Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 8 महिलाएँ जाति एवं सुधार

Photo of author
PP Team

छात्र इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार प्राप्त कर सकते हैं। छात्र इस आर्टिकल से कक्षा 8 इतिहास अध्याय 8 सवाल और जवाब देख सकते हैं। हमारे अतीत के प्रश्न उत्तर Class 8 chapter 8 साधारण भाषा में बनाए गए हैं। ताकि छात्र सामाजिक विज्ञान कक्षा 8 पेपर की तैयारी अच्छे तरीके से कर सके। छात्रों के लिए सामाजिक विज्ञान कक्षा 8 पाठ 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार पूरी तरह से मुफ्त हैं। छात्रों से कक्षा 8 इतिहास अध्याय 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जायेगा।

Ncert Solutions Class 8 Social Science History Chapter 8 in Hindi Medium

कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान पाठ 8 के प्रश्न उत्तर को छात्रों की सहायता के लिए बनाया गया हैं। सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर samajik vigyan class 8 के प्रश्न उत्तर बनाए गए हैं। बता दें कि class 8 samajik vigyan chapter 8 question answer को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के सहायता से बनाया गया हैं। एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान इतिहास हमारे अतीत -3 का उदेश्य केवल अच्छी शिक्षा देना हैं। 

फिर से याद करें:-

प्रश्न 1 – निम्नलिखित लोगों ने किन सामाजिक विचारों का समर्थन और प्रसार किया :-  

राममोहन रॉय

उत्तर :-  राममोहन रॉय देश में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार करने और महिलाओं के लिए ज्यादा स्वतंत्रता व समानता के पक्षधर थे। उन्होंने इस बारे में लिखा है कि किस तरह महिलाओं को जबरन घरेलू कामों से बाँधकर रखा जाता था, उनकी दुनिया घर और रसोई तक ही सीमित कर दी जाती थी और उन्हें बाहर जाकर पढ़ने – लिखने की इजाजत नहीं दी जाती थीं। इसलिए उन्होंने इसके विरुद्ध आवाज़ उठाई और साथ में पश्चिमी शिक्षा के पक्ष में भी प्रचार किया।

दयानंद सरस्वती

उत्तर :- विधवा विवाह का समर्थन।

वीरेशलिंगम पंतुलु

उत्तर :-  विधवा विवाह के समर्थन में एक संगठन बनाया।

ज्योतिराव फुले

उत्तर :- महाराष्ट्र में लड़कियों के लिए स्कूल खोले तथा पिछड़ी जातियों का उद्धार।

पंडिता रमाबाई

उत्तर :- पूना में एक विधवागृह की स्थापना।

पेरियार

उत्तर :- हिंदू वेद पुराणों की आलोचना।

मुमताज अली

उत्तर :- कुरान शरीफ़ की आयतों का हवाला देकर कहा कि महिलाओं को भी शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए।

ईश्वरचंद्र विद्यासागर

उत्तर :- विधवा विवाह का समर्थन, स्त्री शिक्षा के लिए प्रयास।

प्रश्न 2 – निम्नलिखित में से सही या गलत बताएँ :-

(क) जब अंग्रेजों ने बंगाल पर कब्ज़ा किया तो उन्होंने विवाह, गोद लेने, संपत्ति उत्तराधिकार आदि के बारे में नए कानून बना दिए।

उत्तर :-  सही

(ख) समाज सुधारकों को सामाजिक तौर – तरीकों में सुधार के लिए प्राचीन ग्रंथों से दूर रहना पड़ता था।

उत्तर :-  गलत

(ग) सुधारकों को देश के सभी लोगों का पूरा समर्थन मिलता था।

उत्तर :- गलत

(घ) बाल विवाह निषेध अधिनियम 1829 पारित किया गया था।

उत्तर :-  गलत

आइए विचार करें

प्रश्न 3 – प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान से सुधारकों को नए कानून बनवाने में किस तरह मदद मिली ?

