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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 3 बस की यात्रा

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PP Team
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छात्र इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 3 बस की यात्रा प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों के लिए इस आर्टिकल पर कक्षा 8 हिंदी पाठ 3 के प्रश्न उत्तर दिए हुए हैं। छात्र कक्षा 8 हिंदी किताब के प्रश्न उत्तर पाठ 3 बस की यात्रा के माध्यम से परीक्षा की तैयारी अच्छे से कर सकते हैं। छात्रों के लिए कक्षा 8 हिंदी अध्याय 3 सवाल जवाब साधारण भाषा में बनाए गए है। जिससे छात्र class 8 hindi chapter 3 question answer सही से समझ सके। छात्रों के लिए वसंत भाग 3 कक्षा 8 पाठ 3 बस की यात्रा के प्रश्न उत्तर नीचे दिए हुए हैं।

Ncert Solutions For Class 8 Vasant Chapter 3 बस की यात्रा

हिंदी 8 वीं कक्षा अध्याय 3 बस की यात्रा के प्रश्न उत्तर को एनसीईआरटी यानि (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के सहायता से बनाया गया है। कक्षा 8 की हिंदी की किताब के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। देखा गया है कि छात्र कक्षा आठवीं हिंदी गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन यहां से कक्षा आठ के हिंदी के प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। छात्र ncert solutions for class 8th hindi chapter 3 बस की यात्रा नीचे देखें।

कक्षा : 8
विषय : हिंदी (वसंत भाग -3)
पाठ : 3 बस की यात्रा

प्रश्न अभ्यास

कारण बताएं :-

प्रश्न 1 – “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।“ लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई ?

उत्तर :- लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा इसलिए जाग गई क्योंकि उन्हें बस के टायरों की स्थिति का पूरी तरह ज्ञान था। तब भी वे अपनी जान हथेली पर रखकर बस में यात्रा कर रहे थे। बलिदान और त्याग की ऐसी भावना कही और मिल पाना अत्यंत कठिन था।

प्रश्न 2 – “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।“ लोगों ने यह सलाह क्यों दी ?

उत्तर :- लोगों ने यह सलाह इसलिए दी क्योंकि बस बहुत पुरानी हो चुकी थी। उसका कोई भरोसा नहीं कब चलते – चलते रुक जाए। कुछ लोग तो शाम वाली चार बजे की बस को डाकिन कहकर बुलाते है। इन्हीं कारणों से व्यक्ति शाम वाली बस में किसी को भी यात्रा न करने की सलाह देते थे।

प्रश्न 3 – “ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।“ लेखक को ऐसा क्यों लगा ?

उत्तर :- जब लेखक बस के अंदर बैठा और इंजन शुरु हुआ तो ऐसा लगा जैसे सारी बस ही इंजन के समान धक – धक हिलने – डुलने लगी हो। अब लेखक यह सोचने पर विवश हो गया कि वह बस में बैठा है या इंजन के अंदर बैठा है। सारी बस पूरी तरह से खड़-खड़ा रही थी।

प्रश्न:- 4. “गजब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।“ लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई ?

उत्तर:- जब लेखक ने हिस्सेदार साहब की बात सुनी कि यह बस अपने आप चलेगी तो उसे बहुत हैरानी हुई क्योंकि बस बहुत अधिक पुरानी थी। लेखक न कहा गजब हो गया ऐसी बस चलती भी है और वह भी अपने आप। हम सब यहीं तो देखना चाहते है कि जिस बस के पुर्जे हिल रहे है वह अपने आप चलती है।

प्रश्न:-5. “मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था”। लेखक को पेड़ से डर क्यों लग रहा था ?

उत्तर :– लेखक को पेड़ से डर इसलिए लग रहा था क्योंकि उसके मन में यह चल रहा था कि न जाने कब कौन सा पेड़ आकर बस से टकरा जाए या बस पेड़ से टकरा न जाए। यही सब बातें सोचकर लेखक मन ही मन डर रहा था।

पाठ के आगे :-   

प्रश्न 1 – सविनय अवज्ञा आंदोलन ‘किसके नेतृत्व में किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था ? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकों के आधार पर लिखिए।

