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योजक चिह्न किसे कहते हैं? (Yojak Chinh Kise Kahate Hain?): योजक चिह्न की परिभाषा, प्रयोग नियम और उदाहरण

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Ekta Ranga
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योजक चिह्न (Yojak Chinh)- बचपन में हाइफन (Hyphen) नाम का एक चैप्टर होता था जिसे समझना थोड़ा मुश्किल लगता था। हमारी टीचर समझाया करती थीं कि हाइफन वह चिह्न होता है जो दो शब्दों को जोड़ने का काम करता है। इसकी परिभाषा समझने के बाद भी हमें परेशानी होती थी कि हम दो शब्दों को कैसे साथ में जोड़ें। और तो और वह कौन से शब्द हैं जो साथ में जुड़ते हैं। हिंदी व्याकरण में यह अति महत्वपूर्ण है कि हम किसी भी प्रकार की त्रुटि ना करें। हमारी एक गलती से शब्दों का अर्थ बदल सकता है। इस बात का हम सदैव ध्यान रखें।

योजक चिह्न (Yojak Chinh)

योजक चिह्न हिंदी व्याकरण का एक ऐसा विषय है जिसपर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। ऐसे बहुत से शब्द होते हैं जिन्हें हम बिना योजक चिह्न के लिखते हैं। हम ऐसा कर तो लेते हैं, परंतु इस गलती से बहुत बार एक शब्द का अर्थ बदल जाता है और अर्थ का अनर्थ हो जाता है। यह त्रुटि सिर्फ हमसे से ही नहीं बल्कि कभी कभार हिंदी व्याकरण प्रेमियों से भी हो जाती है। उदाहरण के लिए हम दुख और सुख को योजक चिह्न लगाकर लिखेंगे- दुख-सुख और दूध रोटी को हम मिलाकर लिखेंगे दूध-रोटी। योजक चिह्न का उपयोग करके हम विपरीत अर्थों की स्पष्टता को जान सकते हैं। तो आज का हमारा विषय थोड़ा सा अलग है। आज हम सीखेंगे कि योजक चिह्न किसे कहते हैं? (Yojak Chinh Kise Kahate Hain?), योजक चिह्न की परिभाषा क्या है और हम इसका उपयोग कैसे करेंगे। तो आइए हम योजक चिह्न पर यह पोस्ट पढ़ना शुरू करते हैं।

योजक चिह्न किसे कहते हैं?

योजक चिह्न वह चिह्न है जो दो शब्दों को जोड़ता है और इन्हीं दो शब्दों से समस्त पद भी बनता है। योजक को अंग्रेजी में Connector या फिर Joiner कहते हैं।

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योजक चिह्न की परिभाषा

हम पहले भी बहुत सारी पोस्ट में इस बात पर चर्चा कर चुके हैं कि हिंदी व्याकरण की सही समझ होने पर ही हम इस भाषा को अच्छे से समझ सकते हैं। व्याकरण के सही रूप में उपयोग से ही हम इसमें महारत हासिल कर सकते हैं। हिंदी व्याकरण में हम संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि अध्यायों पर जमकर अभ्यास करते हैं, परंतु इसमें एक ऐसा अध्याय भी है जिसे हम ज्यादा महत्व नहीं देते हैं। हम योजक चिह्न की बात कर रहे हैं। तो चलिए हम जानते हैं कि योजक चिह्न की परिभाषा क्या है?

योजक चिह्न वह चिह्न होता है जो दो शब्दों या वाक्यों को मिलाने का काम करता है। इस चिह्न को हम हमेशा दो शब्दों के बीच इस्तेमाल करते हैं। एक और बात को गौर करना चाहिए कि चाहे भले दो शब्द जुड़ रहे हों पर दोनों का अस्तित्व एक नहीं हो सकता है। इन दोनों शब्दों का अस्तित्व हमेशा अलग ही रहता है। अंग्रेजी में हम योजक चिह्न को Hyphen कहते हैं। यह (-) योजक चिह्न होता है। जब हम दो शब्दों के बीच में योजक चिह्न का उपयोग करते हैं तो इससे हमें शब्द की स्पष्टता का पता चल जाता है।

योजक चिह्न का हम कहां प्रयोग करते हैं?

