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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 9 व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान इतिहास हमारे अतीत -1 का उदेश्य केवल अच्छी शिक्षा देना। यह एनसीईआरटी सलूशन कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 9 व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद के सहायता से बनाए गए है।
कक्षा : 6
विषय : सामाजिक विज्ञान (इतिहास, हमारे अतीत -1)
अध्याय : 9 – व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री (प्रश्न -उत्तर)
पाठ्यपुस्तक के आंतरिक प्रश्न
प्रश्न 1 – क्या तुम बता सकती हो कि ये सिक्के भारत कैसे और क्यों पहुँचे होंगे?
उत्तर :- समुंद्री व्यापारी इन सामानों को समुंद्री जहाजों और सड़कों के रास्ते भारत पहुचाते थे। ऐसा भी अनुमान लगाया जाता था कि जहाँ ये सिक्के बनते थे वहां व्यापारी ईन्हे ले जाकर अलग-अलग जगह बेचते थे। ये काला सोना, काली मिर्च, मसाले इत्यादि के लिए सिक्के का प्रयोग करते थे।
प्रश्न 2 – कविता में उल्लिखित चीज़ों की एक सूची बनाओ। क्या तुम बता सकते हो कि इन चीज़ों का उपयोग किसलिए किया जाता होगा?
उत्तर:-
प्रश्न 3 – क्या तुम बता सकती हो कि श्री सातकर्णी तटों पर नियंत्रण क्यों करना चाहता था?
उत्तर :- श्री सातकर्णी तटों पर इसलिए नियंत्रण करना चाहता था क्योंकि तटों पर विदेशी व्यापारी आते जाते थे। और व्यापारियों के लिये कीमती उपहार लिए जाते थे तथा तटों के आसपास के इलाकों से भारी शुल्क वसूल किया जा सकता था जिसे राज्य की आय बढ़ सकती थी। और उनके पास अधिक मात्रा में पैसे हो सकते थे।
प्रश्न 4 – सिल्क रूट पर गाड़ियों का उपयोग क्यों कठिन होता होगा?
उत्तर :- क्योंकि ये रास्ते दुर्गम पहाडी तथा रेगिस्तानी इलाके में स्थित थे।
प्रश्न 5 – चीन से समुद्र के रास्ते भी रेशम का निर्यात होता था। मानचित्र 6 ( पृष्ठ 84-85 ) में इसे ढूँढ़ो। समुद्र के रास्ते रेशम भेजने में क्या सुविधाएँ और क्या समस्याएँ आती होंगी?
उत्तर :- जब हम समुद्र के रास्ते से रेशम भेजते थे तो उसमें दुर्गम पहाड़ियाँ व रेगिस्तानी इलाके को पार करने में परेशानियाँ नहीं होती थी, परंतु समुद्री रास्ते में तेज वर्षा तथा समुद्री तूफानी हवाओं के कारण समुद्री जहाज के रास्ता भूटकने या डूबने का खतरा रहता था। जिसकी वजह से कई सारी समस्यांए हो सकती थी और हमारा ले जाया हुआ समान भी खराब हो सकता था।
प्रश्न 6 – बाएँ : मथुरा में बनी बुद्ध की एक प्रतिमा का चित्र। दाएँ : तक्षशिला में बनी बुद्ध की प्रतिमा का एक चित्र। इन चित्रों को देखकर बताओ कि इनके बीच क्या-क्या समानताएँ हैं और क्या-क्या भिन्नताएँ हैं?
उत्तर : -समानताएँ:- भगवान बुद्ध दोनों चित्रों में अभय मुद्रा में हैं।
दोनों भगवान बुद्ध की उकेरी गई मूर्ति के चित्र हैं।
भिन्नताएँ:- एक चित्र में भगवान बुद्ध बैठे हुए हैं तथा दूसरे चित्र में भगवान बुद्ध खड़े हुए हैं।
बैठी हुई मूर्ति में भगवान बुद्ध का शरीर कपड़ों से ढका हुआ है जबकि खड़ी हुई मूर्ति में भगवान बुद्ध की पीठ कपड़ों से ढकी हुई है।
प्रश्न 7 – पृष्ठ 100 को एक बार फिर पढ़ो। क्या तुम बता सकती हो कि बौद्ध धर्म इन इलाकों में कैसे फैला होगा।
उत्तर :- शायद यहाँ जो व्यापारी व्यापार करने के लिए आए होंगे। वे बौद्ध धर्म को मानते होंगे। श्रीलंका और म्यांमार के लोग व्यापारियों के विचारों से प्रभावित हुए होंगे। व्यापारिक संबंधों में वस्तुओं के आदान-प्रदान के साथ-साथ विचारों, भाषाओं, संस्कृति साहित्य, धर्म, खान-पान इत्यादि का भी आदान-प्रदान होता है इस प्रकार इन इलाकों में बौद्ध धर्म फैला होगा।
प्रश्न 8 – बताओ कि फा-शिएन अपनी पाण्डुलिपियों और मूर्तियों को क्यों नहीं फेंकना चाहता था।
उत्तर :- फा-शिएन बौद्ध धर्म का अनुयायी था। उसने पाण्डुलिपियाँ तथा मूर्तियाँ अपनी भारत यात्रा के दौरान संकलित की थी यह सब उसने काफी मेहनत तथा कई वर्षों तक भारत में घूम-घूम कर इकट्ठा किया था जिसे वह। फिर से प्राप्त नहीं कर सकता था इसलिए वह पाण्डुलिपियों और मूर्तियों को नहीं फेंकना चाहता था।
प्रश्न 9 – श्वैन त्सांग नालंदा में क्यों पढ़ना चाहता था, कारण बताओ?
