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Ncert Solutions for class 9 Hindi Kshitij chapter 7
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पाठ : 7 मेरे बचपन के दिन
प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1 – ‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है। इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि-
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?
उत्तर :- वह समय ऐसा था जब लड़कियों का पैदा होना अशुभ माना जाता था, सभी को बस लड़कों का इंतज़ार होता था। लड़कियों को कोई पूछता नहीं था। लड़कियां सबके लिए बोझ के समान थी। न उन्हें शिक्षा का अधिकार प्राप्त था। लड़कों को उच्चा दर्जा प्राप्त था। लड़कियों को उस समय काफी प्रकार की यातनाएं सहन करनी पड़ती थी।
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर :- आज लड़कियों के जन्म के संबंध में परिस्थितियां काफी बदल चुकी है। लड़कियों को प्रत्येक जगह पर लड़कों के समान अवसर प्राप्त होते है। बल्कि आज शिक्षा में लड़कियां लड़कों को मात भी देती है, यह सिर्फ शिक्षा में ही नहीं बल्कि खेल – कूद में भी लड़कियों ने अपनी जगह बना ली है। ऐसा भी नहीं कि यह मामला पूरी तरह से ठीक हो गया है, कई गांव और कई जगह ऐसी है जहां अभी भी भ्रूण हत्या सिर्फ लड़कियों की ही हो रही है।
प्रश्न 2 – लेखिका उर्दू-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाईं?
उत्तर :- लेखिका की उर्दू – फारसी में रुचि न होने के कारण वह नहीं सीख पाई, जब मौलवी साहब उन्हें पढ़ाने आए वे चारपाई के नीचे जा छिपी।
प्रश्न 2 – लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर :- लेखिका ने अपनी माँ के लिखने, पद गाने की विशेषताओं के बारे में उल्लेख किया है, जिसका प्रभाव पूर्णतः लेखिका पर भी पड़ा। उन्होंने उनके धार्मिक विचारधाराओं का भी वर्णन किया है।
प्रश्न 4 – जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है?
उत्तर :- जवारा के नवाब और स्वयं लेखिका का परिवार अलग अलग जाति धर्म से संबंध रखते थे। लेकिन फिर भी उनके बीच हर एक सदस्य में प्रेम भाव था। सब आपस में खेलते, त्यौहार मनाते थे। किसी को किसी के प्रति कोई गिला, शिकायत नहीं थी। इसलिए लेखिका आज के समय को देखकर कहती है कि अब पहले जैसा समय कहा? जहां एक भाई खुद के भाई को देखकर खुश नहीं, ऐसे में पहले और आज का जीवन एक स्वप्न जैसा है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5 – जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थीं। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होतीं होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती?
उत्तर :- मैं अगर किसी के घर में काम करने हेतु अपना पूरा सहयोग, पूरी निष्पक्षता तथा आदर भावना से दे रही हूं तो मैं भी उससे यही अपेक्षा अर्थात उम्मीद रखूंगी कि वह मेरे लिए भी वही भावना रखे। मुझे, मेरी मजबूरियों को समझे। बिना बात का गुस्सा मेरे ऊपर न निकाले।
प्रश्न 6 – महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/करेंगी?
