एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी दूर्वा अध्याय 5 नाटक में नाटक

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एनसीईआरटी समाधान कक्षा 8 हिंदी दूर्वा अध्याय 5 नाटक में नाटक

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कक्षा : 8
विषय : हिंदी (दूर्वा भाग -3)
पाठ : 5 नाटक में नाटक

1. पाठ से

(क) बच्चों ने मंच की व्यवस्था किस प्रकार की ?

उत्तर :- मोहल्ले के बच्चों ने मिल-जुलकर फालतू पड़े एक छोटे-से सार्वजनिक मैदान में दूब व फूल–पौधे लगाए थे। वही एक मंच भी बना लिया था।

(ख) पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन-ही-मन राकेश की तुरतबुद्धि की प्रशंसा क्यों कर रहे थे ?

उत्तर :- पर्दे की आड़ में खड़े अन्य साथी मन-ही-मन राकेश की तुरतबुद्धि की प्रशंसा इसलिए कर रहे थे क्योंकि राकेश ने हर बिगड़ती बातों को अच्छे से संभाल लिया था। दर्शक सब शांत थे, भौचक्के थे। वे सोच रहे थे यह क्या हो गया! वे तो समझ रहे थे कि नाटक बिगड़ गया, मगर यहां तो नाटक में ही नाटक था। उसकी रिहर्सल ही नाटक था। मानो इस नाटक में नाटक की तैयारी की कठिनाइयों और कमज़ोरियों को ही दिखाया गया था। दर्शक नाटक की भूरि – भूरि प्रशंसा करते हुए अपने घर चले गए।  

(ग) नाटक के लिए रिहर्सल की जरूरत क्यों होती हैं ?

उत्तर :- किसी भी नाटक के लिए रिहर्सल की जरूरत होती है क्योंकि बिना पूरी तैयारी के नाटक या कोई और भी काम नहीं करना चाहिए। जब नाटक में अभिनय करने वाले कलाकार भी नए हो, मंच पर आकर डर जाते हों, घबरा जाते तो और कुछ – कुछ बुद्धू भी हो, तो बिल्कुल भी अधूरी तैयारी से खेलना नहीं चाहिए। नाटक में हमें अभिनय, डायलॉग कब किस समय बोलने हैं सब याद करना पड़ता है। अगर हम पहले से रिहर्सल करते है तो नाटक में कमी है कहा ज़्यादा ध्यान देना है सब पता चल जाता है।

2. नाटक की बात

“ जब   नाटक में अभिनय करने वाले कलाकार भी नए हो, मंच पर आकर डर जाते हो, घबरा जाते हों और कुछ-कुछ बुद्धू भी हों, तब तो अधूरी तैयारी से खेलना ही नहीं चाहिए।“

(क) ऊपर के वाक्य में नाटक से जुड़े कई शब्द आए हैं; जैसे- अभिनय,  कलाकार और मंच आदि।

तुम पूरी कहानी को पढ़कर ऐसे ही और शब्दों की सूची बनाओ।

तुम इस सूची की तालिका इस प्रकार बना सकते हो:-

व्यक्तियों या वस्तुओं के नामकाम
कलाकार, मंचअभिनय

उत्तर:-  माइक,  पर्दा   :-  संगीतकार

कला, साज – सज्जा :-  चित्रकार

गज़ल  :- शायर

मोहल्ले वाले  :- दर्शक

3. शायर और शायरी

“सोहन बना था शायर।“

तुम किसी गज़ल को किसी पुस्तक में पढ़ सकते हो या किसी व्यक्ति द्वारा गाते हुए सुन सकते हो। इसमें से तुम्हें जो भी पसंद हो उसे इकट्ठा करो। उसे तुम समुचित अवसर पर आवश्यकतानुसार गा भी सकते हो।

उत्तर :-  चुपके से कोई कहता है शाएर नहीं हूँ मैं

क्यूँ अस्ल में हूँ जो वो ब-ज़ाहिर नहीं हूँ मैं

भटका हुआ सा फिरता है दिल किस ख़याल में

क्या जादा-ए-वफ़ा का मुसाफ़िर नहीं हूँ मैं

क्या वसवसा है पा के भी तुम को यक़ीं नहीं

मैं हूँ जहाँ कहीं भी तो आख़िर नहीं हूँ मैं

सौ बार उम्र पाऊँ तो सौ बार जान दूँ

सदक़े हूँ अपनी मौत पे काफ़िर नहीं हूँ मैं

शमशेर बहादुर सिंह द्वारा गज़ल

4. तुम्हारे संवाद

“श्याम घबरा गया। वह सहसा चुप हो गया। उसके चुप होने से चित्रकार और शायर महोदय भी चुप हो गए। होना यह चाहिए था कि दोनों कोई बात मन की ही बनाकर बात आगे बढ़ा देते।“

     अगर तुम श्याम की जगह होते, तो अपने मन से कौन से संवाद जोड़ते। लिखो।

उत्तर :- अगर मैं श्याम की जगह होता तो मैं संगीत और संगीतकार की प्रशंसा करने लगता, संगीत के बिना जीवन अधूरा सा लगता है और जैसे ही मुझे सामने से ज़वाब मिलता , नाटक को मन के द्वारा सोची गई बातों से आगे बढ़ाते।

5. सोचो, ऐसा क्यों ?

