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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श अध्याय 13 पतझर में टूटी पत्तियाँ

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Ekta Ranga
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हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपके लिए कक्षा 10वीं हिन्दी स्पर्श अध्याय 13 के एनसीईआरटी समाधान लेकर आए हैं। यह कक्षा 10वीं हिन्दी स्पर्श के प्रश्न उत्तर सरल भाषा में बनाए गए हैं ताकि छात्रों को कक्षा 10वीं स्पर्श अध्याय 13 के प्रश्न उत्तर समझने में आसानी हो। यह सभी प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त हैं। इसके के लिए छात्रों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा। कक्षा 10वीं हिंदी की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए नीचे दिए हुए एनसीईआरटी समाधान देखें।

Ncert Solutions For Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13

कक्षा 10 हिन्दी के एनसीईआरटी समाधान को सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। यह एनसीईआरटी समाधान छात्रों की परीक्षा में मदद करेगा साथ ही उनके असाइनमेंट कार्यों में भी मदद करेगा। आइये फिर कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श अध्याय 13 पतझर में टूटी पत्तियाँ के प्रश्न उत्तर (Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 Question Answer) देखते हैं।

कक्षा : 10
विषय : हिंदी (स्पर्श भाग 2)
पाठ : 13 पतझर में टूटी पत्तियाँ (रवींद्र केलेकर)

प्रश्न-अभ्यास

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

1. शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?

उत्तर :- शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना में अंतर होता है। अगर हम बात करें शुद्ध सोने की तो शुद्ध सोने में सोनार कभी भी मिलावट नहीं करता। वहीं अगर हम गिन्नी के सोने की बात करें तो इसमें सोनार थोड़ा तांबा भी मिलाता है। हम अक्सर यही देखते हैं कि गिन्नी के सोने की चमक ज्यादा होती है। महिलाओं को इसी से ही गहने बनवाना अच्छा लगता है।

2. प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?

उत्तर :- प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट इस प्रकार के लोग होते हैं जो अपने शुद्ध आदर्शों में व्यवहारिकता मिलाकर दुनिया के सामने पेश आते हैं।

3. पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?

उत्तर :- शुद्ध आदर्शवादी वही लोग ही होते हैं जो खुद सीढ़ियां चढ़े तो साथ में दूसरों को भी अपने साथ ही लेकर चढ़े। वह केवल अपने स्वार्थ को ऊपर नहीं रखते हैं।

4. लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगने की बात क्यों कही है?

उत्तर :- लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगने की बात इसलिए कही है क्योंकि जापानी लोग आराम में बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते हैं। वह हर दिन इतना काम करते हैं कि उनका आगे का काम केवल एक ही दिन में खत्म हो जाता है।

5. जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?

उत्तर :- जापानी में चाय पीने की विधि को चा-नो-यू कहते हैं।

6. जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?

उत्तर :- जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की अपनी अलग विशेषता है। वहां के वातावरण में आप शांति की अनुभूति कर सकते हैं। वहां पर ऐसा लगता है जैसे कि मानो आप कोई दूसरी जादूई दुनिया में चले गए हो।

हिंदी लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

1. शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है? 

उत्तर:- शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना तांबे से इसलिए की गई है क्योंकि शुद्ध आदर्श वाले लोग हर किसी के बारे में सोचते हैं। वही दूसरी ओर व्यावहारिक लोग केवल अपने बारे में सोचते हैं।

2. चाजीन ने कौन सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी की?

उत्तर :- लेखक को देखकर वह चाजीन खड़ा हुआ। कमर झुकाकर उसने लेखक और उसके दोस्त को प्रणाम किया। दो झो… (आइए, तशरीफ़ लाइए) कहकर स्वागत किया। लेखक को बैठने की जगह दिखाई। अँगीठी सुलगाई। उस पर चायदानी रखी। बगल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया। तौलिए से बरतन साफ़ किए। सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से की कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।

3. टी सेरेमनी में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?

उत्तर :- टी सेरेमनी में तकरीबन 3 आदमियों को प्रवेश दिया जाता है। टी सेरेमनी इसलिए आयोजित की जाती है ताकि लोगों को वहां आकर शांति का अनुभव हो। यहां आकर लोग दुनिया की तमाम चीजें भूल जाते हैं।

4. चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?

उत्तर :- चाय पीने के बाद लेखक ने अपने आप को बहुत तरोताजा महसूस किया। चाय पीने के बाद लेखक का दिमाग बहुत शांत लग रहा था।

(ख) निम्नलिखित प्रश्न के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –

1. गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी, उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए?

