हमारे देश ने ऐसे कई महापुरुषों को जन्म दिया। सबसे अच्छा उदाहरण हम महात्मा गांधी या फिर सुभाष चंद्र बोस का ले सकते हैं। इन्होंने अपना सारा जीवन भारत देश के हित में बारे में सोचते हुए बिताया। क्या आपने कभी किसी महिला को महापुरुष के रूप में देखा है। जी हां, मदर टेरेसा एक ऐसी ही महिला थीं जो जीवनभर दूसरों के लिए काम करती रहीं। उन्होंने निस्वार्थ भावना से सभी की सेवा की। आज हम इस आर्टिकल से माध्यम से मदर टेरेसा पर निबंध पढ़ेंगे।
प्रस्तावना
किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करने से अच्छा और क्या हो सकता है। इसी काम को अच्छे से निभाया ममता की मूर्ति मदर टेरेसा ने। मदर टेरेसा को आज पूरी दुनिया जानती है। उन्होंने अपने जीवनकाल में उल्लेखनीय कार्य किए। वह बदले में कुछ भी नहीं चाहती थीं। वह सभी गरीब लोगों के लिए एक मां के समान थीं। जैसे मां अपने बच्चों के लिए हर एक चीज का ख्याल रखती है ठीक उसी प्रकार मदर टेरेसा भी गरीब और असहाय लोगों का ख्याल रखती थीं। बहुत से लोग आज भी ये सोचते हैं कि मदर टेरेसा भारतीय थीं। लेकिन असल में वह विदेशी नागरिक थीं। क्योंकि मदर टेरेसा एक नन बनना चाहती थीं इसलिए वह मैसेडोनिया से भारत आ गईं। अगनेस गोंझा बोयाजिजू ही बाद में आगे चलकर मदर टेरेसा बनीं।
नाम | मदर टेरेसा |
वास्तविक नाम | अगनेस गोंझा बोयाजिजू |
जन्म | 26 अगस्त सन् 1910 |
जन्मस्थान | उत्तरी मैसेडोनिया |
पेशा | कैथोलिक नन |
मृत्यु के समय उम्र | 87 वर्ष |
मृत्यु | 5 सितंबर सन् 1997 |
स्कूल | कैथोलिक स्कूल |
धर्म | कैथोलिक |
माता का नाम | द्राना बोयाजू |
पिता का नाम | निकोला बोयाजू |
मदर टेरेसा का बचपन
मदर टेरेसा का बचपन थोड़ा अलग था। निकोला बोयाजू के घर मदर टेरेसा ने जन्म लिया। मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को हुआ था। मदर टेरेसा का जन्मस्थान स्काॅप्जे था। अब स्काॅप्जे को मैसेडोनिया कहते हैं। मदर टेरेसा का असली नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था। मदर टेरेसा की माता का नाम द्राना बोयाजू था। मदर टेरेसा अपने भाई बहन में सबसे छोटी थीं। मदर टेरेसा शांत स्वभाव की बच्ची थीं। वह मेहनती भी थीं। मदर टेरेसा के पिता एक व्यवसायी के रूप में काम करते थे। मदर टेरेसा के पिता को ईश्वर में बहुत अधिक विश्वास था। उनके पिता को चर्च जाना भी बहुत पसंद था। मदर टेरेसा के जीवन में सबसे मुश्किल घड़ी तब रही जब मदर टेरेसा के पिता अपनी पत्नी और अपने बच्चों को इस छोड़कर इस दुनिया से चल बसे।
मदर टेरेसा और चर्च से लगाव
मदर टेरेसा के पिता निकोला बोयाजू बहुत ही दयालु किस्म के व्यक्ति थे। वह धार्मिक भी थे। निकोला बोयाजू कभी भी चर्च जाना नहीं भूलते थे। चर्च जाकर वह शांति का अनुभव करते थे। अपने पिता के साथ मदर टेरेसा ने भी चर्च जाना शुरू कर दिया था। मदर टेरेसा भी धार्मिक ख्यालों की हो गईं। वह चर्च जाकर प्रार्थना करना नहीं भूलती थीं। और साथ ही साथ वह चर्च में ईसाई गीत भी गाया करती थीं। सभी उनकी आवाज की तारीफ किया करते थे। चर्च जाने के दौरान ही उनके मन में ईश्वर भक्ति के लिए आसक्ति पैदा हुई। वह ईश्वर को ही अपना सबकुछ मानने लगीं।
मदर टेरेसा की शिक्षा
मदर टेरेसा बचपन से ही बेहद मेहनती थीं। उनको स्कूली शिक्षा से ज्यादा धार्मिक शिक्षा पसंद आने लगी थी। उनको चर्च से लगाव हो गया था। चर्च में जाकर वह घंटों ईश्वर भक्ति में वक्त बिताया करती थीं। उनके पिता ने उनका दाखिला कैथोलिक स्कूल में करवाया था। कुछ समय कैथोलिक स्कूल जाने के बाद उन्होंने सरकारी स्कूल से भी शिक्षा प्राप्त की। कुछ समय स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद उनका मन केवल ईश्वर में रमने लगा। अब वह नन बनना चाहती थीं। इसी कारण के चलते वह सिस्टर ऑफ लैराटो से जुड़ गईं। 18 वर्ष के बाद उन्होंने अपना समस्त जीवन लोगों की सेवा में ही बीता दिया।
मदर टेरेसा का भारत दौरा
मदर टेरेसा आश्रितों के लिए काम करने लगीं। उनका मन लोगों की सेवा में ही लगता था। वह अपने देश के ही एक आश्रम से जुड़ गई थीं। एक दिन वह आश्रम की तरफ से भारत दौरे पर आईं। वह भारत की सुंदरता देखकर मंत्रमुग्ध हो गईं। वह सबसे पहले दार्जिलिंग के दौरे पर आईं। उसके बाद वह कोलकाता भी गईं। कोलकाता में उन्होंने लोगों में गरीबी और लाचारी देखी। लोगों की परेशानी देखकर वह अंदर से दुखी हो गईं। मदर टेरेसा को कोलकाता के स्कूल में पढ़ाने का काम दिया गया। जब वह स्कूल में पढ़ा रही थीं तो एक दिन उनको भगवान यीशु ने यह संदेश देते हुए कहा कि वह भारत के असहाय लोगों के जीवन को संवारने में अपनी जिंदगी निकाल दें। फिर तो मदर टेरेसा ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह फिर भारत की स्थायी नागरिक बन गईं और पूरे देशवासियों की सेवा की।