उत्तर-  सविनय अवज्ञा आंदोलन ‘महात्मा गांधी के नेतृत्व में सन् 1930 ई० में डांडी मार्च के साथ आरंभ हुआ। इसका प्रथम चरण सन् 1931ई• में समाप्त हुआ। दूसरे चरण का आरंभ सन् 1934 ई० में जब अंग्रेजी सरकार भारतीय जनता पर अत्यधिक अत्याचार कर रही थी। इस अत्याचार से जनता अत्यंत पीड़ित एवं दुःखी थी। सन् 1919 ई ० में एक नवीन अधिनियम पास हुआ , जिसमें जनता को शासन में कोई स्थान न मिला। इस बात से भारतीय जनता के मन में अत्यधिक रोष भर गया। असहयोग आंदोलन के समाप्त होने के पश्चात् अंग्रेजों द्वारा कुछ ऐसे कानून और अधिनियम पास किए गए जो भारतीय जनता एवं उनके हितों के लिए सर्वथा अनुचित थे। इस प्रकार के कानूनों का विरोध होना स्वाभाविक था। सन् 1927 ई० में साइमन कमीशन भारत आया। इस कमीशन का काम यह था कि देखे कि भारतीयों को क्या अधिकार देने चाहिए और कौन से अधिकार नहीं देने चाहिए। भारतीय जनता एवं नेताओं ने इस कमीशन का विरोध किया। विरोध इसलिए क्योंकि इसमें कोई भारतीय सदस्य नहीं था। सन् 1929 ई० में कांग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पास किया जिससे देश का पूरा वातावरण अंग्रेजी सरकार के विरोध में आया। महात्मा गाँधी ने ऐसे वातावरण को ध्यान में रखते हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ कर दिया।

प्रश्न 2 – लेखक जी के असहयोग आंदोलन अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार लेखक ने किस रूप में किया है ? लिखिए।

उत्तर:- सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार लेखक ने बड़े ही अनोखे और आकर्षक ढंग से किया है। लेखक बस पर व्यंग कसते हुए कहता है -बस सचमुच चल पड़े। अब उसे पूरी तरह से प्रशिक्षण मिल चुका था। बस का प्रत्येक हिस्सा एक-दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय से गुजर रही थी। सीट का शरीर से असहयोग चल रहा था। कभी लगता सीट शरीर को छोड़कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सोट को छोड़कर शरीर आगे की और गति कर रहा है। कुछ दूर चलने पर सारे भेदभाव समाप्त हो गए।

प्रश्न 3 – आप अनुभवों को याद करते हुए लेख लिखिए।

उत्तर:– मैं एक बार बस से यात्रा करके दोस्तों के साथ घूमने गया था जिसमे हमने बहुत मजे किए। जो सुख की प्राप्ति मुझे उस यात्रा के दौरान अपने दोस्तों के साथ हुई ऐसा कभी मुझे महसूस नहीं हुआ। इस यात्रा को भूल पाना मेरे लिए असंभव है। हम शिमला गए थे, वहा मैंने अपनी बर्फ के साथ खेलने की इच्छा को पूरा किया। हमने अलग – अलग झूलों का आनंद लिया। लेकिन एक झूला ऐसा निकला जिसका कुछ हिस्सा टूटने के कगार पर पहुँच गया। हम बहुत डर गए। ऐसा लगा कि मानो मर ही जाएगे। लेकिन वहा के सुरक्षा कर्मचारियों ने सहायता करते हुए हमें बचाया। उसके बाद जिस तरह से हम घूमे, वहां रहे, खाना खाया सबने हमारे दुख दर्द भुला दिए। हम बर्फ को खाना खाते समय भी देख पा रहे थे। हम पांच दिन रहकर वापिस आ गए। हमारे लिए यह कभी न भूलने वाला अनुभव था।  

मन बहलाना :-

प्रश्न 1 – अनुमान कीजिए यदि बस जीवित प्राणी होती, बोल सकती तो वह अपनी बुरी हालत और भारी भोज के कष्ट को किन शब्द में व्यक्त करती ? लिखिए।

उत्तर :- बस एक निर्जीव वस्तु है। वह अपनी स्थिति बताती कि मेरे ये टायर जिनके सहारे मैं सबको हर जगह घुमाती हूँ वह तो बेकार और खत्म हो गए है। इंजन तो बस धक – धक हिलता डुलता रहता है। पेट्रोल की टंकी लीक होती रहती है। सारे शीशे टूट कर बिखर चुके है। मेरी दशा अत्यंत दयनीय हो गई है। मुझसे अब बिल्कुल भी नहीं चला जाता। मुझसे किसी का वजन नहीं उठाया जाता।

भाषा की बात :-

प्रश्न:-1. “बस, वश, बस तीन शब्द हैं :-  इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयोग होता है;

जैसे —  बस से चलना होगा।

मेरे वश में नहीं।

अब बस करों।

उपर्युक्त वाक्य के समान तीनों शब्दों से आप भी दो दो वाक्य बनाइये।

उत्तर:-  बस :-

  • हम सब कल दिल्ली बस से चलेंगे।
  • तुम बस से सफर मत किया करों।

वश :-

  • उसके घर के सभी मेरे वश में हैं।
  • जन्म और मृत्यु किसी के वश में नहीं।

बस :-

  • तुम बस एक ही बार बाहर घूमने गए हो।
  • तुम बस करो, बहुत हो गया।

प्रश्न 2 –  “ह्म पांच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चले। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है”। ऊपर दिए गए वाक्यों में ने , की , से आदि शब्द वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को कारक कहते हैं। इसी तरह दो वाक्यों को एक साथ जोड़ने के लिए ‘कि‘ का उपयोग होता है। कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए।