उत्तर :- गांधीजी में नेतृत्व की गजब की क्षमता थी। वह भारत के एक महान नेता थे। उन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। गांधीजी ने देश के लिए बहुत बड़ा बलिदान दिया था। उनके शानदार नेतृत्व के चलते अंग्रेजों को आखिरकार भारत छोड़कर ही जाना पड़ा।

2. आपके विचार से कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रांसगिकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- मूल्यों की जरूरत हर समय में महत्वपूर्ण रही है। बिना मूल्यों के आप अपने जीवन की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। सत्य, अहिंसा, दया, प्रेम, भाईचारा, त्याग, परोपकार, मीठी वाणी, मानवीयता आदि मूल्य पहले भी प्रासंगिक थे और आज भी है। मानव के अंदर यह मूल्य होने अति आवश्यक है। मूल्यों का जब पतन होता है तब समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

4. शुद्ध सोने में तांबे की मिलावट या ताँबें में सोना, गाँधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- गाँधीजी के आदर्श और व्यवहार बहुत ही अच्छा था। गांधीजी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। अंग्रेजों ने भारतीयों का उत्पीड़न किया था। गांधीजी को यह बात बिल्कुल भी रास नहीं आई। गांधीजी ने अंग्रेजों को मुंह तोड़ जवाब देने की सोची। लेकिन उन्होंने कभी भी अहिंसा का मार्ग नहीं अपनाया। उन्होंने प्रेम और त्याग को सर्वोपरि रखा। गांधीजी तांबे में शुद्ध सोने की तरह थे। उन्होंने अपने देशवासियों का हमेशा उत्थान किया। वह अकेले चलने में विश्वास नहीं रखते थे। वह सबका साथ और सबका विकास चाहते थे। गांधीजी के आदर्शों को आज भी पूजा जाता है।

5. गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्त्व है?

उत्तर :- अगर हम बात करें आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ की तो इनमें से अगर किसी की सबसे ज्यादा पूछ है तो वह है आदर्शवादिता की। आदर्शवादी लोग हमेशा अपने साथ दूसरे लोगों का भी सोचते हैं। व्यावहारिकता को दूसरे स्थान पर रखा जाता है। व्यावहारिक लोग केवल अपने बारे में सोचकर ही काम करते हैं। हमेशा से ही समाज में सबसे अधिक महत्व आदर्शवाद को दिया जाता रहा है। आदर्श लोग समाज के लिए मिसाल होते हैं।

6. लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?

उत्तर :- लेखक ने मानसिक रोग का उल्लेख जापान के संदर्भ में किया है। जापान में मानसिक रोग कहीं हद तक बढ़ गया है। जापान चाहता है कि वह भी अमेरिका जैसे ही प्रगति करें। वह भी अमेरिका की ही तरह दिन-रात काम करना चाहता है। वह इंजन की ही तरह बिना थके बिना हारे काम करता है। इसके चलते जापान में मानसिक रोग बढ़ रहे हैं।

7. लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान ही है। वर्तमान में जीना ही सबसे सर्वश्रेष्ठ है। वर्तमान में जीने वाला मनुष्य ही सदा सुखी रहता है। जो लोग भूतकाल या भविष्यकाल में जीते हैं वह हमेशा ही दुखी रहते हैं। उनका सुख और चैन हमेशा छिना रहता है। जो लोग वर्तमान में जीते हैं, वह हर पल का आनंद ले पाते हैं। ऐसे लोगों को कोई भी तरह का गिला-शिकवा नहीं रहता है। वर्तमान में जीने को ही असल जीवन कहते हैं।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

1. समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है।

उत्तर :- अगर हम सही मायने में देखें तो हमें यह समझ आता है कि हमारे समाज में अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है। एक कथन सौ प्रतिशत सत्य है। आज आदर्श लोगों के कारण ही समाज के हर कोने में उत्थान हुआ है। व्यवहारिकता से ज्यादा आदर्श को समाज में सबसे उच्च स्थान दिया जाता है।

2. जब व्यवहारिकता का बखान होने लगता है तब प्रेक्टिकल आइडियालिस्टों के जीवन से आदर्श धीरे धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यवहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है ?

उत्तर :- यह कथन बिल्कुल सत्य है कि जब व्यवहारिकता का बखान होने लगता है तब प्रेक्टिकल आइडियालिस्टों के जीवन से आदर्श धीरे धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यवहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है। व्यवहारिक लोग अपने जीवन में आदर्शों को महत्व नहीं देते हैं। व्यवहारिक लोगों को केवल अपनी पड़ी होती है। ऐसे लोग कभी भी दूसरों का नहीं सोचते हैं।

3. हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।

उत्तर :- इस लाइन में लेखक ने दुनिया की असलियत को उजागर किया है। दरअसल यह बिल्कुल सच है कि हमारे जीवन की रफ्तार बढ़ गई है। आज के समय में किसी को भी एक दूसरे के लिए समय नहीं है। सभी लोग एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे हैं। सभी के बीच मानो जैसे कोई प्रतिस्पर्धा लगी है। आज के समय में कोई भी जीवन का असल आनंद नहीं लेना चाहता है।

4. सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से की कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।

