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देश प्रेम पर निबंध (Desh Prem Par Nibandh)

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Ekta Ranga
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आपने अधिकतर यह देखा होगा कि चिड़िया जिस पेड़ पर अपना घोंसला तैयार कर लेती है तो वह पेड़ उसको बहुत प्यारा हो जाता है। वह चिड़िया उस पेड़ को अपनी जमीन की तरह मानने लगती है। यह बात सभी के लिए लागू होती है। हम चाहे किसी भी देश में पैदा हो हमें उस देश की धरती और मिट्टी से लगाव होना स्वाभाविक है। देश प्रेम में कितने ही देश भक्तों ने अपना सर्वस्व त्याग दिया। और ऐसे बहुत से लेखक और कवि थे जिन्होंने अपने देशभक्ति स्वरूप कलम से देश प्रेम की रचनाएं की। देश प्रेमी अपनी सफलता वतन के प्रति उज्वल स्वप्न को साकार करने में ही मानते हैं। लोगों का अपने देश के लिए प्रेम और अपना जीवन उसकी सेवा के लिए व्यतीत करना ही उस देश के भविष्य को स्वर्णिम बनाता है।

प्रस्तावना

भगत सिंह ने अपना पूरा जीवन अपने देश के प्रति समर्पित कर दिया था। भगत सिंह के मन में जुनून था कि वह अपने देश को अंग्रेजी हुकूमत से छुटकारा दिलवाकर रहेंगे। सिर्फ भगत सिंह ही नहीं बल्कि राजगुरू और सुखदेव जैसे वीर सपूतों ने भी भारत के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। देश के प्रति प्रेम रखने वालों की सूची बहुत लंबी है। आखिर इन सभी देशभक्तों में ऐसा क्या था कि वह देश के लिए मर मिटने को तैयार हो गए? इसका उत्तर है देश प्रेम। देश प्रेम की भावना ने उन्हें यह साहसिक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। प्रत्येक नागरिक का यह दायित्व बनता है कि वह अपने देश के प्रति समर्पित भावना के दीपक की लौ सदैव जलाए रखे।

देश प्रेम क्या है?

देश प्रेम और कुछ नहीं बल्कि अपने वतन के लिए कुछ कर गुजरने का जुनून निरंतर एक समान बना रहने को कह सकते हैं। यह भावना अपने देश के नाम के उच्चारण मात्र से ही मन में जोश, उत्तेजना और अपार प्रेम की तरंगों का संचार कर देती है। एक सच्चा देश भक्त अपने देश की गरिमा को बनाए रखते हुए ऐसे कार्य को हजारों बार करेगा जिससे उसके देश का नाम विश्व भर में बार-बार सकारात्मक रूप से गूंज उठे। ऐसा होने से उसका मन ऐसा भाव विभोर हो उठता है मानो यह देश उसका अपनी संतान हो।

कई गीतकारों ने ऐसे गीतों की रचना की जिसमें देश भक्ति की झलक साफ-साफ दिखाई और सुनाई पड़ती है। ऐसे ही कुछ गीतों के कुछ बोल हैं- “मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती …”।, “ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी कसम, तेरी राहों में जान तक लुटा जाऐगे, फूल क्या चीज है, तेरे कदमों पे हम, भेंट अपने सिरों की चढ़ा जाएंगे…।” देश प्रेम की भावना हमारे अंदर से उत्पन्न होती है। यह भावना सभी नागरिकों में होनी चाहिए।

देश प्रेम का इतिहास कहां से शुरू हुआ?

देश प्रेम कोई नया शब्द नहीं है। हमारे देश के लोग हमेशा से ही देश के प्रति अपनी वफादारी निभाते आए हैं। आप इतिहास में अनेकों ऐसे महान शासकों को देख सकते हैं जिन्होंने भारत को विदेशी आक्रमणकारियों को भारत पर कब्जा जमाने के सपने को पूरा नहीं होने दिया। उदाहरण के लिए सम्राट चंद्रगुप्त, सम्राट अशोक, वीर शिवाजी आदि। इन सभी महान राजाओं ने विदेशी ताकत को कभी भी भारत पर हावी नहीं होने दिया। लेकिन देश प्रेम की उच्च कोटि की भावना हमें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देखने को मिली।

