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Ncert Solutions For Class 8 Vasant Chapter 17
हिंदी 8 वीं कक्षा अध्याय 17 बाज और साँप के प्रश्न उत्तर को एनसीईआरटी यानि (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के सहायता से बनाया गया है। कक्षा 8 की हिंदी की किताब के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। देखा गया है कि छात्र कक्षा आठवीं हिंदी गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन यहां से कक्षा आठ के हिंदी के प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। छात्र ncert solutions for class 8th hindi chapter 17 बाज और साँप नीचे देखें।
कक्षा : 8
विषय : हिंदी (वसंत भाग -3)
पाठ : 17 बाज और साँप
अभ्यास
शीर्षक और नायक
प्रश्न 1 – लेखक ने इस कहानी का शीर्षक कहानी के दो पात्रों के आधार पर रखा है। लेखक ने बाज़ और साँप को ही क्यों चुना? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर :- यह कहानी दो कहानियों के मेल – जोल से बनी है। एक कहानी काम मुख्य बाज है तथा दूसरी का सांप। दोनों कहानियां एक दूसरे के बिना बिल्कुल अधूरी सी लगती है। हां, यह कहानी किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भी कहीं जा सकती थी। यदि वह व्यक्ति विशेष आलोच्य कहानी का कोई अंग या पात्र होता तो अवश्य ही ऐसा हो सकता था।
कहानी से :-
प्रश्न 1 – घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्यों कहा,” मुझे कोई शिकायत नहीं है।“ विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :- घायल होने के बाद भी बाज ने यह इसलिए कहा क्योंकि उसने कहा कि मेरी जिंदगी भी खूब रही है, मैंने अपने जीवन में लगभग सभी सुखों को भोग लिया था। ऐसा कोई भी दुख नहीं बचा था जिसका सामना उसने न किया हो। दूर–दूर तक उड़ानें भरी, आकाश की असीम ऊंचाइयों को अपने पंखो से नापा है। हर उस स्थान और वस्तु को भोगा जो उसके मन ने चाहा।
प्रश्न 2 – बाज जिंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था ?
उत्तर :- वह ऐसा इसलिए चाहता था क्योंकि वह लाचारी से भरा जीवन नहीं जीना चाहता था। वह हमेशा की तरह खुले वातावरण में बिना किसी रोक-टोक स्वेच्छा से उड़ना चाहता था। वह सांप की तरह एक स्थान पर दुबक कर नहीं रहना चाहता था। उसे किस्मत से ज्यादा कर्म पर भरोसा था। इसलिए वह कुछ न कुछ करके अपने अंतिम समय में उड़ने का आनंद प्राप्त करना चाहता था।
प्रश्न 3 – साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की ?
उत्तर:- वह ऐसा इसलिए सोचता था क्योंकि उसे उड़ने और रेंगने के बीच कोई ज्यादा अंतर नहीं है। अंत में सबके भाग्य में मरना ही है:- शरीर मिट्टी का है, मिट्टी में ही मिल जाएगा। बाज की करुण चीख सुनकर साँप सिटपिटा – सा गया। एक क्षण के लिए उसके मन में आकाश में उड़ने के प्रति इच्छा पैदा हुई। बाज का आकाश में उड़ने के प्रति वियोग को देखकर उसके दिल के किसी एक कोने में आकाश में छिपे आनंद को भोगने का लालच पैदा हुआ था। इसी कारण सांप ने उड़ने की कोशिश की।
प्रश्न 4 – बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था ?
उत्तर :- बाज एक साहसी पक्षी था। वह अपने प्रणों को हथेली पर रखे घूम रहा था। उसने घायल होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी थी। वह हर स्थिति का सामना बहादुरी से करना चाहता था। वह किस्मत के सहारे नहीं बल्कि मेहनत करके अपना भाग्य लिखना चाहता था। शायद इसीलिए बाज की मृत्यु पर चट्टानों पर लहरें टकरा – टकरा कर ऐसी ध्वनियां उतपन्न कर रही थी जैसे वे उसके लिए आंसू बहा रही हो। बाज की वीरता को देखकर लहरों ने गीत गाए।
प्रश्न 5 – घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा ?