उत्तर :- यदि मेरे साथ ऐसा हो कि मुझे इस तरह से मिला हुआ पुरस्कार किसी देशहित में या किसी आपदा के निवारण के काम में देना पड़े तो मेरे लिए यह बहुत ही फकर की बात होगी। जहां मैं क्या पता कभी किसी के काम आ पाता या नहीं लेकिन मेरे पुरस्कार ने यह काम कर दिया।
प्रश्न 7 – लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर :- लेखिका के छात्रावास बहुभाषी परिवेश का वर्णन हम हिंदी भाषा में करेंगे। लेखिका ने क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में प्रवेश लिया। उस समय वे पांचवी कक्षा की विद्यार्थी थी। वहां का माहौल उन्हें बहुत पसंद आया। वहाँ अलग – अलग धर्मों की लड़कियाँ थी। कोई हिन्दु तो कोई मुस्लिम। सभी के लिए एक ही जगह खाना बनता था जहां प्याज़ तक नहीं बनाया जाता था।
प्रश्न 8 – महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की कोई स्मृति उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर :- एक बार हमारे कॉलेज में 15 अगस्त का त्योहार मनाया जा रहा था। इसमें अलग अलग कॉलेज से भी बच्चें आए हुए थे। काफी मात्रा में बच्चें इकट्ठे हुए थे। मैंने उस समय नाचने के कार्यक्रम में भाग लिया हुआ था। मुझे उस समय डर तो बहुत लग रहा था, मैं भाग लेना भी नहीं चाहता था लेकिन मेरे दोस्तों ने धक्के से मेरा नाम लिखवा दिया था। जब मेरा नाम स्टेज पर बोला गया मैं उस समय तक वहा से गायब हो चुका था। जैसे तैसे मेरे दोस्त मुझे ढूंढ कर लाए और मैंने उस कार्यक्रम में भाग भी लिया और प्रथम स्थान प्राप्त किया। यह दिन और मेरे दोस्तों का प्यार मुझे आज भी याद है।
प्रश्न 9 – महादेवी ने कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर :- शुरु-शुरु में जब भी मैं किसी कार्यक्रम में भाग लेता तो मुझे बहुत ही बेचैनी होती थी। ज्यादा भीड़ भाड़ देखकर मुझे पसीने आने लगते थे। कई बार तो मैं चक्कर खाकर भी गिर पड़ा था। ऐसा काफी बार हुआ। पहला ऐसा अनुभव मुझे तब हुआ जब मुझे स्कूल में छठी कक्षा में 15 अगस्त पर एक गाना सुनाने के लिए बोला गया। ऐसा नहीं हुआ कि मैंने हार मान ली। मैंने अपनी खामियों को पहचाना और उन्हें दूर करने का प्रयास किया। मैं अपने कमरे में अकेले में बोलने का अभ्यास करता था। धीरे-धीरे मैंने अपनी खामियों पर काबू पा लिया। मुझे अब चाहे कितने भी बच्चों के आगे बोलना पड़े कभी कोई हिचकिचाहट नहीं होती।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 10 – पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए-
विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति।
उत्तर :- विद्वान :- मूर्ख
अनंत :- अंत
निरपराधी :- अपराधी
दंड :- पुरस्कार
शांति :- अशांति
प्रश्न 11 – निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग/प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए-
निराहारी – निर् + आहार + ई
सांप्रदायिकता
अप्रसन्नता
अपनापन
किनारीदार
स्वतंत्रता
उत्तर :- सांप्रदायिकता – संप्रदाय + इक + ता
अप्रसन्नता – अ + प्रसन्न + ता
अपनापन – अपना + पन
किनारीदार – किनारा+ ई + दार
स्वतंत्रता – स्व + तंत्र + ता
प्रश्न 12 – निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए-
उपसर्ग – अन्, अ, सत्, स्व, दुर्
प्रत्यय – दार, हार, वाला, अनीय
उत्तर :- उपसर्ग :-
अन् – अनंत, अनुपयोगी
अ – अपमान, अपयश
सत् – सत्चरित्र, सत्क्रम
स्व – स्वदेश, स्वधर्म
दुर् – दुर्गति, दुर्लभ
प्रत्यय :-
दार – लेनदार, देनदार
हार – लोहार, पालनहार
वाला – फेरीवाला, पटरीवाला
अनीय – पूजनीय, स्वर्गीय
प्रश्न 13 – पाठ में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए-
पूजा-पाठ पूजा और पाठ
उत्तर :- उर्दू – फारसी :- उर्दू और फारसी
प्रचार – प्रसार :- प्रचार और प्रसार
कुल – देवी :- कुल की देवी
कवि – सम्मेलन :- कवियों का सम्मेलन
जन्मदिन :- जन्म का दिन
पाठेतर सक्रियता
कल्पना के आधार पर बताइए कि लड़कियों की संख्या कम होने पर भारतीय समाज का रूप कैसा हो?
उत्तर :- लड़कियों के बिना या लड़कियों की कम संख्या का समाज ऐसा होगा जैसा पानी के बिना जीवन। जिस घर में बच्चें, बड़े आते ही पहले उनकी माँ- पत्नी को ढूंढ़ते है वो घर में बिना लड़की के सोच भी कैसे सकते है। लड़कियाँ जीवन में काई किरदार निभाती है वो भी बखूबी। हर रिश्ते, प्रत्येक काम को पूरी जिम्मेवारी से निभाती है। जब लड़कियाँ ही नहीं होगी तो आगे जनसंख्या ही खत्म हो जाएगी।
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