Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

भारतीय संस्कृति पर निबंध (Indian Culture Essay in Hindi)

Photo of author
Ekta Ranga
Last Updated on

मैं भारत की संस्कृति की सबसे अधिक प्रशंसक रही हूँ। ऐसा नहीं है कि मैं भारतीय हूँ इसलिए यह कह रही हूँ। ऐसा मैं इसलिए कह रही हूँ क्योंकि भारत की संस्कृति में कुछ अलग है जो सभी लोगों को अपनी ओर खींचता है। बचपन में अपनी मम्मी और सभी औरतों को जब मैं माथे पर बिंदी लगाए देखती थी तो सोचती थी कि वह ऐसा क्यों करती हैं? बड़े होने पर जब मुझे खुद को भी बिंदी लगाने का शौक चढ़ा तो बात समझ में आई। बिंदी हमारे देश की पहचान है। और साथ ही साथ यह हमारी सुंदरता पे चार चांद लगाती है।

भारत की हर चीज खींचती है लोगों को अपनी ओर। ना जाने क्या जादू है इस धरती की मिट्टी में? इस देश में एक से बढ़कर एक आनंद देने वाली चीजें हैं। कुछ तो बात है असम की चाय में, कश्मीर की केसर में, दक्षिण भारत की कांचीपुरम सिल्क साड़ी में। जो भी यहां आता है वो यहां का ही हो कर रह जाता है। भारत में हर प्रकार के रंग देखने को मिल जाते हैं। यहां पर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक आपको सब देखने को मिल जाता है। सभी लोग यहां पर मिलजुल कर रहते हैं। आज का हमारा विषय भारत की संस्कृति पर आधारित है। आज के इस निबंध के माध्यम से हम भारत की संस्कृति के बारे में विस्तार से जानेंगे।

प्रस्तावना

हमारे भारत की संस्कृति की शोभा दुनियाभर के लोग करते हैं। लेकिन शायद हमें अपनी ही संस्कृति की थोड़ी सी शर्म भी आती है। यहां जितने लोग हैं उतनी ही अलग प्रकार की संस्कृतियां है यहां। ऊपर मैंने बिंदी पर अपने विचार व्यक्त किए थे। मगर एक चीज ही नहीं हमें अपनी ही संस्कृति का अनुसरण करने में बहुत शर्म महसूस होती है। मैंने अखबार में सुधा मूर्ति की एक दिलचस्प कहानी पढ़ी। सुधा मूर्ति ने बताया कि एक बार उनकी कोई यात्रा के दौरान एक महिला ने उन्हें बेहद ही साधारण सी औरत समझ लिया था। और वजह यह थी कि सुधा मूर्ति ने बड़ी ही सादगी से साड़ी पहनी हुई थी। बाद में जब उस महिला को पता चला कि सुधा मूर्ति कोई साधारण महिला नहीं बल्कि एक बड़ी इनवेस्टर (investor) है तो उस महिला को बड़ी शर्म महसूस हुई। क्या उस महिला का व्यवहार सही था? बिल्कुल भी नहीं। हमें अपनी संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। हमारी संस्कृति दुनिया की सबसे अच्छी संस्कृति मानी जाती है।

भारतीय संस्कृति का महत्व

यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि हमारी संस्कृति दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति है। यहां का खान पान, रहन-सहन, वेषभूषा आदि सब अपने आप में बहुत खास है। रामायण और महाभारत हमारी ही संस्कृति से जुड़े हुए हैं। हमारी संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है। तो आइए हम जानते हैं भारतीय संस्कृति के महत्व के बारे में –

(1) भारत की संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृति में से एक मानी जाती है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण काशी है। काशी का इतिहास 8000-9000 वर्ष पुराना बताते है।

(2) भारतीय संस्कृति इतनी महान है कि भारत जैसे देश में भगवान और महापुरुषों ने जन्म लिया। चाहे हम श्री कृष्ण कहे या फिर श्री रामचंद्र। यह भारत की ही मिट्टी पर जन्मे थे।

