मैं अखबार पढ़ रही थी। अखबार में हर रोज की तरह वही एक तरह की खबरे और कुछ नहीं। 8 मार्च को लेकर मैं बहुत उत्साहित थी। इसका एक बड़ा कारण भी था। इसका सबसे मुख्य कारण यह है कि 8 मार्च को होली का त्यौहार है। और इस त्यौहार पर हम सभी खूब मस्ती करते हैं। यह रंगों का त्यौहार सभी को बहुत प्रिय है। मैं फिर से अखबार पढ़ने लगी। अखबार में एक और खबर पर मेरी नजर गई। उसमें लिखा था कि 8 मार्च को ही होली के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी मनाया जाएगा।
महिलाएँ दुनिया में सबसे सर्वश्रेष्ठ और शक्तिशाली मानी जाती है। यह एक सबसे बड़ा सच है। महिला-पुरुष आज कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। महिलाएं इतिहास रच रही है। आज के समय में महिलाओं को कम आंकना एकदम गलत होगा। आज के समय में महिला हर चीज को पूरा करने में समर्थ है। महिला को इस जगत की जननी के रूप में जाना जाता है। महिला है तो सारा संसार आज सुचारू रूप से काम कर रहा है।
महिला हर काम को एकदम अच्छे से कर लेती है वह भी कोई बिना शिकायत के। महिला समस्त दुनिया के लिए एक मिसाल की तरह होती है। मेरे जीवन की सबसे सफल और मेहनती महिला मेरी मां है। मां ने अपने जीवन में कई तरह की कठिनाईयों का सामना किया है। मां ने अपने जीवन में हर काम निडरता से किए। तो आज का हमारा विषय अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आधारित है। तो आइए हम नारी शक्ति पर निबंध पढ़ना शुरू करते हैं।
प्रस्तावना
लोग मुझे कहते हैं कि हे स्त्री तू क्या कर सकती है? मैं सोचती हूं कि वह क्यों कुछ बड़ा नहीं कर सकती। वह स्त्री को कमजोर गुड़िया की तरह ही समझते हैं। मैं सोचती हूं कि एक औरत कमजोर गुड़िया नहीं बल्कि एक ताकतवर शेर की तरह है। दिमाग इन बातों से परेशान हो उठता है। फिर सोचती हूं कि सोचने वाले कुछ भी सोचते रहे पर मेरे अंतःकरण को पता है कि एक स्त्री क्या क्या कर सकती है और क्या नहीं कर सकती है।
एक असुर राजा ने दुनिया में इतना आतंक मचा रखा था कि दुनिया उसके आतंक से एकदम ही परेशान हो गई थी। उस बुरे दैत्य का नाम महिषासुर था। वह एक दानव राजा था। ताकतवर लोग भी उस राक्षस का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाए। जब सभी देवी-देवता उससे परेशान हो गए तो एक दिन उन्होंने सोचा कि क्यों ना महिषासुर का अंत एक महिला के हाथों द्वारा ही हो। इसी के ही चलते ही माता दुर्गा को सृजन करके धरती पर भेज दिया।
आखिरकार जब माता दूर्गा धरती पर अवतरित हुई तब जाकर इस बड़ी समस्या का समाधान हो महिषासुर मर्दिनी ने जैसे ही महिषासुर का वध किया वैसे ही दुनियाभर में मानो जैसे उत्सव छा गया। क्या आपने इस बात पर गौर किया कि उस राक्षस का अंत आखिरकार किसके द्वारा संभव हो पाया? इस बड़ी जीत की मिसाल एक महिला ही बनी। आज अगर माता दुर्गा महिषासुर का अंत करने के लिए आगे नहीं बढ़ती तो वह संसार को तहस नहस कर देता।
आज यह सब महिला की हिम्मत और ताकत की वजह से ही संभव हो पाया। महिला अपने आप में बहुत मजबूत मानी जाती है। आज सारे संसार की डोर महिलाओं के हाथ में बड़ी मजबूती के साथ संभाली जा रही है। आज के दौर में महिलाएं किसी से भी कम नहीं मानी जाती है। महिलाओं के जिम्मेदार ही संसार का घर-परिवार महक रहा है। महिलाओं के बिना यह संसार अधूरा ही है।
8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाया जाता है?
