एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत पाठ 8 संसारसागरस्य नायकाः

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छात्र इस आर्टिकल के माध्यम से एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 संस्कृत पाठ 8 संसारसागरस्य नायकाः प्राप्त कर सकते हैं। छात्रों के लिए इस आर्टिकल पर कक्षा 8 संस्कृत पाठ 8 संसारसागरस्य नायकाः के प्रश्न उत्तर दिए हुए है। ncert solutions class 8 sanskrit chapter 8 संसारसागरस्य नायकाः के लिए छात्र बाजार में मिलने वाली 8 वीं कक्षा संस्कृत गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन यहां से छात्र संस्कृत कक्षा 8 पाठ 8 संसारसागरस्य नायकाः के प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। रुचिरा भाग 3 class 8 के प्रश्न उत्तर साधारण भाषा में बनाए गए है। ताकि छात्र kaksha 8 sanskrit की परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सके।

Ncert Solutions For Class 8 Sanskrit Chapter 8

कक्षा 8 संस्कृत पाठ 8 के लिए एनसीईआरटी समाधान राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की सहायता से बनाए गए है। संस्कृत भाषा की जितनी बात करें उतना ही कम होगा। संस्कृत साहित्य का इतिहास बहुत बड़ा है। संस्कृत भाषा आज भी भारत की राजभाषा है। छात्र ncert solutions for class 8 sanskrit chapter 8 संसारसागरस्य नायकाः के माध्यम से परीक्षा की तैयारी अच्छे से कर सकते हैं। कक्षा आठवीं संस्कृत पाठ 8 के प्रश्न उत्तर नीचे देखें।

अभ्यास:

1 . एकपदेन उत्तरत:-

(क) कस्य राज्यस्य भागेषु गजधर: शब्द: प्रयुज्यते ?

(ख) गजपरिमाणं क: धारयति ?

(ग) कार्यसमाप्तौ वेतनानि अतिरिच्य गजधरेभ्य: किं प्रदीयते स्म ?

(घ) के शिल्पिरूपेण न समादृता: भवन्ति ?

उत्तराणि:-

(क) राजस्थानस्य।

(ख) गजधर:।

(ग) सम्मानमपि।

(घ) गजधरा:।

2. अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि लिखत-

(क) तडागा: कुत्र निर्मीयन्ते स्म ?

(ख) गजधरा: कस्मिन्‌ रूपे परिचिता: ?

(ग) गजधरा: किं कुर्वन्ति स्म ?

(घ) के सम्माननीया: ?

उत्तराणि:- (क) तडागा: सम्पूर्ण देशे निर्मीयन्ते स्म।

(ख) गजधरा: वास्तुकारणां रूपे परिचिता:।

(ग) गजधरा: नगरनियोजनात् लघुनिर्माण पर्यन्तं सर्वाणि कार्याणि कुर्वन्ति स्म।

(घ) गजधरा: सम्माननीया:।

3. रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्न-निर्माणं कुरुत-

(क) सुरक्षाप्रबन्धनस्य दायित्वं गजधरा: निभालयन्ति स्म।

(ख) तेषां स्वामिन: असमर्था: सन्ति।

(ग) कार्यसमाप्तौ वेतनानि अतिरिच्य सम्मानमपि प्राप्नुवन्ति।

(घ) गजधर: सुन्दर: शब्द: अस्ति।

(ङ) तडागा: संसारसागरा: कथ्यन्ते।

उत्तराणि:-

(क) कस्य दायित्वं गजधरा: निभालयन्ति स्म ?

(ख) केषां स्वामिन: असमर्था: सन्ति ?

(ग) कार्यसमाप्तौ कानि अतिरिच्य सम्मानमपि प्राप्नुवन्ति ?

(घ) क: सुन्दर: शब्द: अस्ति ?

(ङ) के संसारसागरा: कथ्यन्ते ?

