सत्य और अंहिसा की राह पर चलने वाले महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने पूरी दुनिया को भी हमेशा इसी राह को पकड़कर चलने की नसीहत दी। गांधी जी के विचारों और उनके काम करने के तरीके को देखते हुए एक बार महान साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि ”आने वाली पीढ़ियों को शायद कभी इस बात पर यकीन नहीं होगा कि हाड-मांस का बना हुआ ऐसा पुतला भी कभी इस धरती पर जन्मा था।” उनकी कही गई ये बात सच साबित हुई क्योंकि उनके बाद न तो कोई दूसरा गांधी हुआ है और न ही कभी होगा।
महात्मा गांधी का पूरा जीवन कठिनाइयों और संघर्षों से भरा रहा। यदि आप महात्मा गांधी के बारे में या महात्मा गांधी का जीवन परिचय जानना चाहते हैं, जैसे- महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था। महात्मा गांधी का जन्म कहां हुआ था (Gandhi Ji Ka Janm Kahan Hua Tha), महात्मा गांधी के पिताजी का नाम क्या था, महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या है, महात्मा गांधी के कितने पुत्र थे, महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु कौन थे, महात्मा गांधी को किसने मारा था, महात्मा गांधी की मृत्यु कब हुई, तो आपको महात्मा गांधी की जीवनी हिंदी में को पूरा पढ़ना होगा।
महात्मा गांधी की जीवनी को लिखते समय सरल, सहज और आसान भाषा का प्रयोग किया गया है। गांधी जी का जीवन परिचय लिखने या पढ़ने का अर्थ है उनके विचारों, उनकी बातों और उनके अनुभवों के साथ उनके पूरे जीवन के बारे में जानना जो उनकी मृत्यु तक उनके साथ घटित हुआ। महात्मा गांधी हिस्ट्री हिंदी में समझ पाएंगे।
महात्मा गांधी का परिचय
आज हर कोई गांधी जी के जीवन से प्रेरित है और उनके बताए गए सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने की कोशिश करता है। गांधी से महात्मा गांधी बनने तक का सफर इतना आसान न था। हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू कहे जाने वाले महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। महात्मा गांधी के माता पिता का नाम पुतलीबाई और करमचंद गांधी था। अंग्रेजों के शासन के समय गांधी जी के पिता पोरबंदर और राजकोट के दीवान थे। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधी जी के दो भाई थे और कुल तीनों भाइयों में गांधी जी सबसे छोटे थे। गांधी जी का जीवन एकदम सीधा और सरल था, जिसकी प्रेरणा उन्हें अपनी मां से मिली थी। गांधी जी के जीवन पर भारतीय जैन धर्म का भी गहरा असर हुआ था। गांधी जी ने हमेशा ही सत्य और अहिंसा के मार्ग का ही अनुसरण किया।
ये भी पढ़ें
गांधी जयंती पर निबंध | यहाँ से पढ़ें |
महात्मा गांधी की जीवनी | यहाँ से पढ़ें |
गांधी जयंती पर भाषण | यहाँ से पढ़ें |
गांधी जी की शुरुआती शिक्षा उनके जन्म स्थान पोरबंदर में रहकर की हुई थी। वहाँ से गांधी जी ने मिडिल स्कूल तक ही शिक्षा ग्रहण की थी। गांधी जी के पिता का ट्रांसफर राजकोट हो गया था, जिस कारण उन्होंने राजकोट से अपनी अधूरी शिक्षा को पूरी किया। फिर कुछ सालों बाद सन् 1887 में गांधी जी ने राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की और अपनी आगे की पढ़ाई के लिये उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में एडमिशन ले लिया। घर से दूर होने की वजह से वह पढ़ाई पर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पा रहे थे, इसलिए वह दोबारा पोरबंदर ही चले गए। फिर अगले साल यानी कि सन् 1888 में गांधीजी पढ़ने के लिए इंग्लैण्ड चले गए। इंग्लैण्ड में गांधीजी लंदन वेजीटेरियन सोसायटी के सदस्य बने और इसके सम्मेलनों में शामिल होने लगे। लंदन में रहकर गांधी जी वहाँ के पत्र और पत्रिकाओं के लिए लेख भी लिखने लगे। इंग्लैण्ड में गांधी जी सन् 1888 से सन् 1891 तक यानी कि तीन साल तक रहे। इन तीन सालों में गांधी जी ने लंदन में रहकर अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई भी पूरी कर ली। पढ़ाई पूरी होने के बाद गांधी जी सन् 1891 में अपने देश लौट आए।