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि एक महिला हमेशा से ही ताकतवर और मजबूत रही थी। उसे सदियों से दबाने की कोशिश की गई। उसे पुरूषों के अधीन रहकर काम करने के लिए कहा गया परंतु फिर भी एक महिला निडर होकर हर परिस्थितियों में मजबूती से खड़ी रही। सलाम है देश की उन सभी तमाम महिलाओं को जो अदम्य साहस के साथ हर कदम पर निडरता के साथ काम रही है।
आदिकाल से ही एक औरत को निर्बलता का प्रतीक माना जाता रहा है। पर ऐसा हकीकत में है नहीं। औरत शक्ति का प्रतीक है। औरत से ही घर की बगिया महकती है। औरतों के प्रति सम्मान को जाहिर करने के लिए दुनिया क्या क्या नहीं करती है। क्या आपको पता है कि औरतों के लिए एक विशेष दिन भी समर्पित होता है। जी हां, इस विशेष दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिवस को मनाने के पीछे एक अलग इतिहास है। 8 मार्च 1975 को दुनिया का पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इसकी असल शुरुआत 1908 में ही हो गई थी। उस साल में संयुक्त राज्य अमेरिका में महिलाओं ने हड़ताल रखी थी और उस हड़ताल के पीछे कारण यह था कि विश्व की सभी महिलाओं को भी आदमियों के बराबर वेतन दिया जाए और उनसे काम करवाने का समय भी थोड़ा कम किया जाना चाहिए।
वह महिलाएं अपने हक के लिए खड़ी हुई थी। इस हड़ताल के बाद महिलाओ को कई उतार-चढ़ाव देखने पड़े। लेकिन आखिरकार उन सभी महिलाओं की मेहनत रंग लाई और 8 मार्च 1975 में पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया गया। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस ने सभी महिलाओं को सम्मान के साथ जीना सीखा दिया। इस दिवस के बाद महिलाएं निर्भय होकर अपना जीवन जीने लगी।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य
इस बात में कोई दो राह नहीं कि महिलाएं दुनिया में सबसे ज्यादा सर्वश्रेष्ठ होती हैं। आज महिलाओं की वजह से ही दुनिया टिकी हुई है। एक औरत मां, बहन, पत्नी और भाभी होने का बेहतरीन तरीके से फर्ज निभाती है। एक औरत को सभी का ख्याल रहता है। वह मुश्किल से मुश्किल घड़ी में भी नहीं घबराती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण तब देखने को मिलता है जब एक महिला मां बनती है। वह नौ महीने तक अपने बच्चे को गर्भ में रखती है और यह चरण उसके लिए बहुत कठिन होता है। पर वह बिना हिम्मत हारे इस चरण को पार कर लेती है।
एक ऐसा दिन भी होता है जो महिलाओं के प्रति सम्मान को दर्शाता है। हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य होता है सभी महिलाओं को सम्मान देना। महिलाएं सम्मान की हकदार होती हैं। यह दिवस इसलिए भी मनाया जाता है ताकि विश्व में हो रही महिलाओं के प्रति असमानताएं खत्म की जा सके। इस दिवस के माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि दुनिया में कहां पर महिलाओं के प्रति भेदभाव हो रहा है। इस दिवस के माध्यम से यही कोशिश रहती है कि जहां भी महिलाओं के प्रति भेदभाव हो उसे मिटाया जाए।
समाज में महिला की भूमिका
हमारा समाज लोगों से बना है। यहां पर स्त्री और पुरूष साथ में ही रहते हैं। हमारा समाज पुरुष प्रधान है। यहां पर पुरुषो को ज्यादा महत्व दिया जाता है। पर हमें एक बात भूलनी नहीं चाहिए कि एक महिला पुरूष से कई गुना अधिक शक्तिशाली होती है। महिलाएं बड़े ही अच्छे से हर तरह की भूमिका को अच्छे से निभा लेती है। चाहे वह मां की भूमिका हो या पत्नी की भूमिका। वह कभी भी बड़े से बड़े काम करने में हिचकिचाती नहीं है। महिलाएं पूरे घर-परिवार को अच्छे से चलाती है। महिलाएं रिश्तों को जोड़े रखती है।
महिलाएं घर के आंगन को अपने प्रेम से महकाए रखती है। महिलाएं आर्थिक रूप से भी घर को संभाले रखती है। वह ही घर को बजट को अच्छे से संभाल कर रखती है। आज के दौर में एक महिला और भी ज्यादा ताकतवर इसलिए भी हो गई है क्योंकि आज वह भी पुरूषों के बराबर ही पैसा कमा रही है। उसे भी आज पैसे की समझ है। आज वह एक सफल डाॅक्टर है, इंजीनियर है और पायलट भी है। वह किसी भी काम में पीछे नहीं है। औरत एक आदमी के मुकाबले ज्यादा अच्छे से रिश्तों की परख रखती है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर निबंध 100 शब्दों में
इस दुनिया में एक मां से बढ़कर और कोई दूसरा इंसान नहीं है। मां अपने बच्चे की सबसे प्रिय होती है। मां से बड़ा कोई नहीं होता। मां एक औरत ही होती है। एक औरत हर तरह की भूमिका को अच्छे से निभा लेती है। रिश्तों को अच्छे से सहेजने का काम एक महिला ही करती है। महिला को एक एक बहादुर योद्धा के रूप में देखा जाता है। इस दुनिया में कई बहादुर महिलाओं का नाम इतिहास में दर्ज है। भारत की सबसे शक्तिशाली महिला रानी लक्ष्मीबाई को माना जाता है। वह अंग्रेजों की सेना के साथ अंत तक लड़ी। ऐसी ही कई और महिलाएं हैं जो अपने साहसिक कार्य के लिए पहचानी है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर निबंध 200 शब्दों में