उत्तर :- साँप इसलिए खुश हुआ क्योंकि अब वह अपनी जिंदगी आसानी से जी सकता था, उसे हानि पहुँचाने वाले बाज से अब कोई खतरा नही था। जैसा कि हम सब जानते है साँप को बाज एक खतरा होता है। लेकिन जब उसने साँप को नीचे पड़ा हुआ, दर्द में कर्राते चीखते-चिल्लाते देखा उसे बहुत तृप्ति मिली। बाज की ऐसी दुर्दशा देखकर साँप खुश हुआ था।
कहानी से आगे :-
प्रश्न 1 – कहानी में से वे पंक्तियाँ चुनकर लिखिए जिनसे स्वतंत्रता की प्रेरणा मिलती हो।
उत्तर:–
- बाज ने एक गहरी लम्बी सांस ली और अपने पंख फैलाकर हवा में कूद पड़ा।
- हमारा गीत जिंदगी के उन दीवानों के लिए है जो मरकर भी मृत्यु से नहीं डरते।
- कम – से – कम उस आकाश का स्वाद तो चख लूंगा।
- बाज में एक नई आशा जाग उठी।
- तुमने अपना जीवन बलिदान कर दिया किन्तु फिर भी तुम अमर रहो।
प्रश्न 2 – लहरों का गीत सुनने के बाद साँप ने क्या सोचा होगा ? क्या उसने फिर से उड़ने की कोशिश की होगी ? अपनी कल्पना से आगे की कहानी पूरी कीजिए।
उत्तर :- लहरों का गीत सुनने के बाद ही सांप के मन में बाज के लिए सम्मान और आदर की भावना आई होगी। वह उसकी मृत्यु के त्याग और बलिदान को समझने लगा होगा। वह समझ गया होगा कि प्रकृति ने सभी को अलग गुण प्रदान किए है। वह समझ गया होगा कि भगवान ने उसे रेगने का गुण दिया है, वह उड़ नहीं सकता। उसने इस सचाई को अपनाया होगा और फिर उड़ने की कोशिश नहीं की होगी। उसको समझ आ गया था कि सबके जीवन के जीने का अलग – अलग तरीका होता है। जैसे :- पक्षियों का आकाश में उड़ना, जानवरों का धरती पर रेगना। उसने सोचा होगा सब को अपनी जिंदगी को स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार है। सांप ने अपनी गुफा से बाहर निकलर हर किसी के जीवन को जानने की कोशिश की होगी।
प्रश्न 3 – क्या पक्षियों को उड़ते समय सचमुच आनंद का अनुभव होता होगा या स्वाभाविक कार्य में आनंद का अनुभव होता ही नहीं ? विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :- पक्षियों का आकाश में उड़ना उनके लिए स्वाभाविक कार्य है जिसमें सब आनंद का अनुभव कर सकते है और करते भी होंगे। अगर हम किसी कार्य को अपनी इच्छा से पूरे मन के साथ करे तो हमें उसमे आनंद भी आता है। जैसे इस कहानी में बाज को आकाश में उड़ने से आंनद का अनुभव होता था। वह बिल्कुल मन से, शांति से उड़ता और आनंद प्राप्त करता। इस प्रकार की प्रेरणा किसी भी व्यक्ति, पशु, पक्षी के अंदर हो सकती है।
प्रश्न 4 – मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा की हैं। आज मनुष्य उड़ने की इच्छा किन साधनों से पूरी करता है।
उत्तर :- ऐसा भी रहा है कि पहले के समय से मानव के अंदर उड़ने की इच्छा रही है। वह हमेशा उड़कर बादलों के अंदर का नजारा देखना चाहता था। मानव ने इसके लिए प्रयत्न भी बहुत किए और आखिर में सफलता भी प्राप्त की। आज मनुष्य हवाई जहाज़, हेलीकॉप्टर, रॉकेट से अपनी उड़ने की इच्छा को पूरा करता है।
अनुमान और कल्पना:-
प्रश्न 1 – यदि इस कहानी के पात्र बाज और साँप न होकर कोई और होते तब कहानी कैसी होती ? अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर :- लेखक इस कहानी के माध्यम से विचारों को दर्शाना चाहता था। लेखक बाज और सांप की जगह किसी ओर को पात्र रखता और कहानी को आगे बढ़ाते। लेखक कहना चाहते है कि जो धरती पर रहते है वह ऊपर उड़ने के बारे में ऊपर उड़ते हुए पक्षियों के बारे में सोचते है और पक्षी नीचे रहते हुए जानवरों और इंसानों के बारे में सोचते है।
भाषा की बात:-
प्रश्न:-1. कहानी में से अपनी पसंद के पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:-
- आँखों से ओझल होना :- गायब होना (मोहन बिना बताए एक दम से मेरी आँखों से ओझल हो गया।)
- डींगे मारना :- गप्प मारना (आजकल सीता बहुत ज्यादा डींगे मारने लग गई है।)
- गुण गाना :- प्रशंसा करना (केशव की माँ सारा दिन अपने लड़के के गुण गाती रहती है।)
- सिर धुन्ना :- पछताना (तुम ये काम मत करों नहीं बाद में तुम्हारें जीवन में सिर्फ सिर धुन्ना रह जाएगा।)
- जान हथेली पर रखना (मरने की बिल्कुल परवाह मत करना) :- रमेश ने अपने भाई की जान बचाने के लिए जान हथेली पर रख दी थी।
प्रश्न 2 – ‘आरामदेह’ शब्द में देह प्रत्यय है। यहां ‘देह’ देनेवाला’ के अर्थ में प्रयुक्त होता है। देने वाला के अर्थ में ‘द’, ‘प्रद’, ‘दाता’, ‘दाई’ आदि का प्रयोग भी होता है, जैसे- सुखद, सुखदाता, सुखदाई, सुखप्रद। उपर्युक्त समानार्थी प्रत्ययों को लेकर दो दो शब्द बनाइए।
उत्तर:-
क्रम सं. प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द
(क) द सुखद, दुखद
(ख) प्रद लाभप्रद, शिक्षाप्रद
(ग) दाता जीवनदाता, अन्नदाता
(घ) दाई सुखदाई, दुखदाई
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