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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi)

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PP Team
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प्रदूषण शब्द सुनते ही हमारे मन में तरह-तरह के सवाल उमड़-घुमड़ करने लगते हैं और हम इस कदर चिंतित हो उठते हैं कि अब तो इस समस्या का कोई न कोई हल तो अवश्य ही ढूंढ निकालेंगे। हमारा देश हमेशा से ही प्राकृतिक आपदाओं, वैश्विक महामारियों, प्रदूषण आदि जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करता आया है। शहरों में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण शहरों पर इस कदर हावी हो चुका है कि अब वहाँ रह रहे लोगों के लिए इसके बचकर निकल पाना मतलब शेर के पिंजरे से जिंदा बचकर आने के बराबर है।

आप हमारे इस पेज से हिंदी में प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution In Hindi), प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के प्रकार, प्रदूषण से होने वाले नुकसान, प्रदूषण के बचाव आदि चीज़ों के बारे में जान सकते हैं। हमारे इस लेख “प्रदूषण पर निबंध हिंदी में” का मुख्य उद्देश्य हमारे पाठकों के बीच प्रदूषण के संबंधित सही और सभी जानकारी पहुँचना है, ताकि आप प्रदूषण जैसे मुद्दे को गंभीरता से लें और जागरूक हो सकें। इसके अलावा स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र हमारे इस प्रदूषण पर लेख से सहायता लेकर निबंध प्रतियोगिताओं में भी भाग ले सकते हैं।

परिचय

प्रदूषण का संबंध प्रकृति से जुड़ी किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं। यह तो सत्य है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं। इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी रक्षा तभी करेगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे।

प्रदूषण का अर्थ

आज के समय में प्रकृति को जो सबसे अधिक नुकसान पहुँचा सकता है वो प्रदूषण है। प्रदूषण का आसान सा मतलब है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित हो जाना। इन प्राकृति संसाधनों के दूषित हो जाने के कारण हम न तो ताजी हवा में सांस ले रहे हैं, न स्वच्छ पानी पी रहे हैं, न शुद्ध खाना खा रहे हैं और न ही शांत वातावरण में रह रहे हैं, जिसका हम अधिकार रखते हैं। हरियाली, हरे-भरे बाग-बगीचे, चिड़ियों की चहचहाहट, नदियों का साफ और नीला जल मानो आने वाले समय में महज़ एक सपना बनकर ही न रह जाए। मनुष्य से लेकर पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, जल, वायु, अग्नि आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर हमारे पर्यावरण को बनाते हैं। इन सभी चीजों का पर्यावरण निर्माण में विशेष योगदान रहता है परंतु आज इन सभी चीजों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।

प्रदूषण क्या है?

प्रदूषण को समझने के लिए हमें सबसे पहले यह पता होना चाहिए कि आख़िर प्रदूषण है क्या? आसान शब्दों में इसे समझें, तो जब हवा, पानी, मिट्टी आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे गंदा और दूषित करने लगते हैं और मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि प्राकृतिक चीज़ों के स्वास्थ्य पर जब उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है, तो उसे ही हम प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण के कारण प्राकृतिक असंतुलन पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है और यह मानव जीवन के लिए भी गंभीर समस्या खड़ी कर सकता है।

ये सब देखते हुए यह हमारी ही जिम्मेदारी बनती है कि हमने जाने-अंजाने में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को जो नुकसान पहुँचाया है, अब उसमें जल्द-से-जल्द सुधार करते हुए प्रदूषण की समस्या को धीरे-धीरे खत्म किया जाए। पेड़ों और जंगलों को नष्ट करने से तो हमें रोकना है लेकिन उससे ज़्यादा ज़रूरत हमें अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करने की है। ऐसे ही प्रयासों से प्रदूषण की इस समस्या पर धीरे-धीरे काबू पाया जा सकता है। इसी तरह और भी बहुत से उपाय हैं, जिनसे हम सभी मिलकर प्रदूषण को कम करने की हर संभव कोशिश कर सकते हैं और एक नए अभियान की शुरुआत कर सकते हैं। अब बात करते हैं प्रदूषण के कारणों, प्रकारों और बचावों के बारे में।

प्रदूषण के कारण

प्रदूषण होने के पीछे कई बड़े कारण हमारे सामने आते हैं। ये वो कारण हैं जिसने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण ने प्रकृति और मानव जीवन में ज़हर के समान दूषित और जहरीले तत्वों को घोलकर हमें मौत के नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के बड़े कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं, जैसे-

