प्रश्न अभ्यास
प्रश्न -1. पुस्तक के पहले अध्याय के पहले अनुच्छेद में लेखक ने सजीव ढंग से अवध की तसवीर प्रस्तुत की है। तुम भी अपने आसपास की किसी जगह का ऐसा ही बारीक चित्रण करो। यह चित्रण मोहल्ले के चबूतरे, गली की चहल-पहल, सड़क के नज़ारे आदि किसी का भी हो सकता है जिससे तुम अच्छी तरह परिचित हो।
उत्तर :- हाँ, मैं मेरे मोहल्ले को बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ। हमारा मोहल्ला हरियाणा में ज़िला हिसार में विकसित है। यह एक कोचिंग सेंटर के साथ विकसित है। यहाँ पर बड़ी बड़ी बिल्डिंग, थोड़े बड़े क्षेत्र में पार्क विकसित है। इस पार्क में सुबह श्याम हलचल रहती है। सभी बच्चे आपस में खेलते रहते है।फिर थोड़ी दूर खाने पीने की चीजो के लिए स्टाल लगी हुई है। जहाँ हर समय भीड़ भाड़ होती रहती है। वहां पर पास में एक मंदिर भी है। जो कि बहुत ही श्रद्धालु वाली जगह मानी जाती है। यहाँ की सड़के चौडी है। रात के समय के लिए स्ट्रीट लैंप भी है। यहाँ एक फूलो का बागीचा भी है। यहाँ सिर्फ शहर के लोग ही नहीं गांव के लोग भी बस्ते है। और किसी को कुछ समस्या भी नहीं होती। सब मिल जुल कर रहते है। सभी बच्चे एक साथ प्यार से खेलते है। हम सारे त्यौहार भी मिल जुल कर एक साथ मनाते है। कभी थोडी बहुत तनाव हो जाता है तो भी एक दो दिन में सब बातें भूल जाते है। हमारा मोहल्ला बहुत खुशहाल है।
प्रश्न -2. विश्वामित्र जानते थे कि क्रोध करने से यज्ञ पूरा नहीं होगा। इसलिए वे क्रोध को पी गए। तुम्हें भी कभी-कभी गुस्सा आता होगा। तुम्हें कब-कब गुस्सा आता है और उसका क्या परिणाम होता है ?
उत्तर :- हा, हमें भी कभी कभी गुस्सा आ जाता है। वैसे तो मैं बहुत ही शांत स्वभाव का हूँ। कभी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करता। सबसे प्यार से बात करता हूँ। लेकिन जब हम किसी की कहीं हुई सारी बात मानते है उनके साथ अच्छा व्यवहार करते है और जब वही इंसान हमारी बात ना माने तो मुझे बहुत गुस्सा आता है। फिर मुझे सबसे नाराजगी हो जाती है। मैं किसी से बात नहीं करता। किसी से भी बात करना अच्छा नहीं लगता। ना हि किसी पर विश्वास करना अच्छा लगता। नराजगी और गुस्से में सब बुरे लगते है।परिणाम में हर किसी से नफ़रत हो जाती है।
प्रश्न -3. राम और लक्ष्मण ने महाराज दशरथ के निर्णय को खुशी-खुशी स्वीकार किया। तुम्हारी समझ में इसका क्या कारण रहा होगा?
