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भगवान श्री कृष्ण (कहानी-7) कृष्ण को गोविंद क्यों कहते हैं?

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Ekta Ranga

नंदलाला, गोपाला, गोविन्द, मुरलीधर, कान्हा, मुरारी, नन्द गोपाल, राधेश्याम, श्याम, द्वारकाधीश, रणछोड़, वासुदेव, नंदलाला आदि यह नाम भला किसके हो सकते हैं? निस्संदेह रूप से यह सभी नाम भगवान श्री कृष्ण के अलावा और किसी के भी नहीं हो सकते हैं। श्री कृष्ण को सभी अलग अलग नाम से बुलाते हैं।

कृष्ण को ही गोविंद के नाम से भी जाना जाता है। हमें यह पता है कि कृष्ण को गोविंद कहते हैं। लेकिन क्या आपको गोविंद शब्द का सही अर्थ पता है? गो + विंद = गोविंद। गो का अर्थ होता है गाय और विंद का अर्थ होता है गायों का रक्षक। तो गोविंद का सही अर्थ हुआ गायों का उद्धारक। क्या आपको इस नाम के पीछे की असली कहानी पता है? तो आइए हम जानते हैं कि गोविंद नाम के पीछे की असली कहानी क्या है।

श्री कृष्ण को लेकर अनेक कहानियां पढ़ने को मिलेगी। यह सभी कहानियां पढ़ने में बहुत ही आनंद देती हैं। ऐसी ही एक कहानी गाय और श्री कृष्ण से जुड़ी है। श्री कृष्ण को ग्वाले और सभी गायें बहुत ही ज्यादा प्रेम करती थी। कहते हैं कि जब कभी भी श्री कृष्ण अपनी बांसुरी की मीठी धुन छेड़ते थे तब कृष्ण जी के सभी सखा और उनकी गायें कृष्ण जी के पास आकर बैठ जाया करती थे और मन लगाकर बांसुरी की धुन सुनती थे। पूरे वृंदावन को पता लग चुका था कि श्री कृष्ण गाय के सबसे बड़े शुभचिंतक हैं।

एक बार की ही बात है जब कृष्ण जी हर दिन की ही तरह अपनी गायों को घास चराने के लिए जंगल में ले गए थे। हमेशा की ही तरह आज भी वह मुरली बजाने में व्यस्त थे। तभी उनको सुनाई दिया कि एक गाय जोर जोर से रंभा रही थी। क्योंकि कृष्ण जी को पता था कि घास चरते समय उनकी कोई भी गाय ऐसी प्रतिक्रिया नहीं देती थी।

इसलिए उनको आभास हुआ यह गाय कोई और ही थी। जब श्री कृष्ण ने अपनी आंखें खोली तो देखा कि वहां एक अलग गाय खड़ी थी। उस गाय ने अपना परिचय कामधेनु नाम से दिया। कृष्ण जी भी कामधेनु को देखकर बहुत खुश हुए। कामधेनु गाय ने कहा कि वह कृष्ण जी का अभिषेक करना चाहती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कृष्ण जी सभी गायों की तन मन से सेवा करते हैं और उनकी रक्षा भी करते हैं।

कान्हा ने कामधेनु को अभिषेक करने के लिए हामी भर दी। फिर जैसे ही अभिषेक पूरा हुआ तो कृष्ण जी ने कामधेनु का अभिनंदन किया। फिर समस्त देवी देवताओं ने कामधेनु और कृष्ण जी पर फूलों की बारिश की। ठीक उसी समय इंद्र देवता भी वहां पर प्रकट हुए। इंद्र देवता ने भी उन दोनों को आशीर्वाद दिया। फिर इंद्र देव और कामधेनु ने कृष्ण जी को एक नया नाम दिया – गोविंद। यह नाम उन दोनों ने इसलिए रखा क्योंकि श्री कृष्ण गायों के सच्चे रखवाले थे। कृष्ण जी को सभी गायों का आशीर्वाद मिल गया था।

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