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भारत का इतिहास (Indian History in Hindi) | Bharat Ka Itihas

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Navya Aggarwal

भारतीय इतिहास की जड़ें काफी गहरे तक अपनी पकड़ जमाए हुए हैं, जिसे जानना आज के युवाओं के लिए बेहद आवश्यक है। भारत का इतिहास एक ऐसा रोचक, तथ्यात्मक और महत्त्वपूर्ण विषय है जिसपर जितना पढ़ा और लिखा जाए उतना ही कम है। इस लेख में भारतीय इतिहास के प्राचीन, मध्य और आधुनिक काल को समझने का प्रयास किया गया है। वर्तमान भारत, भारतीय इतिहास और परंपराओं के आधार पर निर्मित है।

इतिहास क्या है?

इतिहास के अन्तर्गत मानव द्वारा किए गए अतीत के प्रयासों को रखा जाता है। प्राचीन भारत का इतिहास मानव सभ्यता के निर्माण के साथ जुड़ा हुआ है। जब मनुष्य जीवन के साक्ष्य उपलब्ध न हों, तो उसे प्राक् इतिहास की संज्ञा दी जाती है, आगे जाकर उस समय से संबंधित अवशेषों की प्राप्ति से हमें उस काल के विषय में जानकारियाँ मिलती हैं। आज का मानवीय विकास इसी क्रमिक विकास का परिणाम है। भारत का इतिहास बेहद विविध और विस्तृत है, इसमें अनेक युग और समय के चक्र शामिल हैं। यह इतिहास 65000 साल पुराना है, जिसकी शुरुआत होमो सेपीयन्स के साथ मानी जाती है। इन्होंने सिंधु घाटी सभ्यता का विकास किया। 

प्राचीन भारत का इतिहास

सिंधु घाटी सभ्यता
  • भारतीय इतिहास के विद्वानों का मानना था कि सिकंदर से पहले भारत में कोई सभ्यता नहीं थी, पुरातत्ववादियों ने 20वीं सदी के तीसरे दशक में ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ और ‘हड़प्पा सभ्यता’ की खोज की।
भौगोलिक विस्तार
  • भारत के अलावा इस सभ्यता का विस्तार पकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के कुछ क्षेत्रों में भी मिलता है। यह 13 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में त्रिभुजाकार आकृति में फैली थी।
  • 1921 में भारतीय पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष सर दयाराम साहनी के नेतृत्व में ‘हड़प्पा सभ्यता’ की खोज की गई। सिंधु घाटी सभ्यता में चार प्रजातियों का निवास था- भूमध्यसागरीय, माँगोलॉयड, अल्पाइन और प्रोटो औसट्रेलॉयड।
  • नई खोज के अनुसार ये सभ्यता करीब 8000 साल पुरानी है। पुरातत्ववादियों ने इस सभ्यता का निर्धारण यहाँ पर पाए गए कंकालों के आधार पर किया, जिसमें मोहनजोदड़ो में सबसे अधिक कंकाल पाए गए।