महात्मा गांधी का परिवार
गांधी जी की शादी सन् 1883 में हुई थी। गांधी जी की जब शादी हुई तब उनकी उम्र मात्र 13 वर्ष थी। गांधी जी की पत्नी का नाम कस्तूरबा था। सभी लोग कस्तूरबा को प्यार से ‘बा’ कहकर बुलाया करते थे। उनके पिता का खुद का व्यवसाय था और कह काफी धनी व्यक्ति थे। कस्तूरबा जी को बिल्कुल भी पढ़ना-लिखना नहीं आता था लेकिन जब गांधी जी के साथ उनका विवाह हो गया, तो गांधी जी ने ही उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाया। कस्तूरबा गांधी ने महात्मा गांधी का हमेशा साथ दिया और उनके हर फैसले पर उनके साथ खड़ी रहीं। सन् 1885 में गांधी जी की पहली संतान हुई, लेकिन कुछ समय बाद ही उसका निधन हो गया। उसके बाद गांधीजी और कस्तूरबाजी के घर चार बेटों ने जन्म लिया। उनके चारों बेटों का नाम हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास था। उनकी कोई बेटी नहीं थी।
महात्मा गांधी की साउथ अफ्रीका यात्रा
बैरिस्टरी की पढ़ाई भी पूरी करने के बाद गांधी जी भारत लौट आए। वह भारत में रहकर वक़ालत करने लगे। इसके कुछ समय बाद गांधी जी को साउथ अफ्रीका में काम करने का मौका मिला। साउथ अफ्रीका में ही गांधी जी को एक अंग्रेज़ ने ट्रेन से बाहर फैंक दिया था। साउथ अफ्रीका में रह रहे भारतीयों के साथ भेदभाव हो रहा था, जिसके ख़िलाफ़ गांधी जी ने साउथ अफ्रीका में इंडियन कांग्रेस की स्थापना की। साउथ अफ्रीका में ही गांधी जी ने ब्रह्मचर्य का प्रण लिया और सफ़ेद धोती पहननी शुरू कर दी। सन् 1913 में गांधी जी ने साउथ अफ्रीका में रह रहे भारतीयों पर लगाए गए 3 पाउंड के टैक्स के ख़िलाफ़ आंदोलन शुरू कर दिया, जिसे उन्होंने सविनय अवज्ञा नाम दिया था। इस आंदोलन में गांधी जी की जीत हुई और वह पूरी दुनिया में पहचाने जाने लगे।
महात्मा गांधी की भारत वापसी
जब गांधी जी साउथ अफ्रीका से भारत लौटे तो उनका ज़ोरदार स्वागत हुआ। गांधी जी और उनकी धर्म पत्नी कस्तूरबा गांधी ने पूरे भारत की यात्रा की और लोगों की परेशानी को जाना। इस यात्रा में उन्होंने अपने देश की हालत, ग़रीबी और आबादी को परखा, तो वह देखते ही रह गए। इसके बाद गांधी जी ने देश को आज़ाद करवाने के लिए आंदोलन शुरू कर दिए।
महात्मा गांधी और देश की आज़ादी
देश को ब्रिटिश हुकूमत से आज़ाद करवाने के लिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया। गांधी जी ने हमेशा स्वच्छता को बढ़ावा दिया और लोगों से विदेशी चीज़ों को छोड़कर अपने देश की चीज़ों को अपनाने को कहा। गांधी जी के साथ भारत के लोगों ने विदेशी सामानों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। इस आंदोलन की वजह से गांधी जी को दो साल तक जेल में रहना पड़ा। इसके बाद गांधी जी ने अंग्रेज़ों के नमक क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन छेड़ दिया और हज़ारों लोगों के साथ डांडी यात्रा निकाल कर और नमक बनाकर कानून को तोड़ दिया। इस आंदोलन की सफलता के बाद गांधीजी गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए लंदन चले गए।
