राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सत्य, अहिंसा और प्रेम के पुजारी थे। उन्होंने पूरी दुनिया को सत्य, अहिंसा व शांति का पाठ पढ़ाया था। गांधीजी ने सत्य-अहिंसा का रास्ता अपनाकर ही देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी। गांधीजी सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास रखते थे। ये तो हम सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी के जन्मदिवस 02 अक्टूबर को हर साल पूरे देश में गांधी जयंती मनाई जाती है और इस दिन को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
स्पीच की शुरुआत
आदरणीय प्रधानाध्यापक जी, सभी अध्यापक और मेरे सभी मित्रों को मेरा नमस्कार। सबसे पहले मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूं कि आपने मुझे आज इस मंच पर बोलने और अपने विचार रखने का मौका दिया। ये तो हम सभी जानते हैं कि आज गांधी जयंती के अवसर पर हम सभी यहाँ एकत्रित हुए हैं। गांधीजी हम सभी के आदर्श हैं और हम सभी की प्रेरणा भी हैं। आज इस मंच के माध्यम से मैं अपने कुछ विचार और कुछ गांधीजी के विचार आपके सामने रखूंगा। आशा करता हूं कि आप मेरी बातों से सहमत होंगे।
स्पीच में क्या बोलें?
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्हीं के सम्मान और जन्मदिवस के रूप में हर साल 02 अक्टूबर को पूरे भारत में महात्मा गांधी की जयंती मनाई जाती है। गांधी जी ने अपना पूरा जीवन देश और देश की आज़ादी के लिए समर्पित कर दिया था। देश को आज़ाद करवाने के लिए उन्होंने कई सत्याग्रह और आंदोलन किए। गांधीजी ने अपने सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत सन् 1906 में दक्षिण अफ्रीका से की थी।
उन्होंने यह आंदोलन दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतायों के लिए अनिवार्य पंजीकरण और पास के खिलाफ छेड़ा था। गांधी जी ने दलित समुदाय के लोगों के लिए भी बहुत कुछ किया। हमारे समाज में एक ऐसा समुदाय भी था जिनके लोगों को अछूत कहा जाता था। इस समुदाय के लोगों को बापू ने हरिजन नाम दिया। हरिजन शब्द का मतलब होता है हरि यानी कि भगवान की संतान। गांधी जी की यह शुरुआत ऐसे समुदायों के लोगों को सम्मानजनक जीवन दिलाने में महत्त्वपूर्ण साबित हुई, जिसका अन्य लोगों पर भी प्रभाव देखने को मिला।
गांधीजी ने समाज के साथ-साथ देश की चिंताओं पर भी अपना पूरा ध्यान दिया। उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में सबसे अहम भूमिका निभाई। वह हमेशा सत्य, अहिंसा और शांति के मार्ग पर ही चले। जब भी हम अहिंसा और प्रेम की बात करते हैं, तो सबसे पहले हमें बापू का नाम ही याद आता है कि कैसे उन्होंने सत्य-अहिंसा से देश को आज़ादी दिलवाई। गांधीजी ने न केवल भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को सत्य, अहिंसा, प्रेम और शांति का पाठ पढ़ाया और इसके मायने भी समझाए। उन्होंने सबको सिखाया कि हिंसा से किसी भी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता और ना ही दूसरों को क्षति पहुंचाकर या उनका नुकसान करके खुद को सुखी रखा जा सकता।
भारतीयों पर जब ब्रिटिश सरकार का अत्याचार बढ़ने लगा, तो महात्मा गांधी ने 8 अगस्त सन् 1942 को अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ दिया। इसी दौरान पूरी दुनिया दूसरा विश्वयुद्ध भी झेल रही थी। भारत छोड़ो आंदोलन में ही गांधीजी ने करो या मरो का नारा दिया था। दूसरे विश्वयुद्ध का अंत होते-होते तक ब्रिटिश सरकार ने ऐलान कर दिया था कि वह भारत को आज़ाद करके उसकी सभी शक्तियों को वापस कर देगी।
गांधी जयंती की सबसे खास बात यह भी है कि इस दिन को पूरी दुनिया में अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। यूनाइटेड नेशंस जेनरल असेंबली ने 15 जून वर्ष 2007 को गांधी जयंती के दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था। अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने के पीछे गांधीजी की सत्य और अहिंसा वाली सोच थी क्योंकि गांधी जी ने भी खुद दुनिया को यही सिखाया था कि शांति का मार्ग अपनाकर हर मुश्किल से मुश्किल काम को आसान किया जा सकता है। वह मानते थे कि हिंसा का रास्ता चुनकर हमें कभी अपना हक नहीं मिल सकता। गांधीजी ने अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही दक्षिण अफ्रीका में लगभग 75 हजार भारतीयों को उनके कई अधिकार दिलाए थे, जिनसे वह कई वर्षों से वंचित थे।
मोहनदास करमचंद गांधी का राष्ट्रपिता बनने तक का सफर काफी लंबा और चुनौतीपूर्ण था। उनकी सादा जीवन उच्च विचार की विचारधारा और कमज़ोर लोगों के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ने के उनके अनोखे तरीके ने ही गांधीजी को देश का राष्ट्रपिता और महात्मा बना दिया। वह भारतीयों के हक के लिए लड़ने वाले लाखों-करोड़ों लोगों के आदर्श नेता बने और अपनी आखिरी सांस तक भी सत्य-अहिंसा के मार्ग से नहीं हटे।
गांधी जयंती पर 10 लाइनें
- भारत में हर साल 2 अक्टूबर का दिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
- महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
- उन्हें बापू या राष्ट्र का पिता भी कहा जाता था।
- बापू का जन्म 02 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नाम के एक छोटे से गांव में हिंदू परिवार में हुआ था।
- उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था और मां का नाम पुतिलिबाई था।
- 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
- उन्होंने भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लगातार धैर्य और साहस के साथ लड़ाई लड़ी।
- गांधी जी ने देश को आजाद करवाने के लिए असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, दांडी मार्च, खिलाफत आंदोलन आदि अन्य कई आंदोलन चलाए।
- गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे और वह कई बार जेल भी गए थे।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की छाती में तीन गोलियां दागकर उनकी हत्या कर दी।
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