छात्र इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 14 खानपान की बदलती तसवीर प्राप्त कर सकते हैं। छात्र कक्षा 7 हिंदी पाठ 14 के प्रश्न उत्तर मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों के लिए वसंत भाग 2 कक्षा 7 के प्रश्न उत्तर साधारण भाषा में बनाएं गए हैं। वसंत भाग 2 कक्षा 7 chapter 14 के माध्यम से छात्र परीक्षा की तैयारी बेहतर तरीके से कर सकते हैं। कक्षा 7 वीं हिंदी अध्याय 14 खानपान की बदलती तसवीर के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाएं गए हैं।
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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी वसंत अध्याय 14 खानपान की बदलती तसवीर
कक्षा 7 हिंदी एनसीईआरटी समाधान का उदेश्य केवल अच्छी शिक्षा देना है। कक्षा 7 वीं हिंदी अध्याय 14 खानपान की बदलती तसवीर के प्रश्न उत्तर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के सहायता से बनाए गए है। छात्र नीचे वसंत भाग 2 कक्षा 7 के प्रश्न उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।
कक्षा : 7
विषय : हिंदी (वसंत भाग -2)
अध्याय : 14 (खानपान की बदलती तसवीर)
प्रश्न अभ्यास
निबंध से:-
1 . खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है ? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें ?
उत्तर :- खान–पान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का अभिप्राय यह है कि आजकल हर जगह न केवल उस स्थान से सम्बंधित भोजन मिलता है बल्कि देश के विभिन्न राज्यों व विदेशों में बनने वाला भोजन भी हमें प्राप्त होता है। यह संस्कृति हर जगह के कोने-कोने में विकसित हो गई है। क्योंकि हम सब भी यह देख सकते है कि हमारे घरों में रोटी, सब्जी, दाल आदि के साथ आज सांभर–डोसा, बर्गर, पिज़्ज़ा, चाऊमीन आदि भी बनने लगे हैं।
2. खानपान में बदलाव के कौन से फ़ायदे हैं ? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है ?
उत्तर :- खानपान की जो एक मिश्रित संस्कृति बनी है, इसके कई फायदे भी हैं। गृहिणियों और कामकाजी महिलाओं को अब जल्दी तैयार हो जाने वाले विविध व्यंजनों की विधियाँ उपलब्ध हैं। नयी पीढ़ी को देश–विदेश के व्यंजनों को जानने का सुयोग मिला है। आजादी के बाद उद्योग–धंधों, नौकरियों–तबादलों का जो एक नया विस्तार हुआ है, उसके कारण भी खानपान की चीजें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची हैं। हम खानपान से भी एक–दूसरे को जानते हैं। इस दृष्टि से देखें तो खानपान की नयी संस्कृति में हमें राष्ट्रीय एकता के लिए नए बीज भी मिल सकते हैं। परन्तु यह बदलाव चिंता का विषय भी बन जाता है। इस कारण स्थानीय व्यंजन विलुप्त होने लगते हैं। आज आगरे का पेठा, मथुरा के पेड़े आदि व्यंजन धीरे–धीरे गायब होने लगे हैं। उसी भाँति आज कई स्थानीय व्यंजन आधुनिकता के चलते छूट रहे हैं।
3. खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है ?
उत्तर :- खान पान के मामले में स्थानीयता से अभिप्राय हमारे अपने प्रदेश या रहने वाले स्थान के व्यंजनों से है। हम जिस स्थान पर रहते हैं, वहाँ के व्यंजन विशेष को स्थानीय व्यंजन कहते हैं।
निबंध से आगे:-
1 . घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके घर में क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी–बनाई बाजार से आती हैं ? इनमें से बाजार से आनेवाली कौन सी चीजें आपके माँ–पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं ?
