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NCERT Solutions Class 7 Sanskrit Chapter 14
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कक्षा : 7
विषय : संस्कृत (रुचिरा भाग 2)
पाठ : 14 अनारिकाया: जिज्ञासा
अभ्यास:-
1. उच्चारणं कुरुत-
मन्त्री निर्माणम् भ्रात्रा
कर्मकराः जिज्ञासा पित्रे
भ्रातृणाम् उद्घाटनार्थम् पितृभ्याम्
नेतरि अपृच्छत् चिन्तयति
उत्तराणि:- छात्र इनका उच्चारण करें।
2. अधोलिखितानां प्रश्नानां एकपदेन उत्तराणि लिखत-
(क) कस्याः महती जिज्ञासा वर्तते ?
(ख) मन्त्री किमर्थम् आगच्छति ?
(ग) सेतोः निर्माणं के अकुर्वन् ?
(घ) सेतोः निर्माणाय कर्मकराः प्रस्तराणि कुतः आनयन्ति ?
(ङ) के सर्वकाराय धनं प्रयच्छन्ति ?
उत्तराणि:- (क) अनारिकायाः महती जिज्ञासा वर्तते।
(ख) मन्त्री नद्याः उपरि निर्मितः नवीनः सेतोः उद्घाटनाय आगच्छति।
(ग) सेतोः निर्माणं कर्मकराः अकुर्वन्।
(घ) सेतोः निर्माणाय कर्मकराः प्रस्तराणि जनाः पर्वतेभ्यः आनयन्ति।
(ङ) प्रजाः सर्वकाराय धनं प्रयच्छन्ति।
3. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत–
(क) अनारिकायाः प्रश्नैः सर्वेषां बुद्धिः चक्रवत् भ्रमति।
(ख) मन्त्री सेतोः उद्घाटनार्थम् आगच्छति।
(ग) कर्मकराः सेतोः निर्माणम् कुर्वन्ति।
(घ) पर्वतेभ्यः प्रस्तराणि आनीय सेतोः निर्माणं भवित।
(ङ) जनाः सर्वकाराय देशस्य विकासार्थं धनं ददति।
उतराणि:- (क) कस्या: प्रश्नै: सर्वेषां बुद्धि: चक्रवत भ्रमति ?
(ख) मन्त्री सेतो: कस्मै आगच्छति ?
(ग) के सेतो: निर्माणम् कुर्वन्ति ?
(घ) कुत: प्रस्तराणि आनीय सेतो: निर्माणं भवति ?
(ङ) जना: कस्मै देशस्य विकासार्थं धनं ददति ?
4. उदाहरणानुसारं रूपाणि लिखत-
विभक्तिः एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
प्रथमा पिता पितरौ पितरः (पितृ)
…………. भातरौ ………… (भ्रातृ)
द्ववितीया दातारम् दातारौ दातृन् (दातृ)
…………. धातरौ …………. (धातृ)
तृतीया धात्रा. ………… धातृभिः (धातृ)
…………. कर्तृभ्याम्. ………… (कर्तृ)
चतुर्थी. नेत्रे नेतृभ्याम् नेतृभ्यः (नेतृ)
विधात्रे …………. ………..(विधातृ)
पञ्चमी कर्तुः कर्तृभ्याम् कर्तृभ्यः (कर्तृ)
………….. …………… हर्तृभ्यः (हर्तृ)
षष्ठी पितुः पित्रोः पितृणाम् (पितृ)
…………. भ्रात्रो …………. (भ्रातृ)
सप्तमी सवितरि सवित्रोः सवितृषु (सवितृ)
अभिनेतरि. ……… …………. (अभिनेतृ)
सम्बोधनम् हे जामातः! हे जामातरौ! हे जामातरः (जामातृ)
हे नप्तः! ……………. …………… (नप्तृ)
उत्तराणि:- प्रथमा पिता पितरौ पितरः (पितृ)
भ्राता भातरौ भ्रातरः (भ्रातृ)
द्ववितीया दातारम् दातारौ दातृन् (दातृ)
धातारम् धातरौ धातृन् (धातृ)
तृतीया धात्रा धातृभ्याम् धातृभिः (धातृ)
कर्त्रा. कर्तृभ्याम् कर्तृभिः (कर्तृ)
चतुर्थी नेत्रे नेतृभ्याम् नेतृभ्यः (नेतृ)