1 ) पुनरूक्त शब्दों में योजक चिह्न का उपयोग- नगर-नगर, घर-घर, शहर-शहर, बात-बात, पीछे-पीछे आदि।

2 ) ‘और’ के अर्थ में योजक चिह्न का उपयोग- जीना-मरना, भला-बुरा, मम्मी-पापा, दादा-दादी, जीवन-मरण, लाभ-हानि, सुख-दुःख, उल्टा-सीधा, उतार-चढ़ाव आदि।

3 ) सा, सी और से से पहले योजक चिह्न का इस्तेमाल होता है – लक्ष्मण-सा भाई, मोदी- सा प्रधानमंत्री, ज्यादा से ज्यादा, एक-से बढ़कर एक आदि।

4 ) प्रेरणार्थक क्रियाओं के बीच भी योजक चिह्न का उपयोग होता है- चलना-चलवाना, गिरना-गिराना, रोना-रूलाना, सोना-सुलाना, हँसना-हँसवाना आदि।

5 ) समान अर्थ बताने वाले शब्दों के बीच भी योजक चिह्न लगता है- कपड़े-लते, कूड़ा-करकट, घास-फूस आदि।

6 ) कभी-कभार शब्दों में का, की, के शब्द गायब होते हैं तो ऐसे में वहां पर भी योजक चिह्न का इस्तेमाल होता है- ताड़का-वध, कृष्ण-लीला, हरि-नाम आदि।

7 ) जब दो क्रियाएं एक साथ इस्तेमाल होती है तब भी योजक चिह्न लगता है- पढ़ना-लिखना, चलना-फिरना, सोना-जगना, उठना-बैठना, खाना-पीना, आना-जाना आदि।

8 ) दो संख्यावाचक विशेषण के बीच भी योजक चिह्न का उपयोग होता है- दो-चार, दस-बीस आदि।

9 ) कभी कभार ऐसा भी होता है जब पेज पर पैराग्राफ लिखते समय कोई शब्द पूरा ना हो तो ऐसे में हम योजक चिह्न (hyphen) का इस्तेमाल करके उस बचे हुए शब्द को अगली लाइन में लिख देते हैं।

10 ) बहुत बार ऐसा होता है जब हम एक उपयोगी शब्द और दूसरे फालतू शब्दों के बीच में भी योजक चिह्न लगाकर उन्हें पूरा करते हैं- फल-वल, चाय-शाय, नाम-वाम, घर-वर, दाम-शाम, रोटी-शोटी आदि।

योजक चिह्न के उदाहरण

1 ) सुख-दुःख

2 ) घास-फूस

3 ) दूध-रोटी

4 ) कम-से-कम

5 ) कपड़े-लत्ते

6 ) देश-भक्ति

7 ) दाल-भात

8 ) ऊंच-नीच

9 ) अपना-पराया

10 ) मोटा-ताजा

11 ) कूड़ा-करकट

12 ) फल-फूल

13 ) गांव-गांव

14 ) शहर-शहर

15 ) राम-राम

16 ) डाल-पात

17 ) एक-तिहाई

18 ) यश-अपयश

19 ) दिल-तोड़

20 ) मारना-पीटना

21 ) कहना-सुनना

22 ) भूल-चूक

23 ) थोड़ा-बहुत

24 ) इधर-उधर

25 ) भीड़-भाड़

26 ) लेन-देन

27 ) भरत-सा-भाई

28 ) कृष्ण-लीला

29 ) कंस-वध

30 ) रात-दिन

31 ) तारे-सितारे

32 ) आना-जाना

33 ) हार-जीत

34 ) समझ-बूझ

35 ) मारना-पीटना

36 ) बच्चा-बच्चा

37 ) बूंद-बूंद

38 ) मानव-शरीर

39 ) मानव-जीवन

40 ) लेन-देन

योजक चिह्न का वाक्य उदाहरण

1 ) ज्यादा लेन-देन का काम मत रखो।

2 ) मानव-जीवन बहुत ही अनमोल होता है।

3 ) बूँद-बूँद पानी से घड़ा भरता है।

4 ) हमें समझ-बूझ से काम करना चाहिए।

5 ) भरत-सा-भाई बहुत ही कम देखने को मिलता है।

6 ) उसने रात-दिन एक करके पढ़ाई की।

7 ) हर इंसान में देशभक्ति होनी चाहिए।

8 ) सुख-दुःख जीवन का खेल है।

9 ) मुझे दाल-भात खाना पसंद है।

10 ) जीवन में हार-जीत चलती रहती है।

निष्कर्ष

तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से आपने यह सीखा कि योजक चिह्न का अर्थ आखिर क्या होता है? आपने यह भी सीखा कि योजक चिह्न का उपयोग कहां और कैसे होता है। हमने योजक चिह्न के उदाहरण भी समझे। हम आशा करते हैं कि आपको हमारी यह पोस्ट काफी पसंद आई होगी।

FAQ’S

Q1. योजक चिह्न का अर्थ क्या होता है?

A1. योजक चिह्न वह चिह्न होता है जो दो शब्दों या वाक्यों को मिलाने का काम करता है। इस चिह्न को हम हमेशा दो शब्दों के बीच इस्तेमाल करते हैं।

Q2. अंग्रेजी में योजक चिह्न को क्या कहते हैं?

A2. अंग्रेजी में योजक चिह्न को hyphen कहते हैं।

Q3. योजक चिह्न के उदाहरण बताइए?

A3. चलना-चलवाना, गिरना-गिराना, रोना-रूलाना, मम्मी-पापा, दादा-दादी, जीवन-मरण, लाभ-हानि, सुख-दुःख, आदि।

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