एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी दूर्वा अध्याय 14 बच्चों के प्रिय केशव शंकर पिल्लै

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Ncert Solutions For Class 8 Durva Chapter 14

देखा गया है कि छात्र Class 8 Hindi Durva Solutions के लिए बाजार मिलनी वाली गाइड पर काफी पैसा खर्च कर देते हैं। लेकिन यहां से समाधान मुफ्त और ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। ncert solutions for class 8 hindi durva chapter 14 बच्चों के प्रिय श्री केशव शंकर पिल्लै को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की सहायता से बनाया है। साथ ही कक्षा 8 हिंदी दूर्वा भाग 3 अध्याय 14 बच्चों के प्रिय श्री केशव शंकर पिल्लै के प्रश्न उत्तर को सीबीएसई सिलेबस को ध्यान में रख कर भी बनाया गया है।

कक्षा : 8
विषय : हिंदी (दूर्वा भाग -3)
पाठ : 14 बच्चों के प्रिय श्री केशव शंकर पिल्लै

1. पाठ से

(क) गुड़ियों का संग्रह करने में केशव शंकर पिल्लै को कौन-कौन सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ?

उत्तर :- ढेर सारी गुड़ियों का संग्रह करने में केशव शंकर पिल्लै को बहुत मुश्किल होती थी क्योंकि एक तो गुड़ियाँ महंगी होती थी , दूसरा उन्हें सुरक्षित रखने के लिए जगह भी ज़्यादा चाहिए थी।

(ख) वे बाल चित्रकला प्रतियोगिता क्यों करना चाहते थे ?

उत्तर :- वे बाल चित्रकला प्रतियोगिता इसलिए करना चाहते थे ताकि वे संसार भर के बच्चों को निकट ला सके और उनकी भाषा, वेशभूषा, संस्कृति, कला की पहचान करा सके।

(ग) केशव शंकर पिल्लै ने बच्चों के लिए विश्व भर की चुनी हुई गुड़ियों का संग्रह क्यों किया ?

उत्तर :- केशव शंकर पिल्लै ने बच्चों के लिए विश्व भर की चुनी हुई गुड़ियों का संग्रह इसलिए किया क्योंकि गुड़ियाँ इतनी आकर्षक होती है वे हँसती–बोलती है, काम करती है, चलती–फिरती है सजीव सी लगती है। बच्चें इनके बीच जाकर घंटों खो जाते हैं। इनको कई बार देखने से भी मन नहीं भरता। बच्चों का भरपूर मनोरंजन हो जाता है और देश–विदेश के बारे में उनकी जानकारी भी बढ़ेगी।

(घ) केशव शंकर पिल्लै हर वर्ष छुट्टियों में कैंप लगाकर सारे भारत के बच्चों को एक जगह मिलने का अवसर देकर क्या करना चाहते थे ?

उत्तर :- केशव शंकर पिल्लै हर वर्ष छुट्टियों में कैंप लगाकर सारे भारत के बच्चों को एक जगह मिलने की योजना से वे ‘बच्चों का जनतंत्र’ नाम देना चाहते थे। इसके माध्यम से वे भारत के हर राज्य के और विदेशों के रहन-सहन, तौर-तरीकों, फैशन, वेशभूषाओं तथा रीति–रिवाजों से परिचित हो सकते हैं। वे बच्चों को एकता में बल की पहचान कराना चाहते थे।

2. तरह–तरह के काम

केशव ने कार्टून बनाना, गुड़ियों व पुस्तकों का संग्रह करना, पत्रिका में लिखना व पत्रिका निकालना, बाल चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन व बच्चों का सम्मेलन कराना जैसे तरह-तरह के काम किए। उनको किसी एक काम के लिए भी तरह-तरह के काम करने पड़े होंगे। अब बताओ कि :-

(क) कार्टून बनाने के लिए उन्हें कौन-कौन से काम करने पड़े होंगे ?

उत्तर :- कार्टून बनाने के लिए सबसे पहले चित्र बनाना आना चाहिए। फिर उन्हें अगर उसे किसी कहानी का रूप देना है उसके लिए भी विषय, पात्र, सोचना पड़ता है।

(ख) बच्चों के लिए बाल चित्रकला प्रतियोगिता करने के लिए क्या-क्या करना पड़ा होगा ?