  1. वनों को तेजी से काटना
  2. कम वृक्षारोपण
  3. बढ़ती जनसंख्या
  4. बढ़ता औद्योगिकीकरण
  5. प्रकृति के साथ छेड़छाड़
  6. कारखाने, वाहन और मशीनें
  7. वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
  8. कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
  9. तेजी से बढ़ता शहरीकरण
  10. प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती खपत

ये सभी वो कारण हैं जिन्होंने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इनके अलावा न जाने और कितने ही ऐसे छोटे-बड़े कारण हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना एक आम इंसान के बस में नहीं है। एक सबसे गंभीर कारण है और वो है देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। ये वो कारण है जिसकी वजह से तेजी से पेड़ों की कटाई की जा रही है, औद्योगिकीकरण को और तेज़ किया जा रहा, मशीनों के प्रयोग में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है, गांवों को धीरे-धीरे खत्म करके उन्हें शहर में बदला जा रहा है, लोग रोज़गार के लिए अपने गांवों को छोड़कर शहरों में जा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का उपयोग लोग असीमित मात्रा में कर रहे हैं जिस वजह से प्रदूषण का स्तर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन हम मानव जाति के लोग अपनी ज़रूरतों के लालच में इन्हें बढ़ी ही बेरहमी से खत्म कर रहे हैं।

प्रदूषण के प्रकार

अब हम बात करते हैं प्रदूषण के प्रकारों के बारे में। प्रदूषण के इन प्रकारों के कारण भी पिछले कई सालों में प्रदूषण का स्तर बहुत ज़्यादा बढ़ गया है। प्रदूषण के कई अलग-अलग प्रकार हैं जिसकी वजह से प्रदूषण की समस्याओं में इज़ाफा हुआ है और ये प्रदूषण के बढ़ने के लिए ज़िम्मेदार भी हैं। प्रदूषण के प्रकार निम्नलिखित हैं. जैसे-

  • वायु प्रदूषणवायु प्रदूषण को प्रदूषण के सबसे खतरनाक प्रकारों में एक माना जाता है क्योंकि यह सीधा हवा में घुलकर हम सभी की सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है। वायु प्रदूषण के होने का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इनमें से निकलने वाले हानिकारक और जहरीले धुएं से लोगों को सांस लेने के लिए काफी मुश्किल और तकलीफ का सामना करना पड़ता है। लगातार बढ़ते हुए उद्योगों और वाहनों के कारण वायु प्रदूषण की मात्रा में काफी वृद्धि हुई है। वायु प्रदूषण के कारण लोगों को दिल और फेफड़ों से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। किसी भी प्रकार की जलने वाली आग से जो धुआं निकलता है, वह धुआं भी वायु प्रदूषण को बढ़ाता है और सभी जीवों को नुकसान पहुँचाता है।
  • जल प्रदूषण- जिन कारखानों में और घरों में हम काम करते हैं और वहाँ से जो कूड़ा-कचरा निकलता है उसे हम राह चलते कहीं पर भी फैंक देते हैं जो कई बार नालियों में बहता हुआ नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में जाकर मिल जाता है। इसे ही हम जल प्रदूषण कहते हैं। कभी शुद्ध, साफ-सुथरी और पवित्र मानी जानें वाली हमारी यह नदियां अब प्रदूषित होती जा रही हैं और कई तरह की बीमारियों का भी घर बन गई हैं। इसकी एक नहीं बल्कि बहुत सी वजह है जैसे प्लास्टिक पदार्थ, रासायनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के कचरों का पानी में मिल जाना। अगर ये कचरा एक बार जल में मिल जाता है तो फिर यह जल्दी से घुल नहीं सकता, जिस वजह से जल प्रदूषण होता है।
  • मृदा या भूमि प्रदूषण- जो कचरा फैक्ट्रियों और घरों से निकलकर पानी में घुल नहीं पाता है और फिर वह जमीन पर ही फैला रहता है, वो ही मृदा प्रदूषण की समस्या को बढ़ाता है। हालांकि इस कचरे को दोबारा प्रयोग में लाने के लिए विभिन्न स्तर पर कोशिश की जाती है। भूमि प्रदूषण की वजह से मच्छर, मक्खियाँ और दूसरे तरह के कीड़े पनपने लगते हैं, जिस वजह से मनुष्यों और दूसरे जीव-जंतुओं में अलग-अलग तरह की गंभीर बीमारियाँ होने लगती हैं और उनकी मृत्यु भी हो जाती है।
  • ध्वनि प्रदूषण- ध्वनि प्रदूषण का सीधा संबंध शोर या तेज़ आवाज़ से होता है। ध्वनि प्रदूषण कारखानों में चलने वाली तेज़ आवाज़ वाली मशीनों औक दूसरी तेज़ आवाज़ करने वाली चीज़ों से पैदा होता है। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण सड़क पर चलने वाली गाड़ियों, पटाखे फूटने की आवाज़ और लाउड स्पीकर के कारण भी अधिक होता है। ध्वनि प्रदूषण होने की वजह से मनुष्यों में मानसिक तनाव बढ़ जाता है, उनकी सुनने की क्षमता कम हो जाती है और कभी-कभी तो उनकी सुनने की ताकत की चली जाती है।

