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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 5 शासक और इमारतें

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PP Team
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छात्र इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 5 शासक और इमारतें प्राप्त कर सकते हैं। इस आर्टिकल पर कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास पाठ 5 का पूरा समाधान दिया हुआ है। ncert solutions class 7 social science history chapter 5 शासक और इमारतें पूरी तरह से मुफ्त है। छात्र कक्षा 7 इतिहास अध्याय 5 के प्रश्न उत्तर से परीक्षा की तैयारी बेहतर तरीके से कर सकते हैं। आइये फिर कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 5 के प्रश्न उत्तर नीचे देखते हैं।

Ncert Solutions Class 7 Social Science History Chapter 5 in Hindi Medium

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास हमारे अतीत -2 का उदेश्य केवल अच्छी शिक्षा देना हैं। कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के लिए एनसीईआरटी सलूशन जो कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के सहायता से बनाए गए है। इतिहास कक्षा 7 के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाये गए हैं। ncert solutions for class 7 social science history chapter 5 नीचे से देखें।

कक्षा : 7
विषय : सामाजिक विज्ञान (इतिहास हमारे अतीत -2)

अध्याय :-5 (शासक और इमारतें)

फिर से याद करें

प्रश्न 1 – वास्तुकला का अनुप्रस्थ टोडा निर्माण सिद्धांत चापाकार सिद्धांत से किस तरह भिन्न है ?

उत्तर :- अनुप्रस्थ टोड़ा :-  इसमें छत, दरवाजे और खिड़कियां दो ऊध्र्वाधर खम्भों के आर पार एक अनुप्रस्थ शहतीर रखकर बनाए जाते थे। इसमें चाप बीच से नौकादार था। वास्तुकला की यह शैली ‘अनुप्रस्थ टोड़ा  निर्माण’ कहलाई जाती थी। आठवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच मंदिरों, मस्जिदों, मकबरों जैसे भवनो के निर्माण में इस शैली का प्रयोग हुआ था।

चापाकार सिद्धांत :- इसमें अधिचरना का भार मेहराबो पर ढाला जाता था। इसमें चाप बीच से गोलाकार था। इसमें चापबन्द प्रस्तर को वास्तविक चाप कहते है। वास्तुकला का यह चापाकार रूप था। इसमें चूना, पत्थर, सीमेंट का प्रयोग ज्यादा किया जाता था। इसमें उच्च श्रेणी की सीमेंट होती थी जिसमें पत्थर के टुकड़े मिलाने से कंकरीट बनती थी।

प्रश्न 2 – शिखर से आपका क्या तात्पर्य है ?

उत्तर :- मंदिर के ऊपर की गई अधिरचना शिखर कहलाती है। अर्थात मंदिर के सबसे ऊपरी भाग को शिखर कहते है। यह बहुत ऊच्चा होता है जिसे बनाने के लिए वास्तुकारों को चढ़ाई दार रास्ता बनाना पड़ता था। क्योंकि उन दिनों कोई क्रेन नहीं होती थी। इसमें मंदिर के मुख्य देवी देवता की मूर्ति की स्थापना की जाती थी।

प्रश्न 3 – पितरा – दूरा क्या है ?

उत्तर :- यह एक वास्तुकला की शैली है। इस शैली के अंतर्गत बादशाह के सिंहाशन के पीछे पितरा दूरा के जड़ाऊ नाम की एक श्रृंख्ला बनाई गई थी जिसमें पौराणिक यूनानी देवता ऑर्फियस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था। ऐसा माना जाता था कि ऑर्फियस का संगीत आक्रमक जानवरों को शांत कर सकता है। इस शैली में संगमरमर अथवा बलुआ पत्थर पर रंगीन, ठोस पत्थरों को दबाकर सुंदर तथा अलंकृत नमूने बनाए जाते थे ।

प्रश्न 4 – एक मुग़ल चारबाग की क्या खास विशेषताएँ हैं ?

उत्तर :- मुगल चारबाग की खास विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:- इन बागों को चार समान भागों में बाटा जाता था। यह बाग चार दीवारी से घिरे होते थे। इसके हर एक बाग़ में चार फूलों की क्यारियाँ होती थी। इनको नहरों द्वारा चार भागों में विभाजित किया जाता था और ये चार भाग- आयताकार अहाते में स्थित होते थे।

आइए समझे

प्रश्न 5 – किसी मंदिर से राजा की महत्ता की सूचना कैसे मिलती थी ?

