एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी दूर्वा पाठ 6 गारो

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NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva Chapter 6 गारो

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कक्षा : 7
विषय : हिंदी (दूर्वा भाग -2)
अध्याय : 6 (गारो
)

प्रश्न अभ्यास

1 . पढ़ो और समझो

जन + जाति = जनजाति

शांति + प्रिय = शांतिप्रिय

महा + पुरुष = महापुरुष

मित्रता + पूर्ण = मित्रतापूर्ण

उत्तर :- हमें इन शब्दों को पढ़ने और समझने का प्रयास करना है।

2. पाठ संबंधी प्रश्न :-

(क) पाठ के आधार पर गारो जनजाति के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखो।

उत्तर :- मेघालय राज्य की एक प्रमुख जनजाति है गारो। ये लोग स्वभाव से शांतिप्रिय और परिश्रमी है। इन्हें प्रकृति से बहुत प्रेम है। कहा जाता है कि हजारों साल पहले गारो लोगों के पूर्वज चीन और तिब्बत की ओर घटियों में इधर-उधर भटकते रहते थे। जहाँ खाने-पीने का साधन मिलता वही रुक जाते।

(ख) गारो लोग एक स्थान पर क्यों बस जाना चाहते थे ?

उत्तर :- उनके इस तरह इधर-उधर भटकने के जीवन को खानबदोष जीवन कहा जाता था। वे खुद इस जीवन से तंग आ चुके थे। क्योंकि जब भी इन्हें भोजन की कठिनाई होती इन्हें फिर से एक नए स्थान पर जाना पड़ता। भोजन की तालाश में इधर-उधर भटकने के अतिरिक्त इन्हें मौसम और जंगली जानवरों का भी सामना करना पड़ता था। इसलिए वे एक स्थान पर बसना चाहते थे। वे भी अपने लिए एक खुशहाल जीवन चाहते थे।

(ग) जा पा जलिन पा और सुक पा बुंगि पा का नाम आदर से क्यों लिया जाता है ?

उत्तर :- समाज में जा पा जलिन पा और सुक पा बुगि पा का जन्म हुआ था। इन दो महापुरुषों ने अपने लोगों की परेशानियों को देखा और समझा। दोनों ने गारो लोगों को उस विषम परिस्थिति से निकालकर कहीं अच्छे स्थान पर ले जाने का फैसला किया। दोनों महापुरुषों ने गारों लोगों को एकत्रित किया। उन्होंने बताया कि वे उन्हें एक सुंदर स्थान पर ले जाएँगे। गारो लोग उनका बहुत सम्मान करते थे। सभी लोगों ने उनकी बात मान ली। कहा जाता है कि जलिन पा और बुगि पा इतने निडर और प्रभावशाली व्यक्ति थे कि जंगलों के जानवर भी उनकी आहट या आवाज सुनकर भागने लगते थे। वे भयंकर तूफ़ानों में भी सही मार्ग और दिशा का पता लगा लेते थे। रात में भी उन्हें अपने साथियों का मार्गदर्शन करने में कभी परेशानी नहीं होती थी। अपने सहज बोध और विवेक द्वारा वे आने वाले संकट का पूर्वानुमान कर लेते और अपने साथियों को मुसीबतों से बचा लेते। इसलिए सब उनको मानते थे और उनका नाम भी आदर से लेते थे।

3. सोचो और जवाब दो:-

(क) जंगलों से हमें कौन-कौन सी चीज़ें प्राप्त होती हैं ?

उत्तर:- जंगलो में हमें पेड़ – पौधे, लकड़ी, फल–फूल प्राप्त होते है।

(ख) गारो पहाड़ किस प्रदेश में हैं ? मानचित्र पर उस प्रदेश का नाम लिखो।

उत्तर:-  गारो पहाड़ मेघालय में है।

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4. कुछ यह भी करों:-

(क) अपने प्रदेश या किसी अन्य राज्य की किसी जनजाति के बारे में पता करो। उसके बारे में अपनी कक्षा में बताओ।