उत्तर :-उस समय का सबसे प्रसिद्ध बौद्ध विद्या केंद्र नालंदा में था। नालंदा बौद्ध विद्या केंद्र शिक्षक योग्यता तथा बुद्धि में सबसे आगे थे। बुद्ध के उपदेशों का वह पूरी ईमानदारी से पालन करते थे। पूरे दिन वाद-विवाद चलते | ही रहते थे जिसमें युवा और वृद्ध दोनों ही एक-दूसरे की मद्द करते थे।
प्रश्न 10 – कवि सामाजिक प्रतिष्ठा और भक्ति में किसको ज्यादा महत्त्व देते हैं?
उत्तर :- कवि सामाजिक प्रतिष्ठा और भक्ति दोनों में से भक्ति को ज्यादा महत्त्व देते थे।
प्रश्न 11 – मानचित्र 6 (पृष्ठ 84-85) देखो और पता लगाओ कि किस रास्ते से ईसाई धर्म प्रचारक भारत आए होंगे?
उत्तर :- ईसाई धर्म प्रचारक समुद्री मार्ग से भारत आए होंगे।
अन्यत्र
करीब 2000 साल पहले पश्चिमी एशिया में ईसाई धर्म का उदय हुआ। ईसा मसीह का जन्म बेथलेहम में हुआ, जो उस समय रोमन साम्राज्य का हिस्सा था। ईसा मसीह ने स्वयं को इस संसार को उद्धारक बताया। उन्होंने दूसरों को प्यार देने और उसी तरह दूसरों पर विश्वास करने का उपदेश दिया, जिस तरह हर व्यक्ति दूसरों से प्यार और विश्वास की उम्मीद करता है। बाइबिल में ईसा मसीह के उपदेश की बातें लिखी हैं। यहाँ इसका एक अंश दिया गया है। धन्य हैं वे लोग जो धर्म और न्याय के लिए भूखे प्यासे रहते हैं, उनकी कामनाएँ पूरी होंगी।
जो दयालु हैं, वे धन्य हैं, क्योंकि उन्हें दया मिलेगी।
धन्य हैं वे जो दिल से पवित्र हैं,
क्योंकि वे ईश्वर के दर्शन कर सकेंगे।
धन्य हैं वे जो शांति स्थापित करते हैं,
वही ईश्वर की संतान कहलाएँगे।ईसा मसीह के उपदेश साधारण लोगों को बहुत पसंद आए और धीरे-धीरे यह पश्चिमी एशिया, अफ्रीका तथा यूरोप में फैल गए। ईसा मसीह की मृत्यु के सौ साल के अंदर ही भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर पहले ईसाई धर्म प्रचारक, पश्चिमी एशिया से आए।
केरल के ईसाईयों को ‘सिरियाई ईसाई’ कहा जाता है क्योंकि संभवत: वे पश्चिम एशिया से आए थे, वे विश्व के सबसे पुराने ईसाईयों में से हैं।
मानचित्र 6 ( पृष्ठ 84-85) देखो और पता लगाओ कि किस रास्ते से ईसाई धर्म प्रचारक भारत आए होंगे?
उत्तर :- समुंद्री मार्ग से।
प्रश्न अभ्यास
आओ याद करें
प्रश्न 1 – निम्नलिखित के उपयुक्त जोड़े बनाओ।
उत्तर :- दक्षिणापथ के स्वामी सातवहन शासक
मुवेन्दार चॉल, पांड्य
अश्वघोष बुद्धचरित
बोधित्स्व् महायान बौद्ध धर्म
शवैन तसा़ंग चीनी यात्री
प्रश्न 2 – राजा सिल्क रूट पर अपना नियंत्रण क्यों कायम करना चाहते थे?
उत्तर :- सिल्क रूट के द्वारा चीन से विदेशो को रेशम का निर्यात किया जाता था। सभी राजा सिल्क रूट के बड़े बड़े हिस्सों पर अपना नियंत्रण करना चाहते थे क्योंकि इस रास्ते पर यात्रा कर रहे व्यापारियों से उन्हें कर, शुल्क तथा तोहफ़ों के रूप में लाभ मिलता था। इसके बदले में ये राजा उन व्यापारियों को अपने राज्य से गुजरते वक़्त लुटेरों के आक्रमण से सुरक्षा देते थे।
प्रश्न 3 – व्यापार तथा व्यापारिक रास्तों के बारे में जानने के लिए इतिहासकार किन-किन साक्ष्यों का उपयोग करते हैं?