लंदन से लौटने के बाद गांधी जी ने ‘अंग्रेज़ों भारत छोड़ो’ आंदोलन शुरू कर दिया। इस आंदोलन के लिए गांधी जी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी को जेल में बंद कर दिया गया। जेल के अंदर ही गांधी जी की पत्नी का निधन हो गया। सन् 1944 में गांधी जी जेल से बाहर आ गए। देश को आज़ाद करने की मांग और तेज़ होने लगी, जिसके बाद अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ने का फैसला किया। सन् 1947 में देश को आज़ादी तो मिल गई, लेकिन देश की आज़ादी को लेकर जो सपना महात्मा गांधी जी ने देखा था वो पूरा नहीं हो सका क्योंकि देश तो टुकड़ों भारत और पाकिस्तान में बंट गया था।
महात्मा गांधी का निधन
आज़ादी के बाद 30 जनवरी, सन् 1948 को गांधी जी दिल्ली के बिड़ला हाउस में एक प्रार्थना सभा में जा रहे थे। वहीं पर नाथूराम गोडसे नाम के एक हिंदू कट्टरपंथी ने गांधी जी के सीने में तीन गोलियां मार कर उनकी हत्या कर दी। एक तरफ जहाँ हिंदू कट्टरपंथी गांधी जी की मौत का जश्न मना रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ पूरे देश में महात्मा गांधी की मौत पर शोक की लहर थी। महात्मा गांधी की अंतिम यात्रा दिल्ली में निकाली गई। उस समय उनके अंतिम दर्शन के लिए और अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए दस लाख से भी ज़्यादा लोग पहुँचे थे। गांधी जी का अंतिम संस्कार यमुना किनारे किया गया और देश को फिर से एकजुट करने का उनका सपना कभी पूरा नहीं हो सका।
महात्मा गांधी की पुस्तकों के नाम
- सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा
- मेरी जीवन कथा
- रामनाम
- मेरे सपनों का भारत
- संक्षिप्त आत्मकथा
- दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास
- गीता बोध
- बापू की सीख
- हिंद स्वराज
महात्मा गांधी के विचार
- आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों।
- डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है।
- उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा।
- ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है।
- आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी।
- किसी भी स्वाभिमानी व्यक्ति के लिए सोने की बेड़ियां, लोहे की बेड़ियों से कम कठोर नहीं होगी। चुभन धातु में नहीं वरन् बेड़ियों में होती है।
- गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती। वह तो केवल अपनी ख़ुशबू बिखेरता है। उसकी ख़ुशबू ही उसका संदेश है।
- निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।
- स्वतंत्रता एक जन्म की भांति है। जब तक हम पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हो जाते तब तक हम परतंत्र ही रहेंगे।
- क्रूरता का उत्तर क्रूरता से देने का अर्थ अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है।
महात्मा गांधी की जीवनी FAQs
महात्मा गांधी का उद्देश्य लोगों में सत्य और अहिंसा की भावना पैदा करना था।
सबसे पहले सुभाष चन्द्र बोस ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया था, जिसके बाद भारत सरकार ने भी इसे मान्यता दे दी और महात्मा गांधी राष्ट्र के पिता यानी कि राष्ट्रपिता बन गए।
महात्मा गांधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया था।
गांधी जयंती इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन उनका जन्म हुआ था।
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को हुआ था।