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सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल
  • हड़प्पा– 1921 में सर्वप्रथम खोज हड़प्पा की हुई। वर्तमान में यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मोंटमोगरी जिले में स्थित है। इसे स्टुअर्ट पिग्गट ने ‘अर्द्ध औद्योगिक नगर’ की संज्ञा दी है।
  • मोहनजोदड़ों– इसका अर्थ है, ‘लाशों का टीला’। यह पाकिस्तान के सिंधु नदी के तट पर स्थित है। इसकी शासन व्यवस्था जनतंत्रात्मक थी।
  • लोथल– यह गुजरात के अहमदाबाद के गाँव में दक्षिण में स्थित भोगवा नदी के पास है। इसकी खोज 1955 में हुई। यह एक बंदरगाह थी, जो पश्चिमी एशिया में व्यापार के लिए बेहद अहम थी।
  • कालीबांगा– इसकी स्थिति राजस्थान में घग्घर नदी के किनारे है। इसका अर्थ होता है ‘काले रंग की चूड़ियाँ’।
वैदिक सभ्यता
  • वैदिक अथवा आर्य सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के बाद आई। आर्यों ने ही वैदिक संस्कृति का निर्माण किया, इस संस्कृति में आर्य शब्द का प्रयोग श्रेष्ठता के लिए किया जाता है। आर्य संस्कृत भाषा का प्रयोग करते थे।
  • (ऋग्वैदिक काल 1500 से 1000 ई. पूर्व) इस काल में ऋग्वेद संहिता की रचना हुई। इस काल में आर्यों का जीवन कृषि और पशु चारण पर निर्भर था। अवेस्ता (ईरानी भाषा का प्राचीन ग्रंथ) से ऋग्वेद की कुछ बातें मिलतीं हैं।
भौगोलिक विस्तार
  • ऋग्वेद में आर्यों का निवास स्थान सप्त सैन्धव (सात नदियों का क्षेत्र) है, जिसमें सतलज, व्यास, रावी, झेलम और चेनाब शामिल हैं। आर्यों का विस्तार पाकिस्तान, पंजाब से लेकर उत्तर प्रदेश के पश्चिम तक था।
  • गंगा और यमुना के आसपास के क्षेत्रों में कब्जा कर इस क्षेत्र को ब्रह्यवृत कहा गया, उत्तर भारत में आर्यों के कब्जे के बाद इस क्षेत्र को आर्यवृत कहा जाने लगा।

उत्तरवैदिक काल

  • इस समय में वैदिक सभ्यता का विस्तार होने लगा और जनपदों का निर्माण हुआ। इस काल में वर्णों का विभाजन हुआ। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में हेय समझा जाने लगा, जिसके चलते ब्राह्मण के विरोध में स्वर ऊंचा होने लगा।

वैदिक साहित्य

  • इस युग का प्रमुख साहित्य था- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण ग्रंथ, उपनिषद् आदि।

महाजनपदों का विस्तार

  • आर्यों के विलीनीकरण के कारण महाजनपदों का निर्माण हुआ। ये 16 महाजनपद थे, इनका विस्तार छठी शताब्दी ईसापूर्व में हुआ। इस समय में भारत में व्यापार और संवृद्धि हुई, इसलिए इसे भारत के राजनैतिक इतिहास का प्रारंभ माना जाता है।
  • इस शताब्दी में बिहार और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में लोहे का इस्तेमाल व्यापक स्तर पर हुआ, इसने व्यापार और वाणिज्य को बल प्रदान किया, जिससे क्षेत्रीय वर्गों को काफी फायदा मिला।
  • महाजनपदों का वर्णन बौद्ध और जैन ग्रंथों में मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में महाजनपदों की संख्या 16 बताई गईं हैं।
16 महाजनपद
  1. अंग
  2. मगध
  3. वत्स
  4. काशी
  5. कौशल
  6. वज्जी
  7. मल्ल
  8. मत्स्य
  9. पांचाल
  10. शूरसेन
  11. चेति
  12. कंबोज
  13. अवन्ति
  14. कुरु
  15. गांधार
  16. अश्मक

मौर्य साम्राज्य

  • इस साम्राज्य के साक्ष्य जैन और बौद्ध साहित्य में मिलते हैं, विदेशी लेखकों में एरियन आदि कई लेखकों ने मौर्य वंश के बारे में लिखा।
  • यूनानी विद्वानों जैसे जस्टिन ने चनद्रगुप्त को ‘सैंड्रोकोट्स’ कहा। सेल्यूकस निकेटर के राजदूत मेगस्थनीज चन्द्रगुप्त के दरबार में आया, इसने पाटलिपुत्र का वर्णन ‘इंडिका’ नामक पुस्तक में किया।
  • कई पुरातत्व साक्ष्य भी भारत में मौर्य वंश की मौजूदगी के परिणाम हैं, भारत, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में अशोक के 40 से भी ज्यादा अभिलेख मिले हैं।
मौर्यवंश की स्थापना
  • मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त ने अपने गुरु चाणक्य के साथ मिलकर चौथी शताब्दी ई. पूर्व में क्रूर शासक घनानंद को हराकर मगध में की, पाटलिपुत्र इसकी राजधानी थी।
मौर्यवंश के प्रमुख शासक
  • चन्द्रगुप्त मौर्य (322 ई. से 298 ई. पूर्व)
  • बिन्दुसार (297 ई. से 273 ई. पूर्व)
  • अशोक (268 ई. पूर्व से 232 ई. पूर्व)
मौर्योत्तर काल
  • मौर्यों के अंतिम शासक वृहद्रथ की हत्या कर शंगु वंश ने कब्जा कर लिया, जिसके प्रमाण साहित्य और पुरातत्व दोनों से प्राप्त हुए।

