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Class 9 Geography Ch-3 “अपवाह” Notes In Hindi

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Navya Aggarwal

इस लेख में छात्रों को एनसीईआरटी 9वीं कक्षा की भूगोल की पुस्तक यानी समकालीन भारत-1” (भूगोल)” के अध्याय-3 “अपवाह” के नोट्स दिए गए हैं। विद्यार्थी इन नोट्स के आधार पर अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ रूप प्रदान कर सकेंगे। छात्रों के लिए नोट्स बनाना सरल काम नहीं है, इसलिए विद्यार्थियों का काम थोड़ा सरल करने के लिए हमने इस अध्याय के क्रमानुसार नोट्स तैयार कर दिए हैं। छात्र अध्याय- 3 भूगोल के नोट्स यहां से प्राप्त कर सकते हैं।

Class 9 Geography Chapter-3 Notes In Hindi

आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दो ही तरह से ये नोट्स फ्री में पढ़ सकते हैं। ऑनलाइन पढ़ने के लिए इस पेज पर बने रहें और ऑफलाइन पढ़ने के लिए पीडीएफ डाउनलोड करें। एक लिंक पर क्लिक कर आसानी से नोट्स की पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं। परीक्षा की तैयारी के लिए ये नोट्स बेहद लाभकारी हैं। छात्र अब कम समय में अधिक तैयारी कर परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। जैसे ही आप नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करेंगे, यह अध्याय पीडीएफ के तौर पर भी डाउनलोड हो जाएगा।

अध्याय-3 “अपवाह“

बोर्डसीबीएसई (CBSE)
पुस्तक स्रोतएनसीईआरटी (NCERT)
कक्षानौवीं (9वीं)
विषयसामाजिक विज्ञान
पाठ्यपुस्तकसमकालीन भारत-1” (भूगोल)
अध्याय नंबरतीन (3)
अध्याय का नाम“अपवाह”
केटेगरीनोट्स
भाषाहिंदी
माध्यम व प्रारूपऑनलाइन (लेख)
ऑफलाइन (पीडीएफ)
कक्षा- 9वीं
विषय- सामाजिक विज्ञान
पुस्तक- समकालीन भारत-1” (भूगोल)
अध्याय- 3 “अपवाह”

अपवाह किसी विशेष क्षेत्र के नदी तंत्र को बताता है, जैसे किसी नदी की धारा का निकास किसी समुद्र या झील में होना। नदी तंत्र में जिस क्षेत्र को सम्मिलित किया जा रहा होता है, उसे अपवाह द्रोणी कहा जाता है।

भारत का अपवाह तंत्र

भारतीय नदियों का विभाजन

  • हिमालयी नदियाँ- ये नदियाँ बारहमासी होती हैं, ये सिंधु और ब्रह्मपुत्र की पर्वत शृंखला के उत्तरी भाग से निकलती हैं। ये समुद्र तक का लंबा रास्ता तय करती हैं। ये नदियाँ नीचे आकार विसर्प और गोखुर झील का और डेल्टा का निर्माण करती हैं।
  • प्रायद्वीपीय नदियाँ– ये मौसमी और वर्षा पर निर्भर होती हैं। इनकी लंबाई कम होती है, ये नदियां पश्चिमी घाटों से निकलती हैं, और इनका बहाव बंगाल की खाड़ी की ओर होता है।
हिमालयी नदियाँ

सिंधु नदी तंत्र

  • तिब्बत की ओर से मानसरोवर झील से उद्गम, लद्दाख से भारत में प्रवेश। यहीं पर श्योक, नुबरा, जांस्कर, हुंजा, इसकी सहायक नदियां मिलती हैं।
  • आगे जाकर इसमें सतलुज, चेनाब, व्यास, रावी और झेलम मिलती हैं। इसकी लंबाई 2,900 किलोमीटर है।
  • ये नदी कराची से होते हुए अरब सागर में गिरती है, भारत में इसकी द्रोणी केवल लद्दाख, जम्मू कश्मीर, हिमाचल और पंजाब में ही है।

गंगा नदी तंत्र

  • भागीरथी (गंगा की मुख्य नदी) का उद्भव गंगोत्री ग्लेशियर से है, उत्तराखंड में जाकर इसमें अलकनंदा मिलती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियां हैं- गंडक, यमुना, घाघरा, कोसी आदि।
  • यमुना का संगम गंगा से इलाहाबाद में होता है। गंगा की सहायक नदियां जैसे-कोसी, उत्तरी मैदानों में बाढ़ लाती हैं।
  • चम्बल और बेतवा गंगा की प्रायद्वीपीय उच्चभूमि से आने वाली सहायक नदियां हैं। सहायक नदियों के मिलने के बाद यह पश्चिम बंगाल में फरक्का तक बहती हैं।
  • यह दो भागों में बंट जाती हैं- भागीरथी हुगली, दक्षिण की ओर बहकर डेल्टा का निर्माण कर, बंगाल की खाड़ी में बह जाती है।
  • गंगा बांग्लादेश में प्रवेश पाने के बाद ब्रह्मपुत्र से मिलकर सुंदरवन डेल्टा का निर्माण करती है। गंगा की लंबाई 2500 किलोमीटर से भी अधिक है।

