क्रिसमस डे (Christmas Day) जिसे हम बड़ा दिन के नाम से भी जानते हैं ईसाई धर्म के लोगों के लिए सबसे बड़ा त्योहार है। ये त्योहार हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। ईसाई धर्म के लोगों के लिए क्रिसमस का वही महत्व है जो हिंदुओं के लिए दिवाली का और मुस्लमानों के लिए ईद का होता है। बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी क्रिसमस डे का इंतजार बड़ी ही बेसब्री से रहता है। सभी स्कूल, कॉलेज और ऑफिसों में क्रिसमस डे बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। क्रिसमस के दिन लोग सोशल मीडिया के जरिए एक दूसरे को Happy Christmas Day और Merry Christmas के मैसेज, कविता, शायरी आदि भी भेजते हैं।
प्रस्तावना
क्रिसमस को ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह के सम्मान का पर्व माना जाता है जिन्होंने पूरी दुनिया को प्रेम, सत्य, विश्वास, धर्म, शांति आदि से जुड़े कई उपदेश दिए। क्रिसमस हर्ष और खुशी का एक बड़ा उत्सव है जो सीखता है कि इस दुनिया में हमें भाईचारे के साथ किस तरह से रहना है और कैसे दूसरों के साथ अपनी खुशियों को बांटना है। यीशु ने कहा है कि एक-दूसरे से प्रेम करो, जैसे मैंने तुमसे प्रेम किया है। ईसाई धर्म के प्रमुख ग्रंथ बाइबिल में कहा गया है कि जो तुम मांगोगे वह तुम्हें जरूर मिलेगा बस तुम्हें मांगने की सही कला आनी चाहिए। जिस प्रकार क्रिसमस डे पर छोटे बच्चों को ये विश्वास होता है कि सांता क्लॉज़ उनके लिए कोई न कोई उपहार देने ज़रूर आएगा उसी प्रकार हमें भी विश्वास रखना होगा।
क्रिसमस डे कब और क्यों मनाया जाता है?
क्रिसमस ईसाई धर्म के लोगों का प्रमुख त्योहार है। हर साल क्रिसमस डे का त्योहार ठंड के मौसम में 25 दिसंबर को मनाया जाता है। क्रिसमस डे को बड़ा दिन भी कहा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि 25 दिसंबर से दिन बड़े होने लगते हैं। क्रिसमस डे इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन ईसाई धर्म गुरु ईसा मसीह का जन्म हुआ था। इसलिए उनके जन्म दिवस के अवसर पर हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन प्रभु ईशा मसीह को श्रद्धांजलि दी जाती है और उन्हें सम्मान देने के लिये लोग चर्च जाते हैं।
क्रिसमस डे कैसे मनाया जाता है?
वैसे तो क्रिसमस ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है लेकिन सभी धर्म के लोग क्रिसमस को बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। पूरे भारत वर्ष में क्रिसमस की प्रमुखता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। ईसा मसीह ऊँच-नीच के भेदभाव को नहीं मानते थे। उन्होंने दुनिया के लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने का संदेश दिया था। क्रिसमस इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसके ठीक सात दिन बाद अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नया साल लग रहा होता है। दिसंबर महीने के आखिरी सात दिन सभी लोग काफी उत्साह में रहते हैं। बच्चों को क्रिसमस का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहता है। बच्चे इस दिन सांताक्लॉज के आने का इंतजार करते हैं। इस दिन सभी सरकारी स्कूल, कॉलेज, ऑफिस आदि बंद रहते हैं। क्रिसमस का त्योहार लोग बहुत खुशी के साथ मनाते हैं।
ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस से कुछ दिन पहले ही अपने घरों को लाइटें व स्टार लगाकर सजा देते हैं। क्रिसमस की रोनक बाजारों में भी देखने को मिलती है। बाजारों में क्रिसमस ट्री, केक, सेंटाक्लॉज के लाल और सफेद रंग के कपड़े, गिफ्ट, केक, मोमबत्ती आदि बिकने लगते हैं। 25 दिसंबर क्रिसमस डे के दिन लोग चर्च जाते हैं, मोमबत्ती जलाते हैं और प्रेयर करके ईसा मसीह को याद करते हैं। क्रिसमेस डे के दिन लोग अपने-अपने घरों में क्रिसमस ट्री सजाते हैं।
क्रिसमिस डे की शाम को लोग एक-दूसरे को केक खिलाते हैं और मेरी क्रिसमस बोलकर क्रिसमस त्योहार की बधाई देते हैं। गली-मोहल्ले का कोई भी व्यक्ति सांताक्लॉज बनकर आता है और बच्चों को गिफ्ट बांटकर जाता है। लोग क्रिसमस डे पर नाचना, गाना, पार्टी मनाना आदि करते हैं। ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस डे के गीत और भजन गाते हैं तथा अपने प्रभु यीशु से प्रार्थना भी करते हैं। क्रिसमस खुशियों का त्योहार है जो लोगों को आपस में जोड़ता है और सबके साथ मिल-जुलकर रहने का संदेश देता है। क्रिसमस के दिन हम सभी को ईसा मसीह द्वारा सिखाये गये क्षमा, भाईचारा और त्याग जैसी बातों को याद करना चाहिए।
क्रिसमस का इतिहास
क्रिसमस का इतिहास कई शताब्दी पुराना इतिहास है। ऐसा माना जाता है कि क्रिसमस मनाने की शुरुआत सबसे पहले रोम देश में हुई थी जहां 25 दिसंबर के दिन को क्रिसमस डे नहीं बल्कि सूर्यदेव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता था क्योंकि तब रोम के सम्राट सूर्यदेव को अपना देवता मानते थे और उनकी पूजा करते थे। इसके बाद 330 ई. आते-आते तक रोम में ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से बढ़ने लगा और देखते ही देखते रोम में ईसाई धर्म के अनुयायी की संख्या बढ़ गई। फिर ऐसा माना जाता है कि 336 ई. में ईसाई धर्म के अनुयायियों ने ईसा मसीह को सूर्यदेव का अवतार मान लिया और वह 25 दिसंबर के दिन को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में क्रिसमस का त्योहार मनाने लगे। क्रिसमस डे को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी मनाते हैं।
क्रिसमस डे का महत्त्व
ईसाई धर्म के लोगों के लिए क्रिसमस का वही महत्व है जो हिंदुओं के लिए दिवाली का और मुस्लमानों के लिए ईद का। 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म हुआ था, जिन्होंने ईसाई धर्म की स्थापना की। इसलिए इस दिन को पूरी दुनिया में क्रिसमस-डे के नाम से जाना जाता है। वैसे भारतीय ईसाई क्रिसमस का त्योहार बेहद सादगीपूर्ण तरीके से मनाते हैं लेकिन गोवा के पणजी में इस त्योहार की धूम विदेशों के जैसे होती है। पणजी के समुद्र तटों पर दिसंबर के शुरू होते ही देशी-विदेशी सैलानी आने लगते हैं और 20 दिसंबर के आस-पास तक तो यहां के तट सैलानियों से भर जाते हैं। दिसंबर माह में यहां मौसम बहुत ही खुशनुमा रहता है, इसलिए यहां पर समुद्र पर राइडिंग करने का मजा ही कुछ और होता है। सही मायनों में यहां इंडियन क्रिसमस देखने को मिलता है। चारों तरफ मौसमी फूलों, फलों और केक की सुगंध यहां फैली होती है। गोवा के सभी चर्च इन दिनों खूब गुलजार रहते हैं। क्रिसमस डे मुख्य रूप से खुशियाँ बाँटने का त्योहार है और इसका असली मकसद आपस में भाई-चारा स्थापित करना है। ईसा मसीह ने भी दुनिया के लोगों को प्रेम और भाईचारे के साथ रहने और सुख-दुख में एक दूसरे के काम आने का संदेश दिया था.