नीचे लिखे वाक्य पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दो।

    “राकेश को गुस्सा भी आ रहा था और रोना भी।“

(क) तुम्हारे विचार से राकेश को गुस्सा और रोना क्यों आ रहा होगा ?

     “राकेश मंच पर पहुंच गया। सब चुप हो गए, सकपका गए।“

उत्तर :- उसे गुस्सा इसलिए आ रहा था क्योंकि सबने मिलकर बहुत मेहनत की थी। ऊपर से यह उनके मोहल्ले की इज्जत का सवाल था। नाटक में गड़बड़ हो रही तो मन ही मन वह सोच रहा था कि सब क्या – क्या कहेंगे।

(ख) तुम्हारे विचार से राकेश जब मंच पर पहुँचा, बाकी सब कलाकार क्यों चुप हो गए होंगे ?

       “दर्शक सब शांत थे, भौंचक्के थे।“

उत्तर :- राकेश जब मंच पर पहुंचा सब हक्के-बक्के रह गए क्योंकि उसका कोई रोल न होने के बावजूद वह अभिनय भी करने लग गया था।

(ग) दर्शक भौचक्के क्यों हो गए थे ?

  “मैंने कहा था न कि रिहर्सल में भी यह मान कर चलो कि दर्शक सामने ही बैठे हैं।“

उत्तर :- दर्शक भौचक्के इसलिए हो गए  क्योंकि एक तरफ उन्हें राकेश की बातों से लग रहा था कि किसी से कोई गलती हो गई है तभी राकेश ऐसे बोल रहा है और दूसरी ही तरफ ऐसा कि जैसे नाटक में भी नाटक चल रहा है। सबको अजीब सा लग रहा था और कुछ रहे ही नहीं आ रहा था इन क्या हो रहा है।

(घ) राकेश ने ऐसा क्यों कहा होगा ?

उत्तर :- राकेश कुछ न कुछ करके सबका डर और सबकी गलती को बस ठीक करना चाहता था। उसने ऐसा सोचा सोचा होगा कि कुछ ऐसा करूँ किसी को पता ही नहीं चले कि नाटक में क्या चल रहा है।

6. चलो अभिनय करें

कहानी में से चुनकर कुछ संवाद नीचे दिए गए हैं।
उन संवादों को अभिनय के साथ बोल कर दिखाओ।

(क) चित्रकार महोदय हाथ में कूची पकड़े – आँखें नचा-नचाकर, मटक मटककर बोल रहे थे,
“अरे चमगादड़ तुझे यह पार्ट दे दिया। तूने सारा गड़बड़ कर दिया।”

(ख) मोहन बोला, “मेरा तो दिल बहुत जोरों से धड़क रहा है।“

(ग) राकेश पहुंचते ही एक कुर्सी पर बैठते हुए बोला, “ आज मुझे अस्पताल में हाथ पर पट्टी बनवाने में देरी हो गई, तो तुमने इस तरह रिहर्सल की है। ज़ोर – ज़ोर से लड़ने लगे।“

(घ) चित्रकार महोदय ने हाथ उठाकर कहा, “देख मुंह संभालकर बोल।“

उत्तर :- हमें नाटक की तरह से संवाद सिर्फ बोलने ही नहीं बल्कि अभिनय भी करना है।

7. शब्दों का फेर

“जब संगीत की स्वर लहरी गूंजती है तो पशु-पक्षी तक मुग्ध हो जाते हैं, शायर साहब आप क्या समझते हैं संगीत को ?

इस संवाद को पढ़ो और बताओ कि :-

(क) कहानी में इसके बदले किसने क्यों और क्या बोला ? तुम उसको लिख कर बताओ।

उत्तर :- कहानी में इसके बदले संगीतकार अपना संवाद भूल जाता है और राकेश की बात जब उसे ठीक से समझ नहीं आती तब वह कहता है कि जब संगीत की स्वर लहरी गूँजती है तो सब पशु-पक्षी तक मुँह की खा जाते हैं, गाजर साहब! आप क्या समझते हैं हमें गाजर साहब!