उत्तर :- राजा राममोहन राय नए कानून को लाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। उन्होंने कलकत्ता में ब्राहो सभा के नाम से एक सुधारवादी संगठन बनाया। राममोहन का कहना था कि समाज में परिवर्तन लाना और अन्यायपूर्ण तौर-तरीकों से छुटकारा पाना जरुरी है। उनका विचार था कि इस तरह के परिवर्तन लाने के लिए लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे पुराने व्यवहार को छोड़कर जीवन का नया ढंग अपनाने के लिए तैयार हो। राममोहन हेमशा से महिलाओं की शिक्षाओं को बढ़ावा देते थे।

उदाहरण – राजा राममोहन राय ने अपने लेखों से यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि प्राचीन ग्रंथों में विधवाओं को जलाने की कहीं भी अनुमति नहीं दी गई है। अतः उनकी मांग पर 1829 ई० में सती प्रथा पर कानूनी रोक लगा दी। प्रसिद्ध सुधारक ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने भी विधवा विवाह के पक्ष में प्राचीन ग्रंथों का हवाला दिया था। 1856 ई० में विधवा विवाह के पक्ष में एक कानून पारित कर दिया गया। अंग्रेजी काल में पारित होने वाले अन्य कानूनों के पीछे भी प्राचीन ग्रंथों का ही योगदान था।

प्रश्न 4 – लड़कियों को स्कूल न भेजने के पीछे लोगों के पास कौन – कौन से कारण होते थे ?

उत्तर :-लड़कियों को स्कूल न भेजने के पीछे कई कारण थे :-

  • लोगों को लगता था कि अगर लड़कियां पढ़ लेंगी तो घर का काम कौन करेगा ?
  • पढ़ने वाली लड़कियां घर का काम नहीं कर पायेंगी। जिससे घरेलू काम करने में दिक्कत होगी।
  • लोगों को विश्वास था कि अगर औरत पढ़ी-लिखी होगी तो वह जल्दी विधवा हो जाएगी।
  • अगर लड़की पढ़ी लिखी होगी तो संपत्ति पर अपना अधिकारी जमाना शुरू कर देगी।
  • लड़कियां स्कूल कैसे जाएंगी और सार्वजनिक स्थानों से कैसे निकलेंगी। सब कारण थे स्कूल न भेजने के।

प्रश्न 5 – ईसाई प्रचारकों की बहुत सारे लोग क्यों आलोचना करते थे ?

उत्तर :- कई लोग जाति आधारित समाज के आदिवासी समुदायों तथा पिछड़े वर्गों से होने वाले अन्याय से दुखी थे। वे समानता के व्यवहार की कामना करते थे। ईसाई प्रचारकों ने जब इनके बच्चों के लिए स्कूल खोले तो अन्य जातियों के बच्चों की तरह वह भी स्कूल जाने लगे। कुछ आदिवासी समुदायों को ईसाई धर्म में भी परिवर्तित किया जा रहा था। इसलिए बहुत से लोग ईसाई प्रचारकों की आलोचना करने लगे थे। परंतु कुछ सुधारक ऐसे भी थे जो इन लोगों को समाज में सम्मान दिलाना चाहते थे। इन लोगों, विशेषकर सुधारकों ने ईसाई प्रचारकों द्वारा पिछड़ी जातियों के हित में उठाए गये कदमों का समर्थन किया।

प्रश्न 6 – अंग्रेज़ों के काल में ऐसे लोगों के लिए कौन से नए अवसर पैदा हुए जो “ निम्न “ मानी जाने वाली जातियों से संबंधित थे ?