उत्तर:-  

  • “झील दिखती तो सोचता कि इसमें बस गोता लगा आएगी”।
  • एक पुलिया के ऊपर पहुंचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया।
  •  हम बड़े इत्मीनान से घर की तरह बैठ गए।
  •  मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।

प्रश्न 3 – “हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। चाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थी”। ‘सरकना’ और ‘रेंग’ जैसी क्रियाएँ दो प्रकार की गति दर्शाती हैं। ऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए जो गति के लिए प्रयोग होती हैं, जैसे घूमना इत्यादि। उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए”।

उत्तर:-  

  • रफ्तार :- अभी जो बस गई उसकी रफ्तार बहुत तेज़ थी।
  • चाल :- आज कार की चाल बहुत ही कम थी।
  • सफ़र :-  तुम सफ़र में अच्छे से खाना पीना करना।
  • गुजर :- तुम जल्दी जाओ बस अभी यहां से गुज़री हैं।

प्रश्न:-4. “काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था”। इस वाक्य में ‘बच‘ शब्द को दो तरह से प्रयोग किया गया है। एक ‘शेष‘ के अर्थ में और दूसरा ‘सुरक्षा’ के अर्थ में। नीचे दिए गए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करके देखिए। ध्यान रहे एक ही शब्द वाक्य में दो बार आना चाहिए और शब्दों के अर्थ में कुछ बदलाव होना चाहिए।

  • जल
  • फल
  • हार
  • हल
  • उत्तर
  • मत

उत्तर:-

  • जल :- जब घर जलने लगा तो लोगों ने उसे बुझाने के लिए उस पर जल फेंकना शुरू कर दिया।
  •  फल :- अधिक फल खाने के फल स्वरूप उसकी सेहत बिगड़ गई।
  •  हार :-  वह जीत का हार पहनना चाहता था लेकिन हार गया।
  •  हल :-  किसान ने अपने पुत्री से कहा हल चलाना ही प्रत्येक समस्या का हल नहीं है।
  •  उत्तर :- उसने उत्तर देते हुए बताया कि वह उत्तर दिशा में गया था।
  •  मत :-  कुछ लोग कहते हैं मत का प्रयोग मत कीजिए।

प्रश्न 5 – बोलचाल में प्रचलित अंग्रेजी शब्द फर्स्ट क्लास में दो शब्द हैं- फर्स्ट और क्लास। यहां क्लास का विशेषण है फस्ट। चूंकि फर्स्ट संख्या है , फर्स्ट क्लास संख्या वाचक विशेषण का उदाहरण है। महान आदमी में किसी आदमी की विशेषता है महान। यह गुणवाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण और गुणवाचक विशेषण के उदाहरण खोज कर लिखिए।

उत्तर:-  

  •  संख्यावाचक विशेषण :– एक, दो, तीन, पहला, दूसरा, प्रथम, द्वितीय, दुगना, तिगुना, बीस।
  •  गुणवाचक विशेषण :- भला बुरा, लंबा, ऊँचा, नई, लाल, पूर्वी, अस्वस्थ, प्राचीन, नवीन।

कक्षा 8 हिंदी वसंत के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

अध्यायअध्याय के नाम
1ध्वनि (कविता)
2लाख की चूड़ियाँ (कहानी)
3बस की यात्रा (व्यंग्य)
4दीवानों की हस्ती (कविता)
5चिट्ठियों की अनूठी दुनिया (निबंध)
6भगवान के डाकिए (कविता)
7क्या निराश हुआ जाए (निबंध)
8यह सबसे कठिन समय नहीं (कविता)
9कबीर की साखियाँ
10कामचोर (कहानी)
11जब सिनेमा ने बोलना सीखा
12सुदामा चरित (कविता)
13जहाँ पहिया है (रिपोर्ताज)
14अकबरी लोटा (कहानी)
15सूर के पद (कविता)
16पानी की कहानी (निबंध)
17बाज और साँप (कहानी)
18टोपी (कहानी

छात्रों को कक्षा 8 हिंदी अध्याय 3 के प्रश्न उत्तर प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। कक्षा 8 हिंदी वसंत अध्याय 3 बस की यात्रा के लिए एनसीईआरटी समाधान देने का उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना हैं। हम आशा करते है कि आपको हमारे यह कक्षा 8 हिंदी के प्रश्न उत्तर पसंद आए होंगे। इसके अलावा आप हमारे एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान (NCERT Solutions in hindi) और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें (NCERT Books In Hindi) भी प्राप्त कर सकते हैं।

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