उत्तर :- सबसे पहले कोई बड़ी जगह देखनी होगी जहां सबके बैठने खाने–पीने की अच्छे से सुविधा रखनी होगी ताकि कोई समस्या न रहे। अलग-अलग काम के लिए कर्मचारी रखने होंगे ताकि काम पर नज़र रख सके, प्रत्येक काम अच्छे से संभाल सके। फिर सबको प्रतियोगिता के लिए बुलाने के लिए समाचार देना होगा। इसके लिए हम फोन, टीवी, अख़बार की सहायता ले सकते हैं।

(ग) केशव शंकर पिल्लै की तरह कुछ और भी लोग हुए हैं जिन्होंने तरह-तरह के काम करके काफी नाम कमाया। तुम्हारी पसंद के वो कौन-कौन लोग हो सकते हैं ? तुम उनमें से कुछ के नाम लिखो और उन्होंने जो कुछ विशेष काम किए हैं उनके नाम के आगे उसका भी उल्लेख करो।

उत्तर:- छात्र इसका उत्तर स्वयं लिखने का प्रयास करें।

3. घर

तुमने इस पाठ में गुड़ियाघर के बारे में पढ़ा। पता करो कि ‘चिड़ियाघर’, ‘सिनेमाघर’ और ‘किताबघर’ कौन और क्यों बनवाता है ? तुम इनमें से अपनी पसंद के किसी एक घर के बारे में बताओ जहाँ तुम्हें जाना बेहद पसंद हो।

उत्तर :-  ये सभी चीज़ें लोगों के ज्ञान और घूमने के लिए सरकार द्वारा निर्मित होती है लेकिन अगर कोई अपना व्यवसाय, व्यापार बढ़ाने के लिए बनाना चाहे या लोगों की भलाई के लिए जैसे किताबघर अपनी इच्छाशक्ति से बिना पैसों के अंदर आने के लिए बनवाना चाहे तो बनवा सकते है लेकिन इसके लिए भी उन्हें बड़ी जगहों के लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। मुझे ‘किताबघर’ जाना पसंद है क्योंकि मुझे पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। मुझे नई-नई जानकारी इकट्ठा करना अच्छा लगता और ताकि मेरा सामान्य ज्ञान भी बड़े और मुझे हर जगह की जानकारी मिले।

4. संग्रह की चीज़ें

आमतौर पर लोग अपनी मनपसंद, महत्वपूर्ण और आवश्यक चीज़ों का संग्रह करते हैं। नीचे कुछ चीज़ों के नाम दिए गए हैं। जैसे:-

(क) डाक टिकट

(ख) पुराने सिक्के

(ग) गुड़िया

(घ) महत्वपूर्ण पुस्तकें

(ङ) चित्र

(च) महत्वपूर्ण व्यक्तियों के हस्तलेख

इसके अतिरिक्त भी तुम्हारे आसपास कुछ चीजें होती हैं जिसे लोग बेकार या अनुपयोगी समझकर कूड़ेदान या अन्य उपयुक्त जगह पर रख या फेंक देते हैं।

(क) तुम पता करो यदि उसका भी कोई संग्रह करता है तो क्यों ?

उत्तर :- क्योंकि उन्हें कई ऐसी अनुपयोगी चीज़ें पसंद आ जाती है और उनका संग्रह करना शुरु कर देते है। ताकि वे चीज़ें उनके साथ रहें नाकि सिर्फ यादों में। वे ऐसा इसलिए भी करते हैं ताकि वे अपने आने वाली पीढ़ियों को अपने दोस्तों को भी अपनी संग्रह की हुई चीज़ें दिखा सके।

(ख) उसका संग्रह करने वालों को क्या परेशानियाँ होती होंगी ?

(इनके उत्तर के लिए तुम बड़ों की सहायता ले सकते हो।)

उत्तर :- इसके लिए उन्हें ढूंढ़ने में भी मेहनत करनी पड़ती है, उसके लिए ज़्यादा जगह भी चाहिए होती है। कई जगह घूमना भी पड़ता है।

5. लड़ाई भी खेल जैसी

“अनेक देशों के बच्चों की यह फ़ौज अलग-अलग भाषा, वेशभूषा में होकर भी एक जैसी ही है। कई देशों के बच्चों को इकट्ठा कर दो, वे खेलेंगे या लड़ेंगे और यह लड़ाई भी खेल जैसी ही होगी। वे रंग, भाषा या जाति पर कभी नहीं लड़ेंगे।“

ऊपर के वाक्यों को पढ़ो और बताओ कि:-

(क) यह कब, किसने, किसमें और क्यों लिखा ?