प्रदूषण से क्या हानि होती है?

प्रदूषण के बढ़ने से हमें कई अलग-अलग प्रकार की हानियों और नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जैसे- भूकंप, बाढ़, तूफान, भूस्खलन, जंगलों में आग, सूखा, महामारी आदि। ये हानियाँ और नुकसान सिर्फ प्रदूषण से ही नहीं हो रही बल्कि प्रदूषण के अलावा मनुष्य प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ कर रहा है, वह भी इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। प्रदूषण की वजह से मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। लोग शुद्ध और खुली हवा में सांस नहीं ले पा रहे हैं। लोगों का अशुद्ध भोजन खाना पड़ रहा है, गंदा जल पीना पड़ रहा है जिसके कारण कई तरह की गंभीर बीमारियां मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक परिणाम पैदा कर रही हैं। पर्यावरण-प्रदूषण की वजह से अब न तो समय पर वर्षा हो रही है और न ही सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक से चल रहा है। बढ़ती हुई प्राकृतिक घटनाओं का कारण भी प्रदूषण ही है। प्रदूषण की मार मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, नदियों, समुद्रों आदि सभी चीज़ों पर पड़ रही है। प्रदूषण से जो गंभीर हानि हो रही है, उसकी भरपाई करने में कितना समय लगेगा ये कोई नहीं जानता।

प्रदूषण से बचाव के उपाय

वर्तमान में हर व्यक्ति एक ही बात को लेकर चिंतित है कि कि प्रदूषण से कैसे बचा जाए? या प्रदूषण से बचाव के क्या उपाय हैं? यह सवाल तो सबके पास है लेकिन इसका जवाब आज भी नहीं मिल पाया है। अगर जवाब मिल भी गया है, तो क्या हम उस बात पर अमल करते हैं जो प्रदूषण को कम करने और प्रकृति को बचाए रखने के लिए सहायक है। प्रदूषण से तभी बचा जा सकता है जब हम सबसे पहले अपने अंदर बदलाव लाएंगे। प्रकृति को बिना कोई नुकसान पहुँचाए प्राकृतिक चीज़ों का ज़रूरत के हिसाब से इस तरह से उपयोग करेंगे कि यह भावी पीढ़ी के लिए भी सुरक्षित रह सकें।

हमें अपने भीतर यह भावना रखनी होगी कि जो कुछ भी प्रकृति से हमें मिला है, उसे किसी न किसी रूप में हम प्रकृति को वापिस ज़रूर करेंगे। ऐसा हम अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, अपने आसपास साफ-सफाई रखकर, संसाधनों का सीमित मात्रा में उपयोग करके, मशीनों का कम इस्तेमाल करके, प्लास्टिक की जगह कपड़ों से बने थैलों का इस्तेमाल करके, नदियों को साफ रखकर और जीव-जंतुओं की रक्षा करके ही कर सकते हैं। इसी तरह ही हम प्रकृति की रक्षा और उसके साथ न्याय दोनों ही कर सकेंगे और प्रदूषण से खुद को और लोगों को बचा सकेंगे।

निष्कर्ष

उपरोक्त सभी बातों को पढ़कर हम निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए हमें मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करने की ज़रूरत है, तभी देश में कोई बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। हमेशा किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक छोटे रूप में ही होती है। प्रकृति को कुदरत और ईश्वर दोनों ने ही मिलकर इस उम्मीद से रचा है कि हम मनुष्य उसके साथ बिना कुछ गलत किए उसकी हमेशा रक्षा करेंगे और उसकी शुद्धता, सुंदरता और नवीनता को बरकरार रखेंगे।

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