उत्तर :- राम और लक्ष्मन बहुत ही शांत स्वभाव के थे। वे सिर्फ अपने माता पिता का ही नहीं बल्कि सबका आदर सम्मान करते थे। तो फिर अपने पिता की हर बात मानना तो उनके लिए पत्थर की लकीर था। उन्हें अपनी सारी परम्पराओ का अच्छे से ज्ञान था। सारे नियमो, रीती रिवाजो का पालन करना अच्छे से आता था तो अपने पिता की बातों को मानना उनके लिए एक जन्मसिध् अधिकार था। इसलिए राम और लक्ष्मण ने महाराज दशरथ के निर्णय को ख़ुशी-खुशी बिना किसी द्वेष भाव के स्वीकार कर लिया।
प्रश्न -4. विश्वामित्र ने कहा, ”ये जानवर और वनस्पतियाँ जंगल की शोभा हैं। इनसे कोई डर नहीं है।” उन्होंने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर :- जानवर और वनस्पतियाँ हमारे लिए प्रकृति के समान है। हम इस धरती पर जैसे प्रकृति के बिना नहीं रह सकते उसी तरह जानवर और वनस्पतियाँ हमारे लिए मह्त्व रखते है और हमारी जंगल की शोभा बढ़ाते है। हमारी प्रकृति की रौनक को यही तो बढ़ाते है। हमारी प्रकृति को बिना जानवर और वनस्पति के महसूस करना अज़ीब सा लगता है क्योंकि यही तो हमारे जीवन का आधार है इसलिए विश्वामित्र ने कहा कि इनसे डरना नहीं चहिए। सार्थक शब्दो में हमें इन्हें अपनाना चहिए।
प्रश्न -5. लक्ष्मण ने शूर्पणखा के नाक-कान काट दिए। क्या ऐसा करना उचित था? अपने उत्तर का कारण बताओ।
उत्तर :- शूर्पणखा रावण की बहन थी। जंगल में लक्ष्मण को देख कर वो उन पर मोहित हो गई थी। उनके मन में लक्ष्मण को अपना पति बनाने की इच्छा जागृत हुई। शूर्पणखा लक्ष्मण से विवाह करना चाहती थी। जैसे ही शूर्पणखा ने लक्ष्मण के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा लक्ष्मण ने उनकी नाक काट दी। जो कि एक उचित कार्य नहीं था। चाहे कोई कैसा भी हो, हमें उनका सम्मान करना चहिए। और औरते तो देवी के सामान पूजी जाती है। लक्ष्मण जी शूर्पणखा को बात करके समझा सकते थे अगर उन्हें विवाह नहीं करना था। ऐसे उनकी बेइज़्ज़त्ती नहीं करनी थी। फिर भी वो अगर नहीं मानती तो दंड दे सकते थे। लेकिन दंड में भी नाक काटना सही नहीं था।
प्रश्न -6. विश्वामित्र और कैकेयी दोनों ही दशरथ को रघुकुल के वचन निभाने की प्रथा याद दिलाते हैं। तुम अपनी मदद से बताओ कि क्या दिया हुआ वचन हमेशा संभव होता है।
उत्तर :- पहले के समय में वचनो को पूरा करना हर चीज़ से पहले माना जाता था। वचन पूरा करने के लिए लोग अपनी जान भी दे देते थे। लेकिन सबसे पहले तो हमें ये ध्यान रखना कि हमें किसे और क्या वचन दे रहे हैं। लेकिन परिस्थिति के हिसाब से ही वचन पूरा करने के बारे मैं सोचना चहिए। जैसे मैंने एक बार मेरी बहन से वादा किया था कि जब मेरी सेलरी आ जाएगी तो मैं तुम्हें एक नई ड्रेस लाकर दूगी लेकिन मेरे पैसे कहीं और खर्च हो गए और जिस दिन उसे जररूत थी उस दिन मेरे पास पैसे नहीं थे। और मैं अपना वचन पूरा नहीं कर पाया। हमें वचन निभाना परिस्तिथियों के हिसाब से देखना चहिए क्योंकि हम इसके लिए खुद का स्वाभिमान भी नहीं गिरा सकते।
प्रश्न -7. मान लो कि तुम्हारे स्कूल में रामकथा को नाटक के रूप में खेलने की तैयारी चल रही है। तुम इस नाटक में उसी पात्र की भूमिका निभाना चाहते हो जो तुम्हें सबसे ज़्यादा अच्छी, दिलचस्प या आकर्षक लगती है। वह पात्र कौन सा है और क्यों ?