उत्तर :- ‘निम्न‘ मानी जाने वाली जातियां सवर्ण ज़मींदारों के उत्पीड़न से दुःखी थीं। उन्हें ऐसे काम करने पड़ते थे जो घृणित समझे जाते थे। अंग्रेजी काल में शहरों के विस्तार से काम के नए अवसर पैदा हुए और श्रम की मांग बढ़ गई। शहरों में कुलियों, खुदाई करने वालों, बोझा ढोने वालों, ईंट बनाने वालों, सफाई कर्मियों, नालियां साफ करने वालों, रिक्शा खींचने वालों आदि की जरूरत थी। इन कामों के लिए गाँवों और छोटे कस्बों के ग़रीब लोग शहरों की ओर जाने लगे। इनमें बहुत से लोग पिछड़े वर्गों के भी थे। इन कामों के अतिरिक्त कुछ लोग असम, मॉरिशस, त्रिनिदाद तथा इंडोनेशिया आदि स्थानों पर बागानों में काम करने भी चले गए। भले ही नए स्थानों पर काम बहुत कठोर था। उत्पीड़ित जातियों के लोगों के लिए यह गाँवों में सवर्ण जमींदारों के दमनकारी नियंत्रण से मुक्ति पाने का अवसर था।

प्रश्न 7 – ज्योतिराव और अन्य सुधारकों ने समाज में जातीय असमानताओं की आलोचनाओं को किस तरह सही ठहराया ?

उत्तर :- 19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी के आरंभ तक भारतीय समाज जातीय असमानताओं से बुरी तरह ग्रस्त था। निम्न कही जाने वाली जातियों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था। अतः तत्कालीन समाज सुधारकों ने अन्याय के विरुद्ध जोरदार आवाज़ उठाई। इन सुधारकों में ज्योतिराव फूले, डॉ० बी० आर० अंबेडकर  नायकर प्रमुख थे। अपनी बात को सही ठहराने के लिए ज्योतिराव ने ब्राह्मणों के इस दावे का जोरदार खंडन किया कि आर्य होने के नाते वे दूसरों से श्रेष्ठ हैं। उन्होंने तर्क दिया कि आर्य विदेशी थे। जो बाहर से आए थे। उन्होंने यहाँ के मूल निवासियों को हराकर अपना दास बना लिया था। जब आर्यों ने अपना प्रभुत्व स्थापित दी लिया तो वे पराजित जनता को नीच तथा निम्न जाति वाला मानने लगे। फूले का मानना था कि ‘ऊँची‘ जातियों का उनकी जमीन और सत्ता पर कोई अधिकार नहीं है, यह धरती यहाँ के देशी लोगों की है जिन्हें आर्यों ने निम्न जाति का नाम दे दिया। फूले के अनुसार आर्यों के शासन से पहले यहाँ स्वर्ण युग था। उस समय योद्धा – किसान ज़मीन जोतते थे और मराठे देहात पर न्यायसंगत और निष्पक्ष तरीके से शासन करते थे। इसलिए जातीय भेदभाव समाप्त होना ही चाहिए। राममोहन राय ने जाति व्यवस्था की आलोचना करने वाले एक प्राचीन बौद्ध ग्रंथ का अनुवाद किया। कुछ सुधारकों ने भक्ति परंपरा को अपनी आलोचना का आधार बनाया जो जातीय असमानता की कट्टर विरोधी थी। पूर्वी बंगाल में हरिदास ठाकुर ने जाति व्यवस्था को सही ठहराने वाले ब्राह्मण ग्रंथों को चुनौती दी।

प्रश्न 8 – फुले ने अपनी पुस्तक गुलामगौरी को गुलामों की आजादी के लिए चल रहे अमेरिकी आंदोलन को समर्पित क्यों किया ?

उत्तर :- डॉ० अंबेडकर जी ने मंदिर प्रवेश आंदोलन 1927 ई० में शुरू किया। इसमें समाज के पिछड़े वर्गों ने बड़ी संख्या में भाग लिया, क्योंकि उन्हें मंदिरों में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। ब्राह्मण पुजारी इस बात पर बहुत आग बबूला हुए कि पिछड़े वर्गों के लोग भी मंदिर के जलाशय का पानी प्रयोग कर रहे हैं। 1927 से 1935 के बीच अंबेडकर जी ने मंदिरों में प्रवेश के लिए ऐसे तीन आंदोलन चलाए। वह पूरे देश को दिखाना चाहते थे कि समाज जातीय पूर्वाग्रहों से पूरी तरह ग्रस्त है। वह इन पूर्वाग्रहों को मिटा कर सामाजिक समानता को दूर करना चाहते थे और पिछड़े वर्गों के लोगों को सम्मान दिलाना चाहते थे।

प्रश्न 9 – मंदिर प्रवेश आंदोलन के जरिए अम्बेडकर क्या हासिल करना चाहते थे ? 

