कहा जाता है, ये भारत के विस्तृत क्षेत्र में फैले हैं। इनका फैलाफ़ 70 से 200 से.मी. वर्षा वाले क्षेत्रों में होता है।
  • ये आर्द्र और शुष्क पर्णपाती वनों में विभाजित हैं, यह विभाजन जल की उपलब्धता के आधार पर है। आर्द्र पर्णपाती वन देश के पूर्वी, उत्तर-पूर्वी, झारखंड, पश्चिमी उड़ीसा, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में पाए जाते हैं।
  • सागोन इन वनों की प्रमुख प्रजाति में से एक है। शहतूत, चंदन, रवैर, कुसुम आदि वृक्ष व्यापारिक महत्व रखते हैं।
  • शुष्क पर्णपाती वन प्रायद्वीपीय पठारों के वर्षा वाले क्षेत्रों, बिहार, उत्तर प्रदेश के मैदानों में पाए जाते हैं। इन क्षेत्रों में सागोन, साल, पीपल और नीम आदि के वृक्ष उगते हैं। यहाँ सिंह, शेर, सूअर, हाथी आदि पाए जाते हैं।

कंटीले वन तथा झाड़ियाँ

  • 70 से.मी. से कम के वर्षा वाले क्षेत्रों में इस तरह की झाड़ियाँ पाई जाती हैं, ये गुजरात, उत्तर-प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्य-प्रदेश आदि राज्यों में पाई जाती हैं।
  • इनमें अकासिया, खजूर, कैक्टाई आदि आते हैं, इनकी जड़ें लंबी और पट्टियाँ छोटी होती हैं, इन क्षेत्रों में चूहे, खरगोश, लोमड़ी आदि होते हैं।

पर्वतीय वन

  • ये वन ऊंचाई के साथ-साथ तापमान की कमी वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं, यहाँ की वनस्पति में इसी कारण अंतर पाया जाता है।
  • चौड़ी पत्ती वाले चेस्टनेट जैसे वृक्ष यहाँ पाए जाते हैं, 1500 से 3000 मी. की ऊंचाई पर शंकुधारी वृक्ष, जिनमें चीड़, सिल्वर-फ़र, सप्रूस आदि शामिल हैं, पाए जाते हैं।
  • ये वन भारत के उत्तर और हिमालय की दक्षिण ढलानों पर पाए जाते हैं। इसी के ऊपर के भागों में मॉस और टुंड्रा आदि वनस्पति आ जाते हैं।
  • इन वनों में चितरा हिरण, याक, हिम, तेंदुआ, गिलहरी आदि पाए जाते हैं।

मैंग्रोव वन

  • वे तटीय क्षेत्रों जहां ज्वार भाटा आते हैं, उन क्षेत्रों के लिए यह महत्वपूर्ण वनस्पति है, इन वनस्पतियों की जड़ें पानी में डूबी रहती हैं, ये गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गोदावरी, कृष्णा आदि के डेल्टा भाग में यह वनस्पति पाई जाती है।
  • रॉयल बंगाल टाइगर यहाँ पाए जाते हैं।

वन्य प्राणी

  • भारत में करीब 90,000 प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिसमें 2,000 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ शामिल हैं।
  • हाथी स्तनधारी जानवरों में सबसे महत्वपूर्ण है, जो असम, कर्नाटक आदि के उष्ण और आर्द्र वनों में पाए जाते हैं। पश्चिम बंगाल और असम के दलदली क्षेत्रों में एक सींग वाले गैंडे मिलते हैं।
  • भारत के कई स्थानों में भारतीय भैंसा, नील गाय आदि विभिन्न वन्य प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
  • भारत में शेर गुजरात के गिर जंगलों में हैं, बाघ ज्यादातर पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश और झारखंड आदि के वनों में पाए जाते हैं। मात्र भारत में ही बाघ और शेर दोनों पाए जाते हैं।
  • हिमालय में रहने वाले जानवर अत्यधिक ठड़ को भी सह सकते हैं, इनकी त्वचा कठोर होती है।
  • याक, जोकि बैल जैसा जीव है, इसका भार करीब 1 टन होता है। नीली भेड़, तिब्बती जंगली गधे (कियांग), बारहसिंघा भी यहाँ पाए जाते हैं।
  • भारतीय वनों में आर्द्र क्षत्रों में कई रंग-बिरंगे पक्षी जैसे मोर, बत्तख, तोता, मैना, सारस आदि प्रजातियाँ भी रहती हैं।

विविध प्रजातियों में चुनाव

  • भारत में प्राप्त जैव विविधता में सही फसलों का चुनाव किया गया, कई जानवरों में से दूध देने वाले प्राणियों को चुना गया। ऐसे जानवरों का चुनाव भी प्राकृतिक रूप से ही हुआ, जो मानव का बोझ इत्यादि उठाने और कई अन्य कार्यों में मदद दे सकें।
  • विभिन्न प्रजातियों से मांस, अंडे आदि प्राप्त होते हैं, प्रकृति में मौजूद कीड़े कृषि योग्य मृदा के निर्माण में भी सहायक हैं।
  • मानव ने इन प्राणियों का अत्यधिक प्रयोग कर पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को खराब कर दिया है, जिससे करीब 20 प्रजातियाँ विनष्ट हो गईं, और 1500 से भी अधिक पादप प्रजातियाँ आज संकट में हैं।
  • औद्योगिक विकास के चलते भी नाना प्रकार की प्राकृतिक प्रजातियाँ विलुप्त एवं दूषित होती जा रही हैं, जिनमें से पेड़ों की कटाई इनका मुख्य कारण बन गया है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • 18 जीव मण्डल निचय (आरक्षित क्षेत्र) की स्थापना, जिसमें सुंदरवन, मन्नार की खाड़ी, नीलगिरी, नाकरेक, ग्रेट निकोबार, नंदादेवी आदि कई आवश्यक स्थानों को आरक्षण प्रदान किया गया है।
  • पादप उद्यानों को 1992 में सहायता प्रदान की गई, पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित करने के लिए, शेरों को संरक्षण और गैंडा आदि को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है।
  • देश भर में 103 नेशनल पार्क खोले गए, जिसमें जानवरों को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है।
PDF Download Link
कक्षा 9 भूगोल के अन्य अध्याय के नोट्सयहाँ से प्राप्त करें

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

2 thoughts on “Class 9 Geography Ch-5 “प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी” Notes In Hindi”

Leave a Reply

error: Content is protected !!