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Ncert Solutions Class 7 Social Science History Chapter 1 in Hindi Medium
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास हमारे अतीत -2 का उदेश्य केवल अच्छी शिक्षा देना हैं। कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के लिए एनसीईआरटी सलूशन जो कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के सहायता से बनाए गए है। इतिहास कक्षा 7 के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाये गए हैं। ncert solutions for class 7 social science history chapter 1 नीचे से देखें।
कक्षा : 7
विषय : सामाजिक विज्ञान (इतिहास हमारे अतीत -2)
अध्याय :-1 ( हजार वर्षो के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल)
फिर से याद करें :-
प्रश्न 1 – अतीत में विदेशी’ किसे माना जाता था ?
उत्तर :– मध्ययुग में किसी गाँव में आने वाला कोई भी अनजाना व्यक्ति , जो उस समाज या संस्कृति का अंग न हो, ‘विदेशी’ कहलाता था । ऐसे व्यक्ति को हिंदी में परदेसी और फ़ारसी में अजनबी कहा जा सकता है। इसलिए किसी नगरवासी के लिए वनवासी ‘विदेशी’ होता था किंतु एक ही गाँव में रहने वाले दो व्यक्ति अलग – अलग धार्मिक या जाति परपराओं से जुड़े होने पर भी एक – दूसरे के लिए विदेशी नहीं होते थे।
प्रश्न 2 – नीचे उल्लिखित बातें सही है या गलत:-
(क) सन 700 के बाद के काल के संबंध में अभिलेख नहीं मिलते हैं।
(ख) इस काल के दौरान मराठों ने अपने राजनीतिक महत्त्व की स्थापना की।
(ग) कृषि केंद्रित बस्तियों के विस्तार के साथ कभी-कभी वनवासी अपनी जमीन से उखाड़ बाहर कर दिए जाते थे।
(घ) सुलतान ग़यासुद्दीन बलबन असम, मणिपुर तथा कश्मीर का शासक था।
उत्तर :- (क) सन् 700 के बाद के काल के संबंध में अभिलेख नहीं मिलते हैं। (सही)
(ख) इस काल के दौरान मराठों ने अपने राजनीतिक महत्त्व की स्थापना की। (सही)
(ग) कृषि केंद्रित बस्तियों के विस्तार के साथ कभी-कभी वनवासी अपनी जमीन से उखाड़ बाहर कर दिए जाते थे। (सही)
(घ) सुलतान ग़यासुद्दीन बलबन असम, मणिपुर तथा कश्मीर का शासक था। (गलत)
प्रश्न 3 – रिक्त स्थानों को भरें :
(क) ………………… अभिलेखागारों में रखे जाते हैं।
(ख)…………..चौदहवीं सदी का एक इतिहासकार था।
(ग)………….और ……इस उपमहाद्वीप में इस काल के दौरान लाई गई कुछ नई फसलें हैं।
उत्तर:- (क) दस्तावेज , पांडुलिपियाँ , कार्यलीय कागज़ अभिलेखों में रखे जाते है।
(ख) जियाउद्दीन बरनी चौदहवीं सदी का एक इतिहासकार था।
(ग) आलू , मक्का, मिर्च और चाय-कॉफी इस उपमहाद्वीप में इस काल के दौरान लाई गई कुछ नई फसलें है।
प्रश्न 4 – इस काल में हुए कुछ प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों की तालिका दें।
उत्तर :- मुख्य रूप से इस पूरे काल में बड़े पैमाने पर अनेक तरह के परिवर्तन हुए। इस काल में अलग-अलग समय पर नई प्रौद्योगिकी के परिवर्तन होते हैं जैसे, सिंचाई में रहट, कताई में चर्खे और युद्ध में आग्नेयास्त्रों (बारूद वाले हथियार) का इस्तेमाल। इस उपमहाद्वीप में नई तरह का खान – पान भी आया –आलू, मक्का, मिर्च, चाय और कॉफ़ी। ये तमाम परिवर्तन – नई प्रौद्योगिकियाँ और फ़सलें उन लोगों के साथ आए जो नए विचार भी लेकर आए थे। परिणामस्वरूप यह काल अर्थिक , राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का भी काल रहा ।
प्रश्न 5 – इस काल के दौरान हुए कुछ मुख्य धार्मिक परिवर्तनों की जानकारी दें।
उत्तर :- इस काल के दौरान धार्मिक परंपराओं में कई बड़े परिवर्तन आए। हम जिसे हिंदू धर्म कहते हैं उसमें भी इसी युग में महत्त्वपूर्ण बदलाव आए। इन परिवर्तनों में से कुछ थे – नए देवी – देवताओं की पूजा, राजाओं द्वारा मंदिरों का निर्माण और समाज में पुरोहितों के रूप में ब्राह्मणों का बढ़ता महत्त्व तथा बढ़ती सत्ता आदि। संस्कृत ग्रंथों के ज्ञान के कारण समाज में ब्राह्मणों का बड़ा आदर होता था इनके संरक्षक थे, नए – नए शासक जो स्वयं प्रतिष्ठा की चाह में थे। इन संरक्षकों का समर्थन होने के कारण समाज में इनका दबदबा और भी बढ़ गया। इस युग में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन भक्ति की अवधारणा के रूप में आया। इसमें ईश्वर की कल्पना एक ऐसे प्रेमल ईष्ट देवी – देवता के रूप में की गई थी, जिस तक पुजारियों के विशद कर्मकांड के बिना ही भक्त स्वयं पहुँच सकें। इस युग में इस्लाम धर्म भी सातवीं शताब्दी मैं परिवर्तन के रूप में भारत आया। इनका प्रसिद्ध ग्रन्थ कुरान है।
आइए समझे:-
प्रश्न 6 – पिछली कई शताब्दियों में हिंदुस्तान’ शब्द का अर्थ कैसे बदला है ?