उत्तर:- 1. प्राप्त विदेशी सिक्के
2. कलाकृतियों के नमूने
3. बर्तनो के डिज़ाइन
4. बन्दरगाहों के अवशेष
5. नावों और जलयानों के मार्ग
6. पाण्डुलिपियाँ
प्रश्न 4 – भक्ति की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं ?
उत्तर :- भक्ति शब्द का अर्थ है भगवान और भक्त के बीच परस्पर एक अन्तरंग सम्बन्ध। भक्ति भगवान के प्रति झुकाव है। भक्ति की मुख्य विशेषताओ का वर्णन निम्नलिखित है। भक्ति मार्ग अपनाने वाले लोग आडम्बर के साथ पूजा पाठ करने के बजाय ईश्वर के प्रति लग्न और व्यक्तिगत पूजा पर जोर देते थे। भक्ति मार्ग अपनाने वालो का यह मानना था कि अगर अपने आराध्य देवी या देवता की सच्चे मन से पूजा की जाए तो उनकी सभी इच्छा पूरी होगी और भगवान् जी उसी रूप में दर्शन देंगे जिसमें भक्त देखना चाहते है। भक्ति का मार्ग सबके लिए खुला था चाहे वोह गरीब हो या अमीर। भक्ति में देवी देवताओं का विशेष सम्मान होता था।
प्रश्न 5 – चीनी तीर्थयात्री भारत क्यों आए? कारण बताओ
उत्तर :- चीनी तीर्थयात्री भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी जगह और प्रसिद्ध मठो को देखने के लिए भारत आए थे। इन तीर्थ यात्रियों में फा – शिएन, शवैन तसा़ंग ओर इत्सिंग प्रमुख थे। इनमेंं से प्रत्येक तीर्थ यात्री ने अपनी यात्रा का वर्णन लिखा था।
प्रश्न -6. साधारण लोगों का भक्ति के प्रति आकर्षित होने का कौन-सा कारण होता है?
उत्तर :- भक्ति का पथ सबके लिए खुला होता है। इसमें अमीर गरीब, ऊची नीची जाती, रंग, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है। भक्ति मार्ग में आडम्बर का कोई स्थान नहीं होता है। इसमें ईश्वर के प्रति लग्न और व्यक्तिगत पूजा पर जोर दिया जाता है। भक्ति मार्ग में सच्चे मन से आराध्य देव के प्रति समर्पण की भावना होती है।
प्रश्न 7 – तुम बाज़ार से क्या-क्या सामान खरीदती हो उनकी एक सूची बनाओ। बताओ कि तुम जिस शहर या गाँव में रहती हो, वहाँ इनमें से कौन-कौन सी चीजें बनी थीं और किन चीजों को व्यापारी बाहर से लाए थे?
उत्तर :- हम बाज़ार से कपड़े, खाने पीने का समान, घर से जुड़ी सभी चीजें खरीदते है। शहर में ये सब चीजें व्यापारी बाहर से लाते थे। और जो चीजेंं गांव में होती थी उनमे से कई चीजेंं मिट्टी से बनी हुई होती थी।
प्रश्न 8 – आज भारत में लोग बहुत तीर्थयात्राएँ करते हैं। उनमें से एक के विषय में पता करो और एक संक्षिप्त विवरण दो। (संकेत : तीर्थयात्रा में स्त्री, पुरुष या बच्चों में से कौन जा सकते हैं ? इसमें कितना वक्त लगता है ? लोग किस तरह यात्रा करते हैं ? वे अपनी यात्रा के दौरान क्या-क्या ले जाते हैं? तीर्थ स्थानों पर पहुँचकर वे क्या करते हैं? क्या वे वापिस आते समय कुछ लाते हैं?)
उत्तर :- लोग बहुत सारे स्थानों पर यात्रा करते हैं, इनमें से एक स्थान हरिद्वार है। यह हिंदुओं के लिए बहुत प्रसिद्ध स्थान है, यहाँ हर कोई व्यक्ति जा सकता है। यह लोगों के लिए इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ गंगा नदी पहाड़ों से निकलकर मैदानों में प्रवेश करती है और लोग इस स्थान पर धार्मिक स्नान कर सकते हैं। गंगा का उदगम हिमालय में हुआ है, यहाँ भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं के बहुत सारे मंदिर हैं। सावन के महीने में लोग यहाँ उत्साह के साथ घूमने आते हैं और गंगा जल के साथ भगवान शिव की पूजा करते हैं। वे पवित्र गंगा जल लेकर विभिन्न स्थानों के लिए पैदल यात्रा करते हैं।
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