उत्तर :- हमारे घर में रोटी–सब्जी, हलवा, खीर–पूरी, सेइ, चाऊमीन, मैगी आदि चीजें पकती हैं। समोसे, जलेबी, मिठाइयाँ, बर्गर, गोल गप्पे आदि चीजें बाजार से बनी बनाई आती हैं। अनेक प्रकार की मिठाइयाँ ; जैसे – इमरती, गुलाब जामुन, पूड़े, गुलगुले आदि माँ–पिताजी के बचपन में घर में बनती थीं।
2. यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं, इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए :–
उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़, आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला
उत्तर:-
भोजन कैसे पकाया स्वाद
दाल उबालना तीखा
भात उबालना मीठा
रोटी सेंकना नमकीन
पापड़ तलना , सेंकना नमकीन, तीखा
आलू उबालना , तलना तीखा
बैंगन उबालना , भूनना तीखा
3. छौंक चावल कढ़ी
• इन शब्दों में क्या अंतर है ? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग – अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है।
उत्तर :- छौंक :- घी, तेल की सहायता से दाल, आलू, बैंगन, कढ़ी व हर प्रकार की सब्जी में छौंक लगाया जाता है। इससे हर सब्जी में स्वादिष्टता आ जाती है। छौंक प्राय: जीरा, अजवाइन, मिर्च, नमक, टमाटर, हल्दी, लहसुन, प्याज, अदरक, हींग आदि का लगाया जाता है।
चावल :– चावल विभिन्न प्रान्तों में भिन्न – भिन्न तरह से पकाया जाता है । हमारे प्रांत में इसे उबालकर पकाया जाता है ।
कढ़ी –: कढ़ी लस्सी में बेसन डालकर बनाई जाती है। यह उत्तरी भारत में बहुत अच्छे तरीके से मेथी व अजवाइन का छौंक लगाकर बनाई जाती है।
4. पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तसवीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा :-
सन् साठका दशक छोले – भटूरे सन्
सत्तर का दशक इडली – डोसा सन्
अस्सी का दशक – तिब्बती (चीनी) भोजन
सन् नब्बे का दशक – पीजा, पाव – भाजी
• इसी प्रकार आप कुछ कपड़ों या पोशाकों की बदलती तसवीर का खाका खींचिए ।
उत्तर:-
समय पुरुष स्त्री
सन् साठ का दशक / धोती- कुर्ता, पगड़ी लहँगा / सलवार – कुर्ता , घाघरा
सन् सत्तर का दशक / पेंट- कमीज / , कोट सलवार – कुर्ता , साड़ी
सन् अस्सी का दशक / कोट – पेंट , बेल – बॉटम / मैक्सी , मिड्डी
सन् नब्बे का दशक / जीन्स , टी – शर्ट स्कर्ट, जींस
5. मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन – सूची (मेन्यू) बनाइए।
उत्तर :- गाजर का हलवा, गुलाब जामुन, खीर, पूरी, आलू की सब्जी, लस्सी, रायता, सलाद।
अनुमान और कल्पना:-
1 . ‘ फास्ट फूड‘ यानी तुरंत भोजन के नफे–नुकसान पर कक्षा में वाद–विवाद करें।
उत्तर :- बच्चों से लेकर बड़ों तक आजकल सभी को स्वादिष्ट भोजन खाने के आदत हो गई है। खासकर युवाओं और बच्चों में पिछले कुछ वक्त में फास्ट फूड का दीवानपन बहुत अधिक देखने को मिला है। आपको बर्गर, पिज़्ज़ा फ्रेंच फ्राइज और चाउमीन की दुकानों पर युवाओं और बच्चों की भीड़ खड़ी दिख जाएगी लेकिन जितना ये स्वादिष्ट और लाभप्रद है साथ में इसके नुकसान भी है। फास्ट फूड के अधिक सेवन से मोटापा, अस्थमा, सर दर्द, दांतों में कैविटी, हाई ब्लडप्रेशर और कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। फास्ट फूड के शौकीन अकसर इऩ चीजों को अनदेखा कर देते है। जो उनके स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है। अधिक बीयर पीना सेहत के लिए फायदेमंद नहीं, लेकिन कई शोधों में बीयर के कुछ फायदे भी बताए गए हैं। सीमित मात्रा में बीयर पीने से हड्डियां मजबूत होती है। पॉपकॉर्न यदि सही तरीके से पकाया गया हो तो वह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। डार्क चॉकलेट पोषक तत्वों से भरपूर होती है।
2. खानपान के मामले में शुद्धता का मसला काफ़ी पुराना है। आपने अपने अनुभव में इस तरह की मिलावट को देखा है ? किसी फ़िल्म या अखबारी खबर हवाले से खानपान में होनेवाली मिलावट के नुकसानों की चर्चा कीजिए।
उत्तर :- खान–पान में शुद्धता का होना बहुत जरुरी है। खाना हमारे जीवन में बहुत जरुरी है। आजकल लोग खाने के लिए ही तो कमाते है। अगर हम सही शुद्धता वाला खाना नहीं खाएगें तो यह हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है। अशुद्ध व बासी भोजन से ‘ फूड – पायजनिंग ‘ हो जाती है। कई बार तो मनुष्य को जान से भी हाथ धोना पड़ता है।
भाषा की बात:-
1 . खानपान शब्द, खान और पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। खानपान शब्द में और छिपा हुआ है। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छिपे हों, उन्हें द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए :-
सीना – पिरोना भला – बुरा चलना – फिरना
लंबा – चौड़ा कहा – सुनी घास – फूस
उत्तर:-
सीना – पिरोना :– भारतीय समाज में प्रत्येक घर में सीने – पिरोने का कार्य स्थानीय किया जाता है।
भला – बुरा :- मनुष्य अपने भले – बुरे का स्वयं जिम्मेवार होता है।
चलना – फिरना :-चलने – फिरने से हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है।
लम्बा – चौड़ा :- भारतीय फौजी – सिपाही लम्बे – चौड़े होते हैं।
कहा – सुनी :- माँ से कहा – सुनी नहीं करनी चाहिए।
घास – फूस :- जानवर घास – फूस खाते हैं।
2. कई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए। कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे दिया जा सकता है :-
इडली – दक्षिण – केरल – ओणम् – त्योहार – छुट्टी – आराम ….
उत्तर :- नींद – सपना – महल – रानी – राजा – …….
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 हिंदी वसंत भाग 2 के सभी अध्याय नीचे देखें
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