बाल दिवस पर शायरी (Shayari On Children’s Day In Hindi)- हम चाहे जितने भी बड़े हो जाएं मगर हम सभी को अपना बचपन ज़रूर याद आता है। 14 नवंबर बाल दिवस का दिन तो हर साल लौटकर आ जाता है लेकिन बचपन के दिन एक बार गुज़र जाने के बाद फिर दोबारा लौटकर नहीं आते। वक़्त के साथ जैसे-जैसे हम बड़े होने लगते हैं हमारा बचपन पीछे छूटता जाता है और ज़िम्मेदारियां बढ़ती जाती हैं। बाल दिवस एक ऐसा मौका है जिसमें हम अपने बचपन में फिर से वापस जा सकते हैं और बचपन की यादों को ताजा कर सकते हैं।
बाल दिवस पर शायरी (Children’s Day Shayari In Hindi)
इस पेज पर हम कुछ ऐसे मशहूर शायरों की बाल दिवस शायरी (Children’s Day Shayari) लेकर आए हैं जिन्हें पढ़ने के बाद आपको अहसास होगा है कि बचपन क्या होता है या हमें अपने अंदर के बच्चे को कैसे और क्यों ज़िंदा रखना चाहिए। साथ ही आप इस पेज पर दी गई बाल दिवस पर हिंदी शायरी (Children’s Day Shayari In Hindi) को अपने परिवार वालों और मित्रों के साथ शेयर भी कर सकते हैं। इसके अलावा आप इन बाल दिवस पर शायरी हिंदी में (Shayari For Children’s Day In Hindi) के ज़रिए एक-दूसरे को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं भी दे सकते हैं। नीचे हमने चिल्ड्रन डे पर शायरी (Children’s Day Par Shayari In Hindi) का बेस्ट कलेक्शन दे रखा है।
14 नवंबर बाल दिवस पर शायरी हिंदी में
14 November Children’s Day Shayari In Hindi
बाल दिवस शायरी
हर खेल में साथी थे,
हर रिश्ता निभाना था,
गम की जुबान होती थी,
ना ज़ख्मों का पैमाना था!
मां की कहानी थी परीयों का फसाना था,
बारिश में कागज की नाव थी,
बचपन का वो हर मौसम सुहाना था,
बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो
चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे
– निदा फ़ाज़ली
भूक चेहरों पे लिए चाँद से प्यारे बच्चे
बेचते फिरते हैं गलियों में ग़ुबारे बच्चे
– बेदिल हैदरी
एक हाथी एक राजा एक रानी के बग़ैर
नींद बच्चों को नहीं आती कहानी के बग़ैर
– मक़सूद बस्तवी
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किताबों से निकल कर तितलियाँ ग़ज़लें सुनाती हैं
टिफ़िन रखती है मेरी माँ तो बस्ता मुस्कुराता है
– सिराज फ़ैसल ख़ान
चिल्ड्रन डे पर शायरी
फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता
जहाँ बच्चे नहीं होते वो घर अच्छा नहीं लगता
– अब्बास ताबिश
जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया
बच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनिया
– निदा फ़ाज़ली
मेरे रोने का जिस में क़िस्सा है
उम्र का बेहतरीन हिस्सा है
– जोश मलीहाबादी
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बच्चों पर शायरी
ये ज़िंदगी कुछ भी हो मगर अपने लिए तो
कुछ भी नहीं बच्चों की शरारत के अलावा
– अब्बास ताबिश
फ़रिश्ते आ कर उन के जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैं
वो बच्चे रेल के डिब्बों में जो झाड़ू लगाते हैं
– मुनव्वर राना
चुप-चाप बैठे रहते हैं कुछ बोलते नहीं
बच्चे बिगड़ गए हैं बहुत देख-भाल से
– आदिल मंसूरी
जिस के लिए बच्चा रोया था और पोंछे थे आँसू बाबा ने
वो बच्चा अब भी ज़िंदा है वो महँगा खिलौना टूट गया
– महशर बदायुनी
अपने बच्चों को मैं बातों में लगा लेता हूँ
जब भी आवाज़ लगाता है खिलौने वाला
– राशिद राही
खिलौनों की दुकानो रास्ता दो
मिरे बच्चे गुज़रना चाहते हैं
– अज्ञात
मोहल्ले वाले मेरे कार-ए-बे-मसरफ़ पे हँसते हैं
मैं बच्चों के लिए गलियों में ग़ुब्बारे बनाता हूँ
– सलीम अहमद
बचपन पर शायरी
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
– बशीर बद्र
दुआएँ याद करा दी गई थीं बचपन में
सो ज़ख़्म खाते रहे और दुआ दिए गए हम
– इफ़्तिख़ार आरिफ़
मेरा बचपन भी साथ ले आया
गाँव से जब भी आ गया कोई
– कैफ़ी आज़मी
बड़ी हसरत से इंसाँ बचपने को याद करता है
ये फल पक कर दोबारा चाहता है ख़ाम हो जाए
– नुशूर वाहिदी
असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब कर के मुझे
कहाँ गया मिरा बचपन ख़राब कर के मुझे
– मुज़्तर ख़ैराबादी
अब तक हमारी उम्र का बचपन नहीं गया
घर से चले थे जेब के पैसे गिरा दिए
– नश्तर ख़ानक़ाही
कौन कहे मा’सूम हमारा बचपन था
खेल में भी तो आधा आधा आँगन था
– शारिक़ कैफ़ी
मुझ को यक़ीं है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं
जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियाँ रहती थीं
– जावेद अख़्तर
साभार- रेख़्ता
parikshapoint.com की तरफ से सभी बच्चों को “बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं” (Happy Children’s Day)।
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बच्चे मन के सच्चे सबकी आंखो के तारें परमात्मा ने आस्मां से जमीन पे उतारे । नित नई अठखेलियों के रंग भरते जीवन में उमंग है भरते । फरिश्ते ये धरती पे उतारे जिनकी मुस्कान पर गम मिटे फैले खुशी कैसे रोए जिंदगी पा ले बंदगी जिंदगी पार लगा दें।बच्चे सबकी आखों के तारें फूलों से हैं प्यारें हर कोई इन पर दिल हारे यही तो हैं हमारे।
आपका आभार।