4. अधोलिखितेषु यथापेक्षितं सन्धिं/विच्छेदं कुरुत-

(क) अद्य‌ + अपि‌  =  ————

(ख) ———— +———— =‌  स्मरणार्थम्‌

(ग) इति + अस्मिन्‌  = ————–

(घ) ———- + ———-  =‌  एतेष्वेव

(ङ) सहसा + एव = ————

उत्तराणि:- अद्य + अपि = अद्यापि

 स्मरण + अर्थम् = स्मरणार्थम्‌

 इति + अस्मिन्‌ = इत्यस्मिन्

 एतेषु + एव‌  =  एतेष्वेव

 सहसा + एव =  सहसैव

5. मञ्जूषात: समुचितानि पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-

रचयन्ति, गृहीत्वा, सहसा, जिज्ञासा, सह

(क) छात्रा: पुस्तकानि ———विद्यालयं गच्छन्ति।

(ख) मालाकारा: पुष्पै: माला: ——————-।

(ग) मम मनसि एका ——————— वर्तते।

(घ) रमेश: मित्रै: ————— विद्यालयं गच्छति।

(ङ) ——————— बालिका तत्र अहसत।

उत्तराणि:-

(क) छात्रा: पुस्तकानि गृहीत्वा विद्यालयं गच्छन्ति।

(ख) मालाकारा: पुष्पै: माला: रचयन्ति।

(ग) मम मनसि एका जिज्ञासा वर्तते।

(घ) रमेश: मित्रै: सह विद्यालयं गच्छति।

(ङ) सहसा बालिका तत्र अहसत।

6. पदनिर्माणं कुरुत-

          धातु:         प्रत्यय:      पदम्‌

यथा    कृ   +     तुमुन्  =   कर्तुम्‌

          हृ    +    तुमुन्‌   = ———–

          तृ    +    तुमुन्‌   = ———-

 यथा   नम्‌   +   क्त्वा    =  नत्वा

         गम्‌   +  क्त्वा     =  ———–

        त्यज्‌   +  क्त्वा     =  ———–

         भुज्‌   + क्त्वा     =   ———-

       उपसर्ग:     धातु:      प्रत्यय:     पदम्‌

यथा   उप       गम्‌        ल्यप्‌   =  उपगम्य

         सम्‌      पूज्‌        ल्यप्‌   =   ————-

         आ       नी        ल्यप्‌   =   ————-

           प्र        दा        ल्यप्‌   =   ————

उत्तराणि:-  धातु:     प्रत्यय:      पदम्‌

                हृ   +  तुमुन्‌   =   हर्तुम्

           तृ  +  तुमुन्‌    =   तर्तुम्

यथा       गम्‌  +  क्त्वा   =   गत्वा

         त्यज्‌  + क्त्वा.   =  त्यक्त्वा

         भुज्‌  + क्त्वा.    =  भुक्त्वा

        उपसर्ग:     धातु:     प्रत्यय:      पदम्

यथा    उप        गम्‌      ल्यप्‌  =   उपगम्य

          सम्‌       पूज्‌      ल्यप्‌  =  सम्पूज्य

          आ        नी        ल्यप्‌  =  आनीय

           प्र        दा         ल्यप्‌  =  प्रदाय

7. कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु समुचितां विभक्तिं योजयित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-

यथा- विद्यालयं परित: वृक्षा: सन्ति। (विद्यालय)

(क) —————- उभयत: ग्रामा: सन्ति। (ग्राम)

(ख) ————- सर्वत: अट्टालिका: सन्ति। (नगर)

(ग) धिक् ———————। (कापुरुष)

यथा – मृगा: मृगै: सह धावन्ति। (मृग)

(क) बालका: ————- सह पठन्ति। (बालिका)

(ख) पुत्र ————- सह आपणं गच्छति। (पितृ)

(ग) शिशु: —————— सह क्रीडति। (मातृ)

उत्तराणि:-

यथा- विद्यालयं परित: वृक्षा: सन्ति। (विद्यालय)

(क) ग्रामम् उभयत: ग्रामा: सन्ति। (ग्राम)

(ख) नगरम् सर्वत: अट्टालिका: सन्ति। (नगर)

(ग) धिक् कापुरुषम्। (कापुरुष)

यथा- मृगा: मृगै: सह धावन्ति। (मृग)

(क) बालका: बालिकाभि: सह पठन्ति। (बालिका)

(ख) पुत्र पित्रा सह आपणं गच्छति। (पितृ)

(ग) शिशु: मात्रा सह क्रीडति। (मातृ)

कक्षा 8 संस्कृत के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे टेबल से देखें
पाठ की संख्यापाठ के नाम
पाठ 1सुभाषितानि
पाठ 2बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रुता
पाठ 3डिजीभारतम्
पाठ 4सदैव पुरतो निधेहि चरणम्
पाठ 5कण्टकेनैव कण्टकम्
पाठ 6गृहं शून्यं सुतां विना
पाठ 7भारतजनताऽहम्
पाठ 8संसारसागरस्य नायकाः
पाठ 9सप्तभगिन्यः
पाठ 10नीतिनवनीतम्
पाठ 11सावित्री बाई फुले
पाठ 12कः रक्षति कः रक्षितः
पाठ 13क्षितौ राजते भारतस्वर्णभूमिः
पाठ 14आर्यभटः
पाठ 15प्रहेलिकाः

छात्रों को संस्कृत कक्षा 8 के लिए एनसीईआरटी समाधान प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। कक्षा 8 संस्कृत किताब पाठ 8 संसारसागरस्य नायकाः के प्रश्न उत्तर देने का उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप परीक्षा पॉइंट के एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं। 

कक्षा 8 के सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधानयहां से देखें

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