उत्तर :- समय के साथ – साथ सूचनाएं भी बदलती रहती हैं तो भाषा और अर्थों के साथ क्या होता होगा ? ऐतिहासिक अभिलेख कई तरह की भाषाओं में मिलते हैं और ये भाषाएँ भी समय के साथ – साथ बहुत बदली है। उदाहरण के लिए ‘ हिंदुस्तान’ शब्द ही लीजिए। आज हम इसे आधुनिक राष्ट्र राज्य ‘ भारत’ के अर्थ में लेते हैं। तेरहवीं सदी में जब फ़ारसी के इतिहासकार मिन्हाज – ए – सिराज ने हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग किया था तो उसका आशय पंजाब, हरियाणा और गंगा – यमुना के बीच में स्थित इलाकों से था। इसके विपरीत, सोलहवीं सदी के में बाबर ने हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग इस उपमहाद्वीप के भूगोल, पशु – पक्षियों और यहाँ के निवासियों की संस्कृति का वर्णन करने के लिए किया। यह प्रयोग चौदहवीं सदी के कवि अमौर खुसरी द्वारा प्रयुक्त शब्द ‘ हिंद ‘ के ही कुछ – कुछ समान था। मगर जहाँ ‘ भारत ‘ को एक भौगोलिक और सांस्कृतिक सत्त्व के रूप में पहचाना जा रहा था वहाँ हिंदुस्तान शब्द से वे राजनीतिक और राष्ट्रीय अर्थ नहीं जुड़े थे जो हम आज जोड़ते है।
प्रश्न 7 – जातियों के मामले कैसे नियंत्रित किए जाते थे ?
उत्तर :- जातियों के मामले निम्नलिखित प्रकार से नियंत्रित किए जाते थे। अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रण करने के लिए जातियाँ स्वयं अपने – अपने नियम बनाती थी। इन नियमों का पालन जाति के बड़े – बुजुर्गों की एक सभा करवाती थी जिसे कुछ इलाकों में जाति पंचायत ‘ कहा जाता था, लेकिन जातियों को अपने निवास के गांवों रिवाजों का पालन भी करना पड़ता था। इसके अलावा कई गाँवों पर मुखियाओं का शासन होता था ।
प्रश्न 8 – सर्वक्षेत्रीय साम्राज्य से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :- सर्वक्षेत्रीय साम्राज्य से तात्पर्य उस साम्राज्य से है जो अनेक क्षेत्रीय राज्यों से मिलकर बना हो , जैसे – सल्तनत साम्राज्य, मुगल साम्राज्य आदि। ये क्षेत्र विशिष्ट राजवंशों से सम्बन्धित थे। इन पर कई छोटे बढ़े राज्यों का शासन चलता रहता था।
आइए विचार करें:-
प्रश्न 9 – पांडुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने कौन-कौन सी समस्याएँ आती हैं ?
उत्तर :- पाण्डुलिपियों के उपयोग में इतिहासकारों के सामने कई समस्याएँ आती थी :- उन दिनों छापेखाने नहीं थे, इसलिए लिपिक या जो थोड़ी बहुत नकल करके हाथ से पांडुलिपियों की प्रतिकृति बनाते थे उन्हें परेशानी होती थी। यह काम आसान नहीं है कभी – कभी आपको भी अपने मित्र की लिखावट समझ में नहीं आती होगी और आपको मजबूर होकर अंदाजा ही लगाना पड़ता होगा कि क्या लिखा गया है। अर्थात् कभी – कभी हस्तलेख न समझ पाने के कारण इतिहासकारों पर लिखें हुए को समझने का दबाव भी रहता है। इसी कारण आपके लिखे में मित्र के लिखे हुए से कुछ छोटे – मोटे अंतर आ जाते होंगे। और ये अंतर धीरे – धीरे बढ़ते जाते है। पांडुलिपि की प्रतिलिपि बनाने में भी कुछ – कुछ यही होता है। प्रतिलिपियाँ बताते हुए लिपिक छोटे – मोटे फेर – बदल करते चलते थे। कहीं कोई शब्द, कहीं कोई वाक्य ।
प्रश्न 10 – इतिहासकार अतीत को कालों या युगों में कैसे विभाजित करते हैं ? क्या इस कार्य में उनके सामने कोई कठिनाई आती है?