निष्कर्ष
क्रिसमस का त्योहार सभी के मन में पवित्रता का भाव उत्पन्न करता है और एक नयी ऊर्जा का संचार करता है। ये त्योहार हमें बताता है कि अनेक कठिनाइयों का सामना करने पर भी हमें सही मार्ग का त्याग नहीं करना चाहिए और दूसरों को भी सत्य और पवित्रता के मार्ग पर प्रशस्त रहने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
क्रिसमस डे पर निबंध 200 शब्दों में
क्रिसमस डे का त्योहार पूरे देश में 25 दिसंबर के दिन मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन ईसा मसीह या जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था। इस त्यौहार को ईसाई धर्म के लोग प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिवस के रूप में बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं क्योंकि उनके लिए क्रिसमस डे सबसे बड़ा त्योहार होता है। इस दिन दुनियाभर के अधिकतर देशों में छुट्टी होती है। क्रिसमस के त्योहार को अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। जैसे फिलीपींस में क्रिसमस ईव से पहले जायंट जायंट लैंटर्न फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। जर्मनी में कोई व्यक्ति निकोलस बनता है।
अगर हम अपने भारत की बात करें, तो यहाँ पर क्रिसमस डे के दिन लोग चर्च जाते हैं, कैंडल जलाकर प्रेयर करते हैं और भगवान यीशु को याद करते हैं। इसके बाद क्रिसमस ट्री को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है। क्रिसमस डे दिन बाजार दुल्हन की तरह सज जाते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को केक खिलाकर आपस में खुशियाँ बाँटते हैं और क्रिसमस डे सेलिब्रेट करते हैं। सेंटा क्ल़ॉज लोगों को गिफ्ट, चॉकलेट आदि चीजें बांटकर जाता है। क्रिसमेस डे के दिन लोग अपने परिवार के साथ या दोस्तों के साथ घूमने भी जाते हैं। इस तरह इसे मनाने का हर देश में अलग कल्चर है।
क्रिसमस डे पर 10 लाइनें
1. क्रिसमस डे हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है।
2. क्रिसमस का त्योहार ईसाई धर्म के लोगों का सबसे बड़ा त्योहार है।
3. 25 दिसंबर को सबसे बड़ा दिन भी कहा जाता है।
4. क्रिसमस डे ईसा मसीह के जन्मिदन की खुशी में मनाया जाता है।
5. इस दिन जिसस क्राईस्ट और सांताक्लॉज को भी याद किया जाता है।
6. क्रिसमस के दिन हर जगह क्रिसमस ट्री को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है।
7. इस दिन लोग गिरजाघर में जाकर मोमबत्तियां जलाते हैं, प्रार्थना करते हैं और यीशु को याद करते हैं।
8. इस दिन केक का भी विशेष महत्व होता है। सभी लोग एक-दूसरे को केक खिलाकर त्योहार मनाते हैं और पार्टी करते हैं।
9. बच्चों को सेंटाक्लॉज के आने का इंतजार रहता।
10. कुछ लोग नकली सांताक्लॉज बनकर आते हैं और बच्चों में चॉकेलट और गिफ्ट के जरिए खुशियां बांटकर जाते हैं।
क्रिसमस डे पर FAQs
उत्तर: 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म हुआ था, जिन्होंने ईसाई धर्म की स्थापना की। इसलिए इस दिन को पूरी दुनिया में क्रिसमस-डे के नाम से जाना जाता है।
उत्तर: दिसंबर के महीने में ऑस्ट्रेलिया में बहुत गर्मी होती है, इसलिए यहां के अनुसार क्रिसमस गर्मी में मनाया जाता है।
उत्तर: क्रिसमस डे के दिन लोग चर्च जाते हैं, कैंडल जलाकर प्रेयर करते हैं और भगवान यीशु को याद करते हैं। इसके बाद क्रिसमस ट्री को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है।
उत्तरः क्रिसमस हमें भाईचारे के साथ रहने का संदेश देता है।
उत्तरः क्रिसमस का उत्सव रोम में लगभग 336 ई. में शुरू हुआ।