उत्तर :- किसी मंदिर से एक राजा की महत्ता की सूचना इसलिए मिलती है क्योंकि राजा मंदिर का निर्माण अपनी शक्ति, धन- सम्पदा और ईश्वर के प्रति निष्ठा दिखाने के लिए करवाते थे। धार्मिक अनुष्ठान के माध्यम से मंदिर में एक देवता दूसरे देवता का सम्मान करता था। सभी विशालतम मंदिरों का निर्माण राजाओं ने करवाया था। मंदिर के अन्य लघु देवता शासक और उसके सहयोगियो द्वारा शासित विश्व का लघु रूप था। जिस तरह वे राजकीय मंदिरों में इकट्ठे होकर अपने देवताओं की उपासना करते थे, ऐसा प्रतीत होता था मानो उन्होने देवताओं के न्यायप्रिय शासन को पृथ्वी पर ला दिया हो।

प्रश्न 6 – दिल्ली में शाहजहाँ के दीवान-ए-खास में एक अभिलेख में कहा गया है अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है?” यह धारणा कैसे बनी ?

उत्तर :- शाहजहाँ द्वारा यमुना नदी के समीप लाल – किला बनवाया गया और लाल – किले के अन्दर दीवान – ए – खास। यह संगमरमर को बनी हुई अद्भुत इमारत है , जिसमें कई तरह की नक्काशियाँ बना गई हैं। इसकी सुन्दरता को देखते हुए ही दीवान – ए – खास में एक अभिलेख में यह कहा गया हैं “ अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है। वह यहीं है, यहीं है, यहीं है । “

प्रश्न 7 – मुगल दरबार से इस बात का कैसे संकेत मिलता था कि बादशाह कमज़ोर,धनी, निर्धन शक्तिशाली, सभी को समान न्याय मिलेगा ?

उत्तर :- बादशाह के सिंहासन के पीछे पितरा दूरा के जड़ाऊ काम की एक श्रृंखला बनाई गई थी जिसमें पौराणिक यूनानी देवता ऑर्फियस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था। ऐसा माना जाता था कि ऑर्फियस का संगीत आक्रामक जानवरों को भी शांत कर सकता है और वे एक – दूसरे के साथ मिलजुल कर रह सकते हैं। यह मूर्ति सूचित करती थी कि न्याय करते समय राज ऊँचे तथा नीचे , गरीब तथा अमीर लोगों के साथ समान व्यवहार करेगा और सभी सद्भाव के साथ रह सकेंगे।

प्रश्न 8 – शाहजहानाबाद में नए मुग़ल शहर की योजना में यमुना नदी की क्या भूमिका थी ?

उत्तर :- शाहजहानाबाद में नए मुगल शहर की योजना में यमुना नदी की भूमिका निम्नलिखित थी:-  नए शहर को नदी के किनारे बनाया गया था ताकि इस शहर को पीने के लिए पानी आसानी से मिल सके। केवल कुछ विशिष्ट कृपा प्राप्त अभिजातों को ही नदी किनारे पर घर बनाने की अनुमति थी। यमुना नदी के तटवर्ती भाग समतल थे ।

आइए विचार करें

प्रश्न 9 – आज धनी और शक्तिशाली लोग विशाल घरों का निर्माण करवाते हैं। अतीत में राजाओं तथा उनके दरबारियों के निर्माण किन मायनों में इनसे भिन्न थे ?

उत्तर :- आज भी धनी और शक्तिशाली लोग बड़े बड़े घरों का निर्माण करवाते है लेकिन राजाओं और आम इंसानो के घर बनवाने के तरीको में काफी अंतर होता है। राजा और उनके दरबारी जब घर बनवाते थे उसमें अलग अलग प्रकार के डिज़ाइन, घर में अपनी पीढियो की मूर्तियां बनवाकर रखना, घरों को बनाने में बड़े बड़े पत्थरो का प्रयोग करना क्योंकि वे लोग पहले द्वारा अपनाई गई शैलियां, वास्तुकला को ज्यादा अपनाते थे। क्योंकि उस समय यही प्रचलित थे। लेकिन आज कल के लोग बड़े बड़े घर तो बनवाते है लेकिन राजाओं के घरों की तुलना में ज्यादा बड़े नहीं होते। ना ही वे मूर्तियों का प्रयोग करते है। राजा लोग अपने घर में ही स्तम्भ बनवाते थे। आज कल पहले वाले साहित्य कलाओ, शैली, वास्तुकला का प्रयोग नहीं होता।

प्रश्न 10 – चित्र 4 पर नजर डालें। यह इमारत आज कैसे तेजी से बनाई जा सकती है ?