उत्तर :- इतिहासकार अतीत को समान विशेषता रखनेवाले कुछ बड़े – बड़े हिस्सों – युगों या कालों में विभाजित कर देते है। उन्नीसवीं सदी के मध्य में अंग्रेज़ इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को तीन युगों में बाँटा था : ‘ हिंदू ‘ , ‘ मुसलिम ‘ और ‘ ब्रिटिश ‘ । यह विभाजन इस 12 विचार पर आधारित था कि शासकों का धर्म ही एकमात्र महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक परिवर्तन होता है और अर्थव्यवस्था, समाज और संस्कृति में और कोई भी महत्त्वपूर्ण बदलाव नहीं आता। इस काल विभाजन को आज बहुत कम इतिहासकार ही स्वीकार करते हैं। अधिकतर इतिहासकार आर्थिक तथा सामाजिक कारकों के आधार पर ही अतीत के विभिन्न कालखंडों की विशेषताएँ तय करते हैं। इस कार्य में उनके सामने कई कठिनाई आई थी क्योंकि इस विभाजन में उन्हें यह नहीं पता चला था कि वे किस मह्त्वपूर्ण घटना के बाद कालक्रम का विभाजन करें।
आइए करके देखें :-
प्रश्न 11 – अध्याय में दिए गए मानचित्र 1 अथवा मानचित्र 2 की तुलना उपमहाद्वीप के आज के मानचित्र से करें। तुलना करते हुए दोनों के बीच जितनी भी समानताएँ और असमानताएँ मिलती हैं, उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:-
मानचित्र 1 अरब भूगोलवेत्ता अल – इद्रीसी ने 1154 में बनाया था। यहाँ जो नक्शा दिया गया है वह उसके द्वारा बनाए गए दुनिया के बड़े मानचित्र का एक हिस्सा है और भारतीय उपमहाद्वीप को दर्शाता है। मानचित्र 2 एक फ्रांसीसी मानचित्रकार ने 1720 में बनाया था। समानताएँ:- दोनों नक़्शे एक ही इलाके के है। असमानताएँ:- मानचित्र 1 अल इद्रीसी नक़्शे में दक्षिण भारत उस जगह है जहाँ हम आज उत्तर भारत ढूंढेगे और श्रीलंका का द्वीप ऊपर की तरफ है। जगहों के नाम अरबी भाषा में लिखे गए हैं। और उनमे से कुछ जाने पहचाने भी है जैसे:- उत्तर प्रदेश में कन्नौज। मानचित्र 2 में हम देखते हैं कि जानकारी बहुत बदल गई है क्योंकि यह 600 वर्ष के बाद बनाई गई थी। यह नक्शा हमें ज्यादा जाना पहचाना लगेगा। दक्षिण भारत और अन्य स्थानों के तटीय क्षेत्रों को अधिक विवरण में दिखाया गया है।
प्रश्न 12 – पता लगाइए कि आपके गाँव या शहर में अभिलेख (रिकॉर्ड) कहाँ रखे जाते हैं। इन अभिलेखों को कौन तैयार करता है ? क्या आपके यहाँ कोई अभिलेखागार है ? उसकी देखभाल कौन करता है? वहाँ किस तरह के दस्तावेज़ संगृहीत हैं ? उनका उपयोग कोन लोग करते है ?
उत्तर :- गांव और शहर में अभिलेख अर्थात रिकॉर्ड रखने की जगह और तरीका अलग अलग होता है। क्योंकि शहर में गांव के मुकाबले ज्यादा सुविधाओं के प्रबंध किए जाते है। जैसे:- गांव में ये सब रिकॉर्ड रखे जाते है कि गांव में हर घर में कितने लोग है सब क्या काम करते है इन सबका रिकॉर्ड पंचायत घर में रखा जाता है। ये अभिलेख तैयार करने की जिम्मेदारी गांव के सरकारी कर्मचारी या सरपंच में से किसी एक को दी जाती है। जबकि शहर के रिकॉर्ड नगर निगम में रखे जाते है। शहर के ऑफिस में भी ऐसे कई सरकारी कर्मचारी होते है जो सब रिकॉर्ड तैयार करते है और देखभाल करते है। हमारे यहाँ भी कई अभिलेखागार है। कुछ रिकॉर्ड्स की देखभाल यहां कचहरी, कमेटी में लगे हुए सरकारी कर्मचारियो द्वारा की जाती है। वहां हम अपने कमाई, जन्म प्रमाण पत्र, आवास पत्र जैसे कई कागजात तैयार और संग्रहीत किए जाते है। इनका उपयोग हम अपने कई सारे फॉर्म भरने में कर सकते है। साथ में पुलिस, या किसी भी व्यक्ति, सरकारी कर्मचारी को कोई भी जानकारी किसी व्यक्ति के बारे में प्राप्त करनी हो तो कर सकते है।
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