उत्तर :- अगर कभी ऐसा संभव होता तो मैं हनुमान जी की भूमिका निभाना पसंद करता। हनुमान जी जैसा रामभक्त कहीं नहीं हो सकता ना कभी होगा। हनुमान जी योद्धावादी थे। हर समय राम लक्ष्मण के साथ रहे।उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ा। सीता जी को घर वापस लाने में पूरी मेहनत लगा दी। हनुमान जी ने बिना किसी स्वार्थ के जितना हो सकते राम लक्ष्मण की मदद की। हनुमान जी ने सबके प्रति सेवाभाव रखा। इसलिए मैं हर बार उन्हीं की भूमिका निभाना चाहूँगा।
प्रश्न -8. सीता बिना बात के राक्षसों के वध के पक्ष में नहीं थीं, जबकि राम राक्षसों के विनाश को ठीक समझते थे। तुम किससे सहमत हो-राम से या सीता से? कारण बताते हुए उत्तर दो।
उत्तर :- हमें हमेशा जितना हो सके शांत स्वभाव का रहना चाहिए। बिना वजह कभी किसी से झगडना नहीं चाहिए। और यहाँ तो बात बिना वजह राक्षसों का वध करने की थी। एक तो हमें कभी बिना बात के लड़ना ही नहीं चाहिए और किसी का ऐसे वध करदेना बिल्क़ुल ही गलत है। इसलिए मैं सीता से सहमत हूँ।
प्रश्न -9. रामकथा के तीसरे अध्याय में मंथरा कैकेयी को समझाती है कि राम को युवराज बनाना उसके बेटे के हक में नहीं है। इस प्रसंग को अपने शब्दों में कक्षा में नाटक के रूप में प्रस्तुत करो।
उत्तर :- मंथरा :- रानी, अब क्या आप सोए ही रहोगे।
कैकेयी :- क्या हुआ? क्यूँ इतना शोर मचा रही हो।
मंथरा :- आप यहाँ सो रही हो और आपके पीछे से राजमहल में पता है क्या हो गया।
कैकेयी :- क्या हुआ?तुम इतनी परेशान क्यूँ हो।
मंथरा :- कल राम का राज्याभिषेक है और तुम्हें कुछ पता ही नहीं।
कैकेयी :- अरे, यह तो बहुत अच्छा समाचार है और राम इसके योग्य भी है।
मंथरा :- रानी, तुम तो बोली हो तुम्हें कुछ नहीं पता। अगर राम को राजगद्दी दे दी गई तो तुम कौशल्या की दासी बन जाओगी।
कैकेयी :- ये तो तुम सत्य कह रही हो, अब मैं क्या करुँ।
मंथरा :- याद है महाराज ने आपसे दो वरदान पूरा करने का वादा किया था तो तुम यह वरदान अब पूरा करवालो। और राम की जगह भरत को राजगद्दी दिलाने की मांग करो और राम को 14 वर्ष का वनवास दिलाओ।
कैकेयी:- अच्छा ठीक है, मैं तैयारी करती हूँ।
प्रश्न -10. तुमने ‘जंगल और जनकपुर’ तथा ‘दंडक वन में दस वर्ष’ में राक्षसों द्वारा मुनियों को परेशान करने की बात पढ़ी। राक्षस ऐसा क्यों करते थे? क्या यह संभव नहीं था कि दोनों शांतिपूर्वक वन में रहते? कारण बताते हुए उत्तर दो।
उत्तर :- राक्षसों को विध्वंस का प्रतीक माना जाता है। राक्षसों को आतंक फैलाने के अलावा कुछ आता ही नहीं था। वे जहाँ भी किसी हॅसते हुए व्यक्ति या बच्चे को देखते उसे परेशान करना शुरू कर देते। उनसे किसी की ख़ुशी बर्दाश नहीं होती थी। उन्हें तो ऐसा लगता था कि उनका जन्म तो जैसे लॉगो को परेशान करने के लिए हुआ था। उन्हें शांत, प्यार की भावना समझ नहीं आती थी तो इस परिस्थिति में वो किसी के साथ शांतिपूर्ण भाव से कैसे रह सकते थे। वे निर्दोष व्यक्तियों का अपमान करते उन्हें सजा देते, मारने से भी नहीं चुकते थे।
प्रश्न -11. हनुमान ने लंका से लौटकर अंगद और जामवंत को लंका के बारे में क्या-क्या बताया होगा?