(3) भारत की संस्कृति में कई वीर पुरुष शामिल है। इसी धरती ने हमें वीर शिवाजी, चन्द्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, राणा सांगा, वीर अशोका जैसे महान पुरुष दिए।

(4) भारत के लोग भले ही खूब पढ़ लिख लिए हो। भले ही वह अमेरिका या इंग्लैंड नौकरी करने के लिए जा रहे हो। पर इतना सबकुछ होने के वाबजूद उन्होंने अपने मूल्यों को नहीं खोया है। वह भारतीय संस्कृति को आज भी सहेजे हुए है।

(5) पूरी दुनिया में हमारा ही देश एक ऐसा देश है जहां पर सभी लोग एक दूसरे के साथ सद्भावना से रहते हैं। भले ही हमारे देश के हर हिस्से की अलग वेषभूषा या खानपान अलग हो। पर सभी लोगों को यह अच्छे से पता है कि उनको एकता के साथ कैसे रहना है।

(6) हमारे देश की संस्कृति में सबसे अधिक महत्व अगर किसी चीज को दिया जाता है तो वह है उदारता और दयालुता। हमारा देश उदार देशों में से एक गिना जाता है। हम सभी भारतीयों के मन में दया भाव सबसे ऊपर स्थान पर रहता है।

(7) हमारे देश की संस्कृति की खास बात यह है कि हमारे देश में आध्यात्मिकता हर एक मनुष्य के दिल में बसती है। आध्यात्मिकता हमारे देश में हज़ारों वर्षों से चलती आ रही है।

भारतीय संस्कृति का मुख्य आधार क्या है?

भारतीय संस्कृति को दुनिया की प्राचीन संस्कृतियों में से एक गिना जाता है। हमारी संस्कृति और सब से बहुत खास है। हमारी संस्कृति का मुख्य आधार यह है कि हम जिसके साथ भी रहे, हम एकदम घुल मिलकर और प्रेम के साथ रहें। हमारी संस्कृति में कोई भी तरह का दिखावा नहीं किया जाता है। हम भारतीयों में एक चीज खास यह है कि हम दूसरे देशों के लोगों की तरह दिखावा नहीं करते हैं।

हमारे अंदर अच्छा व्यवहार का एक बड़ा गुण होता है। हम किसी से भी भेदभाव नहीं करते हैं। हमें यह भी सिखाया जाता है कि अहिंसा करना बहुत गलत बात होती है। गौतम बुद्ध ने हमें यही सिखाया कि हमें अहिंसा का मार्ग अपनाना चाहिए। हमारे संस्कृति में बड़ों को बहुत महत्व दिया जाता है। हमें बचपन से यह सिखाया जाता है कि हमें अपने बड़ों का सम्मान और आदर करना चाहिए। यह हमारी ही संस्कृति ही होती है जहां पर अपनो से बड़ों के पांव छूना अच्छा माना जाता है।

बड़ों के पांव छूने से हमारे कोई बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं। हमारी संस्कृति हमें यह भी सिखाती है कि हमें उदारता के साथ अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। दिल हमेशा बड़ा होना चाहिए। हम किसी के हित में कोई काम करे तो इससे बेहतर और क्या हो सकता है। किसी से भी बैर और घृणा का भाव नहीं रखना चाहिए। इन सभी चीजों का पालन करके ही एक इंसान सच्चे रूप में महान बन सकता है।

भारतीय संस्कृति में ज्ञान और वेद

हमारे संस्कृति में ज्ञान का बहुत बड़ा महत्व रहा है। हमारे देश में कितने ही महापुरुषों ने समय-समय पर हर प्रकार का ज्ञान दिया है। विद्या हमारे जीवन का एक जरूरी हिस्सा है। बिना ज्ञान के हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते हैं। हमारी संस्कृति को वेद के बिना अधूरा ही माना जाता है।