संगम काल

  • यह काल दक्षिण भारत के इतिहास का प्रमाण है, इसका अर्थ है मिलन या संगोष्ठी जो तमिल के कवियों और लेखकों से संबंधित है। इसमें लेखक अपने लेखों और रचनाओं को संगम में एकत्रित अन्य लेखकों के सामने रखते थे, और स्वीकृति मिलने के बाद इनका प्रकाशन किया जाता था।
  • ऋषि अगस्त्य ने दक्षिण भारत में वैदिक संस्कृति का प्रसार किया। इसके प्रमाण संगम साहित्य से ही मिलते हैं।
  • संगम से संबंधित यह दक्षिणी प्राचीन साहित्य ही संगम साहित्य है। संगम युग की जानकारी भी इसी साहित्य से प्राप्त की जाती है, जिसकी उपलब्धता 9 खंडों में है।

गुप्त साम्राज्य

  • शक और कुषाण शासन की राजनीतिक स्थिति चौथी सदी ई. पूर्व में कमजोर होती दिखी, जिसके बाद गुप्त साम्राज्य का उदय हुआ।
  • कुषाणों के बाद चार सदियों तक भारत में वैज्ञानिक और तकनीकी विकास हुआ, जिसके पीछे गुप्त शासन के राजा थे। इन्होंने पहले बिहार और उत्तर प्रदेश में राज किया। गुप्तों की मुद्राओं के अभिलेख उत्तर प्रदेश में पाए गए।
स्त्रोत
  • साहित्यिक स्त्रोत- रामगुप्त और चन्द्रगुप्त द्वितीय की जानकारी विशाखादत्त के नाटक से मिलती है, इसके अलावा कालिदास की रचनाएं- मेघदूत, अभिज्ञान शकुंतलं, और वात्स्यायन के कामसूत्र से भी मिलती है।
  • पुरातत्व स्त्रोत– गुप्त अभिलेखों के सिक्के और स्मारक से इनके होने का पता चलता है। स्कंदगुप्त ने सुदर्शन झील का दुबारा निर्माण कराया। इसके विषय में जानकारी जूनागढ़ अभिलेख देते हैं।

गुप्त काल में सोने के सिक्के दीनार, चांदी के सिक्के ‘रुपक‘ और तांबे के सिक्के ‘माषक‘ कहे जाते थे। ये सिक्के राजस्थान के गाँव बयाना से मिले। भारत में पाए जाने वाली अजंता और बाग की गुफ़ाएं भी गुप्तकाल की ही हैं।

प्रमुख शासक
  • चन्द्रगुप्त प्रथम (240 से 280 ई.)– श्रीगुप्त को गुप्त राजवंश का संस्थापक माना जाता है।
  • समुद्रगुप्त (335 से 375 ई.)– चन्द्रगुप्त का पुत्र समुद्रगुप्त जिसे भारत के नेपोलियन के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने ही अश्वमेध यज्ञ कराया।
  • चन्द्रगुप्त द्वितीय (375-414 ई.)– विक्रमादित्य के शासन काल को गुप्तकाल का स्वर्ण युग कहा गया है, इनके ही शासन में चीन का यात्री फाह्यान भारत आया।
  • कुमारगुप्त (415-454 ई.)– कुमारगुप्त ने ही नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की, गुप्त काल के शासकों में से सबसे अधिक अभिलेख इनके ही मिलते हैं।
  • स्कंदगुप्त (455-467 ई.)– इनके समय में हूणों का आक्रामण एक महत्वपूर्ण घटना थी। जूनागढ़ के अभिलेखों पर मलेच्छों पर स्कंदगुप्त की विजय का वर्णन देख जाता है।
गुप्तोत्तर काल
  • छठी सदी के मध्य तक आते-आते, गुप्त शासन काल नष्ट होता चला गया, जिसके बाद क्षेत्रीयता की भावना ने जन्म लिया, इसके बाद भी भारत में क्षेत्रीय एकता की स्थापना नहीं हो सकी।