विधात्रे विधातृभ्याम् विधातृभ्यः (विधातृ)
पञ्चमी कर्तुः कर्तृभ्याम् कर्तृभ्यः (कर्तृ)
हर्तृः हर्तृभ्याम् हर्तृभ्यः (हर्तृ)
षष्ठी पितुः पित्रोः पितृणाम् (पितृ)
भ्रातृ भ्रात्रो भ्रातृणाम् (भ्रातृ)
सप्तमी सवितरि सवित्रोः सवितृषु (सवितृ)
अभिनेतरि अभिनेत्रोः अभिनेतृषु (अभिनेतृ)
सम्बोधनम् हे जामातः! हे जामातरौ! हे जामातरः (जामातृ)
हे नप्तः! हे नप्तारौ! हे नप्तारः! (नप्तृ)
5. कोष्ठेकेभ्यः समुचितपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-
(क) अहं प्रातः ……सह भ्रमणाय गच्छामि (पित्रा/पितुः)
(ख) बाला आपणात् ……….फलानि आनयति। (भ्रातुः/भ्रात्रे)
(ग) कर्मकराः सेतोः निर्माणस्य …………भवन्ति। (कर्तारम्/कर्त्तारः)
(घ) मम ………..तु एतेषां प्रश्नानाम् उत्तराणि अददात्। (पिता/पितरः)
(ङ) तव ………..कुत्र जीविकोपार्जनं कुरुतः? (भ्रातरः/भ्रातरौ)
उत्तराणि:- (क) अहं प्रातः पित्रा सह भ्रमणाय गच्छामि (पित्रा/पितुः)
(ख) बाला आपणात् भ्रात्रे फलानि आनयति। (भ्रातुः/भ्रात्रे)
(ग) कर्मकराः सेतोः निर्माणस्य कर्त्तारः भवन्ति। (कर्तारम्/कर्त्तारः)
(घ) मम पिता तु एतेषां प्रश्नानाम् उत्तराणि अददात्। (पिता/पितरः)
(ङ) तव भ्रातरौ कुत्र जीविकोपार्जनं कुरुतः? (भ्रातरः/भ्रातरौ)
6. चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषातः पदानि च प्रयुज्य वाक्यानि रचयत-
धारयन्ति बालाः वसयानम् छत्रम् ते आरोहन्ति वर्षायाम्
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उत्तराणि:-
बाला वर्षायाम् छत्रं धारयन्ति।
ते वसयानम् आरोहन्ति।
ते छत्रम् धारयन्ति ।
वसयानस्य एक: चालक: अस्ति।
7. अधोलिखितानि पदानि आधृत्य वाक्यानि रचयत-
प्रश्नाः ………………………………………
नवीनः ……………………………………
प्रातः ……………………………………
आगच्छति ……………………………
प्रसन्नः …………………………………
उत्तराणि:-
(क) प्रश्ना: − ते प्रश्ना: पृच्छन्ति।
(ख) नवीन: − स: नवीन: पाठ पठति।
(ग) प्रात: − अहं प्रात: अध्ययनं करोमि।
(घ) आगच्छति – स: ग्रामात आगच्छति।
(ङ) प्रसन्न: − अहं प्रसन्नोऽस्मि।
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 7 संस्कृत रुचिरा भाग 2 के सभी पाठ नीचे देखें
पाठ की संख्या | पाठ के नाम |
पाठ 1 | सुभाषितानी |
पाठ 2 | दुर्बुद्धि विनश्यति |
पाठ 3 | स्वावलम्बनम् |
पाठ 4 | हास्यबालकविसम्मेलनम् |
पाठ 5 | पण्डिता रमाबाई |
पाठ 6 | सदाचार: |
पाठ 7 | संकल्प: सिद्धिदायक: |
पाठ 8 | त्रिवर्ण ध्वज |
पाठ 9 | अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि |
पाठ 10 | विश्वबन्धुत्वम् |
पाठ 11 | समवायो हि दुर्जय: |
पाठ 12 | विद्याधनम् |
पाठ 13 | अमृतं संस्कृतम् (इकारांत स्त्रीलिंग) |
पाठ 14 | अनारिकाया: जिज्ञासा |
पाठ 15 | लालनगीतम् |
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