वेद हमारे संस्कृति के अभिन्न अंग है। वेद को हम एक हिसाब से भारत का सबसे पुराना साहित्य ही मान सकते हैं। वेद का अर्थ क्या होता है। जब हमें किसी विषय के बारे में गहराई से जानना होता है तो हमें उस विषय पर ज्ञान होना जरूरी होता है। हमारी भारतीय में धार्मिक ज्ञान को जानना बहुत अच्छा माना जाता है। वेद का अर्थ होता है ज्ञान।

भारतीय संस्कृति में कितने वेद हैं?

जब एक मनुष्य को किसी चीज का गहरा ज्ञान होता है तो वह वेद कहलाया जाता है। हमारे ऋषि मुनियों ने ही वेद तैयार किए थे। वेद भारत के साहित्य के प्राचीनतम ग्रंथ हैं। कहा जाता है भगवान विष्णु ने चार महर्षियों जिनके नाम – अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा था, उनकी आत्माओं को क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का ज्ञान दिया।

यह ज्ञान बाद में इनके द्वारा ब्रम्हा जी को कहा गया । क्योंकि इस ज्ञान को सुना गया था इसीलिए इसका नाम श्रुति भी पड़ा। इस ज्ञान को सुनकर ही भगवान ब्रह्मा ने लिखा। वेद को चार भागों मैं बांटा जा सकता है। यह चार है – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। सब वेदों में ज्ञान को मन्त्रों मैं लिखा गया है।

इन वेदों में सबसे पुरानी ऋग्वेद है। इसे स्तुति का ज्ञान कहा जा सकता है। इसमें मन्त्रों की संख्या लगभग 10552 है। दस मंडल (अध्याय) है। इसमें इसमें देवताओं की प्रशंसा में मंत्र लिखे हुए हैं।

यजुः अर्थात्‌ पूजा, तो यजुर्वेद का अर्थ पूजा का ज्ञान कहा जा सकता है। इसमे 40 अध्याय है और 1975 मंत्र है। इसमें यज्ञ और अनुष्ठानों के बारे में ज्ञान है।

सामवेद को हम गीतों का ज्ञान कह सकते हैं। यह मंत्रों का भंडार है। हालांकि इसमे लिखे गए 75 मंत्र को छोडकर सारे मंत्र ऋग्वेद के ही है। इसमे 6 अध्याय हैं और 1875 मंत्र हैं।

चौथा वेद अथर्ववेद संपूर्ण ज्ञान का भंडार है। इसमे 20 अध्याय है और 5977 मंत्र। इसमें देवताओं की प्रशंसा में लिखे गए मंत्र के साथ-साथ, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन, और दैनिक अनुष्ठान जैसे – विवाह और अंत्येष्टि में दीक्षा आदि के भी मन्त्र शामिल है।

भारतीय संस्कृति का खान-पान

भारत का जो खानपान होता है वह कहीं और नहीं होता है। भारतीय थाली बहुत ही स्वादिष्ट और पोष्टिक होती है। भारतीय पकवान में मिर्च मसाले बहुत अच्छी मात्रा में डाले जाते हैं। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक मिर्च मसालों का बेहतरीन तरीके से उपयोग किया जाता है। हमारे देश में अधिकतर लोग शाकाहारी होते हैं।

भारत में कम ही लोग मांसाहारी होते हैं। हमारे देश में इडली, डोसा, करी, गुलाबजामुन, खिचड़ी आदि बड़े ही चाव से खाए जाते हैं। भारत में समोसा और कचौड़ी भी बड़ी ही पसंद से खाए जाते हैं। दुनियाभर के लोग भी भारतीय व्यंजनों के मुरीद होते हैं। विदेशी लोग भारतीय खाने को पूरे मन से खाते हैं। भारतीय व्यंजन थोड़ा तीखा ही होता है। पर ऐसा नहीं है कि भारतीय व्यंजन हमेशा तीखा होता है, वह मीठा भी होता है।

हम अपनी संस्कृति को कैसे बचा सकते हैं?

