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भगवान श्री कृष्ण (कहानी-4) गोवर्धन पर्वत की कहानी

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Ekta Ranga

हमारे हिंदू धर्म में देवी देवताओं को लेकर बहुत ज्यादा आदर और सम्मान है। इसी देश में खूब सारे तीर्थ स्थान भी है। इन सभी तीर्थ स्थानों का अपना अलग महत्व है। आज की हमारी कहानी गोवर्धन पर्वत पर आधारित है। आखिर गोवर्धन पर्वत है क्या? गोवर्धन पर्वत का इतिहास बहुत पुराना है।

यह पर्वत सभी भक्तों में बहुत लोकप्रिय है। यह पर्वत उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है। इसी पर्वत पर गिरिराज धरण की मूर्ति भी है। लोग गिरिराज पर्वत की परिक्रमा भी करते हैं। लोगों के लिए यह पर्वत सदियों से आस्था का केंद्र रहा है। तो चलिए हम जानते हैं गोवर्धन पर्वत और श्री कृष्ण से जुड़ी एक रोचक कहानी।

वृंदावन नगरी एक समय पर बहुत ही खुशहाल नगरी मानी जाती थी। वहां पर सभी लोग खुशी खुशी मिलजुलकर साथ रहते थे। कान्हा के तो मानो सारे वृंदावन वासी बहुत ज्यादा दीवाने थे। वह हर पल कान्हा को ही याद किया करते थे। एक बार कान्हा ने सभी वृंदावन वासियों को बताया कि सभी को गोवर्धन पर्वत की पूजा जरूर करनी चाहिए।

श्री कृष्ण के ऐसे समझाने पर वृंदावन वासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी। कुछ समय पश्चात देवराज इंद्र को जब यह बात पता चली कि वृंदावन के लोग उनकी जगह गोवर्धन पर्वत को पूजने लगे हैं तो वह बेहद क्रोधित हुए। इंद्र ने सोचा कि अब वृंदावन के लोगों को सबक सिखाना ही होगा।

अब क्रोधित देवराज इंद्र ने वृंदावन में मूसलाधार बारिश करवा दी। अब आए दिन बारिश हो जाती थी। लोग लगातार बारिश से परेशान हो चुके थे। अब एक हफ्ते से अधिक समय बीत गया था। बारिश ने गाँव में बहुत कुछ बर्बाद कर दिया था। गाँव में बाढ़ ने कोहराम मचा दिया था। बाढ़ के चलते बहुत से लोग और जानवर भी मारे गए। अब सभी लोग त्राहि त्राहि करने लगे थे।

आखिरकार सभी लोगों ने यह सोचा कि उन सभी को श्री कृष्ण की शरण में जाना चाहिए। वह सभी श्री कृष्ण के पास इस समस्या का हल ढूंढने गए। श्री कृष्ण ने सभी लोगों की बात गौर से सुनी। वह समझ गए थे कि इस बाढ़ के पीछे दरअसल किसका हाथ था। श्री कृष्ण ने देवराज इंद्र को बारिश थामने के लिए कहा पर इंद्र ने श्री कृष्ण की बात को अनसुना कर दिया। बारिश लगातार हुए जा रही थी। ऐसे में श्री कृष्ण ने एक बेहतरीन उपाय सोचा।

श्री कृष्ण ने पूरा का पूरा गोवर्धन पर्वत अपनी छोटी अंगुली पर उठा लिया। लोग यह कारनामा देखकर हैरान हो गए। उन्होंने सोचा कि श्री कृष्ण ने अंगुली पर पर्वत कैसे उठा लिया। श्री कृष्ण ने सभी गाँव वालों को पर्वत के नीचे शरण लेने को कहा। सभी गाँव वाले और जानवर ने उस पर्वत के नीचे आकर शरण ले ली। अंत में इंद्र को हार माननी ही पड़ी। सभी ने यह मान लिया कि श्री कृष्ण कोई साधारण इंसान नहीं।

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