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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 10 एक फूल की चाह

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PP Team
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छात्र इस आर्टिकल के माध्यम से कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 10 एक फूल की चाह के एनसीईआरटी समाधान प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों के लिए इस आर्टिकल पर सरल भाषा में एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 10 एक फूल की चाह बनाये गए हैं। आपको हमारी वेबसाइट parikshapoint.com पर कक्षा 9 हिंदी के सभी पुस्तकों के एनसीईआरटी समाधान भी मिल जायेंगे। छात्र कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 10 एक फूल की चाह के प्रश्न उत्तर (hindi sparsh class 9 chapter 10 question answers) नीचे से प्राप्त कर सकते हैं। स्पर्श भाग 1 कक्षा 9 के प्रश्न उत्तर प्राप्त करने के लिए आपको किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं देना होगा।

Ncert Solutions for class 9 Hindi Sparsh chapter 10

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श के प्रश्न उत्तर (hindi sparsh class 9 chapter 10 question answers) को सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाया गया है। ताकि छात्र परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सके। देखा गया है कि छात्र ncert solutions class 9 hindi sparsh chapter 10 के लिए बाजार में मिलने वाली गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। फिर उन गाइड को संभाल कर रखने में भी दिक्कत होती हैं। लेकिन आप हमारे इस पेज से class 9 hindi chapter 10 question answer sparsh पूरी तरह से ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं। हमने एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 10 एक फूल की चाह (ncert solutions for class 9 hindi sparsh) को राष्ट्रीय शैशिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की सहायता से बनाया है।

प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1 – निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:-

(क) कविता की उन पंक्तियों को लिखिए, जिनमें निम्नलिखित अर्थ का बोध होता है-

(i) सुखिया के बाहर जाने पर पिता का हृदय काँप उठता था।

………………………………………………….

उत्तर :-  मेरा हृदय काँप उठता था,

बाहर गई निहार उसे;

यही मनाता था कि बचा लूँ

किसी भांति इस बार उसे।।

(ii) पर्वत की चोटी पर स्थित मंदिर की अनुपम शोभा।

उत्तर :- ऊँचे शैल-शिखर के ऊपर

मंदिर था विस्तीर्ण विशाल;

स्वर्ण-कलश सरसिज विहसित थे,

पाकर समुदित रवि-कर-जाल।

(iii) पुजारी से प्रसाद/फूल पाने पर सुखिया के पिता की मन:स्थिति।

उत्तर :- भूल गया उसका लेना झट,

परम लाभ-सा पाकर मैं।

सोचा, – बेटी को माँ के ये

पुण्य-पुष्प दें जाकरे मैं।

(iv) पिता की वेदना और उसका पश्चाताप।

उत्तर :- अंतिम बार गोद में बेटी,

तुझको ले न सका मैं हा!

एक फूल माँ का प्रसाद भी

तुझको दे न सका मैं हा!

(ख) बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?

उत्तर :- बीमार बच्ची ने देवी के प्रसाद का फूल लाने की इच्छा प्रकट की।

(ग) सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

उत्तर :- सुखिया के पिता अछूत जाति से संबंध रखते थे। जब उन्होंने अपनी बेटी की इच्छा पूरी करने के लिए मंदिर में प्रवेश किया तब सभी लोग बोलने लग गए कि तुमने मंदिर को अपवित्र कर दिया है। तुमने बहुत बड़ा अनर्थ किया है। यह सब सुनकर सुखिया के पिता बोले कि मैं भी तो किसी काम में देवी से आगे होंगा। यह सुनकर सभी उस पर भड़क गए और कहने लगे कि तुम देवी को छोटा कह रहे हो और स्वयं को देवी का भक्त बता रहे हो। लोगों ने उसे मारा भी और साथ में मंदिर की पवित्रता भंग करने अथवा देवी माँ का अपमान करने का आरोप लगाकर न्यायालय के द्वारा सात दिन जेल में रहने का दंड दिया गया।

(घ) जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?

उत्तर :- जेल से छूटने के बाद जैसे ही वह भागते हुए घर की तरफ पहुंचा तभी उसके परिचित उसे बता चुके थे कि हम तो तुम्हारी बच्ची का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। सुखिया के पिता ने अपनी फूल सी बच्ची को राख की ढेर में पाया।

(ङ) इस कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर :- इस कविता का केंद्रीय भाव यह है कि कैसे लोगों में छूत- अछूत की भावना इस तरह से फैली हुई है कि कोई व्यक्ति अपनी बीमार बच्ची की छोटी-सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकता। कारवास की सज़ा की वजह से एक पिता अपनी बच्ची से आख़री बार मुलाक़ात भी नहीं कर पाता। ये सब खत्म करना जरूरी है।

(च) इस कविता में कुछ भाषिक प्रतीकों/बिंबों को छाँटकर लिखिए-

उदाहरण : अंधकार की छाया

(i) …………

(ii) …………

(iii) …………

(iv) ………….