देश प्रेम का प्रथम उदाहरण हमें सन् 1857 के संग्राम के दौरान देखने को मिला। मेरठ से शुरू हुए इस संग्राम से अंग्रेजी हुकूमत की जड़े हिल उठी थीं। लेकिन सन् 1920 तक आते-आते देश प्रेम की भावना अपनी चरम सीमा तक पहुंच चुकी थी। इस दौरान हमारे देश के हर कोने से हजारों की संख्या में लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। देश के प्रति इतने असीम लगाव के चलते ही आखिरकार सन् 1947 में भारत पूर्ण रूप से आजाद हो गया।

आज के दौर में देशभक्ति

माना कि हमारा देश आज एक स्वतंत्र राष्ट्र है। लेकिन आज के आधुनिक दौर में भी हम देशभक्ति को अनेक रूप में देख सकते हैं। हमने 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्त की थी। इसी आजादी को हमने आज तक भी अपने दिल में कायम कर रखा है। हम आज भी बड़े ही उत्साह और जोश के साथ स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस को मनाते हैं। हर साल 15 अगस्त को स्कूल और दफ्तरों में झंडा फहराया जाता है। स्कूल और कॉलेज में परेड की जाती है। भारत में मेक इन इंडिया जैसे अभियान को बड़े ही उत्साह के साथ चलाया जाता है और लोग इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। आज के दौर में देश प्रेम को अनेकों रूपों में दिखाया जा सकता है जैसे कि देश को साफ सुथरा रखकर, भारत में बनी चीजों को खरीदकर और आपस में मिल जुलकर रहकर।

देश प्रेम पर निबंध 200 शब्दों में

हमारे देश की जो धरती है वह वीरों की धरती कहलाई है। यह धरती वीरों के बलिदान की साक्षी रही है। स्वामी विवेकानंद, भगत सिंह, राजगुरु, सुभाष चंद्र बोस और ना जाने कितने ही ऐसे महान पुरूष रहे हैं जिन्होंने लोगों के दिलों में राष्ट्र प्रेम की भावना जगाई। राष्ट्र प्रेम एक अलग प्रकार की भावना है। यह कुछ इस प्रकार की भावना है जैसे हम अपनी मां के लिए प्रेम की भावना का इजहार करते हैं। राष्ट्र प्रेम की भावना हमें अपने देश के लिए कुछ बड़ा करने का हौसला देती है।

जिसे अपने देश के लिए सच्चा प्रेम होता है वह कभी भी अपने देश की छवि को नुकसान नहीं पहुंचाने देता है। देश के प्रति समर्पण भाव रखना बहुत जरूरी है। जो लोग अपने देश के लिए वफादार नहीं होते हैं वह कभी भी अच्छे नागरिक की श्रेणी में नहीं आ सकते हैं। एक सच्चा देशभक्त निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करता है। सच्चा देशभक्त देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन करना चाहता है। आज हम सभी के लिए यह जरूरी है कि हम अपने अंदर राष्ट्रभक्ति को जागृत करके रखें। ऐसा करने से हमारा देश प्रगतिशील बनता है।

  1. देश प्रेम की भावना रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
  2. जैसे हम अपनी मां से प्रेम और लगाव रखते हैं ठीक उसी प्रकार की भावना हमें अपने देश के लिए भी रखनी चाहिए।
  3. सच्चे राष्ट्रभक्त कभी भी अपने देश की छवि नहीं बिगड़ने देते हैं।
  4. देशभक्त हमेशा स्वार्थहीन होकर देश की सेवा करते हैं।
  5. एक सच्चा देशभक्त कभी भी बेईमान नहीं हो सकता है।
  6. भगत सिंह, सुखदेव, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी आदि यह सभी लोग सच्चे राष्ट्रभक्त थे।
  7. हम अपनी देशभक्ति अनेकों रूप में दिखा सकते हैं।
  8. हमारे देश के जवान सच्चे राष्ट्रभक्त कहलाए जाते हैं।
  9. हमें मेक इन इंडिया मुहिम को बढ़ावा देना चाहिए।
  10. राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना हमें कहीं पर सिखाई नहीं जाती है। बल्कि यह भावना तो हमारे अंदर से ही जागृत होती है।
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