गुप्तोत्तर काल के साम्राज्य

  • वर्धन साम्राज्य, के संस्थापक हर्षवर्धन (590-647 ई.) थे, इनके शासन के समय इन्होंने अपनी राजधानी कन्नौज को बनाया। इनके समय में ह्वेनसांग भारत आया।
  • पाल वंश के शासकों ने 750 ई. तक भारत पर राज किया, इसके प्रमुख शासक थे- गोपाल (750-770 ईस्वी), धर्मपाल (770-810 ई.), देवपाल (810-850 ई.), महिपाल प्रथम (988 ई.)।

दक्षिण भारत के राजवंश

  • पल्लव वंश, के संस्थापक सिंहविष्णु (575 से 600 ई.)
  • राष्ट्रकूट, के संस्थापक दंतिदूर्ग (736-756 ई.)
  • चोल साम्राज्य, (9वीं से 12वीं शताब्दी में)

मध्यकालीन भारत का इतिहास

  • कई एतिहासिक स्त्रोत बताते हैं कि भारत का मध्यकालीन इतिहास किस प्रकार का रहा। भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना तुर्कों द्वारा की गई, तुर्कों ने भी भारत पर कई चरणों में आक्रमण किए, जिसमें पहला 1000 से 1027 ई. के मध्य में महमूद गजनवी ने किया।
  • इन्होंने अपना शासन गुजरात में स्थापित किया। इनका उत्तर भारत पर प्रभाव कम था, इसके बाद गौर के शासक शहबुद्दीन मोहम्मद गौरी ने 1175 से 1206 ई. के दौरान ऐबक और बख्तियार खिलजी के साथ भारत पर आक्रमण किया। गौरी की मृत्यु के बाद तुर्क साम्राज्य का विभाजन हो गया, और यही आगे चलकर दिल्ली सल्तनत के नाम से जाने गए।
गुलाम वंश (1206 से 1290 ई.)
  • कुतुबउद्दीन ऐबक– इन्होंने जून 1206 में लाहौर को अपनी राजधानी बनाया, इन्होंने ही कुतुब मिनार की नींव रखी, इन्हें ‘लाल बख्श’ भी कहा जाता है। इनकी मृत्यु 1210 में हुई।
  • शम्सुद्दीन इल्तुतमिश– ऐबक के पुत्र आरमशाह को राजगद्दी पर बिठाया गया, जिसके कारण अराजकता फैल गई, इसे इल्तुतमिश (ऐबक के दामाद) ने हरा कर गद्दी पर कब्जा किया, इसके बाद उन्होंने 1231-1232 ई. में कुतुबमिनार का निर्माण कार्य पूर्ण करवाया।
  • रजिया सुल्तान– ये इल्तुतमिश की बेटी थीं, जो दिल्ली सल्तनत की पहली महिला मुस्लिम शासक थीं।
  • बलबन (1266 ई.)- रजिया सुल्तान के बाद अन्य अयोग्य शासकों को गद्दी से हटाकर बलबन को शासक बनाया गया। 1287 में बलबन की मृत्यु के बाद जलालुद्दीन खिलजी का उदय हुआ।
खिलजी वंश (1290-1320 ई.)
  • जलालुद्दीन खिलजी ने 1290 ई. में खिलजी राजवंश की स्थापना की, और किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया।
  • अलालुद्दीन खिलजी ने 1296 में दिल्ली की गद्दी संभाली, अपने राज में इन्होंने बाजार नियंत्रण प्रणाली को लागू किया, जमायतखाना मस्जिद और अलाई दरवाजा का निर्माण करवाया।
  • अमीर खुसरो इनके ही दरबारी कवि रहे, इनकी मृत्यु 1316 ई. हुई।
  • मुबारक शाह खिलजी ने खिलाफत उल-लह अल-इनाम की उपाधि ली, और खुद को खलीफा घोषित कर दिया।
तुगलक वंश (1320- 1413 ई.)
  • गयासुद्दीन तुगलक– इन्होंने 1320 ई. में दिल्ली की गद्दी हासिल की, दिल्ली में तुगलकाबाद नाम का नगर स्थापित किया। 1325 ई. में इनकी मृत्यु हुई।
  • मुहम्मद बिन तुगलक– 1327 ई. में इन्होंने दिल्ली की कमान संभाली, और अपनी राजधानी को दौलताबाद रखा। कृषि के विकास के लिए दीवान-ए-कोही नाम का विभाग बनाया, 1333 ई. इनके शासन काल में इब्नबतूता मोरक्को से भारत आया। बिन तुगलक की मृत्यु 1351 में हुई।
  • फिरोजशाह तुगलक– 1351 में दिल्ली का सुल्तान बना, और 24 करो की संख्या को 4 कर दिया। इसने दिल्ली में फिरोजबाद और अन्य स्थानों पर हिसार, जौनपुर जैसे नगरों को स्थापना की। कोटला फिरोजशाह दुर्ग का निर्माण दिल्ली में किया।
लोदी वंश (1451 से 1526 ई.)
  • बहलोल लोदी– (1451 से 1489 ई.)
  • सिकंदर लोदी– (1489 से 1517 ई.)
  • इब्राहीम लोदी– (1517 से 1526 ई.)