ब्रह्मपुत्र नदी

  • तिब्बत की मानसरोवर झील से उद्गम, इसका अधिकतर मार्ग भारत के बाहर से होता हुआ आता है। नामचा बरवा के समानांतर यह अरुणाचाल प्रदशे से भारत में प्रवेश करती है।
  • अरुणाचल प्रदेश में इसे दिबांग नाम से जाना जाता है, और असम में दिबांग, लोहित, केनालु आदि सहायक नदियां मिलने के बाद यह ब्रह्मपुत्र कहलाती है।
  • भारत में आकर नदी में जल और स्लिट की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे यह यहाँ द्वीपों का निर्माण करती हैं। अन्य नदियों के विपरीत इस नदी में स्लिट की मात्रा ज्यादा होने के कारण इसकी सतह बढ़ जाती है, और यह अपने मार्ग में परिवर्तन करती है।
प्रायद्वीपीय नदियां

यहाँ जल विभाजन का निर्माण पश्चिमी घाट द्वारा होता है। यह पश्चिमी घाट के उत्तर से दक्षिण की ओर स्थित है। इन नदियों का अपवाह आकार में छोटा होता है।

नर्मदा नदी

  • अमरकंटक (मध्य प्रदेश) से उद्गम, जबलपुर से यह नदी संगमरमर के शैलों पर तेज बहाव से जल प्रपातों का निर्माण करती है।
  • इसकी सहायक नदियां काफी छोटी हैं और यह नदी द्रोणी मध्य प्रदेश और गुजरात तक ही विस्तृत है।

तापी नदी

  • सतपुड़ा रेंज से उद्गम, यह नर्मदा के समान ही भ्रंश घाटी से बहती है, इसकी लंबाई कम है। यह मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में विस्तृत है।
  • पश्चिम की ओर, साबरमती, माही, भारत-पूजा और पेरियार नदी बहती हैं।

गोदावरी नदी

  • महाराष्ट्र के नासिक से उद्गम, 1,500 किलोमीटर लंबाई। यह प्रायद्वीपीय नदियों में सबसे लंबी नदी है।
  • इसकी द्रोणी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़ीशा और आंध्र प्रदेश में स्थित है। सहायक नदियां- पूर्णा, वर्धा, पेनगंगा, वेनगंगा।
  • इसके आकार और विस्तार के कारण इसे दक्षिण गंगा के नाम से जाना जाता है।

महानदी

  • यह छत्तीसगढ़ में उदित होकर उड़ीसा में बहते हुए, बंगाल की खाड़ी में बह जाती है।
  • इसकी लंबाई 860 किलोमीटर है, और यह महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड और उड़ीसा में बहती है।

कृष्णा नदी

  • महाबलेश्वर के एक स्त्रोत से निकलकर, 1400 किलोमीटर बहती है, और बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  • सहायक नदियां- तुंगभद्रा, कोयना, घाटप्रभा, मुसी और भीमा। इसका विस्तार महाराष्ट्र, कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में है।

कावेरी नदी

  • इसका उद्भव ब्रह्मगिरी शृंखला से है, और दक्षिण में बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
  • इसकी लंबाई 760 किलोमीटर है, सहायक नदियां- अमरावती, भवानी, हेमावती और काबिनी है।
  • इसका विस्तार, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में है।

झीलें

  • जब पृथ्वी की सतह की गर्तों में जल जमाव हो जाता है, उन्हें झील कहा जाता है। भारत में भी कई झीलें हैं। इन झीलों में केवल वर्षा ऋतु में ही पानी आता है।
  • इनमें से कुछ झीलों का निर्माण बर्फ पिघलने के कारण होता है, कुछ का निर्माण नदियों और मानवीय क्रियाकलापों के परिणाम से हुआ।
  • नदियों से बनी झीलों में स्पिट और रोधिका अधिक होती हैं, जो तटों पर लैगून का निर्माण करती हैं, जैसे- चिल्का झील।
  • कुछ झीलों का पानी खारा होता है, जैसे राजस्थान की सांभर झील। हिमालय में प्रमुख रूप से मीठे पानी की झीलें होती हैं, जैसे जम्मू कश्मीर की वुलर झील, इसके अलावा डल, भीमताल, लोकताक, बड़ापनी झील आदि मीठे पानी की झीलें हैं।
  • झीलों का महत्व मानव जीवन में बेहद है, यह बाढ़ और सूखे के समय में पानी को संतुलित बनाए रखती है।

अर्थव्यवस्था में नदियों की आवश्यकता

  • यह मूल रूप से प्राकृतिक संसाधन हैं। यह मानवीय क्रियाकलापों के लिए भी आवश्यक है। भारत जैसे देश में भी नदियों के जल पर अधिकांश जनता कृषि और सिंचाई के लिए अधिक निर्भर है।
नदी प्रदूषण
  • नदी जल की विभिन्न मांगों के चलते, इसकी गुणवत्ता पर कई प्रकार से असर हुआ है।
  • उद्योगों में कार्यों के चलते कचरे का निदान इन्हीं नदियों में होता है, जिसके कारण नदी का स्वतः स्वच्छीकरण की क्षमता में कमी आ जाती है।
  • बढ़ते औद्योगीकरण और शहरीकरण ने नदियों में प्रदूषण के स्तर को और भी अधिक बढ़ा दिया है, जिसके चलते सरकार ने कई प्रकार की परियोजनाओं को लागू किया।
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