उत्तर :- लेखक को देखकर वह चाजीन खड़ा हुआ। कमर झुकाकर उसने लेखक और उसके दोस्त को प्रणाम किया। दो झो… (आइए, तशरीफ़ लाइए) कहकर स्वागत किया। लेखक को बैठने की जगह दिखाई। अँगीठी सुलगाई। उस पर चायदानी रखी। बगल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया। तौलिए से बर्तन साफ़ किए। सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से की कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।

भाषा अध्ययन

1. नीचे दिए गए शब्दों का वाक्यों में प्रयोग किजिए -व्यावहारिकता, आदर्श, सूझबूझ, विलक्षण, शाश्वत

उत्तर-

(क) व्यावहारिकता – जीवन में व्यावहारिकता बहुत जरूरी चीज है।
(ख) आदर्श – आदर्श अपनी जगह काम आता है। और व्यवहार अपनी जगह।
(ग) सूझबूझ – वह अपनी सूझबूझ से परेशानी से निकल गई।
(घ) विलक्षण – महिमा में विलक्षण प्रतिभा है।
(ङ) शाश्वत – यह जीवन का शाश्वत नियम है।

2. नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए-

(क) माता-पिता
(ख) पाप-पुण्य
(ग) सुख-दुख
(घ) रात-दिन
(ङ) अन्न-जल
(च) घर बाहर
(छ) देश-विदेश

उत्तर-

(क) माता और पिता
(ख) पाप और पुण्य
(ग) सुख और दुख
(घ) रात और दिन
(ङ) अन्न और जल
(च) घर और बाहर
(छ) देश और विदेश

3. नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए

(क) सफल =
(ख) विलक्षण =
(ग) व्यावहारिक =
(घ) सजग =
(ङ) आर्दशवादी=
(च) शुद्ध=

उत्तर –

(क) सफल = सफलता
(ख) विलक्षण= विलक्षणता
(ग) व्यावहारिक = व्यावहारिकता
(घ) सजग = सजगता
(ङ) आर्दशवादी = आर्दशवादिता
(च) शुद्ध = शुद्धता

4. नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और शब्द के अर्थ को समझिए-

शुद्ध सोना अलग है।

बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।

ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘सोना’ का क्या अर्थ है? पहले वाक्य में सोना’ का अर्थ है धातु स्वर्ण । दुसरे वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है सोना’ नामक क्रिया। अलग-अलग संदर्भों में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट करने के लिए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए

उत्तर, कर, अंक, नग

उत्तर :-

(क) सभी प्रश्नो के सही उत्तर लिखो।

उत्तर भारत देखने में बहुत सुंदर है।

(ख) आज उसने इतना बड़ा करिश्मा कर दिखाया।

किसान को कर चुकाना महंगा पड़ गया।

(ग) अंकगणित बहुत ही मजेदार विषय है।

मोहन को कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त हुए।

(घ) चार नग केले दे दो।

उस विशाल नग को देखो।

5. नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए –

(क) 

1. अँगीठी सुलगायी।
2. उस पर चायदानी रखी।

उत्तर :- अँगीठी सुलगायी और उसपर चायदानी रखी। 

(ख) 

1. चाय तैयार हुई। 
2. उसने वह प्यालों में भरी।

उत्तर :- चाय तैयार हुई और उसने वह प्यालों में भरी।

(ग)

1. बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।
2. तौलिये से बरतन साफ़ किए।

उत्तर :- बगल के कमरे में जाकर कुछ बरतन ले आया और तौलिए से बरतन साफ़ किए।

6. नीचे दिए गए वाक्यों से मिश्र वाक्य बनाइए-

(क) 

1. चाय पीने की यह एक विधि है।
2. जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं

उत्तर :- यह चाय पीने की एक विधि है जिसे जापानी चा-नो-यू कहते हैं।

(ख)

1. बाहर बेढब सा एक मिट्टी का बरतन था।
2. उसमें पानी भरा हुआ था।

उत्तर :- बाहर बेढब सा एक मिट्टी का बरतन था जिसमें पानी भरा हुआ था।

(ग)

1. चाय तैयार हुई।
2. उसने वह प्यालों में भरी।
3. फिर वे प्याले हमारे सामने रख दिए

उत्तर :- जब चाय तैयार हुई तो उसने प्यालों में भरकर हमारे सामने रख दी।

विद्यार्थियों को कक्षा 10वीं हिंदी अध्याय 13 पतझर में टूटी पत्तियाँ के प्रश्न उत्तर प्राप्त करके कैसा लगा? हमें अपना सुझाव कमेंट करके ज़रूर बताएं। कक्षा 10वीं हिंदी स्पर्श अध्याय 13 के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य विद्यार्थियों को बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप हमारे इस पेज की मदद से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और एनसीईआरटी पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

 कक्षा 10 हिन्दी क्षितिजसंचयनकृतिका के समाधानयहाँ से देखें

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