भारत में धार्मिक आंदोलन

  • सूफी आंदोलन– इसमें एकेश्वरवाद पर बल दिया गया, दिल्ली के शेख निजामुद्दीन औलिया, और नसीरुद्दीन आदि सूफी के ही संत थे।
  • भक्ति आंदोलन– भक्ति आंदोलन का विकास 12 वैष्णव संतों और 63 शैव संतों ने मिलकर किया, यह आंदोलन 7वीं और 12वीं शताब्दी के बीच दक्षिण भारत में किया गया।

विजयनगर और बहमनी साम्राज्य

  • दिल्ली सल्तनत का विरोध दक्षिण भारत में किया गया, क्योंकि दक्षिण भारत को भी इसमें शामिल करने का प्रयास किया जा रहा था। इसके चलते यहाँ विजयनगर और बहमनी साम्राज्य का उदय हुआ।
  • विजयनगर साम्राज्य को 1336 में हरिहर और बुक्का ने स्थापित किया। इसकी राजधानी हम्पी थी। हरिहर और बुक्का ने जिस वंश का निर्माण किया उसे उनके पिता के नाम पर संगम वंश कहा गया।
  • बहमनी साम्राज्य तुगलक साम्राज्य के हसन गूंग ने बहमनी साम्राज्य बनाया। यहाँ के शासक हुमायूं को दक्कन का नीरो कहा जाता था ।
  • मेवाड़- विजय स्तम्भ का निर्माण राणा कुम्भ ने चितौड़ में 1448 ई. में कराया, खनवा का युद्ध 1527 ई. में राणा साग और बाबर के बीच हुए, इसमें बाबर विजयी हुआ। हल्दीघाटी का युद्ध राणा प्रताप और अकबर के बीच 1576 ई. में हुआ, अकबर विजयी हुआ।

