अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)- हिंदी भाषा ऐसे आसान मानी जाती है। परंतु जब हम बात करते हैं इसकी व्याकरण की, तो वह थोड़ी सी जटिल ही होती है। और यह बात केवल हिंदी व्याकरण की ही नहीं है बल्कि दुनियाभर की सभी भाषाओं के लिए यह नियम लागू होता है। हिंदी व्याकरण में सबसे जटिल अगर कोई अध्याय लगता है तो वह समास का अध्याय ही है। समास को समझना थोड़ा मुश्किल होता है। इसको समझने के लिए हमें इसे गहनता से पढ़ना पड़ता है। जब दो या उसके अधिक शब्दों के परस्पर मेल से जो शब्द बनते हैं तो उन्हें हम समास कहते हैं।
अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)
जब भी परीक्षाएं नजदीक आती हैं तब सभी बच्चों को यह चिंता सताने लग जाती है कि समास जैसे इतने कठिन अध्याय को वह कैसे याद करेंगे। उनकी यह चिंता वाजिब है। लेकिन इस दुनिया में कोई भी चीज अगर मुश्किल होती है तो वह आसान भी बनाई जा सकती है। समास तब होता है जब दो या उससे अधिक शब्दों का परस्पर मेल हो जाए। जैसे- कमल के समान चरण = चरणकमल।
अव्ययी भाव समास, तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, द्विगु समास, द्वन्द्व समास और बहुव्रीहि समास यह सभी समास के छह प्रकार के भेद हैं। यह सभी भेद अपने आप में खास महत्व रखते हैं। तो आज का हमारा विषय है कि अव्ययीभाव समास का अर्थ क्या होता है। अव्ययीभाव समास के सूत्र क्या होते हैं और उनका हिंदी और संस्कृत का अर्थ क्या है। तो चलिए हम पढ़ना शुरू करते हैं कि अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं।
अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं?
जब कोई दो शब्द मिलते हैं और एक अलग समस्त पद को बनाते हैं तब वह अव्ययीभाव समास कहलाते हैं। अव्ययीभाव समास में पहला पद हमेशा अव्यय माना जाता है और इसका मतलब मुख्य माना जाता है।
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अव्ययीभाव समास की परिभाषा
हिंदी व्याकरण में समास एक ऐसा अध्याय है जिसको समझना थोड़ा सा टेढ़ा लगता है। अव्ययीभाव समास को समझने में थोड़ी सी मशक्कत करनी पड़ती है। वह समास जिसका पहला पद अव्यय हो एवं उसके संयोग से समस्तपद भी अव्यय बन जाए, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
संस्कृत के अनुसार अव्ययीभाव समास में एक पद तो अव्यय होता है और दूसरा पद संज्ञा हो जाता है। यह याद रखने योग्य बात है कि अव्ययीभाव समास के पहले पद में हमेशा अनु, आ, प्रति, भर, यथा, यावत, हर आदि आता है। जैसे- अनुशासन, आजीवन, प्रतिदिन, भरपूर आदि।
अव्ययीभाव समास के भेद
अव्ययीभाव समास के भेद दो प्रकार के होते हैं-
1) अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास
2) नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास
अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास
अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास में पहला पद अव्यय का होता है और दूसरा पद संज्ञा का होता है। उदाहरण के लिए- यथाशक्ति मतलब शक्ति के अनुसार।
नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास
वह है जहां पर पहला पद संज्ञा का होता है और दूसरा पद अव्यय होता है। उदाहरण के लिए- मृत्युपरान्त मतलब मृत्यु के उपरान्त।
अव्ययीभाव समास के उदाहरण
कुशलतापूर्वक | कुशलता के साथ |
प्रतिपल | हर पल |
यथारूचि | रूचि के अनुसार |
आमरण | मृत्यु तक |
निडर | बिना डर के |
यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार |
यथाविधि | विधि के अनुसार |
निर्भय | बिना भय के |
सहसा | एक दम से |
भरपूर | पूरा भर के |
बेलगाम | बिना लगाम के |
रातोंरात | रात-ही-रात में |
प्रतिवर्ष | हर वर्ष |
द्वार-द्वार | हर एक द्वार |
निस्संदेह | संदेह रहित |
बखूबी | खूबी के साथ |
सादर | आदर सहित |
भरसक | पूरी शक्ति के साथ |
प्रत्यक्ष | आंखों के सामने |
सुनासुनी | सुनने के बाद सुनना |
सपरिवार | परिवार के सहित |
प्रत्याशा | आशा के बदले आशा |
प्रतिद्वंवद्वी | द्वन्द्व करने वाले का विरोधी |
निरामिष | बिना माँस के |
सरयूपार | सरयू के पार |
अनुसार | जैसा सार है वैसा |
अनुदान | दान की तरह का दान |
अनुचिंतन | चिंतन के बाद किया जाने वाला चिंतन |
आकंठ | कंठ तक |
अकारण | बिना कारण के |
नासमझ | बिना समझ के |
आमने-सामने | एक दूसरे के सामने |
फूटम-फूट | फूट के बाद फूट |
दुस्तर | जिसको पार करना कठिन हो |
दरहकीकत | हकीकत में |
बेखटके | बिना खटके के |
गांव-गांव | हर गांव में |
शहर-शहर | हर शहर में |
धड़ाधड़ | जल्दी से |
प्रति सप्ताह | हर सप्ताह |
व्यर्थ | बिना अर्थ के |
साफ साफ | साफ के बाद साफ |
समक्ष | आंख के सामने |
सशर्त | शर्त के साथ |
सशक्त | शक्ति के साथ |
प्रतिरक्षा | रक्षा के बदले रक्षा |
लाजवाब | जिसका जवाब ना हो |
गंगा पार | गंगा के पार |
लाभार्थ | लाभ के लिए |
यमुना पार | यमुना के पार |
अव्ययीभाव समास का संस्कृत अर्थ
संस्कृत के अनुसार अव्ययीभाव समास का पहला पद अव्यय होता है और दूसरा शब्द हमेशा विशेषण या फिर संज्ञा होता है। संस्कृत में दो पद मिलकर अव्यय बन जाते हैं।
अव्ययीभाव समास का पाणिनि सूत्र
“अव्ययं विभक्तिसमीपासमृद्धिव्यृद्ध्यर्थाभावात्ययासं प्रति शब्दप्रादुर्भाव ।पश्चाद्यथाऽऽनुपूर्व्ययौगपद्यसादर्शकसम्पत्तिसाकल्यान्तवचनेषु।”
अव्ययीभाव समास के संस्कृत उदाहरण
1) विद्युतरसम् = जराया: समीपम् (वृद्ध के निकट)
2) प्रत्यर्थम् = अर्थम् अर्थ प्रति (प्रत्येक अर्थ )
3) हरेः सादृश्यम् (दृष्टि के सदृश) = सहरि
4) दिनं दिनं प्रति ( दिन दिन (प्रत्येक दिन) = प्रतिदिनम्
5) समुद्रम् = मद्रणां समृद्धि: ( मद्रवासियो की समृद्धि)
6) भिक्षाणां समृद्धि = सुभिक्षम् (भिक्षाटन की समृद्धि) व्यृद्धि
7) गङ्गायाः समीपम् = उपगङ्गम् (गंगा के समीप)
8) मक्षिकाणाम् अभाव = निर्मक्षिकम् (मक्खियों का अभाव )
9) हरिशबदस्य प्रकाश:= इतिहरि (हरि शब्द का प्रकट होना)
10) रूपस्य योग्ययम् = अनुरूपम् (रूप के योग्य)
निष्कर्ष
तो आज का हमारा विषय काफी अनोखा था। आज हमने सीखा कि अव्ययीभाव समास का अर्थ क्या होता है। हमने इसके भेद के साथ-साथ उदाहरण भी सीखे। हम यह आशा करते हैं कि सभी स्कूली और काॅलेज के विद्यार्थियों के लिए यह पोस्ट अच्छी और मददगार साबित होगी।
FAQs
A1. जब प्रथम पद प्रधान होता है और समस्त पद क्रिया विशेषण अव्यय होता है तो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
A2. अव्ययीभाव समास दो प्रकार के होते हैं –
1) अव्यय पद पूर्व अव्ययीभाव समास
2) नाम पद पूर्व अव्ययीभाव समास
A3. (1) अनजाने = बिना जाने हुए।, (2) प्रत्युपकार = उपकार के प्रति, (3) अभूतपूर्व = जो पूर्व नहीं भूत है, (4) यथामति = मति के अनुसार, (5) यथास्थान = स्थान के अनुसार, (6) हाथों हाथ = एक हाथ से दूसरे हाथ
A4. जिस शब्द में वचन, लिंग आदि के कारण कोई विकार नहीं होता तब वह अव्यय कहलाता है।
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