यह धरती बहुत पुरानी है। जब से यह धरती बनी तभी से ही मानव सभ्यता का विकास होना शुरू हो गया था। मानवों के रूप में स्त्री और पुरुष पैदा हुए। फिर भी स्त्री को पुरुष से ऊंचा स्थान दिया गया। आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर काम कर रही है। आज महिला डाॅक्टर है, इंजीनियर है, आईएएस है आदि। कुल मिलाकर पूरी दुनिया में महिलाएं आगे हैं। इंदिरा गांधी, सुधा मूर्ति, रानी लक्ष्मीबाई और ना जाने कितनी और साहसी महिलाओं की लिस्ट है। इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थी। तो वही कल्पना चावला ने महिला होकर अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी।
इतना सब कुछ होते हुए भी आज भी बहुत सी ऐसी जगहें है जहां पर महिलाओं का अपमान किया जाता है। आज भी औरतों के साथ भेदभाव हो रहा है। उन्हें उच्च स्थान हासिल करने के लिए रोका जा रहा है। बेटियों के बारे में भ्रुण में पता लगाकर उन्हें मारा भी जाता है। जब वह माहवारी पर आती है तो कई जगह पर उनको अपमानित किया जाता है।
दुनियाभर में आज भी कई जगह पर लड़कियां बाहर अकेले जाने से घबराती है। उनको यह डर रहता है कि उनके साथ कोई अनहोनी ना हो जाए। हिसाब यह होना चाहिए कि हमें औरतों का सम्मान करना चाहिए। इसी में ही देश का उत्थान होना संभव है। जहां पर औरतों का सम्मान नहीं होता है वह देश पतन की ओर ही जाता है। महाभारत का ही एक उदाहरण देख लिजिए कि जब द्रौपदी का अपमान हुआ तो कैसे वह अपमान तबाही का कारण बन गया था। कौरवों और पाड़वों को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि हम अपने देश की महिलाओं का पूरा सम्मान करे।
उपसंहार
आज का हमारा विषय अंतर्राष्ट्रीय महिला के उपलक्ष्य में तैयार किया गया है। आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने महिलाओं के प्रति होने वाली समस्त चीजों के बारे में बताया। हमने महिलाओं की समाज में भूमिका के बारे आप सभी को अवगत करवाया। आज महिलाएं हैं तो पूरा राष्ट्र प्रगति कर रहा है। औरतों के बिना हम अपने समाज की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा। हमने इस निबंध को एकदम सरल भाषा में लिखा है। अब मिलते हैं अगले नए पोस्ट के साथ।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 10 लाइनें
- हर साल 8 मार्च को विश्व महिला दिवस मनाया जाता है।
- महिलाओं के बिना यह संसार अधूरा है।
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत सबसे पहले 1908 में हुई थी।
- यह दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि दुनियाभर की महिलाओं के प्रति सम्मान दिखाया जा सके।
- यह दिवस महिलाओं को विज्ञान, बिजनेस आदि क्षेत्रों में प्रोत्साहन देने के लिए मनाया जाता है।
- यह दिवस इसलिए भी मनाया जाता है ताकि महिलाओं को लेकर होने वाले भेदभाव को मिटाया जाए सके।
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कई तरह के आयोजन रखे जाते हैं।
- बिना महिला के कुछ भी संभव नहीं है। आज महिला से ही संसार के कई महत्वपूर्ण कार्य होते है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका इस दिवस को मनाने वाला पहला देश था।
- इस दुनिया में आज भी कई ऐसे देश हैं जहां औरतों पर जुल्म किए जाते हैं।
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से सम्बंधित FAQs
Q1. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कब मनाया जाता है?
A1. हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
Q2. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कौन-से देश में पहली बार मनाया गया था?
A2. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में मनाया गया था। अमेरिका से ही सभी को महिला दिवस मनाने की प्ररेणा मिली थी।
Q4. देश में महिलाओं की साक्षरता दर कितनी है?
A4. देश में महिलाओं की साक्षरता दर 65.46 प्रतिशत है।
Q5. कौन से देश की महिला आबादी सबसे ज्यादा है?
A5. वेनेज़ुएला तट के लगभग 65 किमी उत्तर में एक छोटा सा खूबसूरत देश है कुराकाओ जहां की आबादी 54.6% है।
Q6. भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री की नाम क्या था?
A6. भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री का नाम इंदिरा गांधी था।