मुग़ल साम्राज्य

  • मुग़लों के आगमन से भारत के मध्यकाल में नए बदलाव आए। मुग़ल वंश की स्थापना बाबर (1526-1530 ई.) ने की। पानीपत के पहले युद्ध (1526 ई.) में तुगलूमा युद्ध नीति का प्रयोग सबसे पहले बाबर ने किया।
  • हुमायूँ (1530-40 ई. और 1555-1556 ई.) ने दिल्ली की सत्ता संभाली, और दिल्ली में दीनपनाह की स्थापना की, शेर खां और हुमायूं के बीच चौसा का युद्ध 1539 ई. में हुआ।
  • 1540 के कन्नौज युद्ध में हुमायूँ को हराकर शेर खां ने दिल्ली और आगरा पर कब्जा जमा लिया, इसके बाद 1555 ई. में सिकंदर सूरी को हराकर दिल्ली पर हुमायूँ ने फिर कब्जा कर लिया, दीनपनाह की सीढ़ियों से गिरकर इनकी मृत्यु हुई।
  • शेरशाह सूरी (1540-1545 ई.) ने सुर साम्राज्य की स्थापना की, डाक प्रथा का शुरुआत की, पुराने किले का निर्माण करवाया, मालिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत की रचना इनके शासन काल में की।
  • अकबर (1556-1605 ई.) ने पानीपत के दूसरे युद्ध में हेमू को हराया,1562 में इन्होंने दास प्रथा का अंत किया, और कई बड़े निर्णय लिए। हल्दी घाटी के युद्ध में अकबर ने महाराणा प्रताप को हराया।
  • जहांगीर (1605 से 1627 ई.) के बचपन का नाम सलीम था, जहांगीर की आत्म कथा का नाम है तुजुक-ए-जहांगीर, जिसे फ़ारसी भाषा में लिखा गया है। इसके समय को चित्रकला के लिए स्वर्णकाल कहा गया है।
  • शहांजहाँ (1627 से 1658 ई.) ने ताजमहल का निर्माण कराया, इसके अलावा दिल्ली में लाल किला, दीवाने ए आम और खास का निर्माण भी कराया। 1658 ई. में औरंगजेब ने इन्हें बंदी बनाया इसके बाद, 1666 ई. में इनकी मृत्यु हुई।
  • औरंगजेब को जिंदा पीर के नाम से भी जाना जाता था, इन्होंने बीबी के मकबरे का निर्माण किया, इन्होंने ही सिखों के 9वें गुरु तेगबहादुर की हत्या दिल्ली में कारवाई, इनकी मृत्यु 1707 ई. में हुई।
  • बहादुरशाह प्रथम (1707-1712 ई.) को खफी खां ने शाहे बेखबर कहा, मुग़लों के अंतिम शासक बहादुरशाह जफ़र थे।

मराठा साम्राज्य

  • शिवाजी ने इस साम्राज्य की स्थापना की, शिवाजी ने छत्रपति की उपाधि हासिल की और इनकी मृत्यु 1680 ई. में हुई।

आधुनिक भारत का इतिहास

  • भारत में वास्को डी गामा 1498 ई. पुर्तगाल से आया, जिसने भारत के पश्चिमी तट के कालीकट से भारत में कदम रखा।
  • 1600 ई. एलिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडिया कंपनी को अधिकार प्रदान किया और 1608 में पहली फैक्ट्री सूरत में डाली गई, फ़्रांसीसियों ने पहली फैक्ट्री सूरत में 1668 में डाली।
  • बंगाल– औरंगजेब की मृत्यु के बाद बंगाल स्वतंत्र हुआ और राजधानी मुर्शिदाबाद बनाई। 1764 में बक्सर का युद्ध हुआ, और अंग्रेजों के विरुद्ध गठबंधन की हार हुई।
  • मैसूर– 1782 ई. के बाद टीपू सुल्तान ने स्वतंत्रता का प्रयास किया और एक अलग सेना बनाई, अंग्रेजों, निजाम और मराठों ने मिलकर टीपू सुल्तान को हरा दिया, टीपू की मृत्यु के बाद मैसूर पर लॉर्ड वेलजली का कब्जा हुआ।
बंगाल के गवर्नर
  • रॉबर्ट क्लाइव (1757-60ई, 1765-67 ई.)
  • वारेन हेस्टिंगस (1774-85 ई.)
  • लॉर्ड कॉर्नवलिस (1786-93 ई.)
  • लॉर्ड वेलजली (1798-1805 ई.)
  • लॉर्ड मिंटों (1807-13 ई.)
  • लॉर्ड हेस्टिंग (1813-23 ई.)
  • लॉर्ड एमहसर्ट (1823-28 ई.)
भारत के गवर्नर
  • लॉर्ड विलियम बैंटिक (1828 से 1835 ई.)
  • सर चार्ल्स मेटकॉफ (1835 से 1836 ई.)
  • लॉर्ड ऑकलैंड (1836 से 1842 ई.)
  • लॉर्ड एलनबरो (1842 से 1844 ई.)
  • लॉर्ड हार्डिंग (1844 से 1848 ई.)
  • लॉर्ड डलहौजी (1848 से 1856 ई.)