उत्तर :- हनुमान ने लौटकर जरूर लंका का हाल सुनाया होगा। लंका की हर एक ख़ूबसूरती का वर्णन किया होगा। ऐसा बताया होगा की लंका पूरी तरह सोने से निर्मित है, इसलिए तो उसे सोने की लंका कहते थें। वहां की एक एक ईमारत दिल छुने जैसी थी। चारों तरफ उद्यान थें। फूलो की सुंदरता मन को लुभा रही थी। रात्रि के समय लंका जगमगाने लगती थी। उन्होंने अंत में यह भी बताया होगा कि सीता माँ उन्हें मिल गई।
प्रश्न -12. तुमने बहुत सी पौराणिक कथाएँ और लोक कथाएँ पढ़ी होंगी। उनमें क्या अंतर होता है? यह जानने के लिए पाँच पाँच के समूह में कक्षा के बच्चे दो-दो पौराणिक कथाएँ और लोक कथाएँ इकट्ठा करें। कथ्य (कहानी), भाषा आदि के अनुसार दोनों प्रकार की कहानियों का विश्लेषण करें और उनके अंतर लिखें।
उत्तर :- धर्म ग्रंथो और पुराणो में वर्णित कथायें पौराणिक कथायें है। उस समय में 18 पुराण माने गए है जिनमें सभी देवी देवताओं के बारे में बताया गया है। लोक कथायें लॉगो के जीवन पर ही आधारित होती है।लोगों के जीवन के बारे में, उनके रीती रिवाजो के बारे में उनके रहन सहन, अर्थात हर एक चीज़ के बारे में बताया जाता है। हमें पहले वाले जीवन के बारे में अच्छे से तो नहीं पता होता लेकिन हम बस थोड़ी बहुत कल्पना का सहारा लेकर लोक कथाओं और पौराणिक कथाओं के बारे में बता सकते है। लोक कथायें आम भाषा में ही लिखी जाती है जिन्हें पढ़ना और समझना आसान होता है।
प्रश्न -13. क्या होता यदि-
(क) राजा दशरथ कैकेयी की प्रार्थना स्वीकार नहीं करते।
(ख) रावण ने विभीषण और अंगद का सुझाव माना होता और युद्ध का फैसला न किया होता।
उत्तर :- (क) यदि राजा दशरथ कैकेयी की प्रार्थना स्वीकार नहीं करते तो राम का राज्याभिषेक हो जाता। सब खुश होते। ना हि राम, सीता और लक्ष्मण को वनवास जाना पड़ता। उन्हें इतनी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। और यह भी होता कि राजा दशरथ अगर वादा पूरा नहीं करते तो कोई भी उनका सम्मान नहीं करता, फिर तो शायद कोई भो अपना वचन पूरा करना मह्त्वपूर्ण समझता ही नहीं। और ना ही वनवास की वजह से सीता का हरण होता।
(ख) यदि रावण ने विभीषण और अंगद का सुझाव माना होता तो इतना बड़ा युद्ध नहीं होता। ना इतना ज्यादा खून खराबा होता। सभी राक्षस जीवित रहते और रावण के पुत्र भी इस दुनिया से नहीं जाते। और सीता भी जल्द ही वापिस आ जाती।
प्रश्न -14.नीचे कुछ चारित्रिक विशेषताएँ दी गई हैं और तालिका में कुछ पात्रों के नाम दिए गए हैं। प्रत्येक नाम के सामने उपयुक्त विशेषताओं को छाँटकर लिखो।
पराक्रमी, साहसी, निडर, पितृभक्त, वीर, शांत, दूरदर्शी, त्यागी, लालची, अज्ञानी, दुश्चरित्र, दीनबंधु, गंभीर, स्वार्थी, उदार, धैर्यवान, अड़ियल, कपटी, भक्त, न्यायप्रिय और ज्ञानी।
राम …….
सीता ……..
लक्ष्मण ……..
विभीषण ……….
हनुमान ……..
कैकेयी ………
रावण ………
भरत ……..
