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भगवान श्री कृष्ण की मनोहर कहानियां (Krishna Stories in Hindi)

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Ekta Ranga

भगवान की धार्मिक किताबों से और अनेकों देवी देवताओं की कथा कहानियों से हमारा बचपन से ही रिश्ता नाता रहा है। जब हम छोटे थे तो हम सभी अपने दादा-दादी और नाना-नानी से बड़े चाव के साथ राम कथा और कृष्ण लीलाओं को सुना करते थे। यहां तक कि जब दूरदर्शन पर इन कथाओं का प्रसारण हुआ करता था तो हम सभी सपरिवार सहित इनको देखा भी करते थे। हालांकि आज के समय में यह शौक थोड़ा कम जरुर हो गया है। आजकल के बच्चों को मोबाइल फोन पर गेम खेलना ज्यादा अच्छा लगता है लेकिन तो भी इन धार्मिक कहानियों की मान्यता आज भी बरकरार है।

भगवान श्री कृष्ण की मनोहर कहानियां

आज के समय में भी लोग भगवान श्री कृष्ण और राम को उतना ही मानते हैं जितना कि पहले के ज़माने में माना करते थे। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से तो हम सभी परिचित हैं। मैं खुद भी भगवान श्री की लीलाओं को भरपूर आनंद लेकर पढ़ती थी। श्री कृष्ण को आज के इस ज़माने में मैनेजमेंट गुरु माना जाता है।

उनके द्वारा दी गई शिक्षा का लोग अपने जीवन में अनुसरण करते हैं। श्री कृष्ण को लोग कान्हा और कन्हैया आदि नामों से भी जानते हैं। श्री कृष्ण सभी लोगों के लिए आदर्श भगवान है। कृष्णा का जन्म जन्माष्टमी के दिन ही हुआ था। इसी वजह से जन्माष्टमी मनाई जाती है। श्री कृष्ण को विष्णु जी का अवतार माना जाता है।

श्री कृष्ण कौन थे?

श्री कृष्ण हिंदू देवता हैं। श्री कृष्ण को पूरी दुनिया पूजती है। श्री कृष्ण को मैनेजमेंट गुरु के रूप में भी देखा जाता है। वह 21वी शताब्दी के लोगों को यह शिक्षा देते हैं कि उन्हें इस तनाव भरी जिंदगी में भी कैसे तनाव मुक्त होकर रहना चाहिए। श्री कृष्ण का जीवन काफी अनोखा था। असल में तो वह वासुदेव और देवकी की असली संतान थे। लेकिन वासुदेव ने श्री कृष्ण को कंस से बचाने के लिए कृष्ण जी को खुद से अलग कर दिया था।

वासुदेव श्री कृष्ण को वृंदावन ले गए और यशोदा और नंद जी के घर उनको छोड़कर चले गए। यशोदा और नंद जी ने ही मिलकर उनका लालन पालन किया। बाद में जब श्री कृष्ण बड़े हुए तो वह वृंदावन छोड़कर दोबारा मथुरा चले गए। पूरी दुनिया में वह अपने 108 नामों से प्रख्यात है। श्री कृष्ण की बाल लीलाएं बड़ी ही मनोहर थी। श्री कृष्ण को ही समर्पित होता है जन्माष्टमी का त्यौहार। इस त्यौहार को लोग बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाते हैं।

भगवान श्री कृष्ण की मनोहर कहानियां पढ़ें

(कहानी-1) रास्ते का मित्र कौन था?
(कहानी-2) भगवान श्री कृष्ण के सिर दर्द की कहानी
(कहानी-3) चावल के एक दाने की कहानी
(कहानी-4) गोवर्धन पर्वत की कहानी
(कहानी-5) कृष्ण बन गए रखवाले
(कहानी-6) श्री कृष्ण की 16 हजार पत्नियों वाली असली कहानी
(कहानी-7) कृष्ण को गोविंद क्यों कहते हैं?
(कहानी-8) श्री कृष्ण और भक्त मोर की कहानी

जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?

जन्माष्टमी को भारत का एक प्रमुख त्यौहार माना जाता है। कहते हैं कि इसी दिन ही श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कृष्ण जी का जन्म माना जाता है। श्री कृष्ण द्वापर युग के भगवान के रूप में जाने जाते हैं। श्री कृष्ण समय जगत के पालनकर्ता हैं। अब यह समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है। इस त्यौहार को मनाने के पीछे बहुत बड़ा कारण है।

दरअसल यह त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था। क्योंकि कृष्ण जी का जन्म आधी रात को हुआ था इसलिए इस दिन भारत के सभी कृष्ण मंदिरों में पूजा भी रात के 12 बजे के बाद ही की जाती है। इस दिन लोग मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं और रात को 12 बजे के बाद ही अपना व्रत खोलते हैं। यह त्यौहार शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

कृष्ण और सुदामा की दोस्ती

इस दुनिया में सच्चे दोस्तों की लंबी लिस्ट है। लेकिन क्या आपको पता है कि कृष्ण और सुदामा की दोस्ती को पूरी दुनिया में सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। कृष्ण और सुदामा बहुत ही पक्के मित्र थे। आज के समय में ऐसे पक्के मित्र मिलना बड़े भाग्य की बात होती है। कृष्ण जी तो राजघराने से ताल्लुक रखते थे। तो दूसरी ओर सुदामा तो गरीब ब्राह्मण थे। वह भिक्षा लेकर अपने बच्चों का पेट पालते थे। उनका जीवन गरीबी में ही गुज़रता था।

उन्होंने कभी भी इस बात की किसी से भी शिकायत नहीं की। लेकिन कृष्ण भगवान को अपने दोस्त की स्थिति का अंदाजा था। एक बार सुदामा काफी दिनों बाद अपने मित्र से मिलने द्वारिका पहुंचे। वहां पहुंच कर भी उन्होंने श्री कृष्ण से अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में कुछ बताया नहीं। उनकी ईमानदारी से खुश होकर कृष्ण जी ने उनको धन संपदा से भर दिया।

FAQs

Q1. भगवान श्री कृष्ण के माता-पिता का नाम क्या था?

A1. भगवान श्री कृष्ण के पिता का नाम वासुदेव था और उनकी माता का नाम देवकी था।

Q2. कृष्ण जी की पटरानियों के नाम बताइए?

A2. कृष्ण जी की पटरानियों के नाम कुछ इस प्रकार है- रुक्मिणी, सत्यभामा, जांबवती, नागनजिती, कालिंदी, मित्रविंदा, भद्रा और लक्ष्मणा।

Q3. भगवान कृष्ण के राज्य को क्या कहा जाता है?

A3. भगवान कृष्ण के राज्य को द्वारिका के नाम से जाना जाता है।

Q4. महाभारत में कृष्ण ने किसका साथ दिया था?

A4. महाभारत में कृष्ण ने कौरवों का साथ ना देकर पांडवों का साथ दिया था। श्री कृष्ण अच्छे से जानते थे कि कौन सही है और कौन गलत।

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