सन् 57 का विद्रोह

  • यह विद्रोह भारत की स्वतंत्रता का पहला विद्रोह था, जिसे मंगल पांडे ने बैरकपुर में शुरू किया। लेकिन यह विद्रोह असफल रहा, इसका कारण था, दक्षिण की ओर न फैल पाना, और कई राज्यों के राजाओं ने ही इस आंदोलन को रोकने में अंग्रेजों की मदद की।
  • सामाजिक सुधार और आंदोलन– इस दौरान देश में ब्रह्म, आर्य और प्रार्थना समाजों की स्थापना की, इसके अलावा 1897 ई. में स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, और 1894 में वेदान्त समाज का गठन न्यूयॉर्क में किया।
  • राष्ट्रीय आंदोलन– भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना सन् 1885 में ए-ओ ह्यूम द्वारा की गई, इसका पहला अधिवेशन मुंबई में बुलाया गया।
  • सन् 1905 में लॉर्ड कर्जन ने राष्ट्रीय भावना को कमजोर करने के उद्देश्य से बंगाल के विभाजन की घोषणा की, टाउन हाल में स्वदेशी आंदोलन के चलते रबीन्द्र नाथ टैगोर ने अमार सोनार बांग्ला की रचना की, जो बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान है। 16 अक्टूबर 1905 को बंगाल विभाजन के विरोध में स्वदेशी आंदोलन और तेज हुआ।

गांधी युग

  • महात्मा गांधी सन् 1915 में भारत लौटे, गुजरात के चंपारण में साबरमती आश्रम की स्थापना की, और 1917 में चंपारण में नील की खेती के लिए अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आंदोलन किया।
  • रोल्ट एक्ट– ब्रिटिश सरकार ने देश में उठ रही क्रांति की लहर को शांत करने के लिए एक कमिटी नियुक्त की जिसे ‘काला कानून’ यानी रोल्ट एक्ट के नाम से जाना जाता है, 1919 में हुआ।
  • 1920 में खिलाफत आंदोलन हुआ जिसकी अध्यक्षता मोहम्मद अली और शौकत अली ने की।
  • 1920 में ही असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई, इसकी अध्यक्षता गांधी ने की, इसमें शिक्षण संस्थाओं और न्यायालयों का विरोध किया गया। गांधी ने इस आंदोलन को चोरा चोरी में हुई घटना के चलते, 1922 में वापस ले लिया।
  • साइमन कमीशन का विरोध भारत में बड़े स्तर पर हुआ, इस आयोग से 8 सदस्यों में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था, यही विरोध का कारण बना, लाहौर में इसी आंदोलन के चलते लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई।
  • पूर्ण स्वराज की मांग (1929 में) काँग्रेस के ऐतिहासिक अधिवेशन लाहौर में पूर्ण स्वराज की मांग उठी।
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन- इरविन ने 1930 में गांधी के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करने के कारण इस आंदोलन की शुरुआत हुई।
  • 12 मार्च 1930 में दांडी मार्च किया और 6 अप्रैल को नामक कानून को तोड़ा।
  • पहला गोलमेज सम्मेलन 1930 में लंदन में आयोजित हुआ। इस आंदोलन का गांधी ने बहिष्कार किया लेकिन अंबेडकर ने तीनों सम्मेलनों में हिस्सा लिया।
  • 5 मार्च 1931 को गांधी और इरविन में समझौता हुआ, दूसरा गोलमेज 1931 में हुआ, इसमें गांधी ने भी हिस्सा लिया। तीसरे गोलमेज (1932) में काँग्रेस ने हिस्सा नहीं लिया।
  • भारत छोड़ो आंदोलन– 1942 में बंबई में काँग्रेस की बैठक से यह प्रस्ताव पास हुआ, और गांधी ने करो या मरो का नारा दिया, इसके बाद नेताओं को गिरफ्तार किया गया। मुस्लिम लीग ने इस आंदोलन का विरोध किया।
  • इस समय में द्वि-राष्ट्र के सिद्धांत को मान्यता दी गई। केबिनेट मिशन (1946) देशी रियासतों की स्वतंत्रता आदि को इस मिशन में स्वीकारा गया।
  • भारत के आखिरी ब्रिटिश वायसराय का 1947 में भारत आगमन और भारत के स्वतंत्रता विधेयक पर हस्ताक्षर, जिसे 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश की संसद में स्वीकृति मिली।
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