मदर टेरेसा को प्राप्त उपलब्धियां
- साल 1962 में मदर टेरेसा को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- पद्मश्री पुरस्कार हासिल करने के बाद उनको 1980 में भारत रत्न दिया गया।
- अमेरिका में भी उन्हें सम्मानित किया गया। अमेरिका में उन्होंने मेडल ऑफ फ्रीडम का पुरस्कार प्राप्त किया।
- उनको नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। यह पुरस्कार उन्हें 1979 में मिला था।
मदर टेरेसा की मृत्यु
मदर टेरेसा ने अपने पूरे जीवनकाल में खूब काम किया। वह निस्वार्थ भाव से सभी की सेवा में लगी रहीं। कई साल तक बिना थके काम करने के पश्चात वह आखिरकार बीमार रहने लगीं। मदर टेरेसा को दिल की बीमारी लग गई थी। सन् 1983 में उनको पहला हार्ट अटैक आया। बाद में कई और साल बीमार रहने के बाद आखिरकार 5 सितंबर सन् 1997 को उन्होंने अंतिम सांस ली। वह दुनिया को अलविदा कह गईं।
उपसंहार
मदर टेरेसा परोपकारी महिला थीं। उन्होंने जीवनभर असहाय लोगों की सहायता में अपना जीवन बीता दिया। परोपकारी लोग ही अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। हमें मदर टेरेसा के जीवन से यह सीख लेनी चाहिए कि हम सभी निस्वार्थ भाव से असहाय लोगों की सेवा करें।
मदर टेरेसा पर निबंध 200 शब्दों में
मदर टेरेसा को कौन नहीं जानता है। हम सभी ने उनका नाम सुना है। वह महान लोगों में गिनी जाती हैं। मदर टेरेसा को मदर की ख्याति भी इसलिए प्राप्त हुई क्योंकि वह सच्चे संत के समान थीं। वह मैसेडोनिया में जन्मी थीं। उनके पिता का नाम निकोला बोयाजू था। उनकी माता का नाम द्राना बोयाजू था। वह होनहार और मेहनती थीं। उनका मन पढ़ाई से ज्यादा ईश्वर की भक्ति और असहाय मानवों की सेवा में लगता। सेवा भाव का ऐसा प्रभाव था कि उन्होंने शादी तक नहीं की। वह ताउम्र कुंवारी रहीं।
उन्होंने अपने पिता को बचपन में ही खो दिया था। मदर टेरेसा ने अपने पिता से दयालुता और धार्मिकता सीखी। वह बचपन से ही अपने पिता के संग चर्च जाया करती थीं। चर्च में वह मधुर संगीत भी गाती थीं। चर्च में ही उन्होंने यह प्रतिज्ञा ले ली थी कि वह नन बन जाएंगी। नन बनकर वह भारत के दौरे पर आईं। भारत में गरीबी और बीमार लोगों को देखकर वह बेहद दुखी हो उठीं। उन्होंने तय किया कि वह भारत में रहकर ही सभी जरूरतमंद लोगों की सेवा करेंगी। उनके सराहनीय काम के लिए उनको नोबेल पुरस्कार भी मिला था।
मदर टेरेसा पर 10 लाइनें
- मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, सन् 1910 को हुआ था।
- मदर टेरेसा एक महान संत के समान थीं।
- मदर टेरेसा को उनके सामाजिक कार्यों के लिए नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था।
- उन्होंने पांच भाषाओं पर अपनी पकड़ मजबूत बना ली थी।
- मदर टेरेसा भारतीय नागरिक नहीं थीं। वह मैसेडोनिया की नागरिक थीं।
- मदर टेरेसा ने कुष्ठ रोगियों के लिए बहुत ज्यादा काम किया।
- वह सभी जीवों को एकसमान नजरों से देखती थीं।
- मदर टेरेसा द्वारा मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की शुरुआत की गई थी।
- मदर टेरेसा परोपकारी महिला थीं।
- मदर टेरेसा ने ताउम्र लोगों की सेवा की।
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मदर टेरेसा से सम्बंधित FAQs
प्रश्न 1. मदर टेरेसा का वास्तविक नाम क्या था?
उत्तर- मदर टेरेसा का वास्तविक नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था।
प्रश्न 2. मदर टेरेसा के माता पिता का नाम क्या था?
उत्तर- मदर टेरेसा की माता का नाम द्राना बोयाजू था। और पिता का नाम निकोला बोयाजू था।
प्रश्न 3. मदर टेरेसा का जन्मस्थान का नाम क्या था?
उत्तर- मदर टेरेसा के जन्मस्थान का नाम मैसेडोनिया था।
प्रश्न 4. मदर टेरेसा को नोबेल पुरस्कार कब मिला था?
उत्तर- मदर टेरेसा को वर्ष 1979 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
प्रश्न 5. मदर टेरेसा की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर- मदर टेरेसा की मृत्यु 5 सितंबर वर्ष 1997 को हुई थी।