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Ncert Solutions For Class 8 Vasant Chapter 10 कामचोर
हिंदी 8 वीं कक्षा अध्याय 10 कामचोर के प्रश्न उत्तर को एनसीईआरटी यानि (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के सहायता से बनाया गया है। कक्षा 8 की हिंदी की किताब के प्रश्न उत्तर सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। देखा गया है कि छात्र कक्षा आठवीं हिंदी गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन यहां से कक्षा आठ के हिंदी के प्रश्न उत्तर पूरी तरह से मुफ्त में प्राप्त कर सकते हैं। छात्र ncert solutions for class 8th hindi chapter 10 कामचोर नीचे देखें।
कक्षा : 8
विषय : हिंदी (वसंत भाग -3)
पाठ : 10 कामचोर
प्रश्न-अभ्यास
कहानी से :-
प्रश्न 1 – कहानी में मोटे – मोटे किस काम के हैं ? किन के बारे में और क्यों कहा गया ?
उत्तर:- कहानी में ‘मोटे – मोटे’ शब्द घर के बच्चों के लिए प्रयोग किया गया है जो हिलकर पानी भी नहीं पीते थे। अपना काम औरों से कराते थे। वे घर में सारा दिन कोई काम नहीं करते थे। केवल और केवल प्रत्येक वस्तु को लाने का आदेश देते रहते थे। वे एकदम कामचोर हो चुके थे। सारा दिन ऊधम मचाने के सिवाय ये बच्चे और कुछ नहीं करते थे। इसलिए लेखिका ने घर के बच्चों को ‘मोटे-मोटे’ कह कर संबोधित किया है।
प्रश्न 2 – बच्चों के ऊधम मचाने के बाद घर की क्या दुर्दशा हुई थी ?
उत्तर :- बच्चों के ऊधम मचाने के बाद घर की दशा अत्यंत बिगड़ गई थी। घर का सारा सामान अस्त- व्यस्त हो गया था। सारा घर धूल से भर गया था। सबसे पहले फर्शी दरी की हालत बुरी की गई थी। उसके ऊपर पानी डालकर उसे कीचड़ युक्त बना दिया गया था। इसके बाद घर के बर्तनों से तोड़–फोड़ की गई थी। मुर्गियों को इधर – उधर दौड़ाया गया था। भैंसों का दूध बछड़े को पिलाया गया तथा भेड़ों से भयंकर उत्पात करवाया गया था। इन सब उत्पातों एवं उपद्रवों के कारण घर की दशा दुर्दशा में बदल गई थी।
प्रश्न 3 – “या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो’। “अम्मा ने कब कहा और इसका परिणाम क्या हुआ ?
उत्तर :- अम्मा ने ये शब्द, “या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो’ तब कहे जब घर के बच्चों ने घर में भयंकर उत्पात मचा दिया। सारा सामान कूड़े कर्कट के समान लग रहा था। घर की दशा दुर्दशा में बदल चुकी थी। अम्मा के कथनों का यह परिणाम निकला कि पिता जी ने सभी बच्चों को एक पंक्ति में खड़ा करके सबका का कोर्ट मार्शल कर दिया। उन्हें चेतावनी भी दे डाली कि अगर किसी ने भी किसी वस्तु को हाथ लगाया तो उसका रात का खाना बंद हो जाएगा।
प्रश्न 4 – ‘कामचोर’ कहानी क्या संदेश देती हैं ?
उत्तर :- ‘कामचोर’ कहानी संदेश देती है कि आलस्य जीवन का सबसे बड़ा शत्रु है। कामचोर व्यक्ति का कोई साथ नहीं देता है। सभी उसे निकम्मा और नकारा समझते हैं। इसीलिए कहानी का संदेश है- सभी को अपना कार्य स्वयं करना चाहिए, न कि बैठे–बैठे आदेश देना चाहिए। अपना कार्य स्वयं करने वाले जीवन में उन्नति को प्राप्त करते हैं। माँ–बाप को अपने बच्चों में बचपन से काम करने की आदत डालनी चाहिए। उन्हें पूरी तरह से नौकरों पर निर्भर नहीं होने देना चाहिए। कहानी में माता–पिता द्वारा बच्चों को डाँटने का दृश्य दिखाकर लेखिका बताना चाहती है कि कामचोरों की कहीं पर भी इज्जत एवं सम्मान नहीं होता। अतः सभी को अपना कार्य स्वयं करना चाहिए।
प्रश्न 5 – क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए हिलकर पानी भी नहीं पीएंगे ?