उत्तर :- आज कल हर एक इमारत का निर्माण तेजी से किया जा सकता है क्योंकि पहले के मुकाबले विज्ञान ने तरक्की कर ली है। नई – नई मशीनो का आविष्कार किया गया है जिनका प्रयोग हम इमारत बनाने में कर सकते है। हमारे पास सभी उपकरण और बहुत सारे मजदूर भी होते है जो अपना काम अच्छे तरीके से करें तो भी वे अपने काम में तेजी लाकर इमारत जल्दी से बना सकते है।

आइए करके देखें

प्रश्न 11 – पता लगाएं कि क्या आपके गांव या कस्बे में किसी महान व्यक्ति की कोई प्रतिमा अथवा स्मारक है ? इसे वहां क्यों स्थापित किया गया था? इसका प्रयोजन क्या है ?

उत्तर:- हमारे शहर में अम्बेडकर चौक पर चाचा नेहरू अर्थात पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की मूर्ति है। बच्चे इनको प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। ये देश के पहले प्रधानमंत्री होने के साथ साथ भारत के निर्माता भी है। भारत को आज़ाद कराने में इनका भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। नेहरू जी चाहते थे कि हमारा देश किसी के भी दबाव में ना आए। अर्थात भारत देश की एक स्वतंत्र पहचान हो। नेहरू जी को बच्चों से बेहद प्यार था। 14 नवंबर को बाल दिवस नेहरू जी की याद में ही बनाया जाता है। उनकी प्रतिमा अभी भी यह पहचान और आजादी की याद दिलाने के लिए स्थापित की गई।

प्रश्न 12 – अपने आसपास के किसी पार्क या बाग की सैर करके उसका वर्णन करें। किन मायनों में यह मुगल बागों के सामान अथवा भिन्न है ?

उत्तर:- हमारे यहाँ के पार्क और बाग मुग़ल बागों से भिन्न है। मुग़ल काल के बागों को चारबाग कहा जाता था। हर तरफ फूलों की क्यारियाँ बनाई जाती थी। मुग़ल बाग सुंदर होते थे। बाग चार दीवारी से निर्मित होते थे। उस समय बाग बहुत बड़ी और खुली जगह पर बनाए जाते थे। आज कल बाग बहुत कम भी रह गए है और उनके लिए जगह भी थोड़ी सी होती है। अब के अपेक्षा पहले बागों की देखभाल ज्यादा की जाती थी। बागों की देखभाल के लिए कोई अपनी जिम्मेदारी अच्छे से नहीं निभाता। बच्चे अगर घूमने सैर करने के लिए आते है तो कोई फूलों के साथ खेल रहा है कोई तोड़ देता है। ऐसा आजकल हर बाग में होता रहता है।

एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 सामाजिक विज्ञान इतिहास के सभी अध्याय नीचे देखें

अध्याय संख्याअध्याय के नाम
1हज़ार वर्षों के दौरान हुए परिवर्तनों की पड़ताल
2नए राजा और उनके राज्य
3दिल्ली के सुल्तान
4मुगल साम्राज्य
5शासक और इमारतें
6नगर, व्यापारी और शिल्पीजन
7जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय
8ईश्वर से अनुराग
9क्षेत्रीय संस्कृतियों का निर्माण
10अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

छात्रों को सामाजिक विज्ञान कक्षा 7 ncert solutions in hindi में प्राप्त करके काफी ख़ुशी हुई होगी। हमारा प्रयास है कि छात्रों को बेहतर ज्ञान दिया जाए। छात्र एनसीईआरटी पुस्तक या सैंपल पेपर आदि की अधिक जानकारी के लिए parikshapoint.com की वेबसाइट पर जा सकते हैं।

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