(v) ………..

उत्तर :- स्वर्ण घणों में कब रवि डूबा।

झुलसी-सी जाती थी आँखें।

हुई राख की थी ढेरी।

पतित-तारिणी पाप हारिणी।

हाय वही चुपचाप पड़ी थी।

प्रश्न 2 – निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए:-

अविश्रांत बरसा करके भी

आँखे तनिक नहीं रीतीं

उत्तर :- आशय यह है कि करावास में अपनी बच्ची की चिंता करते हुए वियोग में पागल पिता लगातार रोने के बाद भी अपने आंसू रोक नहीं पा रहे थे।

अर्थ सौंदर्य :- कवि यह बताना चाहते हैं कि हमने काई बार देखा है किसी भी चीज़ को लगातार करने से उस चीज़ की चाह खत्म हो जाती है। हम थक जाते हैं। लेकिन जहां किसी पिता का अपनी बेटी लगाव ओर वियोग में इस तरह तड़पना कि वह लगातार रोने के बाद भी अपने आँसू नहीं रोक पा रहा, आख़िरकार उसका दुख, उसकी पीड़ा ने उसे कितना पागल बना दिया होगा।

(ख) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर

छाती धधक उठी मेरी

उत्तर :- आशय यह है कि अब तो उसकी चिता भी बुझ चुकी थी, जिसे देख मेरी छाती धधक उठी अर्थात् दर्द के मारे जल उठी।

अर्थ सौंदर्य :- कवि ने यह दिखाया है कि किस तरह एक पिता अपनी पुत्री को आखरी बार मिलते भी है तो, उसे बस उसकी चिता, बुझी हुई राख देखने को मिलती है। जिसे देख कैसे एक पिता का दिल करता होगा।

(ग) हाय! वही चुपचाप पड़ी थी

अटल शांति-सी धारण कर

उत्तर :- आशय यह है कि जो इधर – उधर उछल कूद करती भागती फिरती थी आज वह बिल्कुल चुपचाप शांत होकर पड़ी हुई है।

अर्थ- सौंदर्य :- कवि बताना चाहते है कि किस तरह से बीमारी हमें इस तरह निचोड़ देती है कि हम पहले की तरह हँसते – खेलते बातें करते हुए नहीं रहते। हम बिल्कुल कमज़ोर होकर एक जगह पड़ जाते है। हमें कोई होशो हवास नहीं होता।

(घ) पापी ने मंदिर में घुसकर

किया अनर्थ बड़ा भारी

उत्तर :- आशय यह है कि इस पापी ने मंदिर में प्रवेश करके बहुत बड़ा अनर्थ कर दिया है अर्थात् इसने हमारे मंदिर की पवित्रता को भंग कर दिया है।

अर्थ – सौंदर्य :- कवि कहते है कि दुनिया में इस तरह से छूत – अछूत की भावना इस तरह फैली हुई है एक इंसान जो केवल एक फूल लेने के लिए मंदिर में प्रवेश करता है उसे पापी बना दिया जाता है। उस पर मंदिर को अपवित्र करने का आरोप लगाया जाता है।

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1 – ‘एक फूल की चाह’ एक कथात्मक कविता है। इसकी कहानी को संक्षेप में लिखिए।

उत्तर :- यह कथात्मक कविता ‘सियारामशरण गुप्त’ द्वारा रचित है। जब तीव्र रूप से इधर – उधर महामारी का प्रकोप फैला हुआ था और आस-पास की मोतों को देखते हुए सुखिया के पिता उसे बाहर जाने से रोकते थे परन्तु सुखिया की चंचलता उसे घर रुकने ही नहीं देती। इसलिए उसके पिता हमें परेशान रहते। लेकिन अंत में वही हुआ जिसकी वजह से सुखिया का पिता डर रहे थे। वो एक दिन आ गया जिस दिन सुखिया के पिता ने उसे ताप में पाया। ताप में बोखलाते हुए अपने पिता से एक मांग की कि उसे देवी का प्रसाद और देवी का फूल चाहिए। अंधकार के साए में मंदिर में प्रसाद और फूल लेने के लिए वे एक ऊँचे पहाड़ वाले मंदिर पर गए। फूल पाते ही उसके उत्साह में प्रसाद लेना भूल गया। जब वह वापिस आया ब्राह्मण ने उसको पहचाना। पकड़ो, देखो, भाग न जाए यह अछूत भीतर कैसे आया। इसने तो मंदिर में अनर्थ मचा दिया।

