डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध (Dr. APJ Abdul Kalam Essay In Hindi)- मैं जब स्कूल में पढ़ा करती थी, तो उस समय सभी बच्चों को क्लास में यही पूछा जाता था कि वह बड़े होकर क्या बनना पसंद करेंगे। किसी का उत्तर होता था डाॅक्टर, इंजीनियर, पायलट, सैनिक आदि। लेकिन मेरे जवाब पर सभी को हंसी आ जाया करती थी। मैं कहती थी कि मुझे बड़ा होकर राष्ट्रपति बनना है। खैर वो तो बचपन की बात थी। लेकिन आज सोचती हूं कि राष्ट्रपति बनना कितना चुनौतीपूर्ण कार्य है। राष्ट्रपति बनने के लिए ढेरों गुण चाहिए होते हैं।
Essay On APJ Abdul Kalam In Hindi
हम सभी भारत के नागरिक कहलाए जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत का प्रथम नागरिक कौन कहलाता है? भारत का प्रथम नागरिक भारत का राष्ट्रपति होता है। प्रथम नागरिक का तात्पर्य यह है कि वह देश का सबसे सम्मानीय नागरिक होता है। राष्ट्रपति को पांच साल के लिए कार्यकाल संभालना होता है। प्रधानमंत्री के बाद सबसे पहली राय राष्ट्रपति से ली जाती है। भारत के राष्ट्रपति का निवास स्थल राष्ट्रपति भवन कहलाता है। भारत के सर्वप्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। उन्होंने 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रपति का पदभार संभाला था।
डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध
हमारे वर्तमान राष्ट्रपति का नाम द्रौपदी मुर्मू है। वह भारत की 15वीं राष्ट्रपति हैं। आज का हमारा विषय भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन कहे जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पर आधारित है। आज हम भारत के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध पढ़ेंगे। तो आइए हम निबंध पढ़ना शुरू करते हैं।
प्रस्तावना
रामेश्वरम शहर को पूरी दुनिया में रामेश्वरम मंदिर के लिए जाना जाता है। रामेश्वरम मंदिर को भारत के चारों धामों में से एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। रामेश्वरम को एक और वजह से भी जाना जाता है। दरअसल जैनुलाब्दीन एक साधारण सा मछुआरा था। इनकी पत्नी भी साधारण गृहिणी थी। दोनों बहुत मेहनती थे। दोनों के पांच बच्चे थे। एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार के लिए इतना बड़ा परिवार संभालना थोड़ा मुश्किल होता है।
लेकिन जैनुलाब्दीन ने कभी भी अपने परिवार को बोझ नहीं समझा। उन्हीं पांच बच्चों में से एक था अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम। जैनुलाब्दीन का यह पुत्र पढ़ाई लिखाई में बहुत होशियार था। वह बचपन से ही दूसरे बच्चों से बिल्कुल अलग था। उसके परिवार की परिस्थितियां अच्छी नहीं थी। लेकिन फिर भी उसने समझदारी के साथ अपने परिवार को संभाले रखा।
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डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम का बचपन
जैनुलाब्दीन के घर 15 अक्टूबर 1931 को डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म हुआ था। अब्दुल कलाम को मिलाकर कुल पांच भाई-बहन थे। इन सभी भाई-बहन में अब्दुल कलाम कुशाग्र बुद्धि के इंसान थे। बचपन से ही वह अपने परिवार के लिए बड़ी सोच रखते थे। अब्दुल कलाम के पिता एक साधारण से मछुआरे थे। उनके पिता को अपने सभी बच्चों का पेट पालना था। अब्दुल कलाम ने अपने पिता का साथ दिया। अब्दुल कलाम बचपन में पढ़ाई भी किया करते थे। और साथ ही साथ वह आर्थिक स्तिथि को संभालने के लिए अखबार भी बेचा करते थे। अब्दुल कलाम ने अपने पिता को संघर्ष करते देख लिया था, इसलिए वह पढ़-लिखकर एक बड़ा इंसान बनना चाहते थे। वह अपने परिवार की पूर्ण रूप से जिम्मेदारी संभालना चाहते थे।
डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम की शिक्षा
एपीजे अब्दुल कलाम के पिता अपने बेटे को एक मछुआरे के रूप में काम करते हुए नहीं देखना चाहते थे। वह चाहते थे कि उनका बेटा नामी डॉक्टर या इंजीनियर बने। जैनुलाब्दीन ने अपने बेटे का Schwartz Higher Secondary School में दाखिला करवाया। बाद में अब्दुल कलाम ने जब मैट्रिक की परीक्षा पास की तो उनका एडमिशन सेंट जोसेफ कॉलेज में हुआ। वहां पर उन्होंने भौतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन किया। बाद में उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में आगे की पढ़ाई पूरी की।
डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम और वैज्ञानिक उपलब्धियां
जब अब्दुल कलाम ने अपनी एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर ली तो कलाम ने सोचा कि अब आगे क्या किया जाए। अब्दुल कलाम की यह उलझन तब सुलझी जब वर्ष 1962 में अब्दुल कलाम ने भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन में दाखिला लिया। भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन को हम इसरो (ISRO) के नाम से जानते हैं। इसरो में रहते हुए कलाम ने साथी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एसएलवी-III का प्रक्षेपण किया। बाद में अब्दुल कलाम के ही नेतृत्व में पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों पर भी काम किया गया।
डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम का देश प्रेम
“सपने वे नहीं जो हम सोते हुए देखते हैं, सपने वे हैं जो हमें सोने नहीं देते।” यह प्रसिद्ध वाक्य अब्दुल कलाम ने कहा था। एपीजे अब्दुल कलाम को भारत के प्रति अति लगाव था। वह अपने देश और देश के नागरिकों का सम्मान करते थे। वह देश के गरीबों को लेकर चिंतित रहते थे। वह देश के युवाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे। अब्दुल कलाम ने युवाओं को हर पल प्रेरित किया। यही एक वजह थी कि वह सभी बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गए थे।
एपीजे अब्दुल कलाम का वैवाहिक जीवन
अब्दुल कलाम ने शादी नहीं की थी। वह ताउम्र कुंवारे रहे थे। वह नहीं चाहते थे कि उनकी शादी हो क्योंकि वह अपना जीवन देश को समर्पित कर चुके थे। जब उनकी शादी की उम्र हुई थी तब उन्होंने हर आने वाले रिश्ते को ठुकरा दिया था। वह सोचते थे कि शादीशुदा जीवन देश की प्रगति में बाधा बन सकता है। उनको विज्ञान से प्रेम था। एक बार अब्दुल कलाम ने कहा था कि उनकी पत्नी तो मिसाइल है।
डाॅ. अब्दुल कलाम द्वारा लिखित किताबें
(1) इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलेनियम
(2) विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी
(3) इगनाइटेड माइंड्स: अनलीजिंग द पॉवर विदिन इंडिया
(4) द ल्यूमिनस स्पार्क्स: ए बायोग्राफी इन वर्स एंड कलर्स
(5) मिशन ऑफ इंडिया: ए विजन ऑफ इंडियन यूथ
(6) द लाइफ ट्री, पोयम्स
(7) इनडोमिटेबल स्पिरिट
(8) हम होंगे कामयाब
(9) अदम्य साहस
(10) इन्स्पायरिंग थॉट्स: कोटेशन सीरिज
(11) यू आर बॉर्न टू ब्लॉसम (सहलेखन – अरुण तिवारी)
(12) द फैमिली एंड द नेशन (सहलेखन – महाप्रज्ञ)
(13) स्प्रिट ऑफ इंडिया
(14) फोर्ज योर फ्यूचर: केन्डिड, फोर्थराइट, इन्स्पायरिंग
(15) बियॉन्ड 2020: ए विजन फॉर टुमोरोज इंडिया
(16) गवर्नेंस फॉर ग्रोथ इन इंडिया
(17) ट्रांसडेंस: माई स्प्रीचुअल एक्स्पीरिएंस विद प्रमुख स्वामीजी (सहलेखन – अरुण तिवारी)
(18) लर्निंग हाउ टू फ्लाई
(19) एनलाइटेंड माइंड्स
(20) फेलियर इस द बेस्ट टीचर
डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम को मिले सम्मान
(1) पद्म भूषण (1981)
(2) पद्म विभूषण (1990)
(3) भारत रत्न (1997)
(4) इंदिरा गांधी पुरस्कार (1997)
(5) वीर सावरकर पुरस्कार (1998)
(6) किंग चार्ल्स द्वितीय मेडल (2007)
(7) डॉक्टर ऑफ साइंस (2014)
डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम के अनमोल वचन
- अगर कोई देश भ्रष्टाचार से मुक्त हो और सारे लोग अच्छी शुद्ध मानसिकता वाले हों, मैं दावे से कह सकता हूँ कि केवल तीन लोग ही ऐसे देश का निर्माण कर सकते हैं और वो हें- माता, पिता और गुरु।
- आसमान की ओर देखो हम अकेले नहीं हैं, जो लोग सपने देखते हैं और कठिन मेहनत करते हैं, पूरा ब्रह्माण्ड उनके साथ है।
- युवाओं को मेरा सन्देश है कि अलग तरीके से सोचें, कुछ नया करने का प्रयत्न करें, अपना रास्ता खुद बनायें, असंभव को हासिल करें।
- जब तक पूरा भारत उठ कर खड़ा नहीं होगा, संसार में कोई हमारा आदर नहीं करेगा। इस दुनिया में डर की कोई जगह नहीं है, केवल शक्ति की पूजा होती है।
- शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत चाहिए होती है, चाहे वो माउन्ट एवरेस्ट का शिखर हो या आपके पेशे का।
- यदि आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं, तो पहले सूरज की तरह जलना सीखें।