उत्तर :- भील मध्य भारत की एक जनजाति का नाम है। भील जनजाति भारत की सर्वाधिक विस्तृत क्षेत्र में फैली हुई जनजाति है। प्राचीन समय में यह लोग मिश्र से लेकर लंका तक फैले हुए थे। भील जनजाति के लोग भील भाषा बोलते है। भीलों का अपना एक लम्बा इतिहास रहा है। कुछ इतिहासकारों ने भीलों को द्रविड़ों से पहले का भारतीय निवासी माना तो कुछ ने भीलों को द्रविड़ ही माना है। भील लोग आम जनता की सुरक्षा करते थे और यह भोलाई नामक कर वसूलते थे।

(ख) यह पाठ एक लोककथा पर आधारित है। अगर तुमने भी कभी कोई लोककथा सुनी है तो लोककथा और सामान्य कहानी के बारे में अपनी कक्षा में चर्चा करो।

उत्तर :- एक समय की बात है कि राजा भोज और माघ पंडित सैर करने गए। लौटते समय वे रास्ता भूल गए। तब दोनों विचार करने लगे, ‘‘रास्ता भूल गए, अब किससे पूछे ?’’ तब माघ पंडित ने निवेदन किया, ‘‘पास ही एक बुढ़िया गेहूँ के खेत की रखवाली करती है, उससे पूंछे।’’ राजा भोज ने कहा, ‘‘हाँ ठीक है। चलो।’’ दोनों बुढ़िया के पास गए और कहा, ‘‘राम-राम !’’ बुढ़िया बोली, ‘‘भाई ! आओ, राम-राम !’’ तब बोले, ‘‘यह रास्ता कहाँ जाएगा ?’’ बुढ़िया ने उत्तर दिया, ‘‘यह रास्ता तो यहीं रहेगा, इसके ऊपर चलने वाले ही जाएँगे। भाई !

तुम कौन हो ?’’ ‘‘बहन ! हम तो पथिक है।’’ राजा भोज बोला।

बुढ़िया बोली, ‘‘पथिक तो दो हैं- एक तो सूरज, दूसरा चन्द्रमा। तुम कौन से पथिक हो, भाई ! सच बताओ, तुम कौन हो ?’’

‘‘बहन ! हम तो पाहुने हैं।’’ माघ पंडित बोला।

 ‘‘पाहुने दो हैं, एक तो धन, दूसरा यौवन। भाई ! सच बोलो, तुम कौन हो ?’’

 भोज बोला, ‘‘हम तो राजा हैं।’’ ‘‘राजा दो हैं- एक इन्द्र, दूसरा यमराज। तुम कौन से राजा हो ?’’ बुढ़िया बोली।

‘‘बहन ! हम तो क्षमतावान हैं।’’ माघ बोला।

 ‘‘क्षमतावान दो है एक पृथ्वी और दूसरी स्त्री । भाई तुम कौन हो ?’’ बुढ़िया बोली।

 ‘‘हम तो साधू हैं राजा भोज कहने लगा। ‘‘साधू तो दो है एक तो शनि और दूसरा सन्तोष। भाई तुम कौन हो ?’’ बुढ़िया बोली ।

‘‘बहन हम तो परदेसी हैं’’ दोनों बोले । ‘‘परदेसी तो दो है एक जीव और दूसरा पे़ड़ का पात । भाई तुम कौन हो ?’’ बुढ़िया बोली ।

‘‘हम तो गरीब हैं’’ माघ पंडित बोला। ‘‘गरीब तो दो है एक तो बकरी का जाया बकरा और दूसरी लड़की।’’ बुढ़िया बोली।

‘‘बहन  हम तो चतुर हैं’’ माघ पंडित बोला । ‘‘चतुर तो दो है एक अन्न और दूसरा पानी । तुम कौन हो सच बताओ ?’’ इस पर दोनों बोले, ‘‘हम कुछ भी नहीं जानते। जानकार तो तुम हो ।’’ तब बुढ़िया बोली, ‘‘तुम राजा भोज हो और ये पंडित माघ हैं । जाओ यही उज्जैन का रास्ता है ।

(ग) गारो लोगों ने बहुत लंबी यात्रा की थी। यदि तुमने भी कोई लंबी यात्रा की हो तो अपनी यात्रा के बारे में लिखो।

