ईद पर शायरी (Shayari On Eid In Hindi)- तीस रोजों के इंतज़ार के बाद जब ईद आती है, तो हर कोई उत्साहित हो उठता है। ईद के मुबारक मौके पर लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं और ईद मुबारक बोलकर अपने दिन की शुरुआत करते हैं। ईद सिर्फ त्योहार ही नहीं है बल्कि एक एहसास है, जिसे शायरों ने अपनी शायरी में बेहद खूबसूरत और अनोखे अंदाज़ में बयां किया है। ईद और शायरी का रिश्ता आज का नहीं बल्कि कई बरसों पुराना है, जो अलग-अलग जज़्बातों से भरा हुआ है।
ईद पर शायरी (Shayari on Eid Mubarak In Hindi)
इस पोस्ट के माध्यम से हम ईद पर शायरों के जज़्बात यानी ईद पर शायरी (Eid Par Shayari) लेकर हाज़िर हुए हैं। इस पोस्ट में दी गईं Eid Shayari In Hindi से आप किसी की ईद को और खुशनुमा बना सकते हैं। आप अपने परिजनों को सोशल मीडिया के ज़रिए ईद मुबारक शायरी (Eid Mubarak Shayari) शेयर करके ईद की मुबारकबाद दे सकते हैं। आप हमारी इस पोस्ट के माध्यम से हिंदी और उर्दू जगत के मशहूर शायरों की ईद पर शायरी हिंदी में (Eid Par Shayari Hindi Mein) पढ़ेंगे।
ईद पर शायरी (Eid Par Shayari)
माह-ए-नौ देखने तुम छत पे न जाना हरगिज़
शहर में ईद की तारीख़ बदल जाएगी
– जलील निज़ामी
अगर हयात है देखेंगे एक दिन दीदार
कि माह-ए-ईद भी आख़िर है इन महीनों में
– मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
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ईद का चाँद तुम ने देख लिया
चाँद की ईद हो गई होगी
– इदरीस आज़ाद
ऐ हवा तू ही उसे ईद-मुबारक कहियो
और कहियो कि कोई याद किया करता है
– त्रिपुरारि
अपनी ख़ुशियाँ भूल जा सब का दर्द ख़रीद
‘सैफ़ी’ तब जा कर कहीं तेरी होगी ईद
– सैफ़ी सरौंजी
ईद आई तुम न आए क्या मज़ा है ईद का
ईद ही तो नाम है इक दूसरे की दीद का
– अज्ञात
ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिम
रस्म-ए-दुनिया भी है मौक़ा भी है दस्तूर भी है
– क़मर बदायुनी
ईद के बा’द वो मिलने के लिए आए हैं
ईद का चाँद नज़र आने लगा ईद के बा’द
– अज्ञात
कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती
हम को अगर मयस्सर जानाँ की दीद होती
– ग़ुलाम भीक नैरंग
तुझ को मेरी न मुझे तेरी ख़बर जाएगी
ईद अब के भी दबे पाँव गुज़र जाएगी
– ज़फ़र इक़बाल
तुम बिन चाँद न देख सका टूट गई उम्मीद
बिन दर्पन बिन नैन के कैसे मनाएँ ईद
– बेकल उत्साही
देखा हिलाल-ए-ईद तो आया तेरा ख़याल
वो आसमाँ का चाँद है तू मेरा चाँद है
– अज्ञात
फ़लक पे चाँद सितारे निकलने हैं हर शब
सितम यही है निकलता नहीं हमारा चाँद
– पंडित जवाहर नाथ साक़ी
हासिल उस मह-लक़ा की दीद नही
ईद है और हम को ईद नहीं
– बेखुद बदायुनी
है ईद का दिन आज तो लग जाओ गले से
जाते हो कहाँ जान मिरी आ के मुक़ाबिल
– मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
महक उठी है फ़ज़ा पैरहन की ख़ुशबू से
चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है
– मोहम्मद असदुल्लाह
मिल के होती थी कभी ईद भी दीवाली भी
अब ये हालत है कि डर डर के गले मिलते हैं
– अज्ञात
वादों ही पे हर रोज़ मिरी जान न टालो
है ईद का दिन अब तो गले हम को लगा लो
– मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
है ईद मय-कदे को चलो देखता है कौन
शहद ओ शकर पे टूट पड़े रोज़ा-दार आज
– सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
है ईद का दिन आज तो लग जाओ गले से
जाते हो कहाँ जान मिरी आ के मुक़ाबिल
– मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
बादबाँ नाज़ से लहरा के चली बाद-ए-मुराद
कारवाँ ईद मना क़ाफ़िला-सालार आया
– जोश मलीहाबादी
साभार- रेख़्ता
parikshapoint.com की तरफ से आप सभी को ‘ईद मुबारक’ (Eid Mubarak)।
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