उत्तर :- ज्योतिराव फूले तथा रामास्वामी नायकर ने महसूस किया कि राष्ट्रीय आंदोलन जातीय असमानता पर आधारित है। इसमें सभी जातियों को समान दर्जा प्राप्त नहीं है। नायकर कांग्रेस के सदस्य बने थे। उन्हें उस समय बहुत निराशा हुई जब कांग्रेस के एक भोज में उच्च तथा निम्न कहीं जाने वाली जातियों के लिए अलग – अलग बैठने की व्यवस्था की गई। हताश होकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी और राष्ट्रीय आंदोलन के आलोचक बन गए। उनकी समझ में आ था कि उन्हें अपने अधिकारों तथा स्वाभिमान के लिए स्वयं लड़ाई लड़नी होगी। इस लड़ाई को उन्होंने स्वाभिमान आंदोलन का नाम दिया। उनके आंदोलन को देखते हुए कांग्रेस ने अछूतोद्धार को भी राष्ट्रीय आंदोलन का लक्ष्य घोषित कर दिया।

प्रश्न 10- ज्योतिराव फुले और रामास्वामी नायकर राष्ट्रीय आंदोलन की आलोचना क्यों करते थे ? क्या उनको आलोचना से राष्ट्रीय संघर्ष में किसी तरह की मदद मिली ?

उत्तर :- ज्योतिराव फुले और रामास्वामी नायकर राष्ट्रीय आंदोलनों के आलोचक थे। उनके अनुसार, उपनिवेशवादी और उच्च जातियाँ दोनों बाहरी थे और उन्होंने स्वदेशी लोगों पर अत्याचार किया और उन्हें अपने अधीन कर लिया और उन्हें निम्न वर्ग मानते थे। ज्योतिराव फुले ने हमेशा उच्च जाति को बाहरी लोगों के रूप में माना था जिन्होंने लोगों को अपनी जमीन पर प्रताड़ित किया और उन्हें निम्न और निम्न जाति के रूप में माना। उनके अनुसार, उच्च जाति के लोगों ने राष्ट्रवादी आंदोलनों में भाग लिया ताकि एक बार उपनिवेशवादी देश छोड़ दें, वे फिर से निचली जातियों के लोगों पर अपनी शक्ति का उपयोग कर सकें। आरएन के अनुसार रामास्वामी नायकर द्रविड़ संस्कृति के सच्चे समर्थक थे, जिन्हें अछूत माना जाता था और ब्राह्मणों द्वारा उत्पीड़ित किया जाता था। उनका मानना ​​था कि निचली जाति को अपनी मर्यादा के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इन आलोचनाओं ने उच्च जाति के राष्ट्रवादी नेताओं के बीच पुनर्विचार और आत्म-निंदा करने में मदद की।

कक्षा 8 इतिहास के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे टेबल से देखें
अध्याय की संख्याअध्याय के नाम
अध्याय 1कैसे, कब और कहाँ
अध्याय 2व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है
अध्याय 3ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना
अध्याय 4आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना
अध्याय 5जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद
अध्याय 6बुनकर, लोहा बनाने वाले और फैक्ट्री मालिक
अध्याय 7“देशी जनता” को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना
अध्याय 8महिलाएँ, जाति एवं सुधार
अध्याय 9राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन : 1870 के दशक से 1947 तक
अध्याय 10स्वतंत्रता के बाद

छात्रों को ncert solutions for class 8 social science in hindi medium में प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य केवल छात्रों को बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप परीक्षा पॉइंट के एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान (NCERT Solutions in hindi) और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें (NCERT Books In Hindi) भी प्राप्त कर सकते हैं। हम आशा करते है कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा।

कक्षा 8 के भूगोल और नागरिक शास्त्र के एनसीईआरटी समाधानयहां से देखें

Leave a Reply