सुखिया के पिता को भक्तों ने मार मारकर नीचे गिरा दिया जिसकी वजह से फूल भी बिखर जाते और प्रसाद नीचे गिर जाता है। सुखिया के पिता पर देवी का अपमान करने और मंदिर की पवित्रता भंग करने के आरोप में न्यायलय ले जाया जाता है और उसे सात दिन की सजा सुनाई जाती है। सुखिया के पिता कुछ नहीं बोलते और चुप रह कर दंड स्वीकार करते हैं। वे वहा अपनी बेटी की चिंता करते रहते रोते रहते हैं। वह सात दिन की सज़ा सदियों जैसी प्रतीत करके काट कर आता है तो, उसके पाव घर की तरफ न होकर शमसान की तरफ जाते हैं, क्योंकि उसे पता चलता है कि सुखिया जीवित नहीं है, उसके पड़ोसी, भाई सुखिया के शव को जला चुके हैं। उसके पिता सुखिया की चिता को राख के रूप में देखता है तो कहता है कि वह उसके आखरी समय में भी उसे गोद में न ले सका और उसकी अंतिम इच्छा भी पूरी न कर सका।

प्रश्न 2 – बेटी’ पर आधारित निराला की रचना ‘सरोज-स्मृति’ पढ़िए।

उत्तर :- ‘सरोज- स्मृति’ की रचना कवि ने अपनी बेटी की याद में बुनी थी। जिसमें उन्होंने अपनी बेटी के बचपन से लेकर मरण जीवन तक का वर्णन किया है। हमें इस रचना को पढ़ना है। हम यह रचना किताब के जरिए पढ़ सकते हैं।

प्रश्न 3 – तत्कालीन समाज में व्याप्त स्पृश्य और अस्पृश्य भावना में आज आए परिवर्तनों पर एक चर्चा आयोजित कीजिए।

उत्तर :- रमन :- तत्कालीन समाज में स्पृश्य और अस्पृश्य भावना का बहुत बुरा प्रचलन था। बड़े लोग अछूत, दलित वर्ग से दूरी बनाए रखते थे। लोग खाने पीने की चीज़ों में इसी भावना को आगे रखते थे।   

दिशा:- हां, सही कहा, “कोई इनकी चीज़ों को गलती से छू ले, इनकी जगहों पर प्रवेश भी कर ले तो उन्हें सख्त सज़ा दी जाती थी।

कोयल :-  हालांकि, आज के समय में यह भावना कम हो गई है लेकिन पूरी तरह से खत्म हो गई, हम ऐसा बिल्कुल नहीं कह सकते। क्योंकि अभी हाल ही में हुई घटना इसी बात का उदाहरण है। जहा राजस्थान में एक छोटे से बच्चें ने जो कि दलित समुदाय से संबंध रखता था उसने हेडमास्टर के मटके से पानी लिया, सिर्फ इस वजह से उसे इतना मारा गया कि उसकी हत्या हो गई। ऐसे नीच सोच के लोग जीवित घूमते है जो थोड़े से पैसे या किसी भी तरह से समझौता करके बच जाते हैं।

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श भाग-1 के सभी पाठ के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

एनसीईआरटी समाधान :- “स्पर्श भाग-1″

अध्यायविषय के नाम
1 (गद्य खंड)दुःख का अधिकार (यशपाल)
2एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा (बचेंद्री पाल)
3तुम कब जाओगे, अथिति (शरद जोश)
4वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन (धीरंजन मालवे)
5धर्म की आड़ (गणेशशंकर विद्यार्थी)
6शुक्रतारे के समान (स्वामी आनंद)
7 (काव्य खंड)रैदास
8रहीम
9आदमी नामा (नज़ीर अकबराबादी)
10एक फूल की चाह (सियारामशरण गुप्त)
11गीत-अगीत (रामधारी सिंह दिनकर)
12अग्नि पथ (हरिवंशराय बच्चन)
13नए इलाके में (अरुण कमल)

कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 10 एक फूल की चाह के लिए एनसीईआरटी समाधान प्राप्त करके आपको कैसा लगा?, हमें अपना बहुमूल्य कमेंट जरूर करें। कक्षा 9 हिंदी स्पर्श अध्याय 10 के प्रश्न उत्तर (Class 9 Hindi Sparsh Chapter 10 Question Answer) देने का उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप हमारे पेज से कक्षा 9 के अन्य विषयों के एनसीईआरटी समाधान यहां से देख सकते हैं। साथ ही कक्षा 9 हिंदी विषय की एनसीईआरटी पुस्तक भी यहां से प्राप्त कर सकते हैं।

कक्षा 9 हिंदी किताब क्षितिजकृतिकासंचयन के प्रश्न उत्तरयहां से देखें

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