उत्तर :- 1950 में ‘ शंकर्स वीकली ‘ के बाल विशेषांक में श्री नेहरू ने लिखा था “ अनेक देशों के बच्चों की यह फौज अलग–अलग भाषा, वेशभूषा में होकर भी एक जैसी ही है। कई देशों के बच्चों को इकट्ठा कर दो, वे या तो खेलेंगे या लड़ेंगे और यह लड़ाई भी खेल जैसी ही होगी। वे रंग, भाषा या जाति पर कभी नहीं लड़ेंगे “ शंकर पिल्लै का उद्देश्य भी यही था, संसार भर के बच्चों को निकट लाना। इसके बाद हर वर्ष ‘ शंकर्स वीकली ‘ के बाल–विशेषांक निकलते रहे, हर वर्ष यह प्रतियोगिता होती रही और उसमें भाग लेने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ती रही। यह विचार नेहरू जी को पसंद आया तभी उन्होंने ऐसा लिखा।

(ख) क्या लड़ाई भी खेल जैसी हो सकती है ? अगर हो तो कैसे और उस खेल में तुम्हारे विचार से क्या-क्या हो सकता है।

उत्तर :- लड़ाई भी खेल जैसी हो सकती है। हम इसे कुश्ती, मुक्केबाजी का नाम दे सकते हैं। ऐसी काफी प्रतियोगिता हमने देखी भी है। उस खेल में सब जीतना चाहते है, अपना प्रदर्शन सबसे बेहतर करना चाहते हैं।

6. सुबह से शाम

केशव शंकर पिल्लै बच्चों के लिए सुबह से शाम तक काम में लगे रहते थे। तुम सुबह से शाम तक कौन-कौन से काम करना चाहोगे ? नीचे उपयुक्त जगह में अपनी पसंद के काम को भी लिखो और सही (√) का निशान लगाओ। तुम उसका कारण भी बताओ।

क्रम सं.   काम का नाम    √ या X कारण

(क)    खेलना

(ख)    पढ़ना

(ग)    चित्रकारी करना

(घ)   …………

(ङ)   …………

(च)

उत्तर:-  

क्रम सं.   काम का नाम     √ या × कारण

(क)  खेलना     √ अपने शरीर का विकसित रूप से विकास के लिए

(ख)   पढना      √  भविष्य में तरक्की के लिए सबसे जरूरी

(ग)  चित्रकारी करना    √  मुझे चित्रकारी करने का शौक है

(घ)  नृत्य करना   √  मन को शांत रखने के लिए नृत्य करना

(ङ) घर के काम-काज  √  माँ की सहायता के लिए

कक्षा 8 हिंदी दूर्वा के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

अध्यायअध्याय के नाम
1गुड़िया (कविता)
2दो गौरैया (कहानी)
3चिट्ठियों में यूरोप (पत्र)
4ओस (कविता)
5नाटक में नाटक (कहानी)
6सागर यात्रा (यात्रा वृत्तांत)
7उठ किसान ओ (कविता)
8सस्ते का चक्कर (एकांकी)
9एक खिलाड़ी की कुछ यादें (संस्मरण)
10बस की सैर (कहानी)
11हिंदी ने जिनकी जिंदगी बदल दी – मारिया नेज्यैशी (भेंटवार्ता)
12आषाढ़ का पहला दिन (कविता)
13अन्याय के खिलाफ (कहानी) (आदिवासी स्वतंत्रता संघर्ष कथा)
14बच्चों के प्रिय श्री केशव शंकर पिल्लै (व्यक्तित्व)
15फर्श पर (कविता)
16बूढ़ी अम्मा की बात (लोककथा)
17वह सुबह कभी तो आएगी (निबंध)

हम आशा करते हैं कि छात्रों को ncert solutions for class 8 hindi durva chapter 14 बच्चों के प्रिय श्री केशव शंकर पिल्लै प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। हमारा उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप हमारे एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

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