उत्तर :- मैं एक बार मेरी दादी के साथ गांव में गया था। जैसे ही हमने गांव में प्रवेश किया तो हमने एक वृद्ध व्यक्ति से पूछा कि इस गांव के लोग कैसे हैं। क्या यहां के लोग किसी की मदद करते हैं? वृद्ध ने यह सवाल सुनते ही हमसे पुछा कि पहले यह बताओ कि तुम जिस गांव में रहते थे, वहां के लोग कैसे हैं। हमने दुखी होते हुए कहा- हम जिस गांव से आ रहे है वहां के लोग बहुत बुरे हैं। उन लोगों ने कभी हमारी मदद नहीं की। हमें हमेशा भला-बुरा कहा, इसीलिए हमने वह गांव छोड़ा है। वृद्ध व्यक्ति ने यात्री से कहा कि इस गांव के लोग भी बहुत बुरे हैं। यहां कोई किसी की मदद नहीं करता। यह सुनकर हम दूसरे गांव की तरफ चलें गए। कुछ देर बाद एक और यात्री उसी गांव में आया और उस वृद्ध व्यक्ति से पूछा कि इस गांव के लोग कैसे हैं। क्या यहां रहने वाले लोग दूसरों की मदद करते है ? वृद्ध ने उससे पूछा कि तुम जिस गांव से आए हो, वहां के लोग कैसे थे। हमने खुश होकर कहा कि मैं जहां से आया हूं वहां के लोग बहुत अच्छे हैं। लेकिन हम काम की तलाश में इस गांव में आए है। वृद्ध ने यह सुनकर दूसरे यात्री से कहा कि यहां के लोग बहुत अच्छे हैं। दूसरों की मदद करते हैं। यह सुनकर हम उसी गांव में बस गए। हमें इससे यह सीख मिली की हर व्यक्ति में अच्छाइयाँ  और बुराइयाँ दोनों होती है। लेकिन अगर हम सिर्फ बुराई देखेंगे तो हम कभी खुश नहीं रह सकते।

5. बार – बार बोलों:-

वर्षो तक इस प्रकार यात्रा होती रही।

वर्षों तक इस प्रकार यात्रा होती ही रही।

नीचे लिखे वाक्यों में सही जगह पर ‘ही’ लगाकर बोलो-

(क) सुधा सुबह तक पढ़ती रही।

(ख) यह पंखा हमेशा आवाज़ करता रहता है।

(ग) गारो लोगों का खानाबदोश जीवन कई सालों तक चलता रहा।

(घ) सुशील थककर सो गया।

(ङ) दो घंटे बाद बस चल पड़ी।

उत्तर:- (क) सुधा सुबह तक पढ़ती ही रही।

(ख) यह पंखा हमेशा आवाज़ करता ही रहता है।

(ग) गारो लोगों का खानाबदोश जीवन कई सालों तक चलता ही रहा।

(घ) सुशील थककर सो ही गया।

(ड़) दो घंटे बाद बस चल ही पड़ी।

6. सही – सही:-

नीचे लिखे शब्दों में सही वाक्य भरों:-  स श ष

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उत्तर:- विषय,  साहस, आकर्षक, पुरुष, शेष, विष, विषम, शत्रु, षटकोण, वर्षा, वर्ष,  समुंद्र, सहज।

7. इन शब्दों की रचना देखो:-

सामाजिक, पारंपारिक, ये शब्द इक (तद्धित) प्रत्यय लगाकर बनाए गए हैं। इसी प्रकार इक प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाओ।

उत्तर:- सप्ताहिक, धार्मिक, वार्षिक, मासिक, नासिक।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी दूर्वा भाग 2 के सभी अध्याय नीचे देखें

कक्षा 7 हिंदी दूर्वा भाग 2

अध्यायअध्याय के नाम
1चिड़िया और चुरुंगुन
2सबसे सुंदर लड़की
3मैं हूँ रोबोट
4गुब्बारे पर चीता
5थोड़ी धरती पाऊँ
6गारो
7पुस्तकें जो अमर हैं
8काबुलीवाला
9विश्वेश्वरैया
10हम धरती के लाल
11पोंगल
12शहीद झलकारीबाई
13नृत्यांगना सुधा चंद्रन
14पानी और धूप
15गीत

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