उत्तर :- राम – पराक्रमी, साहसी, निडर, पितृभक्त, वीर, शांत, त्याग, दीनबंधु, उदार, गंभीर, धैर्यवान, न्यायप्रिय और ज्ञानी।
सीता – त्याग, उदार, अड़ियल, शांत
लक्ष्मण – साहसी, पराक्रमी, निडर, पितृभक्त, वीर, त्यागी, दूरदर्शी, भक्त, ज्ञानी।
विभीषण – दूरदर्शी, साहसी, निडर, वीर, त्याग, गंभीर, भक्त, ज्ञानी।
हनुमान – पराक्रमी, वीर, साहसी, बली, निडर, शांत, धैर्यवान, भक्त, ज्ञानी।
कैकेयी – लालची, अज्ञानी, अड़ियल, स्वार्थी, कपटी।
रावण – घमंडी, दुश्चरित्र, पराक्रमी, साहसी, निडर, अज्ञानी, अड़ियल, कपटी।
भरत – त्यागी, भक्त, ज्ञानी, गंभीर, उदार, धैर्यवान, न्यायप्रिय, उदार।
प्रश्न -15.तुमने अपने आस-पास के बड़ों से रामायण की कहानी सुनी होगी। रामलीला भी देखी होगी। क्या तुम्हें अपनी पुस्तक रामकथा की कहानी और बड़ों से सुनी लक्ष्मण की कहानी में कोई अंतर नज़र आया? यदि हाँ तो उसके बारे में कक्षा में बताओ।
उत्तर :- रामकथा की कहानी और हमारे बड़े बुजुर्गो द्वारा सुनाई गई कहानी में ज्यादा अंतर है ही नहीं। लगभग हर गाथा सामान ही है।जैसे राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के बीच का प्यार, राम का सीता से विवाह, राम के राज्याभिषेक में विपत्तियाँ, राम का वनवास, राम का हनुमान से मिलाप, लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाना, सीता की खोज में निकलना , रावण का अंत होना लेकिन जब रामायण के बारे में रामलीला में नाटक प्रस्तुत करते समय अच्छे से नहीं वर्णन कर पाते।
प्रश्न -16. रामकथा में कई नदियाँ और स्थानों के नाम आए हैं। इनकी सूची बनाओ और एटलस में देखो कि कौन-कौन सी नदियाँ और जगहें अभी भी मौजूद हैं। यह काम तुम चार-चार समूह में कर सकते हो।
उत्तर :- नदियों के नाम- सरयू, गंगा, गोदावरी, गंडक तथा गोमती और सोन।
स्थानों के नाम- इस कथा में स्थानों के नाम हैं-अयोध्या, मिथिला, चित्रकूट, किष्किंधा, कैकेय राज्य, दंडक वन, श्रृंगवेरपुर, विंध्याचल, प्रयाग।
प्रश्न -17.यह राम कथा वाल्मीकि रामायण पर आधारित है। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के बारे में जानकारी इकट्ठी करो और उसे चार्टपेपर पर लिखकर कक्षा में लगाओ। जानकारी प्रस्तुत करने में निम्नलिखित बिंदु हो सकते हैं|
राम कथा का नाम, रचनाकार का नाम, भाषा/प्रांत
उत्तर :- कथा का नाम- रामचरितमानस
रचनाकार का नाम- गोस्वामी तुलसी दास
भाषा/- इसमें अवधी भाषा का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न -18. नगर में बड़ा समारोह आयोजित किया गया। धूमधाम से।” (पृष्ठ-3)
‘एक दिन ऐसी ही चर्चा चल रही थी। गहन मंत्रणा’। (पृष्ठ-4)
‘पाँच दिन तक सब ठीक-ठाक चलता रहा। शांति से निर्विघ्न।’ (पृष्ठ-10)
रामकथा की इन पंक्तियों में कुछ वाक्य केवल एक या दो शब्दों के हैं। ऐसा लेखक ने किसी बात पर बल देने के लिए, उसे प्रभावशाली बनाने के लिए या नाटकीय बनाने के लिए किया है। ऐसे कुछ और उदाहरण पुस्तक से छाँटो और देखो कि इन एक-दो शब्दों के वाक्य को पिछले वाक्य में जोड़कर लिखने से बात के असर में क्या फर्क पड़ता है। उदाहरण के लिए-
‘पाँच दिन तक सब शांति से निर्विघ्न और ठीक-ठाक चलता रहा।
उत्तर :-1. कैकेयी ने महाराज दशरथ से राज्य प्राप्त करने का जो तरीका अपनाया वह अनुचित और निर्मम था।
2. रावण ने सीता को आभूषण फेकने से नहीं रोका। उसे लगा की सीता शौक में ऐसा कर रही है।
3. मैं राम के लौटने की प्रतीक्षा करूँगा। चौदह वर्ष।
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