श्री कृष्ण पूरी दुनिया में बहुत ज्यादा पूजनीय हैं। पूरी दुनिया में उनके अनेकों भक्त हैं। वह सभी श्री कृष्ण को ही अपनी दुनिया मानते हैं। श्री कृष्ण ने ही पूरे विश्व को गीता का ज्ञान दिया था। आज के इस तनाव भरे दौर में गीता का अभ्यास होना बहुत ज्यादा आवश्यक है। गीता हमें जीने की असली राह दिखाती है।
गीता के ज्ञान के बिना मानो हमारा जीवन अधूरा है। श्री कृष्ण हमारे जीवन का आधार है।श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी अनेकों कथाएं हैं। हर कोई कथा का अपना अपना महत्व है। हर कहानी हमें एक प्रकार का सामाजिक संदेश देती है। यह सभी कहानियां पढ़ने में बहुत मनोहर है। यह सभी कहानियां इनके बचपन से लेकर इनके बड़े होने तक की सारी कहानियों को दर्शाती है। हम सभी श्री कृष्ण की लीलाएं पढ़कर ही बड़े हुए हैं। श्री कृष्ण की लीलाओं से हमारी अनेकों यादें जुड़ी है।
ऐसे तो श्री कृष्ण की अनेकों कथाएं हैं। लेकिन आज हम एक अलग ही कहानी पढ़ेंगे। आज की हमारी कहानी श्री कृष्ण की 16 हजार पत्नियों पर आधारित है। हम सभी यह जानते हैं कि कृष्ण जी की 16 हजार पत्नियां थी। बचपन से हम सभी को यही बताया जाता है कि उन्होंने 16 हजार पत्नियों से विवाह किया था।
लोग इस बात को लेकर अलग अलग कहानियां सुनाते हैं। कोई कुछ राय रखता है तो कोई कुछ राय। सब अपने अपने नजरिए से इस कहानी के ऊपर अपनी अलग राय रखता है। ऐसे लोगों की संख्या कम है जो इस कहानी को पूरी गहनता से जानते हैं।
लेकिन ऐसे लोगों की तादाद ज्यादा है जो इस कहानी के बारे में आधा अधूरा ज्ञान रखते हैं। बहुत से लोगों को यह जानकारी नहीं है कि श्री कृष्ण ने 16 हजार महिलाओं से विवाह आखिर क्यों किया था। सभी धर्मग्रंथों में इस कहानी का अच्छे से उल्लेख मिलता है। तो चलिए हम इस कहानी को अच्छे से जानते हैं।
हम सभी ने कृष्ण कथाएं पढ़ी है। उन कथाओं के माध्यम से हमें यह पता चलता है कि श्री कृष्ण की आठ पत्नियां थी। यह आठों पत्नियां श्री कृष्ण भगवान की पटरानियां थी। इन सभी का नाम था- रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा।
यह सभी पटरानियां कृष्ण जी के जीवन के हर एक पड़ाव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। इन सभी आठों पत्नियों से कृष्ण जी को 10 पुत्र और एक पुत्री की प्राप्ति हुई। सारी संतानें बहुत ही भाग्यशाली थी। यह सारी आठों पटरानियां आपस में मिलजुलकर रहती थी। एक दूसरे से सलाह मशविरा करती थी।
लेकिन इन 8 पत्नियों के अलावा कृष्ण जी की 16 हजार पत्नियों का उल्लेख भी अनेक हिंदू धर्मग्रंथों में मिलता है। तो आइए हम जानते हैं कि आखिर कृष्ण जी ने क्यों 16 हजार महिलाओं से विवाह किया था।
हम सभी ने यह सुना है कि श्री कृष्ण की 16 हजार पत्नियां थी। लेकिन इतनी पत्नियां रखने के पीछे आखिर बड़ा कारण क्या था? इसके पीछे एक कहानी प्रचलित है। कहानी दुष्ट असुर नरकासुर के जीवन से जुड़ी है। एक बहुत बड़ी राजधानी थी जिसका नाम था प्राग्ज्योतिषपुर। उस सुंदर राजधानी में नरकासुर नाम का एक अत्यंत ही दुष्ट राक्षस रहता था।
नरकासुर के माता-पिता बड़े ही पुण्यात्मा स्वभाव के थे। लेकिन वह असुर स्वभाव का था। वह राक्षस बहुत सी सुंदर औरतों का अपहरण कर लिया करता था। वह उन औरतों पर बहुत ज्यादा जुल्म किया करता था। उस दुष्ट राक्षस ने इंद्र देवता का सिंहासन भी छीन लिया था। इसी बात के चलते इंद्र देवता श्री कृष्ण के पास मदद मांगने गए।
श्री कृष्ण को जब नरकासुर के कारनामे पता चले तो वह माता सत्यभामा को लेकर नरकासुर की नगरी पहुंचे। वहां जाकर सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया। और आखिरकार जगत को नरकासुर के आतंक से छुटकारा मिल गया। नरकासुर के मरते ही 16 हजार बंदी औरतों को भी रिहा करवा लिया गया।
अब परेशानी यह थी उन बंदी की गई औरतों को कौन अपनाएगा? सभी 16 हजार औरतों ने श्री कृष्ण से प्रार्थना की कि वह उन सभी औरतों को शरण दे दे। श्री कृष्ण बिना ज्यादा सोचे और बिना संकोच के उन सभी औरतों को पत्नी के रूप अपना लिया। अब वह सभी औरतें सम्मानपूर्वक द्वारिकापुरी में रहने लगी।
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