हमारी संस्कृति दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्कृतियों में से एक गिनी जाती है। यह हर जगह हमारी शोभा बढ़ाती है। आज हम अपनी संस्कृति की वजह से ही अस्तित्व में है। पर आज के समय में संकट आ गया है हमारी संस्कृति को बचाने का। तो आइए हम जानते हैं कि हम अपनी संस्कृति कैसे बचा सकते हैं-

(1) अपनी भाषा को सहेजकर– आज के समय में यह बहुत ही जरूरी हो गया है कि हम अपनी भाषा को लेकर गर्व महसूस करे। आज के समय में हम हिंदी को हीन भावना की नजरों से देखते हैं। हम अंग्रेज़ी को ज्यादा महत्व देते हैं। बल्कि होना यह चाहिए कि हमें हिंदी भाषा को सम्मान की नजरों से देखना चाहिए।

(2) हमारी पारंपरिक वेशभूषा- हमें इज्जत और पहचान अपनी वेषभूषा की वजह से ही मिलती है। आज के समय में इस बात को लेकर लोग जागरुक नहीं रहे हैं। आप आज हर किसी को पारंपरिक वेशभूषा यानि कि साड़ी और कुर्ता पाजामे में नहीं देखते। लोग इन परिधानों को पहन कर शर्मिंदगी महसूस करते हैं। पर हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि साड़ी या फिर कुर्ता-पायजामा पहनने से हमारा रुतबा कम नहीं होगा।

(3) भारतीय खानपान- आजकल के बच्चों को ना जाने क्या हो गया है कि वह मैगी और चाऊमीन को लेकर ज्यादा उत्साहित रहते हैं। वह अपनी पारंपरिक थाली को मानो भूल ही गए हैं। पर हमें अपने आने वाली पीढ़ी को भारतीय खानपान से ज्यादा जुड़ाव करवाना होगा। भारतीय खानपान हमारी संस्कृति की शान है।

भारत की संस्कृति पर निबंध 200 शब्दों में

हमारा देश दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है। इस देश की जनसंख्या चीन से भी आगे निकल चुकी है। तब भी हमारा देश दूसरे देशों की तुलना में आज भी बहुत अच्छा माना जाता है। हमारे देश की संस्कृति महान संस्कृतियों में से एक मानी जाती है। हमारे देश का इतिहास 6000-7000 वर्ष पुराना है।

यह देश महान ऋषि मुनियों का देश है। यहां पर तुलसीदास, कालिदास, मीराबाई जैसे महान लोगों ने जन्म लिया था। इस देश में 22 प्रकार की भाषाएँ बोली जाती है। इस देश का खानपान और पहनावा बहुत ही अच्छा होता है। इस देश में अलग अलग जाति पंथ के लोग निवास करते हैं। जैसे सिख, ईसाई, हिंदू और मुसलमान। यह सभी लोग मिलजुलकर प्रेम से रहते हैं। हमारे देश में अनेकों त्यौहार मनाए जाते हैं जैसे होली, दिवाली, क्रिसमस और ईद।

यह सभी त्यौहार रंग बिरंगे होते हैं। देश की सबसे पहली सभ्यता सिंधु घाटी मानी जाती है। इसके अलावा नर्मदा घाटी सभ्यता, महानदी सभ्यता, दक्षिण भारत की सभ्यता और गंगा सभ्यता भी हमारी पुरानी सभ्यताएं है। हमारे देश पर कई विदेशी आक्रमणकारियों ने राज किया है। हमारी वास्तुकला भी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वास्तुकला मानी जाती है। हमारे देश में लोग अपने बड़ों का सम्मान करते हैं। जब भी कोई लोग हमारे देश में मेहमान बनकर आते हैं तो उन मेहमानों को अतिथि माना जाता है। यहां मेहमानों को अतिथि देवो भव की संज्ञा दी जाती है।