- मैं इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार था कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता।
- किसी भी मिशन की सफलता के लिए रचनात्मक नेतृत्व आवश्यक है।
- नौकरी तलाशने वालों से नौकरी जनरेटर बनने के लिए युवाओं को सक्षम होने की जरूरत है।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का निधन
एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने पूरे जीवनकाल में देश के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। वह देश के लिए बहुत कुछ कर गए। लेकिन 27 जुलाई वर्ष 2015 को एपीजे अब्दुल कलाम इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए। अब्दुल कलाम को साइलेंट हार्ट अटैक आ गया था। जब उनका निधन हुआ, तो वह 83 साल के थे। उनके अचानक चले जाने से पूरी दुनिया को गहरा धक्का लगा। भारत ने एक महान रत्न को हमेशा के लिए खो दिया।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पर 200 शब्दों में निबंध
डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम को भारत के सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रपति में से एक माना जाता है। वह बहुत ही समझदार और प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। उनके मन में भारत को लेकर हमेशा प्रेम बना रहा। अब्दुल कलाम जमीन से जुड़े हुए इंसान थे। वह आम इंसान के संघर्ष को अच्छे से जानते थे। अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। उनका निवास स्थान धनुषकोडी गाँव था। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था। आशियम्मा उनकी माता का नाम था।
अब्दुल कलाम के पिता साधारण मछुआरे थे। और उनकी माता कुशल गृहणी। अब्दुल कलाम ने अपने बचपन के दिनों को खूब संघर्ष में बिताया। उनका दिमाग बहुत तेज था। उनको देश से इतना ज्यादा प्रेम था कि उन्होंने ताउम्र कुंवारा रहने की ठानी। ऐसा करके वह देश के उत्थान के लिए काम करना चाहते थे। 18 जुलाई 2002 एपीजे अब्दुल कलाम के लिए एक सुनहरे दिन की तरह था। इसी दिन वह भारत के 11वें राष्ट्रपति के तौर पर चुन लिए गए। अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन के रूप में भी जाना जाता है।
डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम पर 10 लाइनें
(1) डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था।
(2) डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था।
(3) अब्दुल कलाम के पिता का नाम जैनुलाब्दीन था। और उनकी माता का नाम आशियम्मा था।
(4) अब्दुल कलाम कई समय तक इसरो से जुड़े रहे थे और वे भारत के 11वें राष्ट्रपति थे।
(5) विंग्स ऑफ फायर उनकी सबसे प्रसिद्ध किताबों में से एक मानी जाती है।
(6) अब्दुल कलाम को पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी नवाजा गया था।
(7) उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी।
(8) उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के तौर पर भी काम किया।
(9) 27 जुलाई वर्ष 2015 को एपीजे अब्दुल कलाम इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए।
(10) अब्दुल कलाम को युवाओं के प्रेरणास्रोत के रूप में भी जाना जाता है।
FAQs
उत्तर- अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम।
उत्तर- अब्दुल कलाम के पिता का नाम जैनुलाब्दीन था। और माता का नाम आशियम्मा था।
उत्तर- अब्दुल कलाम को पद्म भूषण (1981), पद्म विभूषण (1990), भारत रत्न (1997), इंदिरा गांधी पुरस्कार (1997), वीर सावरकर पुरस्कार (1998), किंग चार्ल्स द्वितीय मेडल (2007), डॉक्टर ऑफ साइंस (2014) जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया था।
उत्तर- अब्दुल कलाम को 25 जुलाई, 2002 को भारत का 11वां राष्ट्रपति बनाया गया था।
उत्तर- 1962 में अब्दुल कलाम ने भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन में दाखिला लिया। इसरो में रहते हुए कलाम ने साथी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एसएलवी-III का प्रक्षेपण किया। बाद में अब्दुल कलाम के ही नेतृत्व में पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षणों पर भी काम किया गया।
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