(ख) कहानी में शायर के बदले गाजर कहने से क्या हुआ ? तुम भी किसी शब्द के बदले किसी अन्य शब्द का प्रयोग कर दो तो क्या होगा ?

उत्तर :- यदि हम किसी गलत शब्द का इस्तेमाल करेंगे तो हमें भी उलटा जवाब मिलेगा।

8. तुम्हारा शीर्षक

इस कहानी का शीर्षक ‘नाटक में नाटक’ है। कहानी में जो नाटक है तुम उसका शीर्षक बताओ।

उत्तर:- कहानी में जो नाटक है उसका शीर्षक है ‘राकेश की तुरतबुद्धि।‘

9. समस्या और समाधान

कहानी में चित्रकार बना मोहन, शायर बना सोहन और संगीतकार बना श्याम अपनी –  अपनी कला को महान

बताने के साथ-साथ एक दूसरे को छोटा बड़ा बताने वाले संवादों को बोलकर झगड़े की समस्या को बढ़ावा देते दिख

रहे हैं। उन संवादों को गौर से पढ़ो और इस तरह बदल कर दिखाओ की आपसी झगड़े की समस्या का समाधान हो

जाए। चलो शुरुआत हम कर देते हैं, जैसे- ‘चित्रकार कहता है उसकी कला महान’ के बदले अगर चित्रकार कहे कि

‘हम सब की कला महान’ तो झगड़े की शायद शुरुआत ही न हो। अब तुम यह बताओ कि :-

(क) संगीतकार को क्या कहना चाहिए ?

उत्तर :- संगीतकार को कहना चाहिए कि हम सब की कला महान है लेकिन संगीत सुनने से मन को शांति मिलती है। संगीत खालीपन को भर देता है।

(ख) शायर को क्या कहना चाहिए ?

उत्तर :- शायर को कहना चाहिए कि चित्रकारी , संगीत भी जीवन को तृप्त करते है लेकिन शायरी आत्मा को शुद्धता प्रदान करती है।

(ग) तुम यह भी बताओ कि इन सभी कलाकारों को तुम्हारे अनुसार वह संवाद क्यों कहना चाहिए ?

उत्तर :-  किसी भी कलाकार को चाहे कोई भी हो, सबको एक दूसरे के ओहदे का सम्मान करना चाहिए। इस संवाद से वे एक – दूसरे की कला को महान समझेंगे और अपनी कलाकारी पर गौरवान्वित महसूस करेंगे।

10. वाक्यों की बात

नीचे दिए गए वाक्यों के अंत में सही विराम चिन्ह लगाओ:-

(क) शायर साहब बोले उधर जाकर सुन ले न

(ख) सभी लोग हँसने लगे

(ग) तुम नाटक में कौन-सा पार्ट कर रहे हो

(घ) मोहन बोला अरे क्या हुआ तुम तो अपना संवाद भूल गए

उत्तर:- (क) शायर साहब बोले, ”उधर जाकर सुन ले न।“

(ख) सभी लोग हँसने लगे।

(ग) तुम नाटक में कौन – सा पार्ट कर रहे हो ?

(घ) मोहन बोला, ‘अरे! क्या हुआ तुम तो अपना संवाद भूल थे ?’

कक्षा 8 हिंदी दूर्वा के सभी अध्यायों के एनसीईआरटी समाधान नीचे देखें

अध्यायअध्याय के नाम
1गुड़िया (कविता)
2दो गौरैया (कहानी)
3चिट्ठियों में यूरोप (पत्र)
4ओस (कविता)
5नाटक में नाटक (कहानी)
6सागर यात्रा (यात्रा वृत्तांत)
7उठ किसान ओ (कविता)
8सस्ते का चक्कर (एकांकी)
9एक खिलाड़ी की कुछ यादें (संस्मरण)
10बस की सैर (कहानी)
11हिंदी ने जिनकी जिंदगी बदल दी – मारिया नेज्यैशी (भेंटवार्ता)
12आषाढ़ का पहला दिन (कविता)
13अन्याय के खिलाफ (कहानी) (आदिवासी स्वतंत्रता संघर्ष कथा)
14बच्चों के प्रिय श्री केशव शंकर पिल्लै (व्यक्तित्व)
15फर्श पर (कविता)
16बूढ़ी अम्मा की बात (लोककथा)
17वह सुबह कभी तो आएगी (निबंध)

हम आशा करते हैं कि छात्रों को ncert solutions for class 8 hindi durva chapter 5 नाटक में नाटक प्राप्त करके काफी खुशी हुई होगी। हमारा उद्देश्य केवल बेहतर ज्ञान देना है। इसके अलावा आप हमारे एनसीईआरटी के पेज से सभी विषयों के एनसीईआरटी समाधान और हिंदी में एनसीईआरटी की पुस्तकें भी प्राप्त कर सकते हैं।

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