उत्तर:- बच्चों का ये निर्णय कि अब हम हिलकर पानी भी नहीं पीएंगे पूरी तरह से अनुचित है। इस निर्णय का सबसे बड़ा दोष उनकी बाल प्रवृत्ति है। इससे उनके मन में आलस्य की भावना बढ़ती जाएगी। आयु के साथ उनकी यह विचारधारा और भी अधिक पक्की होती जाएगी। वे जीवन में अपने आप कोई भी कार्य कभी नहीं कर पाएँगे। आलस्य व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु होता है। नन्हे बालक अपने बालपन में ये बातें समझ नहीं पाते हैं। अत : बच्चों द्वारा लिया गया निर्णय सर्वथा अनुचित है।
कहानी से आगे :-
प्रश्न 1 – घर के सामान्य काम हों या अपना निजी काम प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुरूप उन्हें करना आवश्यक क्यों है ?
उत्तर :– किसी भी व्यक्ति विशेष को अपनी क्षमता के अनुसार ही कार्य करना चाहिए। जो व्यक्ति अपनी क्षमता एवं शक्ति के अनुसार किसी कार्य को करता है तो उसे उस कार्य को करने में अद्भुत आनंद की अनुभूति होती है। वह उस कार्य को बड़े ही मन से करता है फिर चाहे वह सामान्य कार्य हो या निजी कार्य, वह बड़ी ही कुशलता के साथ उस कार्य को पूर्ण करता है। क्षमता के अनुसार किया जाने वाला कार्य सदैव सुख देने वाला और सफल रहता है। प्रत्येक कार्य को अपनी क्षमता के अनुरूप ही करना चाहिए।
प्रश्न 2 – भरा पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुःखद ? ‘कामचोर’ कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए।
उत्तर :- भरा पूरा परिवार सुखद और दुःखद अलग -अलग परिस्थितियों के अनुसार बनता और बिगड़ता है। कोई भी भरा पूरा परिवार सुखद तब बनता है जब उस परिवार के सदस्य मिलजुल कर रहते हों। एक – दूसरे की भावनाओं और समस्याओं को भली-भांति जानते और समझते हों। तब वहां खुशियाँ ही खुशियाँ देखने को मिलती हैं। समस्त परिवार अपना सारा काम मिल – बाँट कर पूरा कर लेता है। कार्यों की पूर्णता और खुशियों का लगातार आगमन सुखद परिवार का एक चिह्न बन जाता है। दूसरी तरफ यही परिवार दुःखद भी हो जाता है; परिवार में जब कुछ ही व्यक्ति कार्य करते हैं तथा अन्य लोग आराम से आदेश देने का कार्य करते हैं। ऐसी स्थिति में घर में कलह, द्वेष उत्पन्न हो जाती है। छोटी-छोटी खुशियाँ घर के झगड़ों में दबकर रह जाती है। घर की शांति पूरी तरह से अशांति में बदल जाती है। अतः घर का प्रत्येक व्यक्ति जब तक अपने कार्यों के प्रति रुचि और जागरूकता नहीं दिखाएगा तब तक परिवार में दुःखद स्थिति बनी रहेगी।
प्रश्न 3 – बड़े होते बच्चे माता–पिता के सहयोगी हो सकते हैं और किस प्रकार भार। कामचोर कहानी के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :- यह पूर्ण रूप से सत्य एवं सार्थक है कि बड़े होते बच्चे माता–पिता के सहयोगी हो सकते हैं। वे माँ–बाप के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आज के इस भौतिकवादी युग में बढ़ती महँगाई का सामना कर सकते हैं। परिवार में लिए जाने वाले निर्णयों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। माता–पिता के अनुभव और मेहनत को एक साथ मिलकर उनका सारा बोझ हल्का कर सकते हैं।
प्रश्न 4 -कामचोर कहानी एकल परिवार की कहानी है या संयुक्त परिवार की ? इन दोनों तरह के परिवारों में क्या – क्या अंतर होते हैं ?