भारत की संस्कृति पर 10 लाइनें

  1. हमारे देश की सभ्यताओं को दुनिया की पुरानी सभ्यताओं में से एक माना जाता है।
  2. हमारे देश में अनेकों त्यौहार मनाए जाते हैं जैसे होली, दिवाली, जन्माष्टमी, ईद, क्रिसमस आदि।
  3. हमारे देश की राजभाषा हिंदी को मानी जाती है। हिंदी बहुत प्यारी भाषा है।
  4. देश में अलग जाति धर्म के लोग रहते हैं। जैसे हिंदू, ईसाई, सिख और मुस्लिम।
  5. हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था।
  6. हमारे देश में अलग प्रकार का खानपान और विभिन्न तरह की वेषभूषा होती है।
  7. हमारे देश में मेहमानों को अतिथि देवो भव की संज्ञा दी जाती है।
  8. हमारे देश में अनेकों महापुरुषों ने जन्म लिया। जैसे महाराणा प्रताप, महात्मा गाँधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह आदि।
  9. हमारे देश में सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय थे जैसे कि नालंदा विश्वविद्यालय और तक्षशिला विश्वविद्यालय।
  10. हमारे देश का प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी है।

निष्कर्ष

भले ही हम भारतीयों की वेशभूषा और खानपान कितना ही अलग हो, पर हम सभी के दिल एक ही होते हैं। तो आज के इस निबंध के माध्यम से हमने जाना कि हमारी भारतीय संस्कृति आखिर कैसी होती है। हमने इसी निबंध के माध्यम से भारतीय संस्कृति के चार प्रकार के वेदों के बारे में भी जाना। हम यह आशा करते हैं कि आपको हमारे द्वारा लिखा गया यह निबंध पसंद आया होगा।

भारतीय संस्कृति पर FAQs

Q1. भारत की पारंपरिक पोशाक कौन सी होती है?

A1. भारत की पारंपरिक पोशाक साड़ी होती है। यह सदियों से चली आ रही एक लोकप्रिय पोशाक है।

Q2. भारतीय संस्कृति का मुख्य आधार क्या है?

A2. हमारी संस्कृति और सब से बहुत खास है। हमारी संस्कृति का मुख्य आधार यह है कि हम जिसके साथ भी रहे, हम एकदम घुल मिलकर और प्रेम के साथ रहें। हमारी संस्कृति में कोई भी तरह का दिखावा नहीं किया जाता है। हम भारतीयों में एक चीज खास यह है कि हम दूसरे देशों के लोगों की तरह दिखावा नहीं करते हैं। हमारे अंदर अच्छा व्यवहार का एक बड़ा गुण होता है।

Q3. वेद का अर्थ क्या होता है?

A3. वेद का अर्थ होता है ज्ञान। मतलब जब एक मनुष्य को किसी चीज का गहरा ज्ञान होता है तो वह वेद कहलाया जाता है। हमारे ऋषि मुनियों ने ही वेद तैयार किए थे। वेद भारत की साहित्य के प्राचीनतम ग्रंथ हैं।

Q4. भारत में कौन सा शहर संस्कृति में समृद्ध है?

A4. भारत का मैसूर जो कि कर्नाटक में स्थित है वह शहर हर तरह की संस्कृति में समृद्ध है।

Q5. कौन-सा भारतीय राज्य बिहू को लोक नृत्य के रूप में मनाता है?

A5. बिहार एक ऐसा राज्य है जो बिहू को लोक नृत्य के रूप में मनाता है।

Q6. राजा रवि वर्मा कौन थे?

A7. राजा रवि वर्मा एक शानदार और महान पेंटर था। उसने हिंदू महाकाव्यों और धर्मग्रन्थों के ऊपर खूब शानदार चित्र बनाए।

Leave a Reply