उत्तर:– ‘कामचोर’ कहानी एक संयुक्त परिवार की कहानी है जिस में सभी रिश्ते–नातों को दर्शाया गया है। संयुक्त परिवार में दादा–दादी, माता – पिता, बच्चे आदि सभी मिल–जुल कर रहते हैं। सभी एक दूसरे की सहायता करते हैं। इससे बच्चों में अच्छे संस्कार उत्पन्न हो जाते हैं। उन्हें अपनी परंपरा का ज्ञान हो जाता है। एकल परिवार में माता –पिता और बच्चे होते हैं। अकेले रहने के कारण उनमें मिल–जुल कर रहने की भावना उत्पन्न नहीं होती।
अनुरान और कल्पना :-
प्रश्न 1 – घरेलू नौकरों को हटाने की बात किन-किन परिस्थितियों में उठ सकती है ? विचार कीजिए।
उत्तर :- घरलू नौकरों को हटाने की बात निम्नलिखित परिस्थितियों पर निर्भर कर सकती है :-
- घर के नौकर जब अपने कार्य को पूरी ईमानदारी के साथ न करें।
- वे अपने कार्य में रुचि न दिखाते हो।
- घर का सामान अपने उपयोग के लिए छिपा लेते हों।
- घर के बच्चों और बुजुर्गों के प्रति उचित व्यवहार न करते हो।
प्रश्न 2 – कहानी में एक समृद्ध परिवार के उद्यमी बच्चों का चित्रण है। आपके अनुमान से उनकी क्यों बिगड़ी होगी ? उन्हें ठीक ढंग से रहने के लिए आप क्या–क्या सुझाव देना चाहेंगे ?
उत्तर :– कहानी में समृद्ध परिवार के उद्यमी बच्चों का चित्रण बड़े ही रोचक ढंग से किया गया है। इनकी आस बिगाड़ने का पूरा श्रेय घर के बड़े–बूढ़ों को जाता है। बच्चे–बच्चे कहकर वे उन्हें कोई कार्य नहीं करने देते हैं। यह प्रवृत्ति बाद में उन्हें कामचोर बना देती है। प्रत्येक कार्य नौकरों से करवाने कारण वे स्वयं कुछ नहीं करते। कम – से – कम उन्हें अपने निजी कार्य तो स्वयं कर लेने चाहिए ताकि उनके अंदर आलस्य का जन्म न हो। इन्हें घर के छोटे – छोटे कार्यों में रुचि दिखानी चाहिए। घर के बड़े बुजुर्गों को अपने हाथों से चाय, पानी और दवा आदि पिलानी चाहिए। इन्हें परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उचित व्यवहार करना चाहिए।
प्रश्न 3 – किसी सफल व्यक्ति की जीवनी से उसके विद्यार्थी जीवन की दिनचर्या के बारे में पढ़ें और सुव्यवस्थित कार्यशैली पर एक लेख लिखें।
उत्तर :- मैंने श्री लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी पढ़ी। उससे पता चला कि किस प्रकार उन जैसा छोटे से कद और साधारण परिवार का व्यक्ति भारतवर्ष का सफल प्रधानमंत्री बन गया था। अपने विद्यार्थी जीवन में के सुबह समय उठ कर अपने सभी कार्य स्वयं निबटा कर कई मील पैदल चल कर अपने विद्यालय जाते थे। विद्यालय से आकर परिवार के कार्यों में भी हाथ बंटाते थे। उन्हें किसी भी कार्य को करने में संकोच नहीं होता था। वे अपने बड़ों का आदर करते थे तथा छोटों से स्नेहपूर्ण व्यवहार करते थे। उन के सभी कार्य सुव्यवस्थित तथा समयबद्ध रूप से होते थे। इसलिए वे जीवन में सदा संघर्ष करते हुए सफलता प्राप्त करते रहे तथा भारत के अति लोकप्रिय प्रधानमंत्री बने।
भाषा की बात:-
‘धुली – बेधुली बाल्टी लेकर आठ–हाथ चार थनों पर पिल पड़े”। धुली शब्द से पहले ‘बे’ लगाकर ‘बेधुली’ बना है जिसका अर्थ हुआ ‘बिना धुली’ ‘बे’ एक उपसर्ग है। वे उपसर्ग से बनने वाले कुछ और शब्द हैं – बेतुका, बेईमार, बेघर, बेचैन, बेहोश आदि। आप भी नीचे लिखे उपसर्गों से बनने वाले शब्द खोजिए:-
प्र, आ, भर, बाद
उत्तर:-
उपसर्ग शब्द
प्र प्रबल, प्रसन्न, प्रगति
आ आचरण, आश्रम, आकुल
भर भरपूर, भरसक, भरपाई
बद बदकिस्मत, बदबू, बदसूरत
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